वाच्य- वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय।’ You can also download Class 10 Science NCERT Solutions to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. दूसरे
शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं – 1. कर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है। कर्तृवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य। कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है। कर्तृवाच्य में कर्ता की असमर्थता दर्शाने के लिए क्रिया एवं नहीं के साथ सक के विभिन्न रूपों का भी प्रयोग किया जा सकता है; जैसे –
2. कर्मवाच्य-जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है। उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार न होकर इनके कर्म के अनुसार हुआ है, अतः ये कर्मवाच्य हैं। अन्य उदाहरण – कर्मवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
(i) कार्यालयी या कानूनी प्रयोग में – (ii) अशक्तता दर्शाने
के लिए; जैसे – (iii) जब सरकार या सभा स्वयं कर्ता हो; जैसे – (iv) जब कर्ता ज्ञात न हो; जैसे – (v) अधिकार या घमंड का भाव दर्शाने के लिए; जैसे 3. भाववाच्य – इस वाच्य में कर्ता अथवा कर्म की नहीं
बल्कि भाव अर्थात् क्रिया के अर्थ की प्रधानता होती है; जैसे – भाववाच्य – कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया सदा पुल्लिंग अकर्मक और एकवचन होती है।
वाच्य-परिवर्तन वाच्य परिवर्तन के अंतर्गत तीनों प्रकार के वाच्यों को परस्पर परिवर्तित किया जाता है 1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना-कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के लिए – 2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य में बदलना-भाववाच्य में मुख्य रूप से निषेधात्मक वाक्य आते हैं। भाववाच्य बनाते समय ने परसर्ग हटाकर से जोड़ दिया जाता है तथा क्रिया में आवश्यक बदलाव कर दिया जाता है; जैसे – 3. कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में बदलना – 4. भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन – अभ्यास प्रश्न प्रश्न 1.
उत्तरः
प्रश्न 2.
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प्रश्न 3.
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प्रश्न 4.
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प्रश्न 5.
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अब स्वयं करें प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
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प्रश्न 4.
प्रश्न 5. प्रश्न 6. कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में कैसे बदलें?कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य. कर्तृवाच्य के साथ लगी विभक्ति हटा दी जाती है और कर्त्ता कारक में करण कारक के चिह्न 'से'या केद्वारा' का प्रयोग करना चाहिए।. कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को समान्य भूतकाल की क्रिया में बदला जाता है। ... . कर्म के साथ कोई परसर्ग हो तो उसे हटा दिया जाता है।. कर्म को चिह्न-रहित करना चाहिए।. निम्नलिखित वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य बताएं?कर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है। कर्तृवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य। मैं फ्रेंच पढ़-लिख सकता हूँ। यह कलाकार फ़िल्मी गीतों के अलावा लोकगीत भी गा सकता है।
निम्नलिखित वाक्यों में कर्मवाच्य का उदाहरण है?कर्मवाच्य में कर्म उपस्थित रहता है और क्रिया सकर्मक होती है। पेड़ लगा दिए गए हैं। पत्र भेज दिया गया है। मुझसे अंग्रेज़ी नहीं बोली जाती।
कर्तृवाच्य में कौन सी क्रिया प्रयोग की जाती है?सरल शब्दों में, क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो और सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाए हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। रमेश केला खाता है। दिनेश पुस्तक नहीं पढता है। उक्त वाक्यों में कर्ता प्रधान है तथा उन्हीं के लिए 'खाता है' तथा 'पढ़ता है' क्रियाओं का विधान हुआ है, इसलिए यहाँ कर्तृवाच्य है।
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