मानसरोवर से कवि का क्या आशय है उदाहरण के साथ स्पष्ट करें? - maanasarovar se kavi ka kya aashay hai udaaharan ke saath spasht karen?

Question 3: तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार से ज्ञान को महत्व दिया है?

उत्तर: कवि का मानना है कि ज्ञान मिलना बहुत कठिन होता है क्योंकि अक्सर लोग सही ज्ञान को पहचान ही नहीं पाते हैं। यहाँ पर ज्ञान को किसी दूर की कौड़ी की तरह बताया गया है।

Question 4: इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?

उत्तर: सच्चा संत वही होता है जो पक्षपात से दूर होता है। उसे किसी पक्ष विशेष की चिंता नहीं होती है। बल्कि वह निष्पक्ष होकर अपने काम में तल्लीन होता है।

Question 5: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?

उत्तर: इन दोहों में कवि ने धर्म की संकीर्ण परिभाषा की ओर संकेत किया है। कवि का मानना है कि भले ही धर्म अलग-अलग हों लेकिन सबका मकसद एक ही होता है और वह है ईश्वर से मिलन।

Question 6: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से नहीं बल्कि उसके कर्मों से होती है। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं जिनमें किसी निर्धन परिवार में जन्मे व्यक्ति ने अपने अच्छे कर्मों से अपना नाम रोशन किया है। दूसरी ओर ऐसे भी उदाहरण हैं जहाँ किसी राजपुत्र ने अपने गलत कर्मों की वजह से अपने राजवंश की सत्ता का ह्रास किया है।

Question 7: काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।

उत्तर: इस दोहे में कवि ने सरल बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। कवि ने एक प्रचलित मुहावरे की मदद से एक गूढ़ विषय को समझाने की कोशिश की है। इस कविता में उपमा का प्रचुर प्रयोग हुआ है।

Question 8: मनुष्य ईश्वर को कहाँ कहाँ ढ़ूँढ़ता फिरता है?

उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, मजार, चर्च, गुरुद्वारा, मजार और तीर्थस्थानों में ढ़ूँढ़ता फिरता है।


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Question 14:

संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

Answer:

प्रस्तुत दोहों में कबीरदास जी ने धार्मिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भावना के विचार को व्यक्त किया है। उन्होंने हिंदु-मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे - मूर्तिपूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं। कबीरदास जी का उद्देश्य समाज में एकता स्थापित कर कुप्रथाओं को नष्ट करना था। इसी संदर्भ में कबीरदास जी कहते हैं -

"जाति-पाति पूछै नही कोए।

हरि को भजै सो हरि का होए।"

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Question 1:

'मानसरोवर' से कवि का क्या आशय है?

Answer:

'मानसरोवर' से कवि का आशय हृदय रुपी तालाब से है। जो हमारे मन में स्थित है।

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Question 2:

कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?

Answer:

सच्चे प्रेम से कवि का तात्पर्य भक्त की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से है। एक भक्त की कसौटी उसकी भक्ति है। अर्थात् ईश्वर की प्राप्ति ही भक्त की सफलता है।

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Question 3:

तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है?

Answer:

कवि ने यहाँ सहज ज्ञान को महत्व दिया है। वह ज्ञान जो सहजता से सुलभ हो हमें उसी ज्ञान की साधना करनी चाहिए।

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Question 4:

इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?

Answer:

जो भक्त निष्पक्ष भाव से ईश्वर की आराधना करता है, संसार में वही सच्चा संत कहलाता है।

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Question 5:

अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?

Answer:

अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीरदास जी ने समाज में व्याप्त धार्मिक संकीर्णताओं, समाज की जाति-पाति की असमानता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा की है।

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Question 6:

किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कु से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

Answer:

व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण उसकी जाति या धर्म से न होकर उसके कर्मों के आधार पर होती है। कबीर ने स्वर्ण कलश और सुरा (शराब) के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट की है।

जिस प्रकार सोने के कलश में शराब भर देने से शराब का महत्व बढ़ नहीं जाता तथा उसकी प्रकृति नहीं बदलती। उसी प्रकार श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने मात्र से किसी भी व्यक्ति का गुण निर्धारित नहीं किया जा सकता। मनुष्य के गुणों की पहचान उनके कर्म से होती है। अपने कर्म के माध्यम से ही हम समाज मे प्रतिष्ठित होते हैं। कुल तथा जाति द्वारा प्राप्त प्रतिष्ठा अस्थाई होती है।

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Question 7:

काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -

हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।

स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।

Answer:

प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने ज्ञान को हाथी की उपमा तथा लोगों की प्रतिक्रिया को स्वान (कुत्ते) का भौंकना कहा है।

काव्य सौदंर्य -

(1) यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।

(2) दोहा छंद का प्रयोग किया गया है।

(3) यहाँ सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है।

(4) यहाँ शास्त्रीय ज्ञान का विरोध किया गया है तथा सहज ज्ञान को महत्व दिया गया है।

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Question 8:

मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?

Answer:

मनुष्य ईश्वर को देवालय (मंदिर), मस्जिद, काबा तथा कैलाश में ढूँढता फिरता है।

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Question 9:

कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

Answer:

कबीर ने समाज द्वारा ईश्वर-प्राप्ति के लिए किए गए प्रयत्नों का खंडन किया है। वे इस प्रकार हैं -

(1) कबीरदास जी के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति मंदिर या मस्जिद में जाकर नहीं होती।

(2) ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना की आवश्यकता नहीं है।

(3) कबीर ने मूर्ति-पूजा जैसे बाह्य-आडम्बर का खंडन किया है। कबीर ईश्वर को निराकार ब्रह्म मानते थे।

(4) कबीर ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए योग-वैराग (सन्यास) जीवन का विरोध किया है।

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Question 10:

कबीर ने ईश्वर को'सब स्वाँसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?

Answer:

'सब स्वाँसों की स्वाँस में' से कवि का तात्पर्य यह है कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त हैं, सभी मनुष्यों के अंदर हैं। जब तक मनुष्य की साँस (जीवन) है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में हैं।

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Question 11:

कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से कर आँधी से क्यों की?

Answer:

कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से कर आँधी से की है क्योंकि सामान्य हवा में स्थिति परिवर्तन की क्षमता नहीं होती है। परन्तु हवा तीव्र गति से आँधी के रुप में जब चलती है तो स्थिति बदल जाती है। आँधी में वो क्षमता होती है कि वो सब कुछ उड़ा सके। ज्ञान में भी प्रबल शाक्ति होती है जिससे वह मनुष्य के अंदर व्याप्त अज्ञानता के अंधकार को दूर कर देती है।

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Question 12:

ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Answer:

ज्ञान की प्राप्ति से भक्त के अंदर ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति का उदय होता है तथा ज्ञान के प्रकाश से जीवन अज्ञानता रुपी अंधकार से मुक्त होकर प्रकाशमय हो जाता है, मनुष्य मोह-माया से मुक्त हो जाता है।

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Question 13:

भाव स्पष्ट कीजिए -

() हिति चिन की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।

() आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।

Answer:

() ज्ञान की आँधी ने स्वार्थ तथा मोह दोनों स्तम्भों को गिरा कर समाप्त कर दिया तथा मोह रुपी छत को उड़ाकर चित्त को निर्मल कर दिया।

() ज्ञान की आँधी के पश्चात् जो जल बरसा उस जल से मन हरि अर्थात् ईश्वर की भक्ति में भीग गया।

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Question 15:

निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए -

पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख

Answer:

(1) पखापखी - पक्ष-विपक्ष

(2) अनत - अन्यत्र

(3) जोग - योग

(4) जुगति - युक्ति

(5) बैराग - वैराग्य

(6) निरपख - निष्पक्ष

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मानसरोवर से कवि का क्या आशय है class 9?

'मानसरोवर'से कवि का आशय हृदय रुपी तालाब से है। जो हमारे मन में स्थित है।

कबीर के अनुसार मानसरोवर में?

कबीर के अनुसार मानसरोवर का अर्थ है कि मन स्वरूप पवित्र सरोवर , जिसके अनुसार इंसान एक अच्छी सोच से भरा हुआ है। और उसका हृदय पवित्र जल से भरा हुआ है। साखियाँ एवं सबद के रचयिता कबीर जी हैं।

कवि ने हंस और मानसरोवर को किसका प्रतीक माना है?

Expert-Verified Answer. कवि ने भक्ति भावना में डूबे रहने वाले साधू संतो और भक्तों को हंस माना है, जो दिन रात भक्ति भावना में डूबे रहते हैं। कबीर ने अपने साखी के माध्यम से मानसरोवर और उसमें रहने वाले हंस को प्रतीक बनाकर इस संसार में भक्तों को उस संसार को मानसरोवर माना है, जिन्होंने ईश्वर रूप आनंद को पा लिया है।

मनुष्य ईश्वर को कहाँ कहाँ ढूँढ़ता फिरता है ?`?

मनुष्य ईश्वर को देवालय (मंदिर), मस्जिद, काबा तथा कैलाश में ढूँढता फिरता है।