समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते हैं? - samaaveshee shiksha se aap kya samajhate hain?

समावेशी शिक्षा अर्थ और परिभाषा, उद्देश्य |inclusive Education in hindi :: समावेशी शिक्षा एक प्रकार की ऐसी प्रक्रिया है। जिसके द्वारा किसी भी भेदभाव व अंतर के समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा प्रदान की जाती है। ताकि समाज के सभी बालको को एक स्तर पर लाया जा सके।

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आज hindivaani आपको समावेशी शिक्षा का अर्थ, समावेशी शिक्षा की परिभाषा, शैक्षिक समावेशन, शैक्षिक समावेशन की परिभाषा, समावेशी शिक्षा के सिद्धान्त, समेकित शिक्षा के उद्देश्य, आदि के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।

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अनुक्रम

  • समावेशी शिक्षा अर्थ और परिभाषा, उद्देश्य
  • समावेशी शिक्षा की परिभाषा –
  • समावेशी शिक्षा की विशेषताये –
  • शैक्षिक समावेशन का अर्थ
  • शैक्षिक समावेशन की परिभाषा –
      • उमातुलि के अनुसार
      • श्रीमती आरके शर्मा के अनुसार
      • प्रोफेसर एस.के.दुबे के अनुसार
    • Also read : –
  • शैक्षिक समावेशन की विशेषताएं
  • समावेशी शिक्षा के सिद्धान्त
  • समावेशी शिक्षा के उद्देश्य
  • समेकित शिक्षा की आवश्यकता तथा चुनौतियां –
    • कारण –
  • समावेशी शिक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न –
    • समावेशी शिक्षा को अंग्रेजी में क्या कहते है ?
    • सर्वप्रथम समावेशी शिक्षा की संकल्पना थी ?
    • समावेशी शिक्षा का प्रारंभ कहा से हुवा ?
    • समावेशी शिक्षा की क्या प्रथाएं हैं ?
    • समावेशी शिक्षा के कितने प्रकार हैं ?
    • समावेशी शिक्षा का क्या उद्देश्य हैं ?
    • समावेशी शिक्षा अधिनियम पारित हुवा ?
    • national trust act कब पारित हुआ था ?
    • समावेशी शिक्षा के क्या आयाम हैं ?
  • फाइनल वर्ड –
  • निवेदन

समावेशी शिक्षा अर्थ और परिभाषा, उद्देश्य

समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते हैं? - samaaveshee shiksha se aap kya samajhate hain?

समावेशी शिक्षा की परिभाषा –

● समावेशी शिक्षा एक प्रकार की समेकित शिक्षा की ओर इंगित करती है जिसके अंतर्गत बिना किसी भेदभाव अंतर के समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा प्रदान करके एक स्तर पर, लाया जा सके।

●संयुक्त राष्ट्र संघ 1993 में सभी को समान अवसर के द्वारा सभी वंचितों को शिक्षा कराने का सभी राज्यों को आवश्यक दायित्व सौंपा गया है।जिसके अंतर्गत सभी वंचित वर्ग शारीरिक रूप से अक्षम , बधिर, विकलांग, बौद्धिक स्तर पर वंचित संवेदी, मांसपेशिय अस्थि या अन्य विकलांगता, भाषा ,बोली, कामगार, जातिगत समूह ,धार्मिक अल्पसंख्यक ,स्त्री-पुरुष भेदभाव को दूर करके सर्वजन के संपूर्ण विकास हेतु शिक्षा का प्रावधान है।

समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते हैं? - samaaveshee shiksha se aap kya samajhate hain?

समावेशी शिक्षा की विशेषताये –

1.समावेशी शिक्षा कक्षा में विविधता को प्रोत्साहित करती है जिससे सभी संस्कृतियों को साथ मिलकर आगे बढ़ने का समुचित अवसर मिलता है।

2.समावेशी शिक्षा के अंतर्गत सभी विशेष शैक्षिक आवश्यकता वाले विद्यार्थियों को विद्यालय में प्रवेश को रोकने की कोई प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए।

3.समावेशन की नीति को प्रत्येक स्कूल और सारी शिक्षा व्यवस्था में व्यापक रूप से लागू किए जाने की आवश्यकता है।

4.समावेशी शिक्षा उस विद्यालय शिक्षा व्यवस्था की ओर संकेत करती है।जो उनकी शारीरिक ,बौद्धिक ,सामाजिक भाषिक या अन्य विभिन्न योग्यता स्थितियों को ध्यान में रखे बगैर सभी बच्चों को शामिल करती है।

5.प्रथक प्रथक समजातीय समूहों के व्यक्तियों के प्रति बच्चों की अभिवृत्ति साधारण रूप से उनके अभिभावक की चित्तवृत्ति पर आधारित होती है। इसलिए इनके समावेशन होती यह आवश्यक है ।कि शिक्षकों में पर्याप्त धैर्य शक्ति हो यह तभी होगा जब वे उनके प्रति लगाव महसूस करेंगे।

6.सफल समावेशन में अभिभावकों की भागीदारी उनके क्षमता संवर्द्धन एवं उनके संवेदनशील बनाने की भी आवश्यकता होती है।ताकि वे अपने बच्चों को स्कूल आने के अवसर उपलब्ध कराएं ताकि उसके हर प्रकार के विकास में सहयोग करें।

शैक्षिक समावेशन का अर्थ

शैक्षिक समावेशन इस प्रकार की ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार की विशेषताएं रखने वाले बालकों को एक समान शिक्षा दी जाती है।

शैक्षिक समावेशन की परिभाषा –

उमातुलि के अनुसार

“समावेशन एक प्रक्रिया है, जिसमे प्रत्येक विद्यालय को दैहिक, संवेगात्मक, तथा सीखने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए संसाधनों का विस्तार करना होता है।”

श्रीमती आरके शर्मा के अनुसार

“शैक्षिक समावेशन एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था है जिसके द्वारा प्रतिभाशाली एवं शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों को सूचित किया जाता है।”

प्रोफेसर एस.के.दुबे के अनुसार

“शैक्षिक समावेशन एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जो छात्रों की योग्यता क्षमता एवं स्थितियों के अनुरूप दी जाती है।”

Also read : –

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शैक्षिक समावेशन की विशेषताएं

शैक्षिक समावेशन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

1.शैक्षिक समावेशन में प्रयोग की जाने वाली विधियां अन्य शिक्षण विधियों से भिन्न है।

2.शैक्षिक समावेशन प्रतिभाशाली एवं बालक दोनों तरह के लिए प्रयोग की जाती है।

3.इस प्रकारकी शिक्षा प्रणाली में छात्रों की मानसिक स्तर का विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।

4.सामान्य रूप से कार्य न कर पाने वाले छात्रों के लिए यह विशेष रूप से शिक्षा प्रदान की जाती है।

समावेशी शिक्षा के सिद्धान्त

समावेशी शिक्षा के सिद्धान्त निम्न है।

1.बालकों में एक सी अधिगम की प्रवृत्ति है।

2.बालकों को समान शिक्षा का अधिकार है।

3.सभी राज्यों का यह दायित्व है कि वह सभी वर्गों के लिए यथोचित संसाधन सामग्री धन तथा सभी संसाधन उठाकर स्कूलों के माध्यम से उनकी गुणवत्ता में सुधार करके आगे बढ़ाएं।

4.शिक्षण में सभी वर्गों,शिक्षक, परिवार तथा समाज का दायित्व है कि समावेशी शिक्षा में अपेक्षित सहयोग करें।

समावेशी शिक्षा के उद्देश्य

समावेशी शिक्षा की निम्निलिखित उद्देश्य है।

1.बालक के विकास के लिए सहायक वातावरण उपलब्ध कराना।

2.बालक में समाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण लाना

3.समाज का बालको के प्रति संवेदनशीलता का विका

4.सीखने की प्रवृति का विकास

5.बालको में नवजीवन का संचार

6.बालको को स्वालंबी होने के लिए व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करना।

समेकित शिक्षा की आवश्यकता तथा चुनौतियां –

शरीर के विभिन्न प्रकार की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ हमें जीवन में संघर्ष करने के लिए शिक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता होती हैम शिक्षा व्यक्ति को संपूर्ण विकसित करके उसे समाज में समायोजन करने की योग्यता प्रदान करती है।व्यक्ति को विभिन्न कौशल प्रदान कर स्वालंबन की दिशा में प्रेरित करते हुए समाज उपयोगी बनाती है।

कारण –

उपगम्यता – सामान्य बालक तथा सामान्य बालक दोनों को समेकित शिक्षा द्वारा शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता होती है।इसका सबसे पहला कारण यह है।कि विभिन्न योग्यता वाले बालकों हेतु उनकी संख्या अनुसार हम उनके आसपास विशिष्ट विद्यालयों की पूर्ति नहीं कर सकते हैं ।एक और तो हम सामान्य बालक हुए पड़ोस में विद्यालय की बात करते हैं।जिसके तहत प्राथमिक विद्यालय तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय बालकों के घर से अधिकतम 1 किलोमीटर से 3 किलोमीटर की दूरी पर होना चाहिए।

असंवेदनशीलता – समेकित शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती दूसरी है।और संवेदनशीलता समाज परिवार अध्यापकों तथा मित्रों की संवेदनहीनता तथा नकारात्मक अभिवृत्ति के फल स्वरुप विशिष्ट बालक अवरुद्ध विकास तथा दिशाहीन जीवन का शिकार हो रहे हैं।

समस्याओं के निराकरण की अपेक्षा – समाज में जानकारी का अभाव उपरोक्त समस्याओं में वृद्धि करता है। या तीसरा सबसे महत्वपूर्ण कारण विभिन्न योग्यता वाले बालकों की समस्याओं के निराकरण की अपेक्षा स्थूलता है।ताकि उत्पन्न करता है। संबंधित ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने की नितांत आवश्यकता है।

समावेशी शिक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न –

समावेशी शिक्षा को अंग्रेजी में क्या कहते है ?

समावेशी शिक्षा को अंग्रेजी में Inclusive education कहते है।

सर्वप्रथम समावेशी शिक्षा की संकल्पना थी ?

सर्वप्रथम समावेशी शिक्षा की संकल्पना विशिष्ट बालको के लिए थी।

समावेशी शिक्षा का प्रारंभ कहा से हुवा ?

समावेशी शिक्षा का प्रारंभ कनाडा और अमेरिका देश से हुवा था ।

समावेशी शिक्षा की क्या प्रथाएं हैं ?

एक शिक्षा एक निरीक्षण
स्थिर और घूर्णन शिक्षा।
समांतर शिक्षा।
वैकल्पिक शिक्षा।
समूह शिक्षा।

समावेशी शिक्षा के कितने प्रकार हैं ?

समावेशी शिक्षा के निम्नलिखित प्रकार हैं।
शारीरिक और और मानसिक विकलांग।
अधिगम अशक्तता।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति , निर्धन एवं पिछड़े वर्ग के बच्चे।

समावेशी शिक्षा का क्या उद्देश्य हैं ?

विशिष्ट बच्चों की असमर्थता को दूर करना।

समावेशी शिक्षा अधिनियम पारित हुवा ?

समावेशी शिक्षा अधिनियम 1995 ई में पारित हुवा था।

national trust act कब पारित हुआ था ?

national trust act 1999 ई में पारित हुआ था।

समावेशी शिक्षा के क्या आयाम हैं ?

पहुँच , स्वीकृति, प्रतिभागिता , और उपलब्धि।

फाइनल वर्ड –

आशा हैं कि हमारे द्वारा जो समावेशी शिक्षा अर्थ और परिभाषा, उद्देश्य की जानकारी आपको प्रदान की गई हैं। यह आपको बहुत ही अधिक पसन्द आयी होगी। यदि आपको inclusive Education in hindi की जानकारी आपको पसन्द आयी हो। तो इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे। साथ ही साथ हमे इसके बारे में कॉमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं। धन्यवाद

निवेदन

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समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते है?

समावेशी शिक्षा ऐसी शिक्षा है जिसके अन्तर्गत शारीरिक रूप से बाधित बालक तथा सामान्य बालक साथ-साथ सामान्य कक्षा में शिक्षा ग्रहण करते हैं। अपंग बालकों को कुछ अधिक सहायता प्रदान की जाती है। इस प्रकार समावेशी शिक्षा अपंग बालकों के पृथक्कीकरण के विरोधी व्यावहारिक समाधान है।

समावेश से आप क्या समझते हैं?

समावेशी अथवा समावेशी शिक्षा में प्रतिभाशाली बालक तथा सामान्य बालक एक साथ कक्षाओं में पूर्ण समय या अर्द्धकालिक समय में शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस प्रकार मिलना, समायोजन, सामाजिक या शैक्षिक अथवा दोनों को समन्वित करता है।

समावेशी शिक्षा का क्या महत्व है?

समावेशी शिक्षा का महत्व इसमें विशिष्ट बालकों तथा सामान्य बालकों को पढ़ाना कम खर्चीला होता है। इस शिक्षा व्यवस्था में बालकों का मानसिक विकास एवं आत्म सम्मान की भावना का विकास अच्छी तरह से होता है। इस शिक्षण व्यवस्था में असमर्थ बालकों में प्यार दयालुता समायोजन सहायता भाईचारा आदि जैसे सामाजिक गुणों का भी विकास होता है।

समावेशी शिक्षा की विशेषता क्या है?

समावेशी शिक्षा की विशेषता है, कि अपंग छात्रों को कम प्रतिबंधित तथा अधिक प्रभावी वातावरण उपलब्ध कराने की शिक्षा है। जिससे वे सामान्य बालकों के समान ही जीवन यापन करने में सफल हो सके। समावेशी शिक्षा की यह विशेषता है, कि यह अपंग बालकों को शिक्षा के समान अवसर भी प्राप्त कराती है।