माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना का वर्णन कीजिए - maitokondriya kee sanrachana ka varnan keejie

इस आर्टिकल में हम जानेगे की माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) क्या है ? माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना क्या है, माइटोकॉन्ड्रिया के प्रकार या संख्या कितनी है और माइटोकॉण्ड्रिया का कार्य क्या है ? इसी के साथ हम जानेगे की माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का शक्ति गृह क्यों कहा जाता है ?

माइटोकॉण्ड्रिया की खोज 1890 ई. में अल्टमेन (Altman) नामक वैज्ञानिक ने की थी। अल्टमेन ने इसे बायोब्लास्ट तथा बेण्डा ने माइटोकॉण्डिया कहा। जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहा जाता हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना का वर्णन कीजिए - maitokondriya kee sanrachana ka varnan keejie

माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं।

माइटोकॉण्ड्रिया कोशिकाद्रव्य में की एक बहुत महत्वपूर्ण रचना है जो की कोशिकाद्रव्य में बिखरी रहती है। माइटोकॉण्ड्रिया दोहरी झिल्ली के आवरण से घिरी हुई रचनाएँ होती हैं। माइटोकॉण्ड्रिया का आकार (size) और आकृति (shape) परिवर्तन होता रहता है ।

माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना और विशेषताएँ क्या है ?

प्रत्येक माइटोकॉण्ड्रिया एक बाहरी झिल्ली एवं एक अन्तः झिल्ली से चारों ओर घिरी रहती है तथा इसके बीच में एक तरलयुक्त गुहा होती है, जिसे माइटोकॉण्ड्रियल गुहा (Mitochondrial cavity) कहते हैं। बाहरी झिल्ली की सतह पर वृंतविहीन कण पाये जाते है, जिन्हें पारर्सन की उपइकाई (subunits of parson) कहा जाता है।

माइटोकॉण्ड्रिया की बाहरी झिल्ली सपाट और अन्दर वाली झिल्ली मैट्रिक्स की ओर ऊँगली समान नलिकाओं (पादपों में) अथवा क्रिस्टी (जन्तुओं में) जैसी रचनाएँ बनाती हैं।

माइटोकॉण्ड्रिया कोशिकाद्रव्य में कणों (Chondriomits), सूत्रों (Filament), छड़ों (Chondriconts) और गोलकों (Chondriospheres) के रूप में बिखरा रहता है।

माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना का वर्णन कीजिए - maitokondriya kee sanrachana ka varnan keejie

बाहरी झिल्ली

माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड  की बनी होती है इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। इसकी मोटाई 60-70 Å होती है।

इसकी बाहरी झिल्ली द्वारा बहुत बड़े अणुओं (6000 kD) का स्थानांतरण हो सकता है।

माइटोकॉन्ड्रिया में बड़ी संख्या में धंसे हुए प्रोटीन (integral proteins) होते हैं जिन्हें पोरिन (porins) कहा जाता है।

आंतरिक झिल्ली

माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली पर ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन के एंजाइम पाए जाते है इस झिल्ली पर एटीपी संश्लेषण की प्रक्रिया होती है।

भीतरी झिल्ली (Inner membrane) की बाहरी सतह को सी-फेस (C-Face) तथा आंतरिक सतह को एम-फेस (M – Face) कहा जाता है।

क्रिस्टी (Cristae)

आंतरिक झिल्ली में कई उभार (projection) होते हैं जिन्हें क्रिस्टी (Cristae) कहा जाता है।

क्रिस्टी में टेनिस के रेकेट के समान की संरचना होती हैं जिन्हें ऑक्सीसोम या F2 कण या आंतरिक झिल्लिका उपइकाई (inner membrane subunit) कहा जाता है।

ऑक्सीसोम का निर्माण दो कारकों F0 तथा F1 के द्वारा होता है। F0 कण ऑक्सीसोम के आधार पर होता है।ऑक्सीसोम एटीपीस एंजाइम होते हैं जो ऑक्सीडेटिव फास्फोरिलीकरण में भाग लेता हैं। जो आंतरिक झिल्ली के साथ F1 कण के जुड़ने में मदद करता है। और F0 F1 कण  को OSCP (oligomycin sensitivity conferring protein) कहा जाता है। दो ऑक्सीसम के बीच की दूरी 100Å होती  है।

आधात्री (Matrix)

आंतरिक झिल्ली से घिरे हुए स्थान में भरे द्रव को मैट्रिक्स कहते है जिसमे कुल माइटोकॉन्ड्रियन प्रोटीन का लगभग 2/3 भाग होता है। ये प्रोटीन में क्रेब्स चक्र एंजाइम, श्वसनकारी एंजाइम होते है।

विशेष माइटोकॉन्ड्रियल राइबोसोम, टी-आरएनए और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए जीनोम की कई प्रतियां शामिल हैं।

माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA)

माइटोकॉण्ड्रिया के मैट्रिक्स में क्रैब्स चक्र के एन्जाइम, DNA, राइबोसोम तथा RNA स्थित होते हैं इसलिए माइटोकॉण्ड्रिया को अर्धस्वायत्त कोशिकांग (semi autonomous organelle)कहा जाता है।

इसमें माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mt-DNA) उपस्थिति होता है। जिसके कारण यह अपने प्रोटीन एवं एंजाइमों का निर्माण खुद कर सकता है।

Mitochondrial DNA द्विरज्जुकी (double stranded), नग्न (naked) दानेदार (granular), गोलाकार (circular), उच्च G-C अनुपात (higher G-C ratio) वाला अणु है। माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mt-DNA) कोशिक के कुल डीएनए का 1% भाग होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया में  जीनोम (mt-DNA) का आकार छोटा होता है। लेकिन जीन की संख्या बहुत अधिक होती है।

mt-DNA का आकार जानवरों की तुलना में पौधे में अधिक होता है।

mt-DNA में उत्परिवर्तन से लेबर ऑप्टिक न्यूरोपैथी(Labour Optic Neuropathy) विकार उत्पन्न होता है। जिसमें नेत्र की दृक तंत्रिका (Optic Nerve) से जुड़े न्यूरॉन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

mt-डीएनए का उपयोग Phylogenetic संबंधों के अध्ययन के लिए किया जाता है।

माइट्रोकान्ड्रिया के द्वारा मानव इतिहास का अध्ययन और खोज भी की जा सकती है, क्योंकि उनमें पुराने गुणसूत्र उपलब्ध होते हैं। शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने पहली बार कोशिका के इस ऊर्जा प्रदान करने वाले घटक को एक कोशिका से दूसरी कोशिका में स्थानान्तरित करने में सफलता प्राप्त की है। माइटोकांड्रिया में दोष उत्पन्न हो जाने पर मांस-पेशियों में विकार, एपिलेप्सी, पक्षाघात और मंदबद्धि जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं

माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य

इसमें कोशकीय श्वसन (Cellular respiration)  होता है।

न्यूरॉन्स में पाए जाने वाले माइटोकॉन्ड्रिया न्यूरोहोर्मोन के निर्माण में मदद करते हैं।

विटललोजेनेसिस (Vitellogenesis) के दौरान माइटोकॉन्ड्रिया में mitochondrial kinase एंजाइम पीतक (Yolk) को घना और अघुलनशील बनाता है।

माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस क्यों कहा जाता है ?

माइटोकॉन्ड्रिया में एटीपी का संश्लेषण (ATP production), एटीपी का भंडारण (ATP storage) और एटीपी का परिवहन (transport) होता है। ये तीनों कार्य माइटोकॉन्ड्रिया में होने के कारण माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस (कोशिका का शक्ति गृह  (Power house of the cell) कहा जाता है।

माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना का वर्णन कीजिए - maitokondriya kee sanrachana ka varnan keejie

चूँकि सभी आवश्यक रासायनिक क्रियाओं को करने के लिए माइटोकॉण्ड्रिया ATP के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसे कोशिका का बिजलीघर भी कहा जाता है,

माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना क्या है?

जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहते हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया क्या है माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना बनाएं?

माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। माइटोकॉण्ड्रिया कोशिकाद्रव्य में की एक बहुत महत्वपूर्ण रचना है जो की कोशिकाद्रव्य में बिखरी रहती है। माइटोकॉण्ड्रिया दोहरी झिल्ली के आवरण से घिरी हुई रचनाएँ होती हैं। माइटोकॉण्ड्रिया का आकार (size) और आकृति (shape) परिवर्तन होता रहता है ।

माइटोकॉन्ड्रिया क्या है इसका क्या कार्य है?

Mitochondria यूकेरियोटिक कोशिकाओं का एक हिस्सा हैं। माइटोकॉन्ड्रिया का मुख्य काम सेलुलर श्वसन करना है। इसका मतलब यह है कि यह कोशिका से पोषक तत्वों में ले जाता है, इसे तोड़ देता है, और इसे ऊर्जा में बदल देता है। इस ऊर्जा को तब विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए सेल द्वारा उपयोग किया जाता है।

माइटोकांड्रिया कितने प्रकार के होते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया का आकृति व परिमाण Size and shape of Mitochondria. माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका में छड़ों, सूत्रों तथा गोलको के रूप में कोशिका द्रव्य में पाए जाते हैं। इनकी आकृति दीर्घ वृत्ताकार, चपटी, गोलाकार, तंतुमय, नालिकाकार अंडाकार और ताराकार भी हो सकती है।