महादेवी वर्मा का हिंदी साहित्य में क्या योगदान है? - mahaadevee varma ka hindee saahity mein kya yogadaan hai?

जीवन-परिचय–महादेवी वर्मा का जन्म फखाबाद के एक शिक्षित कायस्थ परिवार में सन् 1907 ई०( संवत् 1963 वि०) में होलिका दहन के दिन हुआ था। इनके पिता श्री गोविन्दप्रसाद वर्मा, भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। इनकी माता हेमरानी परम विदुषी धार्मिक महिला थीं एवं नाना ब्रजभाषा के एक अच्छे कवि थे। महादेवी जी पर इन सभी का प्रभाव पड़ा और अन्ततः वे एक प्रसिद्ध कवयित्री, प्रकृति एवं परमात्मा की निष्ठावान् उपासिका और सफल प्रधानाचार्या के रूप में प्रतिष्ठित हुईं। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई। संस्कृत से एम० ए० उत्तीर्ण करने के बाद ये प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या हो गयीं। इनका विवाह 9 वर्ष की अल्पायु में ही हो गया था। इनके पति श्री रूपनारायण सिंह एक डॉक्टर थे, परन्तु इनका दाम्पत्य जीवन सफल नहीं था। विवाहोपरान्त ही इन्होंने एफ०ए०, बी०ए० और एम०ए० परीक्षाएँ सम्मानसहित उत्तीर्ण कीं। महादेवी जी ने घर पर ही चित्रकला तथा संगीत की शिक्षा भी प्राप्त की।
इन्होंने नारी-स्वातन्त्र्य के लिए संघर्ष किया, परन्तु अपने अधिकारों की रक्षा के लिए नारियों का शिक्षित होना भी आवश्यक बताया। कुछ वर्षों तक ये उत्तर प्रदेश विधान-परिषद् की मनोनीत सदस्या भी रहीं। भारत के राष्ट्रपति से इन्होंने ‘पद्मभूषण’ की उपाधि प्राप्त की। हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से इन्हें ‘सेकसरिया पुरस्कार’ तथा ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ मिला। मई 1983 ई० में ‘भारत-भारती’ तथा नवम्बर 1983 ई० में यामा पर ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से इन्हें सम्मानित किया गया। 11 सितम्बर, 1987 ई० (संवत् 2044 वि०) को इस महान् लेखिका का स्वर्गवास हो गया।
साहित्यिक सेवाएँ–श्रीमती महादेवी वर्मा का मुख्य रचना क्षेत्र काव्य है। इनकी गणना छायावादी कवियों की वृहत् चतुष्टयी (प्रसाद, पन्त, निराला और महादेवी) में होती है। इनके काव्य में वेदना की प्रधानता है। काव्य के अतिरिक्त इनकी बहुत-सी श्रेष्ठ गद्य-रचनाएँ भी हैं। इन्होंने प्रयाग में ‘साहित्यकार संसद’ की स्थापना करके साहित्यकारों का मार्गदर्शन भी किया। ‘चाँद’ पत्रिका का सम्पादन करके इन्होंने नारी को अपनी स्वतन्त्रता और अधिकारों के प्रति सजग किया है।
महादेवी वर्मा जी के जीवन पर महात्मा गाँधी का तथा कला-साहित्य साधना पर कवीन्द्र रवीन्द्र का प्रभाव पड़ा। इनका हृदय अत्यन्त करुणापूर्ण, संवेदनायुक्त एवं भावुक था। इसलिए इनके साहित्य में भी वेदना की गहरी टीस है।

रचनाएँ-महादेवी जी का प्रमुख कृतित्व इस प्रकार है-
⦁    नीहार-यह इनका प्रथम प्रकाशित काव्य-संग्रह है।
⦁    रश्मि-इसमें आत्मा-परमात्मा विषयक आध्यात्मिक गीत हैं।
⦁    नीरजा-इस संग्रह के गीतों में इनकी जीवन-दृष्टि का विकसित रूप दृष्टिगोचर होता है।
⦁    सान्ध्यगीत-इसमें इनके श्रृंगारपरक गीतों को संकलित किया गया है।
⦁    दीपशिखा-इसमें इनके रहस्य-भावना-प्रधान गीतों का संग्रह है।
⦁    यामा-यह महादेवी जी के भाव-प्रधान गीतों का संग्रह है।
इसके अतिरिक्त ‘सन्धिनी’, ‘आधुनिक कवि’ तथा ‘सप्तपर्णा’ इनके अन्य काव्य-संग्रह हैं। ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ इनकी महत्त्वपूर्ण गद्य रचनाएँ हैं।
साहित्य में स्थान–निष्कर्ष रूप में महादेवी जी वर्तमान हिन्दी-कविता की सर्वश्रेष्ठ गीतकार हैं। इनके भावपक्ष और कलापक्ष दोनों ही अतीव पुष्ट हैं। अपने साहित्यिक व्यक्तित्व एवं अद्वितीय कृतित्व के आधार पर, हिन्दी साहित्याकाश में महादेवी जी का गरिमामय पद ध्रुव तारे की भाँति अटल है।

हेलो दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है इस लेख महादेवी वर्मा पर निबंध (Essay on Mahadevi Varma) में आज इस लेख में आप महान कवियत्री महादेवी वर्मा के जीवन परिचय के साथ साथ उनकी

काव्यगत रचनाओं के बारे में भी जान पाएंगे। दोस्तों महादेवी वर्मा हिंदी भाषा के चार स्तम्भों में छायावादी युग की एक महान कवयित्री के रूप में जानी जाती हैं.

उन्होने हिंदी साहित्य में अपना अमूल्य योगदान दिया तथा उसे अपनी रचनाओं के द्वारा अलंकृत किया तो आइए दोस्तों जानते हैं और अधिक महादेवी वर्मा पर निबंध में:-

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महादेवी वर्मा कौन थी who was mahadevi varma 

महादेवी वर्मा पर निबंध Essay on Mahadevi varma - महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की छायावादी युग की महान कवयित्री थी। महादेवी वर्मा हिंदी छायावादी युग की एक ऐसी महान कवयित्री थी, जिन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।

महादेवी वर्मा ने भारत की गुलामी और आज़ादी दोनों को ही देखा है तथा आजादी के पश्चात समाज सुधारक के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया है।

उन्होंने समाज में रहते हुये समाज में कष्टों से हाहाकार और रुदन को देखा है तथा उस भयंकर दुख तथा परिस्थितियों को अपने

काव्य में अलंकृत किया है महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की एक महान कवयित्री के रूप में हमेशा जानी जाती रहेंगी।

महादेवी वर्मा का हिंदी साहित्य में क्या योगदान है? - mahaadevee varma ka hindee saahity mein kya yogadaan hai?
Mahadevi varma 

महादेवी वर्मा का जन्म Birth of Mahadevi varma 

महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च सन 1907 में उत्तरप्रदेश राज्य के सबसे प्रसिद्ध नगर फर्रुखाबाद में होलिका दहन के पुण्य पर्व के दिन हुआ था।

महादेवी वर्मा के पिता जी श्री गोविंद प्रसाद वर्मा थे. जो भागलपुर के एक महाविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर आसीन थे।

तथा इनकी माता जी का नाम हेमरानी देवी था। इनकी माता बड़ी ही संस्कारवान और धार्मिक प्रवृत्ति की थी जो घंटों कई धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया करती थी।

जिसका प्रभाव उनकी बेटी महादेवी वर्मा पर भी पड़ा महादेवी वर्मा का विवाह डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ था। महादेवी वर्मा का निधन सन 1987 ईस्वी में इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था

महादेवी वर्मा की शिक्षा
Education of Mahadevi varma 

महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर के मिशन विद्यालय से ही प्रारंभ की। महादेवी वर्मा साहित्य लेखन में इतनी अधिक रुचि लेती थी कि उन्होंने 7 वर्ष की अवस्था से ही कविताएँ लिखना प्रारंभ कर दिया था।

महादेवी वर्मा ने संस्कृत, अंग्रेजी, चित्रकला आदि की शिक्षा घर पर ही प्राप्त की। किन्तु शादी के पश्चात उनके अध्ययन में कई बाधाएँ उत्पन्न हुई किंतु इनके पति के प्रयास के कारण इन्होंने इलाहाबाद कॉलेज में अध्ययन किया और वही हॉस्टल में रहने लगी

तथा कक्षा आठवीं की परीक्षा में पूरे प्रांत में प्रथम स्थान प्राप्त किया जब तक उन्होंने मैट्रिक पास किया तब तक वे एक सफल कवियत्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थी। सन 1932 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में एम. ए. पास किया।

महादेवी वर्मा का साहित्य में योगदान Contribute in litreture 

महादेवी वर्मा ने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय जागरण की कविताएँ लिखना आरंभ कर दिया था और वह ऐसी कविताएं लिखती थी,

जिनमें मानवीय संवेदना साफ - साफ झलकती थी। महादेवी वर्मा ने लेखन संपादन और अध्यापन में अपना अमूल्य योगदान दिया। वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या रही और उपकुलपति भी नियुक्त हुई

उनकी प्रमुख रचनाओं में निहार, नीरजा, संगीत दीपशिखा और यामा उल्लेखनीय है जबकि स्मृति की रेखाएँ और अतीत के चलचित्र उनके संस्मरण आत्मा का गद्य रचना संग्रह हैं।

इसी श्रृंखला की कड़ियाँ, पथ का साथी, मेरा परिवार और क्षणदा उनके निबंध संकलन है। महादेवी वर्मा बौद्ध धर्म से प्रभावित थी और महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर समाज सेवा मैं अमूल योगदान दिया।

स्त्रियों की मुक्ति शिक्षा और विकास के लिए उन्होंने जो समाज में आवाज उठाई है वह वास्तव में एक प्रशंसनीय कार्य है।

महादेवी वर्मा की कृतियाँ Creation of Mahadevi varma 

महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियाँ निम्न प्रकार है :-

  1. कविता संग्रह - रश्मि', नीरजा,  निहार, सांध्यगीत दीपशिखा, सप्तपर्णा, अग्नि रेखा, प्रथम आयाम आदि हैं। इसके साथ कुछ अन्य काव्य संग्रह जैसे- आत्मिका,  परिक्रमा, यामा आदि भी महादेवी वर्मा की कृतियाँ हैं
  2. रेखाचित्र - अतीत के चलचित्र स्मृति की रेखाएँ महादेवी वर्मा के प्रमुख रेखाचित्र हैं।
  3. निबंध - महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबंधों में श्रृंखला की कड़ियाँ, साहित्यकार की आस्था तथा कई अन्य प्रसिद्ध निबंध हैं।
  4. संस्मरण - संस्मरण में महादेवी वर्मा ने मुख्यत: पथ का साथी, मेरा परिवार, आदि संस्मरण को रचित किया है।

महादेवी वर्मा को दिए गए पुरस्कार Awards givin to Mahadevi varma 

महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य तथा समाज कल्याण के अथक प्रयास के लिए कई प्रकार के पुरस्कारों से विभूषित किया गया है।

सर्वप्रथम 1943 में मंगला प्रसाद पारितोषिक तथा भारत भारती सम्मान से सम्मानित किया गया।

1956 में भारत सरकार द्वारा उन्हें हिंदी साहित्य में किए गए अमूल्य योगदान के लिए पदम भूषण से अलंकृत किया गया।

तथा 1988 में उन्हें पदम विभूषण से सम्मानित किया गया। महादेवी वर्मा की रचना नीरजा के लिए उन्हें 1934 में ससकेरिया पुरस्कार तथा

यामा के लिए 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सुशोभित किया गया इसके साथ ही उन्हें उनकी काव्य संग्रह के लिए विभिन्न प्रकार के साहित्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

निष्कर्ष Conclusion 

दोस्तों महादेवी वर्मा एक ऐसी कवियत्री थी जिन्होंने समाज सुधार का और कवियत्री दोनों के रूप में ही समाज को अपना अमूल्य योगदान दिया है,

उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में प्रमुख स्थान रखती है, ऐसी कवियत्री भारत के इतिहास में हमेशा सम्मान के योग्य रहेगी। 

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महादेवी वर्मा का हिंदी साहित्य में क्या स्थान है?

आधुनिक गीत काव्य में महादेवी जी का स्थान सर्वोपरि है। उनकी कविता में प्रेम की पीर और भावों की तीव्रता वर्तमान होने के कारण भाव, भाषा और संगीत की जैसी त्रिवेणी उनके गीतों में प्रवाहित होती है वैसी अन्यत्र दुर्लभ है। महादेवी के गीतों की वेदना, प्रणयानुभूति, करुणा और रहस्यवाद काव्यानुरागियों को आकर्षित करते हैं।

महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय कैसे लिखें?

पीड़ा की गायिका ' अथवा ' आधुनिक युग की मीरा ' के नाम से विख्यात हैं| श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 ई ० ( संवत् 1964 ) में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध नगर फर्रुखाबाद में होलिका दहन के पुण्य पर्व के दिन हुआ था । उनकी माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं । वे श्रीकृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं ।

महादेवी वर्मा का गद्य में योगदान क्या है?

महादेवी वर्मा ने एक ओर काव्य रचना की तो दूसरी तरफ सामाजिक यथार्थ को सामने रखने के लिए उन्होंने गद्य का सहारा लिया। उन्होंने अपने रेखाचित्रों, संस्मरणों, निबंधों और आलोचना के माध्यम से समाज और खासकर दलित और नारी के प्रति अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया । पुट भी है और यथार्थ अपनी समस्त प्रखरता के साथ उभर कर सामने आया है।

महादेवी वर्मा की साहित्यिक विशेषताएं क्या थी?

उन्हें आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है। कोमल कल्पना और सूक्ष्म अनुभूति के साथ आपकी कविता में संगीतमयी और रंगीन भाषा भी मिलती है। उनकी कविता में रहस्य और दार्शनिकता का विशेष पुट रहता है। कवयित्री के रूप में तो महादेवी प्रसिद्ध हैं ही आधुनिक हिंदी गद्य को भी आपने अनुपम दान दिया है।