क्या 50 पैसे का सिक्का बंद हो गया है? - kya 50 paise ka sikka band ho gaya hai?

चवन्नी के बाद अब अठन्नी की बारी है. जी हां, 50 पैसे का सिक्का अब प्रचलन से बाहर होता जा रहा है. 2011 में चवन्नी यानी चार आने का सिक्का सरकार ने बंद कर दिया था.

हालांकि बाज़ार में 50 पैसे का सिक्का अभी भी चल रहा है लेकिन लोग इसे अब ले नहीं रहे हैं. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक यह सिक्का अब अपने अंत के कगार पर है. अब इसे दुकानदार, रिक्शा वाले या बस यात्री, कोई नहीं लेना नहीं चाहता है. दरअसल महंगाई के कारण ही इस सिक्के की औकात कुछ नहीं रही और इसमें कुछ मिलता भी नहीं है.

मुंबई की बस सेवा बेस्ट के एक प्रवक्ता ने पत्र को बताया कि हालांकि उसके कंडक्टर यह सिक्का ले लेते हैं लेकिन यात्री लेने से इनकार करते हैं. उलटे यात्री उन्हें ही 50 पैसे का सिक्का थमा देते हैं. कई लोग तो उन्हें लेने से साफ इनकार कर देते हैं. वे दो अठन्नियों की बजाय एक रुपये का नोट या सिक्का मांगते हैं.

अठन्नी पांच सदी पहले अकबर के शासन काल में प्रचलन में आई थी. वह वज़न में भी एक रुपये के सिक्के की आधी होती थी. तब एक रुपये का सिक्का 11 ग्राम चांदी से बनता था.

जानकारों का कहना है कि सिक्के की ढलाई अब महंगी पड़ती है और इसका इस्तेमाल भी कम हो रहा है. हालांकि इसकी ढलाई बंद नहीं की है और यह कानूनी रूप से मान्य है लेकिन इसकी ढलाई अब लगातार घटती जा रही है.

इस सिक्के के प्रचलन को रोकने के लिए सरकार को कॉएनेज ऐक्ट,1906 में बदलाव करना होगा. उसे घोषणा करनी पड़ेगी कि किस दिन से इस सिक्के का प्रचलन बंद किया जा रहा है.

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने अपनी सालाना रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में कई तरह की जानकारियां शामिल होती हैं. लेकिन, सबसे अहम हिस्सा वो होता, जो सीधे आम आदमी से जुड़ा है. RBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि अभी प्रचलन में कौन से नोट और कौन से सिक्के हैं. साथ ही यह भी जानकारी दी गई कि अभी कितने नोट और सिक्के जारी किए जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि बरसों पहले चलन से बाहर कर दिया गया 50 पैसे का सिक्का (50 Paise coin) बंद नहीं हुआ है. बाजार में लोगों ने इसे चलन से बाहर किया है. RBI की तरफ से इसे बंद करने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. बल्कि, आरबीआई अब भी सिक्के ढाल रहा है. 

2000 रुपए के नोट पर भी कोई प्रतिबंद नहीं

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि 2000 रुपए के नोट (2000 Rupee note update) को लेकर बाजार में जो भी कन्फ्यूजन है, वो महज अफवाह है. 2000 के नोटों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा है और उसकी छपाई का सिलसिला जारी है. हालांकि, छपाई को कम किया गया है. लेकिन, बंद नहीं किया गया. इस बारे में अफवाह उड़ रही थी कि रिजर्व बैंक ने 2 हजार के नोटों को बंद किया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 रुपये के नोट जारी करता है. 

अब भी चलेगा 50 पैसे का सिक्का!

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कौन-कौन से सिक्के चलन (Coins in Circulation) में हैं. काफी समय से बाजार में 1 रुपए के सिक्के को लेने में आना-कानी करते हैं. वहीं, 50 पैसे का सिक्का तो बहुत पहले ही चलन से बाहर हो चुका है. लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि आरबीआई ने अभी तक 50 पैसे के सिक्के को चलन से बाहर नहीं माना है. रिजर्व बैंक के मुताबिक, अभी बाजार में 50 पैसे, 1 रुपए, 2, 5, 10 और 20 रुपए के सिक्के चलन में हैं. रिजर्व बैंक की तरफ से इन्हें जारी भी किया जाता है. इन्हें लेने से कोई इनकार नहीं कर सकता.

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सबसे ज्यादा चलते हैं 500 और 2000 रुपए नोट

रिजर्व बैंक के मुताबिक, बाजार में जितने नोट हैं, उनमें वैल्यू टर्म के लिहाज से 500 और 2,000 के बैंक नोट 85.7 फीसदी चलन में हैं. मतलब देश में जितने बैंक नोट चल रहे हैं, उनमें 85.7 फीसदी सिर्फ 500 और 2,000 रुपए के नोट हैं. 31 मार्च, 2020 को यह मात्रा 83.4 फीसदी थी. वहीं, वॉल्यूम के हिसाब से 500 रुपए के नोट का शेयर सबसे ज्यादा है. 31.1 फीसदी नोट चलन में हैं. इसके बाद 10 रुपए का नोट, जिसका वॉल्यूम 23.6 परसेंट है. नोटों की यह मात्रा 31 मार्च, 2021 के चलन के हिसाब से बताई गई है.

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कितना होता है प्रिंटिंग पर खर्च?

RBI की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल नोटों की आवक 9.7 फीसदी कम हुई है. पिछले साल से इस साल बैंक नोट की सप्लाई में 0.3 फीसदी की गिरावट आई है. 1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च 2021 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर कुल 4,012.1 करोड़ रुपए खर्च किए गए. जुलाई 2019 से जून 2020 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर 4,377.8 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. जाली नोटों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल नकली नोटों में 3.9 फीसदी रिजर्व बैंक में जबकि 96.1 फीसदी अन्य बैंकों में पाए गए थे. 2020-21 के दौरान कुल 2,08,625 जाली नोट पकड़ में आए. 2019-20 में यह संख्या 2,96,695 थी और 2018-19 में 3,17,384 थी.

स्टेट बैंक के पास करेंसी चेस्ट

करंसी नोट और सिक्कों को जारी करने का काम रिजर्व बैंक करता है. इसका प्रबंधन भी RBI की तरफ से होता है. इस काम में इशू ऑफिस, करेंसी चेस्ट और स्मॉल कॉइन डिपॉजिट बड़ी भूमिका निभाते हैं जो कि पूरे देश में फैले होते हैं. 31 मार्च 2021 तक देश में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास करेंसी चेस्ट नेटवर्क का 55 फीसदी हिस्सा था जो कि सभी बैंकों में ज्यादा है. कटे-फटे नोटों के बारे में रिजर्व बैंक ने बताया है कि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते इस काम में बाधा आई थी, लेकिन अब उसे दुरुस्त कर दिया गया है.

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