विद्यापति का जन्म कौन से गांव में हुआ? - vidyaapati ka janm kaun se gaanv mein hua?

विद्यापति का जन्म किस गांव में हुआ था?...


विद्यापति का जन्म कौन से गांव में हुआ? - vidyaapati ka janm kaun se gaanv mein hua?

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विद्यापति का जन्म किस गांव में हुआ था देखिए विद्यापति मैथिली कवि थे उनका जन्म किस गांव में हुआ तो यह तो मैं नहीं बता सकता हूं लेकिन मुझे मालूम है मधुबनी क्षेत्र में उनका जन्म हुआ था बिहार के मधुबनी में अब किस गांव में हुआ इतना पूजा नहीं मालूम यही आपके प्रश्न का उत्तर है

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विद्यापति का जन्म कौन से गांव में हुआ? - vidyaapati ka janm kaun se gaanv mein hua?

1 जवाब

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  • विद्यापति का जन्म किस गांव में हुआ था - vidhyapati ka janam kis gaon me hua tha
  • विद्यापति जी का जन्म किस गांव में हुआ था - vidhyapati ji ka janam kis gaon me hua tha
  • विद्यापति का जन्म किस गांव में हुआ - vidhyapati ka janam kis gaon me hua

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विद्यापति का जन्म कौन से गांव में हुआ? - vidyaapati ka janm kaun se gaanv mein hua?

मैथिली विकिपिडियासँ, एक मुक्त विश्वकोश

विद्यापति
Vidyapati
विद्यापति का जन्म कौन से गांव में हुआ? - vidyaapati ka janm kaun se gaanv mein hua?
जन्म१३५२
मधुबनी, वर्तमान-भारत[१]
मृत्यु१४४८
जनकपुरधाम, वर्तमान-नेपाल[२][३]
निवासपूरान नेपाल [४]
पेशालेखक , कवी
भाषामैथिली, नेपाली, बङ्गाली, उडिया
राष्ट्रियताभारतीय आ नेपाली
नस्लमैथिल

विद्यापति (१३५२-१४४८) मैथिल कवि कोकिल कऽ नाम सँ सेहो जानल जाएवला मैथिली साहित्यक आदि कवि आ संस्कृतक लेखक छलाह । हुनका भारतीय साहित्यक 'श्रृङ्गार-रस'क सङ्ग-सङ्गे 'भक्ति-परम्परा'क सेहो प्रमुख स्तम्भसभ मे सँ एक आ' मैथिली भाषाक सर्वोपरि कविक रूप मे जानल जाइत अछि। हिनकर काव्य सभ मे मध्यकालीन मैथिली भाषाक स्वरूपक दर्शन कएल जा' सकैत अछि । हिनका वैष्णव, शैव आ शाक्त तीनहु भक्तिक सेतुक रूप मे सेहो स्वीकार कएल गेल अछि । मिथिलाक लोकसभकेँ 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' कऽ सुत्र द' ओ उत्तरी-बिहारमे लोकभाषाक जनचेतना केँ जीवित करबाक महान प्रयास केने छलाह । विद्यापति द्वारा रचित पद्य सभ मात्र मैथिली भाषा के साहित्यिक प्रेरणा नहि देलक अपितु हिन्दुस्तानी भाषा, बङ्गाली, नेवारी आ अंशत:नेपाली भाषा के सेहो साहित्यिक प्रेरणा देने छल ।

मिथिला क्षेत्रमे एखनो लोकव्यवहार मे प्रयोग कएल जाएवला गीतसभ मे सेहो विद्यापतिक श्रृंङ्गार आ भक्ति-रसमे रचल रचनासभ जीवित अछि। पदावली आ कीर्तिलता हिनकर अमर रचनासभ मे सँ मुख्य थीक ।

जीवनी[सम्पादन करी]

विद्यापतिक जन्म सन् १३५२ मे मिथिला क्षेत्रमे (वर्तमान भारतक बिहार राज्यक मधुबनी जिलाक बिस्फी गाम) भेल छल । हिनक पिताक नाम गणपति ठाकुर छल। विद्यापति नाम संस्कृत भाषा सँ व्युत्पन्न भेल अछि। 'विद्या' कऽ अर्थ ज्ञान आ 'पति' कऽ अर्थ 'स्वामी' होएत अछि जकर सम्मिलित स्वरुप 'ज्ञान सँ सुसज्जित पुरुष' होएत अछि।

कविता[सम्पादन करी]

विद्यापति संस्कृत, अवहट्ठ, आ मैथिली भाषामे पद्य-रचना केने छलाह । ओ 'भूपरिक्रमा', 'पुरुषपरीक्षा', 'पदावली' आदि अनेक रचना क' साहित्य जगत केँ श्रेष्ठता प्रदान केने छल। 'कीर्तिलता' आ 'कीर्तिपताका' नामक रचना ओ अवहट्ठ मे केने छलाह । पदावली हिनकर हिन्दी-रचना थीक आ' यैह हुनकर हिन्दी-साहित्य मे प्रसिद्धि केरि कारण थीक । पदावली मे राधा ओ कृष्णक भक्ति-विषयक श्रृङ्गारक पद अछि । एहि आधार पर हिनका हिन्दी मे राधा-कृष्ण-विषयक श्रृङ्गारी काव्यक जन्मदाताक रूप मे जानल जाइत अछि ।[५]

प्रेम गीत[सम्पादन करी]

अन्य प्रमुख काजसभ[सम्पादन करी]

लेखन[सम्पादन करी]

हिनक परवर्ती वंशज आइ-काल्हि सौराठ गाम मे रहैत छथि । एकर प्रमाण निम्न दृष्टान्त सभ सँ लगैत अछि । सन् १३९४-९६क मध्य रचित पदक समर्पण गियासुद्दीन आजमशाह आ नसरत शाह केँ कएल गेल अछि । देवसिंहक आदेश सँ सन् १४००क करीब ई 'भू-परिक्रमा' लिखलन्हि । सन् १४०२-०४क मध्य 'कीर्तिलता'क रचना कीर्ति सिंहक राज्यकाल मे केलन्हि । सन् १४०९-१४१५क मध्य कीर्तिपताकाक रचना - पूर्वार्ध सन् १४०९क लगाति मे - हरि केलि अर्जुन सिंहक कीर्तिगाथासँ सम्बन्धित अछि आ' उत्तरार्ध सन् १४१५क लगाति मे शिवसिंहक युद्ध आ' देहावसान सँ सम्बद्ध अछि । विद्यापतिक सहमति सँ सन् १४१० मे 'काव्य-प्रकाश-विवेक'क प्रतिलिपि बनाओल गेल । सन् १४१० मे शिवसिंहक राज्यारोहण भेल आ' एहि उपलक्ष मे विद्यापति के बिसफीक दान-पत्र प्रदान कएल गेल । शिवसिंहक राज्यकाल सन् १४१०-१४ धरि रहल आ' एहि अवधि मे 'गोरक्ष-विजय' नाटक, 'पुरुष-परीक्षा' आ' मैथिली-पदावलीक अधिकांश भागक रचना भेल छल । सन् १४१६क लगाति पुरादित्यक आदेशसँ 'लिखनावली'क निर्माण भेल । सन् १४२८ मे भागवत-पुराणक विद्यापति लिखित प्रतिलिपि पूर्ण भेल। सन् १४२७-१४३९ मे पद्म सिंहक महारानी विश्वास देवीक आदेश सँ 'शैव सर्वस्वसार', 'शैव सर्वस्वसार प्रमाण भूत सङ्ग्रह' आ 'गङ्गा वाक्यावली'क रचना, सन् १४५३-६०क लगाति राजा नरसिंह दर्पनारायण आ' रानी धीरिमतिक समय मे 'विभागसार', 'व्याडिभक्ति- तरङ्गिणी' आ' 'दानवाक्यावली'क रचना भेल । सन् १४५५ कऽ लगाति भैरव सिंहक आज्ञा सँ 'दुर्गाभक्ति तरङ्गिणी'क रचना भेल आ' सन् १४६१ मे श्री रूपधर हिनका सँ छात्र-रूप मे अध्ययन केलन्हि । सन् १४६५ मे हिनक महाप्रयाण भेल होयतन्हि, जनश्रुति अछि जे ई दीर्घायु भेल छलाह आ सए बरखक आयु प्राप्त केने छलाह । आधुनिक मैथिली साहित्य-लेखन आ' विस्तार मे हुनक बड़ पैघ योगदान रहल अछि। मैथिली भाषा आओर साहित्य मे हिनक योगदान केँ नेपाल आओर भारत दुनू देश मे उच्च सम्मान प्रदान करैत अपन-अपन देशक डाकटिकट मे हुनक चित्र अङ्कित कयल गेल अछि।

हिनक रचना मे एक बेर जगज्जननी सीताक चर्चा एहि रूपमे आएल अछि—

इन्द्रस्येव शची समुज्जवलगुणा गौरीव गौरीपतेः कामस्येव रतिः स्वभावमधुरा सीतेव रामस्य या। विष्णोः श्रीरिव पद्मसिंहनृपतेरेषा परा प्रेयसी विश्वख्याततनया द्विजेन्द्रतनया जागर्ति भूमण्डले॥९॥

उपर्युक्त पद्य विद्यापतिकृत शैवसर्वस्वसारक प्रारम्भक नवम श्लोक थीक । एकर अर्थ अछि- उत्कृष्ट गुणवती, मधुर स्वभाववाली, ब्राह्मण-वंशजा, नीति-कौशल मे विश्वविख्यात ओ महारानी विश्वासदेवी सम्प्रति संसारमे सुशोभित छथि, जे पृथ्वी-पति पद्मसिंह केँ तहिना प्रिय छलीह जहिना इन्द्रकेँ शची, शिवकेँ गौरी, कामकेँ रति, रामकेँ सीता ओ’ विष्णुकेँ लक्ष्मी॥9॥

सम्बन्धित पृष्ठ[सम्पादन करी]

  • मैथिली भाषा
  • मिथिला
  • पाग
  • दड़िभङ्गा

सन्दर्भ सूची[सम्पादन करी]

  1. "The birth place of Vidyapati is Known to be Madhubani in Present day Bihar, India"।
  2. "Archaelogist revealed Janakpur in Nepal as site of Vidyapati's death place"।
  3. "Vidyapati second time exile in Nepal leaves back his death"।
  4. "Vidyapati spent his life in exile to Nepal"।
  5. Kapoor, Shyam Chandra (2009-01-01) (hiमे). Hindi Sahitya Ka Itihas. Prabhat Prakashan. आइएसबिएन 9788185826714. https://books.google.co.in/books?id=MRWZ9DSZ6e0C&printsec=frontcover&hl=en#v=onepage&q&f=false.

बाह्य जालयोजन सभ[सम्पादन करी]

  • Bisfi.in वेबसाइट
  • विद्यापतिक जन्मस्थान
  • २७ कविता
  • विद्यापति पद्मावती
  • महर्षि श्रीअरविन्दो
  • राधे कृष्णक प्रेमगीत

विद्यापति का जन्म कहां और कब हुआ था?

1352, Bisfiविद्यापति / जन्म की तारीख और समयnull

विद्यापति कहाँ के रहने वाले थे?

बिहारविद्यापति / वे जगहें जहां आप रह चुके हैंnull

विद्यापति का पूरा नाम क्या है?

विद्यापति का पूरा नाम विद्यापति ठाकुर थाविद्यापति का जन्म 1350 ई को गाँव बिस्फी, जिला- मधुबनी, मंडल- दरभंगा, बिहार में हुआ थाविद्यापति मिथिला निवासी थे। वे बिसइवार वंश के विष्णु ठाकुर की 8वी पीढ़ी की संतान थे।

विद्यापति का जन्म कब हुआ था Vidyapati ka janm kis gram mein hua tha?

कीर्तिपताका जैसी रचनाओं पर दरबारी संस्कृति और अपभ्रंश काव्य परंपरा का प्रभाव है तो उनकी पदावली के गीतों में भक्ति और शृंगार की गूंज है। विद्यापति की पदावली ही उनके यश का मुख्य आधार है। वे हिंदी साहित्य के मध्यकाल के पहले ऐसे कवि हैं जिनकी पदावली में जनभाषा में जनसंस्कृति की अभिव्यक्ति हुई है ।