देश के विकास की तुलना करने का सबसे महत्वपूर्ण आधार क्या है? - desh ke vikaas kee tulana karane ka sabase mahatvapoorn aadhaar kya hai?

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भारतीय अर्थव्यवस्था

विकसित देश का लक्ष्य

  • 18 Aug 2022
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विकसित देश, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), प्रति व्यक्ति आय, मानव विकास सूचकांक (एचडीआई), संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन, विश्व आर्थिक मंच, सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई)। 

मेन्स के लिये:

एक विकसित देश के भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिये प्रति व्यक्ति आय और आर्थिक समृद्धि का महत्त्व। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में पंच प्रण को वर्ष 2047 तक (जब भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होंगे) पूरा करने का लक्ष्य रखा है, 

  • भारत को अगले 25 वर्षों में एक विकसित देश बनाने का पहला संकल्प है। 
  • वर्ष 2047 के लिये शेष प्रतिज्ञाएँ हैं - दासता के निशान मिटाना, अपनी विरासत पर गर्व करना, विविधता में एकता सुनिश्चित करना और नागरिक कर्तव्यों का पालन करना 

विकसित देश: 

  • एक विकसित देश औद्योगीकृत होता है, जिसमें जीवन की उच्च गुणवत्ता, विकसित अर्थव्यवस्था और कम औद्योगिक राष्ट्रों के सापेक्ष उन्नत तकनीकी अवसंरचना होती है। 
  • जबकि विकासशील देश वे हैं जो औद्योगीकरण की प्रक्रिया में हैं या पूर्व-औद्योगिक और लगभग पूरी तरह से कृषि प्रधान हैं। 
  • आर्थिक विकास की मात्रा के मूल्यांकन के लिये सबसे आम मानदंड हैं: 
    • सकल घरेलू उत्पाद (GDP): 
      • सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) या एक वर्ष में किसी देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य। 
      • उच्च सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय (प्रति व्यक्ति अर्जित आय की राशि) वाले देशों को विकसित माना जाता है। 
    • तृतीयक और चतुर्थ क्षेत्र का प्रभुत्त्व: 
      • जिन देशों में तृतीयक (मनोरंजन, वित्तीय और खुदरा विक्रेताओं जैसी सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियाँ) और उद्योग के चतुर्थ क्षेत्र (ज्ञान आधारित गतिविधियाँ जैसे सूचना प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और विकास, साथ ही परामर्श सेवाएँ और शिक्षा) का प्रभुत्त्व होता है उन्हें विकसित के रूप में वर्णित किया गया है।  
    • उत्तर-औद्योगिक अर्थव्यवस्था : 
      • इसके अलावा, विकसित देशों में आम तौर पर अधिक उन्नत औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएँ होती हैं, जिसका अर्थ है कि सेवा क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में अधिक धन प्रदान करता है। 
    • मानव विकास सूचकांक: 
      • अन्य मानदंड बुनियादी ढाँचे के मापन, जीवन स्तर के सामान्य मानक और मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) हैं। 
        • चूँकि एचडीआई जीवन प्रत्याशा और शिक्षा के सूचकांकों पर ध्यान केंद्रित करता है तथा किसी देश में प्रति व्यक्ति शुद्ध संपत्ति या वस्तुओं की सापेक्ष गुणवत्ता जैसे कारकों को ध्यान में नहीं रखता है। 
        • यही कारण है कि कुछ सबसे उन्नत देश जिनमें जी7 सदस्य (कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके, यूएस और यूरोपीय संघ) और अन्य शामिल हैं, एचडीआई में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं तथा स्विट्ज़रलैंड जैसे देश एचडीआई में उच्च रैंक पर हैं।  

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विकसित देश की परिभाषा:  

  • विकसित देश की कोई सर्वसम्मत परिभाषा नहीं है। 
  • संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन और विश्व आर्थिक मंच जैसी एजेंसियांँ विकसित और विकासशील देशों को वर्गीकृत करने के लिये अपने संकेतकों का उपयोग करती हैं। 
  • उदाहरण के लिये, संयुक्त राष्ट्र देशों को निम्न, निम्न-मध्यम, उच्च-मध्यम और उच्च आय वाले देशों में वर्गीकृत करता है। 
    • यह वर्गीकरण किसी देश की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) पर आधारित है। 
      • कम आय वाली अर्थव्यवस्था: $ 1,085 तक प्रति व्यक्ति GNI 
      • निम्न मध्य-आय: $ 4,255 तक प्रति व्यक्ति GNI 
      • ऊपरी-मध्य-आय: $ 13,205 प्रति व्यक्ति GNI  
      • उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था: $ 13,205 से ऊपर प्रति व्यक्ति GNI  

संयुक्त राष्ट्र वर्गीकरण का विरोध: 

  • संयुक्त राष्ट्र का वर्गीकरण बहुत सटीक नहीं है क्योंकि यह सीमित विश्लेषणात्मक मूल्य पर केंद्रित है। जिसके कारण केवल शीर्ष तीन देशों - अमेरिका, ब्रिटेन और नॉर्वे को विकसित देशों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • जबकि, लगभग 31 विकसित देश हैं, और शेष 17 (संक्रमणशील अर्थव्यवस्थाओं) को छोड़कर विकासशील देशों के रूप में नामित हैं। 
  • चीन के मामले में, देश की प्रति व्यक्ति आय सोमालिया की तुलना में नॉर्वे के करीब है। 
    • चीन की प्रति व्यक्ति आय सोमालिया की तुलना में 26 गुना है जबकि नॉर्वे की चीन की तुलना में लगभग सात गुना है, लेकिन फिर भी, इसे एक विकासशील देश का टैग मिला है। 
  • दूसरी ओर, यूक्रेन जैसा देश, जिसकी प्रति व्यक्ति जीएनआई $4,120 (चीन का एक तिहाई) है, एक विकसित राष्ट्र के बजाय (संक्रमणशील अर्थव्यवस्थाओं के रूप में नामित है। 

भारत की स्थिति:  

देश के विकास की तुलना करने का सबसे महत्वपूर्ण आधार क्या है? - desh ke vikaas kee tulana karane ka sabase mahatvapoorn aadhaar kya hai?

  • भारत इस समय विकसित देशों के साथ-साथ कुछ विकासशील देशों से भी काफी पीछे है। 
    • सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भारत छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत बांग्लादेश से भी पीछे है। 
    • इसके अलावा, चीन की प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में 5.5 गुना है और ब्रिटेन की लगभग 33 गुना है। 
  • इस असमानता का मानचित्रण करने के लिये और भारत और अन्य देशों के स्कोर से तुलना करने के लिये हम मानव विकास सूचकांक (HDI) को देखते हैं, 
    • भारत का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। 
    • भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा वर्ष 1947 में लगभग 40 वर्ष से बढ़कर अब लगभग 70 वर्ष हो गई है। 
    • भारत ने प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक तीनों स्तरों पर शिक्षा के नामांकन में भी काफी प्रगति की है। 
  • एक विकसित देश कहलाने के लिये भारत को प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि एक इकाई के रूप में लोग अधिक मायने रखते हैं। 
  • प्रति व्यक्ति आय में असमानता अक्सर विभिन्न देशों में जीवन की समग्र गुणवत्ता में दिखाई देती है। 

भारत के प्रगतिशीलता में कमी के क्षेत्र: 

  • विश्व बैंक द्वारा भारत पर वर्ष 2018 की नैदानिक रिपोर्ट के अनुसार, क्रय शक्ति समानता के मामले में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद अधिकांश भारतीय अभी भी अन्य मध्यम आय वाले या अमीर देशों के लोगों की तुलना में अपेक्षाकृत गरीब हैं। 
    • लगभग 10% भारतीयों का उपभोग स्तर वैश्विक मध्यम वर्ग के लिये प्रति दिन व्यय 10 अमेरिकी डॉलर (PPP) की सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली सीमा से अधिक है। 
    • इसके अलावा उपभोग के खाद्य हिस्से जैसे अन्य समूह से पता चलता है कि भारत में अमीर परिवारों को भी अमीर देशों में गरीब परिवारों के स्तर तक पहुँचने के लिये अपनी कुल खपत का पर्याप्त विस्तार देखना होगा। 

भारत वर्ष 2047 तक विकसित देश के लक्ष्य को प्राप्त करना: 

  • विश्व बैंक की वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2047 तक इसकी स्वतंत्रता की शताब्दी तक इसके कम से कम आधे नागरिक वैश्विक मध्यम वर्ग की श्रेणी में शामिल हो सकते हैं। 
    • इसका मतलब यह होगा कि घरों में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छ जल, बेहतर स्वच्छता, विश्वसनीय बिजली, सुरक्षित वातावरण, किफायती आवास और अवकाश गतिविधियों पर खर्च करने के लिये पर्याप्त विवेकाधीन आय तक पहुँच होगी। 
      • इसके अलावा रिपोर्ट ने अत्यधिक गरीबी रेखा से ऊपर आय की पूर्व शर्त के साथ-साथ सार्वजनिक सेवा वितरण में काफी सुधार किया। 

आजादी के बाद से भारत की उपलब्धियाँ: 

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP): 
    • भारत की GDP वर्ष 1950-51 में 2.79 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2021-22 में अनुमानित 147.36 लाख करोड़ रुपए हो गई। 
    • भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में 3.17 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की है, जिसके वर्ष 2022 में दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। 
  • विदेशी मुद्रा: 
    • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वर्ष 1950-51 में 911 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2022 में 45,42,615 करोड़ रुपए हो गया है। 
    • अब भारत के पास दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। 
  • खाद्य उत्पादन: 
    • भारत का खाद्यान्न उत्पादन 1950-51 में 50.8 मिलियन टन से बढ़कर अब 316.06 मिलियन टन हो गया है। 
  • साक्षरता दर: 
    • साक्षरता दर भी वर्ष 1951 में 18.3% से बढ़कर 78% हो गई है। महिला साक्षरता दर 8.9% से बढ़कर 70% से अधिक हो गई है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षो के प्रश्न (PYQs):

प्रारंभिक परीक्षा: 

निरपेक्ष और प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP की वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची दर का संकेत नहीं करती, यदि (2018)

(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है। 
(b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है। 
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है। 
(d) निर्यात की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ते हैं। 

उत्तर: C 

व्याख्या: 

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP): यह एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) के भीतर किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का बाज़ार मूल्य है। 
  • सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP): GNP, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और विदेशों प्राप्त शुद्ध कारक आय है। GNP देश के उत्पादन के कारकों द्वारा उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य की गणना करता है, चाहे उनका स्थान कुछ भी हो। 
  • GDP देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर अर्थव्यवस्था की गणना करता है, जबकि GNP का विस्तार अपने नागरिकों द्वारा की गई शुद्ध विदेशी आर्थिक गतिविधियों को भी सम्मिलित करता है। 
  • सांकेतिक GDP: यह किसी देश द्वारा उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को उनके वर्तमान बाज़ार के मूल्यों पर मापता है। इस प्रकार, सांकेतिक GDP की गणना करते समय मुद्रास्फीति को समायोजित नहीं किया जाता है। 
  • निरपेक्ष GNP या वास्तविक GNP: इसे मुद्रास्फीति-समायोजित सकल राष्ट्रीय उत्पाद के रूप में भी जाना जाता है जिसे निरंतर आधार-वर्ष की कीमतों पर मापा जाता है। 
  • प्रति व्यक्ति GNP: यह किसी देश द्वारा एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है, जिसमें विदेशी निवेश से होने वाली आय को वहाँ रहने वाले लोगों की संख्या से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है। 
    • यदि किसी अर्थव्यवस्था में उच्च निर्धनता और बेरोज़गारी की बढ़ती प्रवृत्ति विद्यमान है तो वास्तविक GNPऔर प्रति व्यक्ति GNP में वृद्धि, उच्च स्तर के आर्थिक विकास का संकेत नहीं देती है 

अतः विकल्प (c) सही है। 


मेन्स: 

पूंजीवाद ने विश्व अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व समृद्धि की राह प्रदान की है। हालाँकि यह प्रायः अदूरदर्शिता को प्रोत्साहित करता है तथा अमीर और गरीब के बीच व्यापक असमानताओं को भी बढ़ावा देता है। इस आलोक में क्या भारत में समावेशी विकास लाने के लिये पूंजीवाद पर विश्वास करना और उसे अपनाना सही होगा? चर्चा कीजिये। (2014)

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

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देश के विकास की तुलना करने का सबसे महत्वपूर्ण आधार क्या है? - desh ke vikaas kee tulana karane ka sabase mahatvapoorn aadhaar kya hai?

देश की विकास की तुलना करने का सबसे महत्वपूर्ण आधार क्या है?

सही उत्तर आय है। राष्ट्रों के विकास की तुलना करने के लिए, देशों की आय को हमेशा सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक माना जाता है। किसी देश की आय का अर्थ देश के सभी निवासियों की आय का एकत्रीकरण है। यह हमें देश की कुल आय देता है।

विभिन्न देशों के विकास की तुलना का मुख्य आधार क्या है?

विकसित देशों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार औद्योगिक विकास होता है वहीँ विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि और मत्स्य पालन होता है.

विकास के आधार पर देश कितने प्रकार के होते हैं?

देशों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर 2 श्रेणियों में बांटा गया है. विकसित देश और विकासशील देश. इन देशों का वर्गीकरण विभिन्न आर्थिक कारकों जैसे प्रति व्यक्ति आय, सकल घरेलू उत्पाद, जीवन स्तर, शिक्षा का स्तर, जीवन प्रत्याशा आदि पर किया जाता है.

किसी देश के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता क्या है?

आय, साक्षरता दर, शिशु मृत्यु दर, उपस्थिति दर, जीवन प्रत्याशा, सकल नामांकन अनुपात और मानव विकास सूचकांक । इन शब्दों से संबंधित आँकड़े दिए गये हैं तथा इन्हें पूर्ण रूप से समझने के लिए इनका विस्तार से अध्ययन आवश्यक है।