कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

कई लोगों को कान में खुजली होने पर तेल डालने की सलाह दी जाती है।  दरअसल कई लोगों को सर्दियों में कान में ड्राईनेस महसूस होती है तो वे कान में सरसो या नारियल का तेल डाल लेते हैं ताकि रूखेपन से राहत मिलें। इसके अलावा कान में दर्द होने पर घरेलू उपचार के रूप में लोग कान में तेल डालने को कहते हैं। लेकिन क्या कान में तेल डालना चाहिए और कान में तेल डालना सही होता है। इसके बारे में हमने बात की आर्युवेदिक डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी से। इसके अलावा कान में तेल डालने के नुकसान के बारे में बता रहे हैं सफदरजंग अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ अंकुर गुप्ता।

कान में तेल डालना चाहिए या नहीं (should we put oil in ears)

कान में तेल डालना चाहिए या नहीं इसके बारे में आयुर्वेद और एलोपैथी में अलग-अलग मत देखे जा सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, कान में तेल डालना किसी गाड़ी की सर्विसिंग कराने जैसा माना जाता है। कान में तकलीफ होने पर हमें तेल डालना चाहिए। कान में तेल डालने से नमी बनी रहती है और अंदर की गंदगी को आसानी से निकाला जा सकता है। इसके अलावा कान में रूखापन महससू करने पर भी आप कान में तेल डाल सकते हैं। साथ ही आप हफ्ते में एक या दो दिन तेल गर्म करके कान में डाल सकते हैं। इससे कान के परदे भी मुलायम रहते हैं। साथ ही सुनने की क्षमता भी बढ़ती है और कान की नसें भी मजबूत होती है। इसके अलावा कान से अगर गंदगी की परत जम जाए या कुछ आवाज आए तो उस स्थिति में भी आप कान में तेल डाल सकते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, आप कान में रोज तेल नहीं डाल सकते हैं।

कान में कौन-सा तेल डाल सकते हैं

कान हमारे शरीर का काफी संवेदनशील और जरूरी हिस्सा होता है। इसलिए किसी भी तेल का इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए । आयुर्वेदिक डॉ चतुर्वेदी के अनुसार, हम कान में सरसों का तेल, नारियल का तेल, कर्ण बिंदू तेल और अणु तेल डालना चाहिए। तेल के इस्तेमाल से आपके कानों को पोषण भी मिलता है और इनका विकास भी अच्छे से होता है। इसके लिए आप किसी भी तेल का इस्तेमाल न करें। इससे आपके कानों को  नुकसान हो सकता है इसलिए कुछ खास तेल जो, आयुर्वेद में बताए गए हैं। उनका ही इस्तेमाल करना चाहिए ।

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

Image Credit- Foodlog.nl

कान में तेल कैसे डालें

कान में तेल बेहद सावधानीपूर्वक डालना चाहिए। ज्यादा गर्म तेल कान में न डालें। हो सके तो रूई को तेल में भिगोकर उसे कान में तेल डालें। कान में तेल डालने का सही तरीका ये भी है कि आप ड्रॉपर की मदद से भी कान में तले डाल सकते हैं। अंगुलियों से कान में तेल डालने से बचें क्योंकि इससे तेल कान में सही तरीके से नहीं जाता है और इसके नुकसान भी हो सकते हैं। 

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कान में कब और कितना तेल डालना चाहिए

कान में रोज तेल नहीं डालना चाहिए। 15 दिनों में एक बार या हफ्ते में एक बार कान में तेल डालना चाहिए। कान में 4-5 ड्रॉप तेल ही डालनी चाहिए। ज्यादा मात्रा में तेल डालने से आपको नुकसान हो सकता है। इसके अलावा अगर आपको किसी तरह कान की कोई बीमारी है तो आपको डॉक्टर की सलाह के बाद ही किसी तरह के तेल या दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए। 

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

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कान में तेल डालने के नुकसान

एलोपैथी के अनुसार कान में तेल बिल्कुल नहीं डालना चाहिए। इसके कई नुकसान हो सकते हैं। डॉ गुप्ता के अनुसार, कान में तेल डालने से कान में बाहर की गंदगी भी जमा हो सकती है। इसके अलावा कान में तेल डालने से कानों में लंबे समय तक नमी बनी रहती है जो, कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकती है। साथ ही अगर आप नहाने के बाद अगर आप कान में तेल डालते हैं तो पानी की नमी और तेल के कारण कई फंगस वाली समस्याएं भी हो सकती है। कान में गर्म तेल डालना तो बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि हमारी कान के परदे काफी मुलायम होते हैं और गर्म तेल डालने से परदे फट भी सकते हैं और आपके सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या ये है कि आजकल बाजारों में मिलने वाले तेल भी आपके कान के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। यह उनलोगों को तो बिल्कुल नहीं ट्राई करना चाहिए। खासकर जिनके कान से पस बहता हो, कान की हड्डिया गल गई हो या फिर कान के परदे कमजोर हो। अगर आप चाहे तो कान में रूखेपन या खुजली होने पर ईयर बड्स लगाकर कान में पेट्रोलियम जेली या एंटीसेप्टिक क्रीम लगा सकते हैं। ताकि कान के अंगर वाले हिस्सें में किसी भी तरह की चीज न जा सके। कान में किसी भी तरह की परेशानी होने पर आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

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August 11, 2020

कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है!

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

कवि अपनी कविता में हमारे शरीर के कई अंगों की तुलना करते हैं लेकिन जब बात कान की आती है तो कानों को हमेशा उपेक्षित किया जाता रहा है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए, कवियों के लिए कानों की महिमा हो न हो पर हमारे लिए कान और उनका स्वास्थ्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लोगों में उनके बारे में बहुत सारी गलत जानकारियाँ है जिस कारण कई लोग किसी इन्फेक्शन या अन्य समस्या से अपनी सुनने की क्षमता खो देते हैं।

(और पढ़े - सुनने में परेशानी के घरेलू उपाय)

कान के अंदर तेल डालना, भी ऐसा ही एक उपचार है जिसके बारे में सही जानकारी का लोगों में अभाव है। इसके बावजूद यह प्रक्रिया कई लोगों द्वारा उपयोग की जाती है और अक्सर आपको कान के दर्द के लिए घरेलू उपाय के रूप में कान में तेल डालने की सलाह मुफ्त में मिलती रहती होगी।

क्या आपको कान में तेल डालना चाहिए या नहीं, कान में तेल डालने से क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं और आयर्वेद में कान में तेल डालने का उपचार क्या है और कैसे होता है। इन सभी सवालों के जवाब आपको हम इस लेख में देने वाले हैं।

  1. कान में तेल डालना चाहिए या नहीं - Kaan mein tel dalna chahiye ya nahi in hindi
  2. कान में तेल डालने के फायदे - Kaan me tel dalne ke fayde in hindi
  3. कान में तेल डालने के नुकसान - Kaan me tel dalne ke nuksan in hindi
  4. कान में तेल डालना आयुर्वेदिक उपचार - Putting oil in ear ayurveda in hindi

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

कान में तेल डालना चाहिए या नहीं - Kaan mein tel dalna chahiye ya nahi in hindi

हमारे देश में घरेलू उपायों पर कई बार इतना अधिक भरोसा किया जाता है कि हम किसी उपाय की वास्तविक उपयोगिता को बिना जाने ही उसे उपयोग करते रहते हैं। कान में तेल डालना भी एक ऐसा ही घरेलू उपाय है जो सदियों से उपयोग किया जाता रहा है।

हालाँकि, अगर वैज्ञानिक तौर पर देखा जाएं यदि आपके कान स्वस्थ हैं तो कान में तेल डालने से कोई खास नुकसान नहीं होता है, लेकिन कोई फायदा भी नहीं नजर आता है। वैसे भी कान में तेल डालना थोड़ा जोखिम भरा होता है क्योंकि प्रदूषण और धूल तेल के कारण कान के अंदर चिपक जाती है और संक्रमण पैदा कर सकती है।

यद्यपि सभी लोगों के इस संबंध में अलग-अलग विचार हो सकते हैं लेकिन एक चीज के बारे में सभी डॉक्टर एक मत हैं कि आपके कान के अंदर मर्जी से कुछ भी डालना सही नहीं है। आपके कान आमतौर पर खुद को साफ कर लेते हैं और किसी भी अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है।

कान साफ करने का एकमात्र कारण यदि यह है कि आप अपने कान की केनाल के बाहर से मेल को हटाना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि इसे सावधानी से कैसे किया जाए।

(और पढ़े - कान का मैल निकालने और साफ करने के तरीके) 

हालांकि, हमें कान दर्द के लिए सरसों के तेल या फिर किसी अन्य तेल के उपयोग के प्रभाव पर कोई प्रमाणित शोध नहीं मिला। इसलिए हम ऐसा करने की अनुशंसा नहीं करते हैं, भले ही ऐसा करना अमूमन काफी सुरक्षित होता है, लेकिन जब इसका कोई प्रमाणित लाभ नहीं है तो हमारी दृष्टि में ऐसा करना व्यर्थ है।

यदि आपके कान का पर्दा फटा हुआ हैं तो सरसों का तेल, जैतून का तेल या कोई भी अन्य तेल बिलकुल उपयोग न करें। यह आपके कान के परदे को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है या मेल को कान के अंदर धक्का दे सकता है। इसलिए, कृपया एक अच्छे डॉक्टर से मिलें और उनके निर्देशों का पालन करें और इस तरह के घरेलू उपचारों पर ध्यान न दें।

कान में तेल डालने के फायदे - Kaan me tel dalne ke fayde in hindi

अगर आप कान में तेल डालना चाहते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आप अपने कान में कोई भी तेल डालने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? कान में तेल डालने से आपको क्या फायदा होगा? आमतौर पर लोग दो कारणों से कान में तेल डालने का सुझाव देते हैं। पहला, कान का मेल साफ करने के लिए और दूसरा, जो सबसे अधिक प्रचलित उपयोग है, कान में दर्द के इलाज के लिए।

(और पढ़े - कान में दर्द के घरेलू उपाय)

क्या हमें अपने कान साफ ​​करने के लिए किसी बाहरी चीज की आवश्यकता है? अगर डॉक्टर्स की माने तो हमारे कान के अंदर अपनी स्वयं की सफाई के लिए एक प्राकृतिक प्रणाली होती है। इसलिए, हमें अपने कान की सफाई की जरूरत नहीं होती है।

लेकिन अगर बहुत अधिक इयरवैक्स या मेल एकत्र हो जाता है और कोई हानिकारक लक्षण पैदा करता है या यह आपके डॉक्टर को कान के परीक्षण करने से रोकता है, तो ऐसी समस्या को “सीरुमेन इम्पेक्शन” कहा जा सकता है। इसका मतलब है कि इयरवैक्स ने आपके कान की नहर को पूरी तरह से भर दिया है और यह एक या दोनों कानों में हो सकता है। ऐसे मामलों में कान की सफाई आवश्यक हो जाती है लेकिन ये किसी कान रोग विशेषज्ञ के द्वारा ही करवाना चाहिए।

कुछ लोग कान के संक्रमण के कारण होने वाले दर्द का इलाज करने के लिए तेल का उपयोग करते हैं। भारत में मुख्य रूप से सरसों का तेल अधिक उपयोग किया जाता है। पश्चिमी देशों में जैतून के तेल का उपयोग अधिक होता है। इन तेल में कुछ जीवाणुरोधी गुण हो सकते हैं, लेकिन यह अस्पष्ट है कि क्या यह बैक्टीरिया के किसी प्रकार को मारते हैं जो कान के संक्रमण का कारण बनता है।

(और पढ़े - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)

ऐसा माना जाता है कि सरसों का तेल कान दर्द से छुटकारा पाने में प्रभावी है। यह कान दर्द के लिए एक बहुत पुराना उपाय है और यह कान दर्द को प्रभावी ढंग से ठीक कर सकता है। इस लिए इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता रहा है।

कान में तेल डालने के नुकसान - Kaan me tel dalne ke nuksan in hindi

आपको अपने कान में कुछ भी नहीं डालना चाहिए जब तक कि कोई योग्य डॉक्टर आपको किसी समस्या के इलाज के हिस्से के रूप में ऐसा करने के लिए नहीं कहते हैं। यह काफी पुराने समय से उपयोग किया जाने वाला उपाय है, लेकिन कान की समस्याओं को हल करने के लिए जैतून का तेल या सरसों के तेल का उपयोग करना एक अच्छा विचार नहीं है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, आपके कान के अंदर उपयोग के लिए कोई भी तेल या लिक्विड तभी उपयुक्त होता है जब वो पूरी तरह से स्टेराइल हो यानी जिसमें किसी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया न हो। यदि आप अपने खाना पकाने में उपयोग करने वाला सरसों का तेल डालते हैं, तो यह स्टेराइल नहीं होता है और चूंकि इसे एक सामान्य जार में रखा जाता है न कि एक एयर टाइट मेडिकल रूप से स्टेराइल बोतल में, यह आपके कान के आंतरिक उपयोग के लिए असुरक्षित है।

यदि आप अपने कान में ऐसे असुरक्षित तेल डालते हैं, तो इसका परिणाम संक्रमण हो सकता है। इन संक्रमणों में आपके कान के परदे को नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है और अंततः सुनने की क्षमता का आंशिक या पूर्ण नुकसान हो सकता है और आपको गंभीर दर्द और असुविधा का भी सामना करना पड़ सकता है।

(और पढ़े - कान के परदे में छेद का इलाज)

कान में तेल डालना आयुर्वेदिक उपचार - Putting oil in ear ayurveda in hindi

कर्णपूरण (Karna Purana) आयुर्वेद के कई उपचारों में से एक है जो तेल के साथ किया जाता है। इसका मतलब है, आपके कानों में तेल डालना। कान की बीमारियों में यह फायदेमंद माना जाता है जिसमें सुनने की क्षमता की हानि, टिनिटस, मेनिएर रोग (मुख्य रूप से वर्टिगो की तरह के लक्षण), स्विमर्स इयर और कान से संबंधित अन्य बीमारियां शामिल हैं।

निम्नलिखित औषधीय तेलों को कर्णपूरण चिकित्सा में फायदेमंद माना जाता हैं -

  • बिल्व तेल
  • निर्गुंडी तेल
  • क्षार तेल
  • बधिरिया नाशक तेल
  • कर्ण बिन्दु तेल

कर्णपूरण थेरेपी को निम्नलिखित चरणों में किया जाता है -

  • प्रक्रिया शुरू करने से 15 से 30 मिनट पहले रोगी के सिर पर मालिश की जाती है। ब्राह्मी तेल का उपयोग सिर पर मालिश के लिए किया जा सकता है।
  • रोगी को एक साइड पर लेटे रहने के लिए कहा जाता है।
  • बीमारी और तेल के गुणों के अनुसार औषधीय तेल का चुनाव किया जाता है।
  • प्रभावित कान में औषधीय गर्म तेल की कुछ बूंदें डाली जाती है और रोगी 15 से 20 मिनट के लिए एक साइड की स्थिति में लेटे रहता है।
  • रोगी से इस प्रक्रिया के बाद आधे घंटे तक आराम करने के लिए कहा जाता है।
  • बेहतर परिणामों के लिए इस प्रक्रिया का एक सप्ताह के लिए निरंतर पालन किया जाता है।
  • यदि रोगी को वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं, तो एक महीने के बाद कर्णपूरण प्रक्रिया दोहराई जा सकती है।कर्णपूरण थेरेपी के दौरान कानों में औषधीय तेलों की 2 से 15 बूंदें डाली जाती हैं।

कान विकारों में इसके कई फायदे हैं। यह टिनिटस जैसी बीमारियों के इलाज में मदद करता है। यह सुनने की गुणवत्ता में सुधार करता है, सुनने की क्षमता के नुकसान में भी मदद करता है और अक्सर होने वाले कान के संक्रमण को कम करता है।

(और पढ़े - कान बंद होने के कारण और इलाज)

कर्णपूरण से नुकसान होने की आशंका बहुत ही कम होती हैं। लेकिन यदि औषधीय तेल ठीक से संरक्षित नहीं किया जाता है तो कान का संक्रमण हो सकता है। कुछ लोगों को प्रक्रिया के बाद कान में कुछ असुविधा का अनुभव हो सकता है, लेकिन यह केवल थोड़े समय के लिए होगा।

कान के अंदर कौन सा तेल डालना चाहिए? - kaan ke andar kaun sa tel daalana chaahie?

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कान में कौन कौन सा तेल डाल सकते हैं?

कई लोगों को कान में खुजली होने पर तेल डालने की सलाह दी जाती है। दरअसल कई लोगों को सर्दियों में कान में ड्राईनेस महसूस होती है तो वे कान में सरसो या नारियल का तेल डाल लेते हैं ताकि रूखेपन से राहत मिलें। इसके अलावा कान में दर्द होने पर घरेलू उपचार के रूप में लोग कान में तेल डालने को कहते हैं

क्या कान में oil डालना चाहिए?

कान में तेल (Putting Oil In Ear) डालने से कान में संक्रमण हो सकता है. इतना ही नहीं, कान में तेल डालने से कान का पर्दा भी खराब हो सकता है. ख्याल रखेंगे कि कान में कभी भी कच्चा तेल नहीं डालें.

कान में गर्म तेल डालने से क्या होता है?

कान में तेल डालने के नुकसान डॉक्टर का कहना है कि कान में तेल डालने से ऑटोमाइकोसिस डिजीज होने का खतरा रहता है, जिसकी वजह से आपको परमानेंट हियरिंग डिसेबिलिटी की समस्या हो सकती है. कई बार कान में ज्यादा तेल डालने की वजह से धूल-मिट्टी जलने लगती है. इससे कान में जमा मैल को निकालना काफी मुश्किल हो जाता है.

कान में खुजली होने पर कौन सा तेल डालें?

स्किन ड्राई होने की वजह से अगर आपको कान में खुजली हो रही है तो इस स्थिति में कान में ऑलिव ऑयल या फरि बेबी ऑयल की कुछ बूंद डालने की सलाह दी जा सकती है.