कवि ने दधीचि आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर क्या संदेश दिया है? - kavi ne dadheechi aadi mahaan vyaktiyon ka udaaharan dekar kya sandesh diya hai?

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए 
कवि ने दधीचि कर्णआदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?

Solution

कवि दधीचिकर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है कि किस प्रकार इन लोगों ने अपनी परवाह किए बिना लोक हित के लिए कार्य किए। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दीकर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दियारति देव ने अपना भोजनथाल ही दे डालाउशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया इस तरह इन महापुरुषों ने मानव कल्याण की भावना से 'परहेतु जीवन दिया।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 B)

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कवि ने दधीचि कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर हमारे लिए लिए क्या संदेश दिया है?

कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर सारी मनुष्यता को त्याग और बलिदान का संदेश दिया है। अपने लिए तो सभी जीते हैं पर जो परोपकार के लिए जीता और मरता है उसका जीवन धन्य हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दधीचि ऋषि ने वृत्रासुर से देवताओं की रक्षा करने के लिए अपनी अस्थियों तक का दान कर दिया

कवि ने दानी व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?

1 Answer. कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए यह संदेश दिया है कि प्रत्येक मनुष्य को परोपकार करते हुए अपना सर्वस्व त्यागने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। इन व्यक्तियों ने दूसरों की भलाई हेतु अपना सर्वस्व दान कर दिया था। दधीचि ने अपनी अस्थियों का तथा कर्ण ने कुंडल और कवच का दान कर दिया था ...

मनुष्यता कविता में कवि ने किन महान व्यक्तियों के उदाहरण दिए हैं उन के माध्यम से कवि ने क्या संदेश देना चाहा है?

Answer. Answer: मनुष्यता कविता में कवि ने राजा रंतिदेव, दधीचि ऋषि, उशीनर, कर्ण तथा महात्मा बुद्ध का उदाहरण देते हुए मानवता, एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता और करुणा का संदेश देना चाहता है। वह मनुष्य को स्वार्थ, भिन्नता, वर्गवाद, जातिवाद आदि संकीर्णताओं से मुक्त करना चाहता है।

कवि ने कविता में दधीचि उशीनर व कर्ण का उल्लेख क्यों किया है?

कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है । इन लोगों ने अपने पूरे जीवन पुण्य लोकहित कार्यो में बिताया। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दी, कर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजनथाल ही दे डाला, उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया।