कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

भारत का स्विजरलैंड और “धरती का स्वर्ग” कहा जाने वाला कश्मीर सदैव से ही अपनी खूबसूरत वादियों के लिए प्रसिद्ध रहा है। हालांकि इस राज्य की खूबसूरती में आतंक, अलगाववाद और हिंसा ने लम्बे समय से दाग लगाने का काम किया है। आजादी के पश्चात कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सदैव से ही विवाद रहा है जिसके कारण यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के बावजूद भी आतंकी हिंसा से ग्रस्त रहा है। भारत की आजादी के समय जम्मू-कश्मीर के लिए बनाये विशेष अधिनियम आर्टिकल 370 से लेकर कश्मीर में अलगाववाद एवं कश्मीरी पंडितो के पलायन से लेकर भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद-370 को हटाना यहाँ के इतिहास की प्रमुख घटनाओं में शामिल रहा है।

भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा? आइए हिंदुस्तान के 7 नामों इतिहास को जानते हैं 

कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

यह भी देखें :- भारत का इतिहास | History of India in Hindi

यहाँ भी देखें -->> क्विज़ गेम खेलें और नकद जीतें

कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कश्मीर की समस्या एवं इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है जिससे की आप कश्मीर की समस्या इतिहास विद्रोह एवं घटनाक्रम (Kashmir issue history Revolt and Events in hindi) के बारे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकें। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आप कश्मीर के इतिहास से इसके वर्तमान परिप्रेक्ष्य को भी देख सकेंगे।

Article Contents

  • 1 कश्मीर की समस्या
    • 1.1 कश्मीर का संक्षिप्त इतिहास
      • 1.1.1 आजादी के समय कश्मीर की स्थिति
  • 2 प्रथम भारत पाक युद्ध, 1947-48 कश्मीर युद्ध
    • 2.1 संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर समस्या
      • 2.1.1 कश्मीर एलओसी (लाइन ऑफ़ कंट्रोल) (Kashmir LOC)
  • 3 कश्मीर एलएसी (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल) (Kashmir LAC)
    • 3.1 आर्टिकल 370 क्या है ?
      • 3.1.1 कश्मीर के अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम
  • 4 आतंक का दौर, कश्मीरी पंडितो की दुर्दशा
    • 4.1 कश्मीर में नया दौर, 370 का उन्मूलन
      • 4.1.1 कश्मीर की समस्या इतिहास विद्रोह एवं घटनाक्रम प्रश्न-उत्तर (FAQ)

कश्मीर की समस्या

भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर में स्थित कश्मीर सदैव से ही भारत का ताज रहा है। अपनी प्राकृतिक खूबसूरती एवं जीवंत सामाजिक जीवन के लिए कश्मीर को भारत का ताज होने का गौरव प्राप्त है। हालांकि भारत की आजादी के समय कश्मीर के महाराजा हरी सिंह की भारतीय संघ में विलय की अनिच्छा एवं तत्पश्चात पाकिस्तान द्वारा आक्रमण के कारण भारत की सहायता लेने एवं भारतीय संघ में शामिल होने के पश्चात पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण कश्मीर का इतिहास हिंसा एवं अलगाववाद का साक्षी रहा है।

कश्मीर को आजादी के पश्चात आर्टिकल-370 के माध्यम से विशेषाधिकार प्रदान किए गए थे जिससे की कश्मीर में शान्ति बनी रहे परन्तु भारत के पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा समय-समय पर इस क्षेत्र पर अधिकार हेतु आक्रमण, भारतीय समस्या का संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीयकरण एवं कश्मीरी पंडितो का नरसंहार ने इस क्षेत्र के इतिहास पर विशेष प्रभाव डाला है। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में आर्टिकल-370 का उन्मूलन कर कश्मीर की समस्या को हल करने के प्रयास किया गया है। कश्मीर की समस्या को समझने के लिए हमे इसके इतिहास के विभिन बिन्दुओ को जानना आवश्यक है।

भारत में श्वेत क्रांति का इतिहास क्या है | White Revolution in India history

कश्मीर का संक्षिप्त इतिहास

किसी भी देश या राज्य के वर्तमान परिप्रेक्ष्य को जानने के लिए हमे इसके इतिहास के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। इतिहास के विभिन कालखंडो में घटित घटनाओ के आधार पर हम किसी देश या राज्य की वर्तमान समस्या का मूल जान सकते है। कश्मीर का इतिहास 6000 वर्ष से भी पुराना माना जाता है। अधिकांश विद्वान् इस बात पर एकमत है की कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर पड़ा है। ऋषि कश्यप की पुण्यभूमि कश्मीर में विभिन कालखंडो में विभिन हिन्दू शासको का शासन रहा है। प्राचीन समय में यह मौर्या साम्राज्य के अधीन रहा है साथ ही यह कुषाण शासन का भी प्रमुख केंद्र था।

कश्मीर के इतिहास को जानने का प्रमुख स्रोत कश्मीरी इतिहासकार कल्हण द्वारा लिखी राजतरंगिणी है जिसके माध्यम से हमें पता चलता है की कश्मीर के मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण कश्मीर के प्रतापी राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ द्वारा कराया गया है। इसके पश्चात विभिन हिन्दू शासकों ने यहाँ विभिन कालखंडो में शासन किया।

औरंगजेब जीवन परिचय इतिहास | Aurangzeb History Jeevan Parichay

कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

कश्मीर में इस्लाम का आगमन 14वीं शताब्दी में हुआ जिसमे मुस्लिम आक्रमणकारियों एवं सूफी संतो का बहुत बड़ा योगदान रहा। इसके पश्चात यहाँ अधिकतर मुस्लिम शासकों ने राज किया। हालांकि इस दौरान अधिकतर आबादी हिन्दू थी एवं इस्लाम मत के समर्थक सीमित थे। 1586 में मुग़ल शासक अकबर द्वारा इसे मुग़ल साम्राज्य का हिस्सा, वर्ष 1751 में अफगानी शासक अहमद शाह अब्दाली द्वारा यहाँ अफगान शासन एवं वर्ष 1819 में सिखों के राजा महाराजा रंजीत सिंह द्वारा इसे खालसा साम्राज्य का हिस्सा बनाया गया। वर्ष 1848-49 में द्वितीय अफगान युद्ध के पश्चात इसे ब्रिटिशर्स द्वारा अपने कब्जे में लिया गया जिसे की डोगरा राजा, महाराजा गुलाब सिंह द्वारा 75 लाख में ब्रिटिशर्स से ख़रीदा गया। भारत की आजादी तक यह राज्य डोगरा शासकों के अधीन ही रहा।

आम आदमी पार्टी का राजनीतिक इतिहास – AAP Political History

आजादी के समय कश्मीर की स्थिति

अंग्रेजो द्वारा भारत के विभाजन के समय सभी ब्रिटिश क्षेत्रों को अनिवार्य रूप से भारतीय संघ (अर्थात देश) में शामिल होना अनिवार्य किया गया था परन्तु कुटिल अंग्रेजों के द्वारा देशी रियासतों को भारत संघ में शामिल होना अनिवार्य नहीं अपितु स्वैच्छिक किया गया था। अंग्रेजों द्वारा देशी रजवाड़ो एवं रियासतों को भारतीय संघ में स्वेच्छा से शामिल होने के लिए विलय पत्र (Instrument of accession) पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य था। इसके तहत उन्हें निम्न 3 अधिकार भी प्रदान किए गए थे :-

  • वे भारत संघ के साथ शामिल हो सकते है
  • वे पाकिस्तान देश के साथ शामिल हो सकते है
  • वे दोनों देशों में से किसी भी देश (भारत एवं पाकिस्तान) का हिस्सा ना बनकर स्वतंत्र रह सकते है अर्थात वे अपना स्वतंत्र देश स्थापित कर सकते है

डोगरा वंश के राजा हरी सिंह इन शर्तो में से तीसरी शर्त के साथ जाने के इच्छुक थे अर्थात वे भारत और पाकिस्तान का हिस्सा ना बनकर अपना स्वतंत्र देश बनाना चाहते थे जिससे की वे अपने राज्य को अपने हिसाब से चला सकें। यही कारण रहा की महाराजा हरी सिंह ने विलय पत्र (Instrument of accession) पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया एवं कश्मीर को स्वतंत्र देश बनाने का निर्णय लिया। इस प्रकार स्वतंत्रता के दौरान कश्मीर की स्थिति अनिश्चित थी।

  • जेरूसलम का इतिहास क्या है

प्रथम भारत पाक युद्ध, 1947-48 कश्मीर युद्ध

कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध वर्ष 1947-48 में लड़ा गया। भारत एवं पाकिस्तान की आजादी के बाद ही दोनों देशों के मध्य विभाजन के समय भीषण दंगे हुए थे। पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के द्वारा भारत के विभिन मुस्लिम बहुल रियासतों को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए षड्यंत्र रचे जा रहे थे जिसमे भारत की जूनागढ़ रियासत (गुजरात), हैदराबाद एवं कश्मीर प्रमुख थे। जब महाराजा हरी सिंह द्वारा किसी भी देश में शामिल ना होना का निर्णय लिया गया तो पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री मोहम्मद अली जिन्ना ने कुटिलता के माध्यम से कश्मीर को हथियाने का निर्णय लिया। जिन्ना का मानना था की कश्मीर में बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है इसलिए इसे पाकिस्तान को मिलना चाहिए।

अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए जिन्ना द्वारा कबीलाई लोगों को मदद से 24 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर आक्रमण किया और कश्मीर में भयानक लूटपाट और तबाही मचाई। इसमें मुख्य भूमिका पाकिस्तानी सरकार एवं सेना की थी साथ ही कबीलाई लोगों को भड़काने एवं नेतृत्व करने का कार्य भी पाकिस्तानी सेना का था। इस घटना से चिंतित होकर महाराजा हरी सिंह ने भारत से मदद की गुहार लगायी।

इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी होने का सबसे बड़ा कारण क्या था

कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

भारत सरकार द्वारा इस स्थिति में महाराजा हरी सिंह द्वारा भारतीय संघ में विलय करने हेतु विलय पत्र (Instrument of accession) पर हस्ताक्षर कर दिए गए एवं कश्मीर की सहायता के लिए भारत द्वारा सैन्य सहायता भेजी गयी। भारतीय सेना 27 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पहुंची और अपने साहस का परिचय देते हुए इसके द्वारा पकिस्तान समर्थित कबीलाई आतंकियों को परास्त किया गया।

संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर समस्या

कश्मीर राज्य के इतिहास में प्रमुख मोड़ तब आया जब वर्ष 1948 में भारत के प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाया गया और इस मुद्दे का समाधान करने की विनती की गयी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत पाक के मध्य शान्ति बहाल करने एवं विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए यूनाइटेड नेशन कमीशन फॉर इंडिया एंड पाकिस्तान’ नाम से एक कमीशन बनाया गया जिसके कार्य कश्मीर के सम्बन्ध में विभिन मुद्दों को सुलझाना था। इस कमीशन के द्वारा दोनों पक्षों से शान्ति बहाली के लिए विविध प्रावधान किए गए थे जिसमे दोनों पक्षों को शांति बहाल करने के लिए यथास्थिति को बनाये रखना, अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाना एवं भारत द्वारा निश्चित संख्या में सैन्य टुकड़ियों को कश्मीर में रखना एवं सबसे महत्वपूर्ण कश्मीर में हालत सामान्य होने पर जनमत संग्रह करवाना था।

जिससे की इस मुद्दे पर जनता की राय जानकार इस अनुरूप फैसला लिया जा सके। हालांकि कई इतिहासकार इसे प्रधानमन्त्री नेहरू की भूल भी मानते है क्यूंकि इससे ना सिर्फ कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण हुआ अपितु संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस समस्या के लिए कोई प्रभावी हल भी नहीं निकाला जा सका।

आईपीएल का इतिहास, निबंध, टीम, मालिकों की जानकारी

कश्मीर एलओसी (लाइन ऑफ़ कंट्रोल) (Kashmir LOC)

भारत एवं पाकिस्तान के मध्य वर्ष 1947-48 में लड़े गए कश्मीर युद्ध के पश्चात प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाया गया जिसके पश्चात संयुक्त राष्ट्र द्वारा दोनों पक्षों को सीजफायर करके यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिए गए। यूनाइटेड नेशन द्वारा यथास्थिति बनाये रखने का अर्थ था की भारत और पाकिस्तान की सेनाएँ जहाँ खड़ी है उसे की अस्थायी रूप से दोनों देशो की सीमा रेखा माना जायेगा और कोई भी सेना आगे नहीं बढ़ेगी।

कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

इसका परिणाम यह हुआ की भारत और पाकिस्तान की सेना अपने-अपने स्थान पर डटी रही और वर्ष 1972 में शिमला एग्रीमेंट में इस लाइन को ही अस्थायी सीमा रेखा के रूप में मान्यता दी गयी और इसे लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल नाम दिया गया जिसे की संक्षिप्त में Kashmir LOC भी कहा जाता है। पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से को वर्तमान में पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) कहा जाता है।

कश्मीर एलएसी (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल) (Kashmir LAC)

पाकिस्तान ने सदैव ही भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए अपना पूरा जोर लगाया है यही कारण रहा है पाकिस्तान के द्वारा सदैव ही भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया गया है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय चीन द्वारा लद्दाख के पूर्वी हिस्से के बड़े भाग पर अवैध कब्ज़ा किया गया था जिसे की वर्तमान मे अक्साई चीन कहा जाता है। अक्साई चीन और भारत के मध्य सीमा रेखा को ही लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल या LAC कहा जाता है।

कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

वर्ष 1963 में पाकिस्तान द्वारा पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) की सकछगम घाटी को चीन को गिफ्ट कर दिया गया जो की भारत के सामरिक हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए उठाया गया कदम था। भारत द्वारा 13 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत के तहत सियाचिन ग्लेशियर पर कब्ज़ा करके अक्साई चीन और पाकिस्तान द्वारा गिफ्ट सकछगम घाटी के मध्य बफर जोन बना दिया गया जिससे चीन पर भी नियंत्रण रखा जा सके।

आर्टिकल 370 क्या है ?

वर्तमान राजनीति में कश्मीर का जिक्र होने पर आर्टिकल 370 का जिक्र होना स्वाभाविक है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है की यह आर्टिकल 370 क्या है जिसके माध्यम से कश्मीर को विशेष अधिकार प्राप्त थे (वर्तमान में इसे रिमूव कर दिया गया है). 1948 में आजादी के बाद के घटनाक्रम के पश्चात कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित कबीलाई हमला, इस मुद्दे का यूएन द्वारा अंतर्राष्ट्रीयकरण एवं कश्मीर की राजनीति में मची उथल-पुथल के कारण महाराजा हरी सिंह द्वारा भारत संघ में विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर लिए गए एवं कश्मीर का प्रशासनिक प्रमुख शेख-अब्दुला को कश्मीर का प्रधानमन्त्री बनाया गया।

उपर्युक्त घटनाक्रमों के मद्देनजर एवं विभिन नेताओं द्वारा दबाव के फलस्वरूप भारतीय संविधान द्वारा कश्मीर के लिए आर्टिकल 370 का प्रावधान किया गया। आर्टिकल 370 के तहत कश्मीर को विशेष अधिकार प्रदान किए गए जिसमे कश्मीर के लिए कानूनों के निर्माण करने की शक्ति कश्मीर विधानसभा को प्रदान की गयी। इसके अतिरिक्त भारतीय संसद द्वारा बनाए कानून भी कश्मीर पर लागू नहीं होते थे। साथ ही कश्मीर के नागरिको को इस आर्टिकल के तहत विभिन विशेष अधिकार प्रदान किए गए।

  • भारतीय इतिहास की प्रमुख घटनाएँ

कश्मीर के अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम

उपर्युक्त सभी घटनाक्रमों के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा वर्ष 1948 में शेख अब्दुला को कश्मीर का प्रधानमन्त्री (कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमन्त्री कहा जाता था) बनाया गया। शेख अब्दुला कश्मीर की राजनीति में केंद्रीय बिंदु माने जाते है जिन्होंने कश्मीर में लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्षशील नेता के रूप में देखा जाता था। यही कारण था की इन्हे कश्मीर का शेर भी कहा जाता था। प्रारम्भ में भारतीय संघ के प्रति वफादार रहे शेख अब्दुला ने कुछ समय पश्चात ही भारत विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप जवाहरलाल नेहरू के द्वारा इन्हे वर्ष 1953 में जेल में डाल दिया गया। इसके पश्चात इन्हे वर्ष 1964 में रिहा किया गया परन्तु पुनः भारत विरोधी गतिविधियों के कारण ये पुनः जेल भेजे गए। इस प्रकार से इन वर्षो में शेख अब्दुला कश्मीर की राजनीति में केंद्रीय बिंदु रहे। इस दौरान घटित प्रमुख घटनाएँ निम्न है :-

  • वर्ष 1951– अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर के अलग संविधान का गठन
  • वर्ष 1952-‘दिल्ली एग्रीमेंट 1952 लागू, कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा
  • वर्ष 1953- भारत विरोधी गतिविधियों के कारण प्रधानमन्त्री नेहरू के द्वारा शेख अब्दुला को कैद में डाल दिया गया
  • वर्ष 1957– 26 जनवरी 1957 को कश्मीर का अलग संविधान लागू हुआ
  • वर्ष 1964- शेख अब्दुला जेल से रिहा, पंडित नेहरू की मृत्यु के कारण वार्ता विराम
  • वर्ष 1972- भारत-पाकिस्तान के द्वितीय युद्ध के बाद शिमला समझौता, शेख अब्दुला द्वारा कश्मीर में जनमतसंग्रह करवाने की मांग को छोड़ दिया गया
  • वर्ष 1977– कांग्रेस द्वारा कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार को गिराया गया। शेख अब्दुला फिर से चुनाव में विजयी
  • वर्ष 1982- शेख अब्दुला का 76 वर्ष की उम्र में निधन, उनके पुत्र उमर अब्दुला ने मुख्यमंत्री पद संभाला
  • वर्ष 1987- कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी, अलगाववाद की मांग तेज, कश्मीरी पंडितो पर हमले शुरू

आतंक का दौर, कश्मीरी पंडितो की दुर्दशा

वर्ष 1990 का दौर कश्मीर के इतिहास में काले अक्षरों के रूप में दर्ज है। वर्ष 1990 में कश्मीरी पंडितो का घाटी में नरसंहार और अपनी जान बचाने के लिए पलायन की दास्ताँन आज की आम इंसान के रोंगटे खड़े कर देती है। वर्षो से ही कश्मीर में विभिन आतंकी संगठनों एवं पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के द्वारा पाकिस्तान को भारत से अलग करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा था। इसके लिए पाक द्वारा आतंकी संगठनो जैसे अलकायदा, लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद के के सहयोग से कश्मीर में आम नागरिको और युवाओ को भड़काने के प्रयास किया गया था। इसी का परिणाम यह हुआ की कश्मीर में कश्मीरी पंडितो के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ बढ़ने लगी और हजारो वर्षों से घाटी के मूल निवासी कश्मीरी पंडितो को एक ही झटके में अपनी पूर्वजो की जगह को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास जीवन परिचय निबंध

कश्मीर विवाद का मुख्य कारण क्या थे? - kashmeer vivaad ka mukhy kaaran kya the?

कश्मीर के मूल निवासी कश्मीरी पंडित हजारो वर्षों से ही कश्मीर घाटी में निवास कर रहे थे और सबसे शिक्षित समुदाय होने के साथ विभिन सरकारी सेवाओं में अग्रणी थे। कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पलायन का वास्तविक दौर वर्ष 1987 से शुरू हुआ जब कांग्रेस पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनावों में धाँधली के माध्यम से चुनाव जीता जिसके पश्चात जनता द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया। इसी दौरान कट्टरपंथियों के द्वारा इस अशांति का फायदा उठाकर इस्लाम खतरे में है का नारा दिया और विभिन आतंकी संगठनो की सहायता से कश्मीर में हिंसा शुरू कर दी गयी। कश्मीर हिंसा के दौरान खुलेआम कश्मीरी पंडितो को कश्मीर छोड़ने की धमकी दी जाने लगी। इसके लिए बाकायदा समाचार-पत्रों और मस्जिदों से एलान किया जाता था।

कश्मीरी पंडितो की सरेआम हत्या, महिलाओं के साथ रेप और दिन-दहाड़े पंडितो के घर को लूटकर वहां आग लगाने जैसे घटनाएँ आम हो गयी। सिर्फ 2 से 3 माह में ही 200 से 300 पंडितो की क़त्ल किया गया। कश्मीर के इतिहास का सबसे काला दिन 19 जनवरी 1990 था जब इन आतंकी घटनाओं के फलस्वरूप तीन लाख से चार लाख पंडितो ने अपनी जान बचाने के लिए अपने घर कश्मीर घाटी को छोड़ दिया था। इसके पश्चात सरकार द्वारा यहाँ 5 जुलाई 1990 को कश्मीर में एएफ़एसपीए (आर्म्ड फ़ोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट) (Kashmir AFSPA) लागू किया गया।

  • Galwan Valley: डाकू या चरवाहा? गुलाम रसूल जिसके नाम पर पड़ा गलवान घाटी का नाम, क्यूँ पीछे पड़ा है चाइना

कश्मीर में नया दौर, 370 का उन्मूलन

लम्बे समय तक आतंक का दंश झेलने वाली कश्मीर घाटी और इस आतंक का शिकार बने कश्मीरी पंडितो के लिए वर्ष 2019 का साल आशा और उम्मीदों से भरा वर्ष रहा। वर्षो तक विभिन नेताओं एवं सरकारों द्वारा कश्मीर समस्या का कोई भी ठोस समाधान नहीं निकाला जा सका जिसके परिणाम यह रहा की कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी प्रायोजित आतंकवाद के कारण विभिन आतंकी घटनाएँ दर्ज की जाती रही। वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा आर्टिकल-370 को हटाने के निर्णय लिया गया।

इसके परिणामस्वरूप प्रधानमन्त्री मोदी की उपस्थिति में गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 को हटा दिया गया। इसके साथ ही सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी विभाजित किया गया। आर्टिकल 370 के उन्मूलन के साथ ही घाटी में विकास का नया दौर शुरू हो गया है और इसके साथ ही कश्मीरी पंडितो की घाटी में पुनः वापसी की उम्मीदें भी जगी है।

थॉमस कप क्या है और इसका इतिहास क्या है?

कश्मीर की समस्या इतिहास विद्रोह एवं घटनाक्रम प्रश्न-उत्तर (FAQ)

कश्मीर की भौगोलिक स्थिति का वर्णन करें ?

कश्मीर भारत के उत्तरी भाग में स्थित राज्य है जो की अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के कारण यह पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध राज्य है।

कश्मीर का नाम किसके नाम पर पड़ा ?

अधिकांश इतिहासकार ऋषि कश्यप के नाम पर कश्मीर का नाम होना मानते है। अतः यह कहा जा सकता है की ऋषि कश्यप के नाम पर कश्मीर का नाम कश्मीर पड़ा।

कश्मीर में इस्लाम का आगमन कब हुआ ?

कश्मीर में इस्लाम का आगमन 13 वीं से 14वीं शताब्दी के मध्य माना जाता है जिसमे मुख्य योगदान मुस्लिम आक्रमणकारियों का रहा। इसके अतिरिक्त सूफी संतो ने भी कश्मीर में इस्लाम के प्रचार प्रसार में भूमिका निभायी।

आजादी के समय कश्मीर के राजा कौन थे ?

आजादी के समय कश्मीर के राजा डोगरा वंश के शासक महाराजा हरी सिंह थे। डोगरा वंश के महाराजा गुलाब सिंह द्वारा कश्मीर को अंग्रेजो से ख़रीदा गया था।

आजादी के समय भारत में शामिल होने पर महाराजा हरी सिंह का क्या रुख था ?

कश्मीर के महाराजा हरी सिंह आजादी के पश्चात ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे बल्कि वे अपने लिए एक स्वतंत्र देश की स्थापना करना चाहते थे। यही कारण रहा की उन्होंने विलय पत्र (Instrument of accession) पर हस्ताक्षर नहीं किए।

आर्टिकल 370 क्या है ?

आर्टिकल 370 भारतीय संविधान में शामिल आर्टिकल है जिसके माध्यम से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। हालांकि वर्ष 2019 में भारत सरकार द्वारा इस आर्टिकल को समाप्त कर दिया गया है।

कश्मीर की समस्या का मूल क्या है ?

कश्मीर की समस्या का मूल जानने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको कश्मीर समस्या के सभी कारणों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है।

क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा प्राप्त है ?

सरकार द्वारा वर्तमान में जम्मू-कश्मीर राज्य को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर नाम के दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया है।

कश्मीर विवाद के मुख्य कारण क्या थे?

आज कश्मीर में आधे क्षेत्र में नियंत्रण रेखा है तो कुछ क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा। अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगातार फायरिंग और घुसपैठ होती रहती है। इसके बाद पाकिस्तान ने अपने सैन्य बल से 1965 में कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसके चलते उसे मुंह की खानी पड़ी।

कश्मीरी लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या है?

पर्यटन उद्योग कश्मीर का प्रमुख धंधा है जिससे राज्य को बड़ी आय होती है।

कश्मीर का इतिहास क्या है?

कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर बसाया गया था। और कश्मीर के पहले राजा भी महर्षि कश्यप ही थे। उन्होंने अपने सपनों का कश्मीर बनाया था। कश्मीर घाटी में सर्वप्रथम कश्यप समाज निवास करता था| भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरम्भ होता है।

कश्मीर का पुराना नाम क्या है?

यहाँ एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और ज़्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया। इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला।