टाइफाइड में कौन सा अंग खराब होता है? - taiphaid mein kaun sa ang kharaab hota hai?

टायफ़ायड ज्वर एक जीवाणु संक्रमण है जो कई अंगो को प्रभावित करता है और पूरे शरीर में फ़ैल सकता है। शीघ्र उपचार न करने पर यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है और घातक हो सकता है।

यह जीवाणुओं से संबंधित सैल्मोनेला टाइफी नामक एक जीवाणु के कारण होता है, जो

(खराब खाना खाने से हुई बीमारी) साल्मोनेला उत्पन्न करता है।

टायफ़ायड ज्वर अत्यंत संक्रामक रोग है। कोई भी संक्रमित व्यक्ति इसके जीवाणु अपने शरीर से मल अथवा कभी कभी पेशाब के माध्यम से फैला सकता है।

यदि कोई व्यक्ति थोड़ी मात्रा में भी मल अथवा पेशाब से संक्रमित आहार खाता अथवा पानी पीता है तो वह भी इस जीवाणु से संक्रमित हो सकता है और टायफ़ायड ज्वर से पीड़ित हो सकता है।

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कौन प्रभावित होता है

टायफ़ायड ज्वर अपने संक्रमण फैलाने के तरीके के कारण विश्व के कम स्वच्छता स्तर और सीमित स्व च्छ पानी वाले भागों में अत्यंत प्रचलित है।

ऐसा माना जाता है कि बच्चे और किशोर वयस्क टायफ़ायड ज्वर से अधिक ग्रसित होते हैं। यह उनके प्रतिरक्षी तंत्र (शरीर की संक्रमण और रोग से प्राकृतिक सुरक्षा) का अभी विकसित होने की स्थिति मे हो सकता है।

Signs and symptoms of typhoid fever

टायफ़ायड ज्वर के आम लक्षणों में निम्न समिल्लित हैं:

  • उच्च ताप जो 39–40°C (103–104°F) तक पहुंच सकता है
  • अथवा

यदि हालात का उपचार नहीं किया जाता है, तो आने वाले सप्ताहों में लक्षण बदतर हो सकते हैं व संभावित घातक जटिलताओं को विकसित करने का जोखिम बढ़ सकता है।

संभावित जटिलताओं में आंतरिक रक्तस्राव अथवा पाचन तंत्र का एक भाग अथवा आंत्र विभाजन का खुलना और व्यापक संक्रमण होने की संभावना हो सकती है।

टायफ़ायड ज्वर के

और टायफ़ायड ज्वर के की अधिक जानकारी लें।.

टायफ़ायड ज्वर का उपचार

टायफ़ायड ज्वर को एंटीबायोटिक्स के साथ तुरन्त उपचार की आवश्यकता होती है। यदि आरंभिक चरणों में रोग-निदान किया जाता है, तो हालात आसान होने की संभावना होती है और सामान्यतः एंटीबायोटिक गोलियों के 7-14 दिवसीय कोर्स के साथ घर पर उपचार किया जा सकता है।

टायफ़ायड ज्वर के अधिक गंभीर मामलों में अक्सर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, अत: एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिये जा सकते हैं।

तत्काल एंटीबायोटिक उपचार से अधिकांश लोग कुछ दिनों के भीतर ही बेहतर प्रतीत करना आरंभ कर सकते हैं और गंभीर जटिलतायें अत्यन्त दुर्लभ हो जाती हैं। अब यूके में टायफ़ायड ज्वर से होने वाली मौतें लगभग अनसुनी हैं।

परन्तु, यदि टायफ़ायड ज्वर का उपचार नहीं किया जाता है तो ऐसा अनुमान है कि 1 से 5 व्यक्तियों तक की इस हालात में मृत्यु हो जायेगी और जो बच जायेंगे उन्हें स्थायी शारीरिक अथवा मानसिक अपंगता हो सकती है।

लक्षण

टायफ़ायड ज्वर के लक्षण सामान्यतः किसी व्यक्ति द्वारा सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु से संक्रमित होने के पश्चात 1 अथवा 2 सप्ताहों में विकसित होते हैं।

उपचार करने पर टायफ़ायड ज्वर के लक्षणों में जल्द ही 2 से 5 दिनों के बीच सुधार आना चाहियें।

यदि टायफ़ायड ज्वर का उपचार नहीं होता है, तो सामान्यतः कुछ सप्ताहों में हालात अत्यन्त खराब हो जाते हैं और जीवन को खतरे में डाल सकने वाली

विकसित हो सकती हैं। बिना उपचार के पूरी तरह से रोग-मुक्त होने में कई सप्ताह अथवा महीने लग सकती है और लक्षण लोट सकते हैं।

आम लक्षण

टायफ़ायड ज्वर के आम लक्षणों में निम्न समिल्लित हो सकते हैं:

  • उच्च ताप जो 39–40°C (103–104°F) तक पहुंच सकता है
  • मांस-पेशी में दर्दे
  • अस्वस्थ महसूस करना
  • भूख में कमी
  • अथवा (व्यस्कों में कब्ज़ और बच्चों में दस्त हो सकते हैं)
  • छोटे गुलाबी धब्बों का चकत्ता
  • थकावट
  • हक्का-बक्का अर्थात आपको यह ज्ञात न हो कि आप कहां हो अथवा आपके इर्द-गिर्द क्या हो रहा है

Seeking medical advice

यदि आपमें टायफ़ायड ज्वर के लक्षण हैं तो शीघ्रताशीघ्र सम्भव आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिये

जीवाणु शरीर में रहने वाले छोटे, सिंगल-सेल वाले जीव होते हैं। यह कुछ अस्वस्थता और रोग पैदा कर सकते हैं और इनमें से कुछ आपके लिये अच्छे हो सकते हैं।

सामान्य से कम मलत्याग करने पर, अथवा जब शौच करते समय मल का आकार ठोस और छोटा हो व त्यागने में परेशानी हो, तो आपको कब्ज़ हो सकता है।

शौच जाने पर बारम्बार जलीय मल त्यागने को दस्त कहते हैं।

उच्च शारीरिक ताप (38C अथवा 100.4F से अधिक) होने को ज्वर कहते हैं।

कारण

टायफ़ायड ज्वर सैल्मोनेला टाइफी नाम जैसे जीवाणु से होता है।

यह सलमोनेला

करने वाले जीवाणु के प्रकार के नही होते हैं लेकिन दोनों एक दूसरे से संबन्धित हैं।

संक्रमण कैसे फैलता है

जब किन्हीं संक्रमण ग्रसित व्यक्तियों को शौच जाने की आवश्यकता होती है तो वे सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु से युक्त मल त्याग कर सकते हैं। शौच जाने के पश्चात यदि वे अपने हाथ ठीक से नहीं धोते और वह किसी भी खाने को जब छूते हैं तो उसे संक्रमित कर सकते हैं। यदि यह संक्रमित खाना किसी अन्य व्यक्ति द्वारा खाया जाता है तो वह भी संक्रमित हो सकता है।

कभी कभी सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु संक्रमित व्यक्ति के पेशाब से भी फैल सकता है। पुन: अगर कोई संक्रमित व्यक्ति पेशाब करने के पश्चात खाने को बिना ठीक से अपने हाथ धोये छूता है अथवा कोई अन्य व्यक्ति जो उस संक्रमित खाने को खाता है, को संक्रमण सकता है।

विश्व के कम स्वच्छता स्तर वाले भागो में संक्रमित मानवीय मल वहां की जल आपूर्ति को संक्रमित कर सकता है। उन व्यक्तियों को जो संक्रमित जल पीते है अथवा संक्रमित जल से धोया खाना खाते हैं, भी टायफ़ायड ज्वर हो सकता है।

निम्न अन्य प्रकार से भी टायफ़ायड ज्वर हो सकता है:

  • जीवाणु से दूषित शौचालय का प्रयोग और हाथ धोने से पूर्व अपना मुंह छूने से
  • संक्रमित मल अथवा पेशाब से दूषित जल स्रोत से पकड़ा गया सी-फूड खाने से
  • सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु वाहक व्यक्ति से मुंह अथवा गुदा के माध्यम से सेक्स करने से (नीचे देखें)

वाहक

प्रत्येक 20 व्यक्तियों में से एक बिना उपचार करवाये टायफ़ायड ज्वर से बचने वाला व्यक्ति, संक्रमण का वाहक बन जाता है। इसका अर्थ है कि सैल्मोनेला टाइफी वाहक के शरीर में जीवित रहता है और सामान्य रूप से मल और पेशाब में फैल जाता है, लेकिन वाहक में टायफ़ायड ज्वर कोई प्रत्यक्ष लक्षण नहीं होते हैं।

जीवाणु शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं

किसी व्यक्ति द्वारा सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु से ग्रसित पेय अथवा खाने के पश्चात, जीवाणु उनके पाचन तंत्र में जाता है और तत्पश्चात जल्द ही जीवाणुओं में वृद्धि होगी जिससे उच्च ताप, पेट दर्द और कब्ज़ अथवा दस्त जैसे प्रारम्भिक लक्षण उत्पन्न हो सकते है।

यदि कोई व्यक्ति उपचार नहीं करवाता है तो उसके रक्तप्रवाह में जीवाणु प्रवेश कर सकते है जिसका अर्थ है कि वह शरीर के अन्य भागों में फैल सकते हैं। पाचन तंत्र से जीवाणुओं के फैलने से टायफ़ायड ज्वर के लक्षण, संक्रमण होने के पश्चात आने वाले सप्ताहों में और खराब हो सकते हैं।

यदि संक्रमण के कारण यह अंग व उसके मांस-तंतु नष्ट हो जाते है तो यह विकट जटिलतायें, जैसे की आंतरिक रक्तस्त्राव अथवा आंत्र विभाजन का एक भाग, उत्पन्न कर सकते हैं।

जीवाणु शरीर में रहने वाले छोटे, सिंगल-सेल वाले जीव होते हैं। कुछ अस्वस्थता और रोग पैदा कर सकते हैं और इनमें से कुछ आपके लिये अच्छे हो सकते हैं।

अस्थिओं के केन्द्र से उत्पन्न होने वाली रक्त कोशिकाओं में स्थित अस्थि मज्जा (बोन मार्रों) एक कोमल, स्पंजी रचना होती है।

शौच जाने पर बारम्बार जलीय मल त्यागने को दस्त कहते हैं।

मल अवशेष का बना एक ठोस तत्व होता है को मल-त्याग प्रणाली से शरीर से बाहर आता है।

रोग-निदान

यदि आपके विचारानुसार आपको टायफ़ायड ज्वर है तो आपको अपने डॉक्टर को दिखाना होगा

हालात का रोग-निदान करने में आपके डॉक्टर जानना चाहेंगे क्या:

  • आपने विश्व के संक्रमण प्रभावित भागो में यात्रा की है
  • आप इन क्षेत्रों में यात्रा किये किसी व्यक्ति के निकट संपर्क में हैं

विश्व के संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में अफ्रीका, भारतीय महाद्वीप, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिणी अमेरिका के क्षेत्र आते हैं।

टायफ़ायड ज्वर के लिये परीक्षण

सामान्यतः टायफ़ायड ज्वर के रोग-निदान की पुष्टि रक्त, मल अथवा पेशाब के सैंपलों की जांच और उन्हें हालात उत्पन्न करने वाले सैल्मोनेला टाइफी जीवाणुओं के लिये माइक्रोस्कोप में गौर से देखकर की जाती है।

सदैव प्रथम जांच में जीवाणु की पहचान नहीं होती है, अत: आपको कई परीक्षण करवाने की आवश्यकता हो सकती है।

टायफ़ायड ज्वर का रोग-निदान करने हेतु बोन मार्रों के सैंपल का परीक्षण एक अधिक सटीक तरीका है। परन्तु, सैंपल प्राप्त करने में समय लगता है और यह कार्य कष्टदायक होता है। अत: आमतौर पर यह केवल अन्य परीक्षणों के अनिर्णीत होने की स्थिति में ही उपयोग किया जाता है।

यदि परीक्षण से पुष्टि हो जाती है कि आपको टायफ़ायड ज्वर है, तो यह सुनिश्चित करने के लिये कि उन्हें आपसे तो संक्रमण नहीं हो गया है, आपके परिवार के अन्य सदस्यों का परीक्षण करवाने की सिफारिश भी की जा सकती है।

उपचार

सामान्यतः टायफ़ायड ज्वर का एंटीबायोटिक दवाईयों के कोर्स से सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है।

अधिकतर मामलों में आपका घर पर ही उपचार किया जा सकता है, परन्तु विकट हालात होने की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है।

घर पर उपचार

यदि टायफ़ायड ज्वर का प्रारम्भिक चरणों में रोग-निदान हो जाता है तो आपको

गोलियों के कोर्स का नुस्खा दिया जा सकता है। अधिकांश व्यक्तियों को इसकी 7-14 दिनों के लिये इनकी अवश्यकता हो सकती है।

सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु की कुछ नस्लों ने एक अथवा अधिक प्रकार के एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। दक्षिण पूर्व एशिया से प्रारम्भ होने वाले टायफ़ायड संक्रमणों में इस समस्या की विशेष रूप से वृद्धि हो रही है।

अत: आपके रोग-निदान के दौरान लिये गये किसी भी रक्त, मल अथवा पेशाब के सैंपल का सामान्यतः किसी प्रयोगशाला में परीक्षण किया जाता है ताकि आपका उचित एंटीबायोटिक से उपचार करने के लिये संक्रमण करने वाले जीवाणु की नसल का पता लगाया जा सके।

एंटीबायोटिक्स लेना प्रारम्भ करने के 2-3 दिनों के भीतर आपके लक्षणों में सुधार दिखना आरंभ होना चाहिये, परन्तु यह महत्वपूर्ण है कि आप कोर्स को पूरा करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपके शरीर से जीवाणु पूर्णत: हट गये हैं।

पर्याप्त आराम, अत्याधिक पेय पीना और समय पर खाना सुनिश्चित करें। यदि आप कम मात्रा में खाना बर्दाश्त कर सकते हैं तो तीन बड़े आहारों के स्थान पर आप कई बार छोटे आहार खा सकते हैं।

आपको निजी स्वच्छता, जैसे संक्रमण तो अन्य व्यक्तियों तक फैलना रोकने ले लिये बार बार साबुन और गरम पानी से अपने हाथ धोने का ध्यान भी रखना होगा।

घर पर उपचार के दौरान यदि आपके लक्षण खराब होते हैं अथवा नये लक्षण विकसित होते हैं तो शीघ्रताशीघ्र सम्भव अपने डॉक्टर को संपर्क करें।

कुछ हालातों में लक्षण अथवा संक्रमण पुन: हो सकता है। इसे पुनरावर्तन (रीलैप्स) कहते है।

स्कूल अथवा कार्य से दूर रहना

टायफ़ायड ज्वर के उपचार के तहत कुछ व्यक्ति बेहतर महसूस करने के पश्चात कार्य अथवा स्कूल जाना प्रारम्भ कर सकते हैं।

उपरोक्त श्रेणी में वह लोग नहीं आते हैं जो आहार और संवेदनशील व्यक्तियों के साथ कार्य करते हैं (जैसे की 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर)। इन हालातों में प्रति सप्ताह के अंतराल पर लिये गये तीन मल सैंपलों के परीक्षण के पश्चात और केवल यह सुनिश्चित होने पर कि जीवाणु समाप्त हो चुके हैं, आप कार्य अथवा नर्सरी में लोट सकते हैं।

अस्पताल उपचार

सामान्यतः अस्पताल में भर्ती की तभी सिफ़ारिश की जाती है जब आपके लक्षण अत्यन्त विकट हों, जैसे की लगातार उल्टियाँ, विकट

अथवा पेट में सूजन।

सावधानी के तौर पर, टायफ़ायड ज्वर से ग्रसित छोटे बच्चे भी अस्पताल में भर्ती किये जा सकते हैं।

अस्पताल में, आपको एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिये जायेंगे और आपको नसों (इंट्रावेनस ड्रिप) के माध्यम से सीधे ही तरल और पोषक तत्व दिये जा सकते हैं।

यदि आपमें आंतरिक रक्तस्त्राव अथवा पाचन तंत्र में विभाजन जैसी खतरनाक जटिलतायें उत्पन्न होती हैं, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। परन्तु, एंटीबायोटिक्स से उपचार प्राप्त कर रहे व्यक्तियों में यह बहुत कम होता है।

की अधिक जानकारी लें।

अधिकतर व्यक्तियों में अस्पताल उपचार से सकरात्मक प्रभाव आता है और तीन से पाँच दिनों में सुधार आता है। हालांकि, आपको अस्पताल छोड़ने के योग्य होने में कई सप्ताह लग सकते हैं।

पुनरावर्तन

कुछ टायफ़ायड ज्वर से उपचार प्राप्त व्यक्तियों में पुनरावर्तन रोग हो जाता है जो लक्षणों के वापिस आने के कारण होता है। सामान्यतः इन हालातों में, एंटीबायोटिक उपचार समाप्त होने के पश्चात लगभग एक सप्ताह में लक्षण लोट आते है।

दूसरी अवधि में, आम तौर पर लक्षण पहले रोग से कम प्रबल और कम अवधि के लिये होते है, लेकिन अक्सर एंटीबायोटिक्स से अतिरिक्त उपचार की सिफ़ारिश की जाती है। उपचार के पश्चात लक्षणों के लोटने पर शीघ्रताशीघ्र अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

दीर्घकालिक वाहक

अपने लक्षणों के समाप्त होने के पश्चात, आपको मल में सैल्मोनेला टाइफी जीवाणुओं की समाप्ती सुनिश्चित करने के लिये एक और मल परीक्षण करवाना चाहिये। और यदि इसमे जीवाणु पाये जाते हैं तो इसका यह भी अर्थ हो सकता है कि आप टायफ़ायड संक्रमण के दीर्घकालिक (क्रोनिक) वाहक बन गये हैं और आपको जीवाणुओं को “फ्ल्श आउट” करने के लिये एंटीबायोटिक्स का 28 दिनों का अतिरिक्त कोर्स लेना पड़ सकता है।

आपके परीक्षण के परिणामों द्वारा आपको जीवाणु मुक्त घोषित करने तक आप आहार प्रबंधन अथवा पकाना टालें। यह भी महत्वपूर्ण है कि शौच जाने के पश्चात आप अपने हाथ पूरी तरह धोयें।

एंटीबायोटिक्स वह दवाईयां हैं जो सूक्ष्मजीवों, सामान्यतः जीवाणु अथवा फफुंद द्वारा उत्पन्न संक्रमणों के उपचार के लिये प्रयोग की जाती हैं। एंटीबायोटिक्स के उदाहरणों में अमोक्सीसिलिन, स्ट्रेपटोमाइसिन और इरिथ्रोमाइसिन समिल्लित हैं।

इन्ट्रावेनस (आईवी) इन्ट्रावेनस (IV) का अर्थ है किसी किसी नस के माध्यम से रक्त कोशिकाओं के भीतर रक्त, दवाइयां अथवा तरल डालना।

जटिलतायें

सामान्यतः टायफ़ायड ज्वर से उत्पन्न जटिलतायें केवल उन व्यक्तियों में उत्पन्न होती हैं जिनका एंटीबायोटिक्स से उचित उपचार नहीं हुआ है अथवा उपचार देरी से हुआ है।

ऐसे मामलों में लगभग 10 में से 1 व्यक्ति जटिलताओं का अनुभव करते हैं जो सामान्यतः संक्रमण के तीसरे सप्ताह में उत्पन्न होती है।

अनुपचारित टायफ़ायड ज्वर में आम तौर पर नीचे दी गई दो जटिलतायें होती हैं:

  • पाचन तंत्र में आंतरिक रक्तस्राव
  • पाचन तंत्र अथवा अंतड़ी के एक भाग का विभाजन (छिद्रण), जो पास के मांस-तंतु में संक्रमण फैलता है

इनका अधिक विवरण नीचे दिया गया है।

आंतरिक रक्तस्त्राव

टायफ़ायड ज्वर में उत्पन्न होने वाले अधिकतर आंतरिक रक्तस्त्राव खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन आपको अत्यन्त अस्वस्थ होने का आभास करवा सकते हैं।

लक्षणों में निम्न समिल्लित हैं::

  • पूरे समय थकावट का आभास
  • सांस लेने में परेशानी
  • पीली त्वचा
  • दिल की अनियमित धड़कन
  • रक्त की उल्टी
  • अत्यन्त काले अथवा तारकोल जैसे मल

नष्ट हुये रक्त की पूर्ति करने के लिये

की आवश्यकता हो सकती है, और स्त्राव स्थल को ठीक करने के लिये सर्जरी की जा सकती है।

छिद्रण

संभवतः छिद्रण एक अत्यन्त गंभीर जटिलता है। ऐसा आपके पाचन तंत्र में रहने वाले जीवाणुओं का पेट में स्थानांतरण और आपके पेट (पेरिटोनियम) की परत को संक्रमित करने के कारण होता है। इसे

के नाम से जाना जाता है।

पेरिटोनिटिस एक चिकित्सीय आपात स्थिति है क्योंकि आम तौर पर पेरिटोनियम के मांस-तंतु जीवाणुहीन और रोगाणु-मुक्त होते हैं। शरीर के अन्य त्वचा जैसे भागो के विपरीत, पेरिटोनियम में संक्रमण से लड़ने के लिये अंतनिर्हित रक्षा व्यवस्था नहीं होती है।

पेरिटोनिटिस के केसो में कोई संक्रमण अन्य अंगो में फैलने से पहले जल्दी ही रक्त (

) में फैल सकता है। इसमें बहुल अंगो की खराबी का खतरा होता है और यदि गंभीरता से उपचार नहीं किया गया तो मृत्यु भी हो सकती है। लगातार बढ़ता आकस्मिक पेट दर्द पेरिटोनिटिस का अत्यन्त आम लक्षण है।

पेरिटोनिटिस में अस्पताल में भर्ती होना होता है जहां आपका एंटीबायोटिक्स के इंजेक्शनों से उपचार किया जाता है। उसके बाद आपकी अंतड़ी की सतह को सर्जरी से सील कर दिया जाता है।

की अधिक जानकारी लें।

रोक-थाम

यदि आप विश्व के उन भागो में यात्रा कर रहे हैं जहां टायफ़ायड ज्वर रोकने हेतु टीकाकरण की सिफ़ारिश की जाती है।

उच्च जोखिम क्षेत्र

टायफ़ायड सम्पूर्ण विश्व में पाया जाता है लेकिन कम साफ-सफाई वाले क्षेत्रों में इसके होने की संभावना अधिक होती है। उच्च जोखिम क्षेत्र में निम्न समिल्लित हैं:

  • अफ्रीका
  • मध्य अमेरिका
  • भारतीय महाद्वीप
  • मध्य पूर्व
  • दक्षिण अमेरिका
  • दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया

उन व्यक्तियों के लिये टायफ़ायड टीकाकरण की विशेष रूप से सिफ़ारिश की जाती है जो स्थानीय लोगो के साथ रह अथवा कार्य करेंगे और जिनको सफाई और खान-पान में कम स्वच्छता के माहोल में बारम्बार अथवा लंबी अवधि के लिये रहना अथवा कार्य करना होता है।

टीके का चयन

टायफ़ायड ज्वर से कोई भी टीका 100% सुरक्षा प्रदान नहीं करता है, लेकिन आम तौर पर Vi टीका Ty21a टीके से अधिक प्रभावकारी होता है। हालांकि, कुछ व्यक्ति Ty21a को पसंद करते हैं क्योंकि इसमें इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है।

चूंकि Ty21a टीके में सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु के जीवित सैंपल होते हैं, यह उन व्यक्तियों के लिये उपयुक्त नहीं है जिनका प्रतिरक्षी तंत्र (शरीर की संक्रमण और अस्वस्थता से प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र) कमजोर होता है, जैसे की एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति। सामान्यतः यह छ: वर्ष से छोटे बच्चों के लिये भी अनुशंसित नहीं है, जबकि बच्चे 2 वर्ष की आयु से ही Vi टीका ले सकते हैं।

Vi टीके का सुरक्षात्मक प्रभाव लगभग तीन वर्षों तक रहता है, जिसके पश्चात एक फॉलो-अप बूस्टर टीकाकरण की आवश्यकता होती है। बूस्टर खुराक की आवश्यकता से पूर्व Ty21a टीके का प्रभाव लगभग एक वर्ष की अवधि का होता है।

आदर्शतः अपनी यात्रा से एक महीना पूर्व टायफ़ायड टीका लेना चाहिये लेकिन, यदि आवश्यक हो तो, यह आपकी यात्रा की तिथि के निकट भी दिया जा सकता है।

दुष्प्रभाव

टायफ़ायड ज्वर टीका लेने के पश्चात कुछ व्यक्तियों ने इंजेक्शन स्थान पर पीड़ा, लाली, सूजन ओर कठोरता का अल्पकालिक अनुभव किया हैं। लगभग प्रत्येक 100 व्यक्तियों में से 1 ने 38ºC (100.4ºF) का उच्च ताप (ज्वर) का अनुभव भी किया है। कम प्रचलित दुष्प्रभाव में निम्न समिल्लित हैं:

टाइफाइड से हमारे शरीर का कौन सा अंग प्रभावित होता है?

टाइफाइड एक जीवाणु संक्रमण है। यह सिर्फ एक अंग को नहीं, बल्कि शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। रक्तप्रवाह में पहुंचने के बाद, बैक्टीरिया यकृत, प्लीहा और मांसपेशियों सहित जठरांत्र संबंधी मार्ग पर हमला करते हैं। कभी-कभी, यकृत और प्लीहा भी सूज जाते हैं।

टाइफाइड में क्या डैमेज होता है?

टाइफॉइड में तेज बुखार और डायरिया होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में तरल पदार्थ के स्तर में कमी होने से उपचार में समस्याएं आ सकती हैं।

टाइफाइड कितने प्रकार के होते हैं?

टाइफाइड और पैराटाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी और साल्मोनेला पैराटाइफी बैक्टीरिया के कारण होने वाली जानलेवा बीमारियां हैं। ये बैक्टीरिया दूषित भोजन या पानी पीने से फैल सकते हैंटाइफाइड और पैराटाइफाइड बुखार प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में लगभग 11-21 मिलियन लोगों को प्रभावित करते हैं

टाइफाइड कितने दिनों में ठीक हो जाता है?

टाइफाइड बुखार लगभग 1-2 सप्ताह की इन्क्यूबेशन पीरियड के साथ लगभग 3-4 सप्ताह तक रह सकता है।