कीन्स के रोजगार सिद्धांत को समझाइए पीडीऍफ़ - keens ke rojagaar siddhaant ko samajhaie peedeeaif

Que : 145. किन्स के रोजगार सिद्धान्त की कोई पाँच आलोचना लिखिये।

Answer:

उत्तर- कीन्स के रोजगार सिद्धांत की आलोचना - कीन्स के रोजगार सिद्धांत की आलोचना, इस प्रकार है -

1. उपभोग में परिवर्तनों का विनियोग पर प्रभाव की उपेक्षा - कीन्स का सिद्धांत विनियोग में परिवर्तनों का उपभोग पर प्रभाव अर्थात गुणक की तो व्याख्या करता है परन्तु यह उपभोग में परिवर्तनों का विनियोग पर प्रभाव अर्थात् त्वरक की व्याख्या नही करता है |

2. बेरोजगारी की समस्या का अपूर्ण ज्ञान - कीन्स का सिद्धांत चक्रीय बेरोजगारी की तो व्याख्या करता है परन्तु इसके द्वारा तकनीकी व घर्षणात्मक बेरोजगारी की व्याख्या नही की जाती |

3. उपभोग प्रवृत्ति की गलत अवधारणा - कीन्स का सिद्धांत यह मानता है कि उपभोग व्यय केवल वर्तमान आय पर ही निर्भर करता है जो एक गलत अवधारणा है |

4. एकपक्षीय सिद्धांत - कीन्स ने अपने सिद्धांत में समग्र पूर्ति कीमत को स्थिर माना है | साथ ही वह यह मानता है कि समग्र माँग, समग्र पूर्ति को नियंत्रित करती है | इस प्रकार कीन्स ने अपने सिद्धांत में पूर्ति पक्ष की पूर्णता: उपेक्षा की है |

5. अल्पकालीन सिद्धांत - कीन्स का सिद्धांत एक अल्पकालीन सिद्धांत है इस कारण यह दीर्घकालीन नीतियों पर काम नही करता | व्यावहारिक जगत में भी कीन्स का यह सिद्धांत एक उपयोगी सिद्धांत नही कहा जा सकता है |

रोजगार के सिद्धांत से आप क्या समझते हैं?

कीन्स के रोजगार सिद्धांत के अनुसार अल्पकाल में राष्ट्रीय आय या उत्पादन का स्तर पूर्ण रोजगार के स्तर से कम या उसके बराबर निर्धारित हो सकता है। इसका कारण यह है कि अर्थव्यवस्था में कोई ऐसी स्वचालित व्यवस्था नहीं होती जो सदैव ही पूर्ण रोजगार स्तर को कायम रख सके।

कीन्स रोजगार सिद्धांत मंदी का अर्थशास्त्र है क्योंकि?

कींस के अनुसार मंदी या अवसाद की स्थिति में बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में समग्र माँग या समग्र व्यय की कमी के कारण होती है। इस प्रकार समग्र व्यय की वृद्धि के द्वारा बेरोजगारी में कमी लायी जा सकती है।

रोजगार के शास्त्रीय और कीन्स सिद्धांत में क्या अंतर है?

कीन्स का रोजगार सिद्धान्त अल्पकालिक हैं जिससे यह दीर्घकालिक नीतियों पर ध्यान नहीं देता । फ्रीडमैन जैसे अर्थशास्त्रियों ने कीन्स के उपभोग फलन की न केवल आलोचना की बल्कि उपयोग के नवीन सिद्धान्त भी प्रतिपादित किये। पीगू प्रभाव ने भी मौद्रिक मजदूरी कटौती सम्बन्धी कीन्सियन तर्क को निष्प्रभावी कर दिया।

रोजगार के शास्त्रीय सिद्धांत से क्या समझते हैं?

रोजगार के शास्त्रीय सिद्धांत के अनुसार, अन्य चीजें स्थिर होने के कारण, मजदूरी दर लचीलापन यह सुनिश्चित करता है कि, एक प्रतिस्पर्धी बाजार में, पूर्ण रोजगार प्रदान किया जाता है और पूर्ण रोजगार उत्पादन होता है। वास्तविक मजदूरी दर श्रम बाजार में मांग और आपूर्ति की ताकतों द्वारा निर्धारित की जाती है।