कैकेयी ने दूसरा वरदान क्या मांगा? - kaikeyee ne doosara varadaan kya maanga?

Ramayan Story in Hindi: रानी कैकेयी के कोपभवन में जाने की सूचना पर राजा दशरथ व्याकुल हो गए और डरते-डरते उन्हें मनाने पहुंचे. उन्हें मनाने की कोशिश में महाराज दशरथ ने कैकेयी से कहा कि यदि तुम्हारा शत्रु कोई देवता है तो मैं उसे भी मार दूंगा. उन्होंने कहा कि मेरी प्रजा, कुटुंबी, संपत्ति, पुत्र यहां तक कि मेरे प्राण भी तुम्हारे अधीन हैं. उन्होंने इस बात को राम की सौ बार सौगंध खाते हुए कहा. उन्होंने कैकेयी से कहा कि तुम प्रसन्नतापूर्वक अपनी मनचाही बात मांग लो और अपने मनोहर अंगों को आभूषणों से सजा लो. तुम इस अवसर को तो समझो और जल्दी से इस बुरे वेश को त्याग दो. यह सुनकर कैकेयी हंसती हुई उठी और गहने पहने लगी.

कैकेयी ने उचित अवसर जान दशरथ जी को वरदान की याद दिलाई

कैकेयी को खुश होते देखकर राजा दशरथ प्रसन्न होकर बोले, हे प्रिए मेरा मन अब शांत हुआ. पूरे नगर में घर-घर आनंद के बधावे बज रहे हैं. मैं कल ही राम को युवराज का पद दे रहा हूं, इसलिए तुम उठो और अपना श्रृंगार करो. गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस में लिखते हैं कि राजा नीति निपुण हैं, किंतु त्रिया चरित्र तो अथाह समुद्र है, जिसे वह नहीं जान सके, फिर कैकेयी ने ऊपरी तौर पर प्रेम दर्शाते हुए आंखें और चेहरे को मोड़कर हंसते हुए कहा कि आप मांग-मांग तो कई बार कहा करते हैं, किंतु उसे देते-लेते कभी नहीं हैं. आपने दो वरदान देने को कहा था, किंतु अब तो वह मिलने में संदेह दिख रहा है.

रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए

कैकेयी बात सुनकर राजा दशरथ ने हंसते हुए कहा कि अब मैं तुम्हारा मतलब समझ गया. तुम्हें भी अपना मान कराने की आदत हो गई है. तुमने तो उन दो वरदानों को अपनी धरोहर समझकर कभी मांगा ही नहीं और हमारी तो भूलने की आदत है, सो हमें भी याद ही नहीं रहा. मुझे झूठ-मूठ का दोष मत दो. अब तुम चाहो तो दो के बदले चार मांग लो. रघुकुल की यही रीति रही है कि प्राण जाए पर वचन कभी नहीं जाता है.

कैकेयी ने भरत का राजतिलक और राम को वनवास मांगा

राजा को प्रसन्न जान और अपने वचन के पक्के होने की दुहाई देते हुए कैकेयी ने समझा कि यही उचित अवसर है, जब अपनी मांग रखी जा सकती है. कैकेयी ने कहा यदि आप मुझे प्रसन्न ही करना चाहते हैं तो मेरे मन को भाने वाले पहला वर है, भरत का राजतिलक और दूसरा वर भी मैं हाथ जोड़कर मांगती हूं, जिसे आप पूरा कीजिए. दूसरा वर है तपस्वियों के वेश में उदासीन भाव में राम चौदह वर्ष तक वनवास करें.   

कैकेई सामान्य अर्थ में 'केकय देश की राजकुमारी'। तदनुसार महाभारत में सार्वभौम की पत्नी, जयत्सेन की माता सुनंदा को कैकेई कहा गया है। इसी प्रकार परीक्षित के पुत्र भीमसेन की पत्नी, प्रतिश्रवा की माता कुमारी को भी कैकेयी नाम दिया गया है।

किन्तु रूढ़ एवं अति प्रचलित रूप में ' कैकेई ' केकेय देश के राजा अश्वपति और शुभलक्षणा की कन्या एवं कोसलनरेश दशरथ की कनिष्ठ किंतु अत्यंत प्रिय पत्नी का नाम है। इसके गर्भ से भरत का जन्म हुआ था। जब राजा दशरथ देवदानव युद्ध में देवताओं के सहायतार्थ गए थे तब कैकेई भी उनके साथ गई थी। युद्ध में दशरथ के रथ का धुरा टूट गया उस समय कैकेई ने धुरे में अपना हाथ लगाकर रथ को टूटने से बचाया और दशरथ युद्ध करते रहे। युद्ध समाप्त होने पर जब दशरथ को इस बात का पता लगा, तो प्रसन्न होकर कैकेई को दो वर माँगने के लिए कहा। कैकेयी ने उसे यथासमय माँगने के लिए रख छोड़ा। जब राम को युवराज बनाने की चर्चा उठी तब मंथरा नाम की दासी के बहकावे मे आकर कैकेई ने दशरथ से अपने उन दो वरों के रूप में राम के लिए १४ वर्ष का वनवास और भरत के लिए राज्य की माँग की। कैकेई के वरदान माँगने से श्री राम की मृत्यु टली,क्योंकि वह जानती थी कि राजा दशरथ की मृत्यु पुत्र विलाप में होगी और उसके सिर्फ़ दो ही तरीके है या तो राम जी की मृत्यु या उनका वनवास। तदनुसार राम वन को गए पर भरत ने राज्य ग्रहण करना स्वीकार नहीं किया, माता की भर्त्सना की और राम को लौटा लाने के लिए वन गए। उस समय कैकेई भी उनके साथ गई।

मंथरा के भड़काने पर रानी कैकई नाराज होकर कोप भवन में चली जाती हैं। उन्हें मनाने के लिए महाराज दशरथ कोप भवन पहुंचते हैं। कैकई राजा दशरथ से कहती हैं कि महाराज अब तो आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो गई हैं। श्रीराम, सीता को लेकर अयोध्या भी आ गए हैं। ऐसे में क्या मुझे दिया हुआ अपना वचन भूल गए। दशरथ रानी कैकई को दोनों वचन मांगने के लिए कहते हैं। कैकई श्रीराम की सौगंध दिलाकर महाराज दशरथ से राम को वनवास भेजने और भरत का राज तिलक करने का वचन मांगती हैं। यह सुनकर राजा दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। इस बारे में जब श्रीराम को पता चलता है तो वे सीता और लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते हैं।

रामलीला मंडल के मीडिया प्रभारी निरंजन सिंह घुरैया ने बताया कि शनिवार को दशरथ मरण, केवट संवाद और भरत मिलाप की लीला का मंचन किया जाएगा। शुक्रवार को भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष खुशबू गुप्ता, कांग्रेस नेता मितेंद्र दर्शन सिंह, भाजपा नेता अंशुल श्रीवास्तव, आशुतोष पचौरी, अध्यक्ष बैजनाथ सिंह घुरैया ने श्रीराम की आरती उतारी। इस मौके पर पंकज पाठक, अखिलेश उपाध्याय, विकास उपाध्याय, विवेक कटारे मौजूद थे।

मुरार में चल रही रामलीला में प्रस्तुति देते कलाकार।

इसे सुनेंरोकेंExplanation: रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान माँगे। अपने पहले वरदान में रानी कैकेयी ने भरत के लिए राजसिंहासन माँगा और दूसरे वरदान से राम के लिए वनवास माँगा।

करण कितना दानी था?

इसे सुनेंरोकेंभगवान् कृष्ण ने भी कर्ण को सबसे बड़ा दानी माना है। अर्जुन ने एक बार कृष्ण से पूछा की सब कर्ण की इतनी प्रशांसा क्यों करते हैं? तब कृष्ण ने दो पर्वतों को सोने में बदल दिया और अर्जुन से कहा के इस सोने को गांव वालों में बांट दो। अर्जुन ने सारे गांव वालों को बुलाया और पर्वत काट-काट कर देने लगे और कुछ समय बाद थक कर बैठ गए।

पढ़ना:   1 दिन में कितनी कॉफी पीनी चाहिए?

दूसरा वरदान क्या था?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: दूसरा वरदान था राम को चौदह वर्ष का वनवास।

सबसे बड़ा दानी कौन था?

इसे सुनेंरोकेंएक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, ब्राह्मण, व्यापारी तथा दरबारी आमन्त्रित थे। भोज के मध्य में इस बात पर चर्चा चली कि संसार में सबसे बड़ा दानी कौन है। सभी ने एक स्वर से विक्रमादित्य को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ दानवीर घोषित किया।

कैकेयी ने कौन से दो वरदान मांगे?

इसे सुनेंरोकेंराजा दशरथ से उन्होंने पहले वचन के रूप में अपने पुत्र भरत के लिए राज सिंहासन मांगा और दूसरे वचन में उन्होंने भगवान राम के लिए 14 वर्षों का वनवास।

कैकेयी ने दो वरदान क्यों मांगा?

इसे सुनेंरोकेंकैकेयी राम से बहुत प्रेम करती थी और उन्हें खोना नहीं चाहती थी इसलिए उन्होंने राम के लिए चौदह वर्षों का वनवास मांग लिया. कैकेयी यह भी नहीं चाहती थी कि राम रघुवंश के नाश का कारण बने और उन्होंने यह वरदान मांगा कि भरत को राज्य दिया जाए.

पढ़ना:   सोना खो जाने पर क्या करना चाहिए?

कर्ण का जन्म कैसे हुआ?

इसे सुनेंरोकेंकर्ण (साहित्य-काल) महाभारत (महाकाव्य) के महानायक है| कर्ण का जन्म कुन्ती को मिले एक वरदान स्वरुप हुआ था। जब वह कुँआरी थी, तब एक बार दुर्वासा ऋषि उनके पिता के महल में पधारे। तब कुन्ती ने पूरे एक वर्ष तक ऋषि की बहुत अच्छे से सेवा की।

पहला वरदान क्या था?

इसे सुनेंरोकेंककई ने राजा दशरथ से पूर्व में दिये वरदान मांगे। कैकई ने पहला वर भरत को राजगद्दी व दूसरा वध श्री राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा।

कैकेयी ने दशरथ से कौन से दो वरदान मांगे थे?

श्रीरामलीला मंडल मुरार के तत्वावधान में चल रही रामलीला में शुक्रवार को रानी कैकई ने महाराज दशरथ से दो वरदान मांगे। पहला राम को 14 वर्ष का वनवास और दूसरा भरत को राजगद्दी। इसके बाद श्रीराम के वनवास जाने की लीला का मंचन किया गया।

छ कैकेयी के दो वरदान क्या थे?

कैकई ने राजा दशरथ से पूर्व में दिये वरदान मांगे। इनमें भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। उन्होंने रानी कैकई को कोई अन्य वर मांगने को कहा लेकिन वह दो वरों में अड़ी रही। रघुकुल की मर्यादा पर राजा दशरथ को दोनों वर देने पड़े।

1 कैकेयी के दोनों वरदान क्या क्या होते हैं?

मंथरा ने कैकेयी को कहा कि महाराज से एक वरदान में भरत को अयोध्या का राज और दूसरे वरदान में राम को वनवास मांग लो. इसके बाद कैकेयी महाराज दशरथ के पास वरदान मांगने पहुंच गई और वरदान में श्रीराम के लिए वन मांग लिया.

राजा दशरथ ने कैकई को दो वरदान क्यों दिए थे?

क्योंकि कैकई ने एक बार युद्ध में उनकी जान बचाई थी।