Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 7 जन्मभूमि Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf. GSEB Class 10 Hindi Solutions जन्मभूमि Textbook
Questions and Answers स्वाध्याय 1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 5. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 6. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द दीजिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
Hindi Digest Std 10 GSEB जन्मभूमि Important Questions and Answers सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए: प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए । प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. व्याकरण निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित संधि को छोडिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
निम्नलिखित समास को पहचानिए : प्रश्न 1.
उत्तर :
जन्मभूमि Summary in Hindiविषय-प्रवेश : प्रस्तुत कविता में कवि ने हमारी जन्मभूमि भारत की महत्ता का वर्णन किया है। कवि ने देश के गौरव पर्वतराज हिमालय; गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों; राम, लक्ष्मण, श्रीकृष्ण जैसे महापुरुषों तथा सीता, सावित्री एवं अहल्या जैसी महान नारियों व ध्यान, जान, मंत्र तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना का महत्त्व दर्शाते हुए जन्मभूमि को स्वर्ग से अधिक श्रेष्ठ बताया है। कविता का सार :
कविता का सरल अर्थ : जननी जन्मभूमि ……… हृदय में बसी। कवि हमारी जन्मभूमि भारत का गुणगान करते हुए कहते हैं कि हमारी जन्मभूमि भारतमाता स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है। हमारी मातृभूमि का मस्तक हिमालय है, जो देश का गौरव बढ़ा रहा है। हमारे देश की सुनहरी धरती सदा प्रफुल्लित और पुलकित रहती है। हमारी मातृभूमि गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों के निर्मल जल से गूंथी हुई है। ये नदियाँ हमारे देश के प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में बसी हुई हैं। जिसे राम-लक्ष्मण …… प्राणों में वंशी। कवि कहते हैं कि हमारी मातृभूमि भारत वह भूमि है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम राम, उनके भ्राता लक्ष्मण और सीता माता के चरणों की धूल से पवित्र है। इस भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बंसी की धुन से जन-जन के हृदय पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है और उन्होंने ‘भगवदगीता’ जैसे अमर काव्य की रचना कर लोगों को ज्ञान का उपदेश दिया है। सावित्री, राधा ……… चेतना सरसी। हमारे देश में सावित्री और राधा जैसी महान नारियाँ हुई थीं, जिनकी आभा से मानव-जाति आलोकित है। सुकुमारी नारी तपस्विनी अहल्या शापवश शिला बन गई और एक जीतीजागती नारी चेतन से जड़ अर्थात् निष्प्राण हो गई। शांतिनिकेतन ………… किरणें बरसीं। हमारी जन्मभूमि की महिमा निराली है। यहाँ शांतिनिकेतन जैसा तपोवन है, जहाँ ज्ञानी ऋषि-मुनि ध्यानमग्न होकर जान रूपी नभमंडल में विचरण करते (गोता लगाते) हैं। हमारा देश सत्य के प्रकाश से आलोकित है अर्थात् यहाँ सत्य का बोलबाला है। आज युद्ध ……….. गरीयसी। कवि कहते हैं कि आज समस्त विश्व के लोगों का जीवन युद्ध की विभौषिका से त्रस्त और जर्जर हो चुका है। हमारा देश मानव-जाति को युद्ध से छुटकारा दिलाने के लिए आज फिर मंत्रोच्चार कर समूचे विश्व में शांति का प्रचार करेगा। वह पृथ्वी पर रहनेवाले सभी लोगों को एक साथ मिल-जुलकर रहनेवाले एक विश्व-परिवार की भावना का प्रचारक बन गया है। उसके मुख पर नई चमक है। कवि कहते हैं कि हमारी प्रिय जन्मभूमि भारतमाता स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है। ગુજરાતી ભાવાર્થ : કવિ આપણી જન્મભૂમિ ભારતનાં ગુણગાન ગાતાં કહે છે કે આપણી જન્મભૂમિ ભારતમાતા સ્વર્ગથી પણ વધારે શ્રેષ્ઠ છે. આપણી માતૃભૂમિનું મસ્તક હિમાલય છે, જે દેશનું ગૌરવ વધારી રહ્યો છે. આપણા દેશની સોનેરી ધરતી હંમેશાં પ્રફુલ્લિત અને પુલકિત રહે છે. આપણી માતૃભૂમિ ગંગા-યમુના જેવી પવિત્ર નદીઓના નિર્મળ જળથી ગૂંથાયેલી છે, આ નદીઓ આપણા દેશની પ્રત્યેક વ્યક્તિના હૃદયમાં વસેલી છે. विमापी मातृभूमि भारतनी ते भूमि छ, જે મર્યાદા પુરુષોત્તમ રામ, તેમના ભાઈ લક્ષ્મણ અને સીતામાતાનાં ચરણોની ધૂળથી પવિત્ર થઈ છે. આ ભૂમિ પર ભગવાન શ્રીકૃષ્ણ પોતાની મોરલીની ધૂનથી પ્રત્યેક મનુષ્યના હૃદય પર પોતાની અમીટ છાપ છોડી છે અને તેમણે ભગવદ્ગીતા જેવા અમર કાવ્યની રચના કરી લોકોને શાનનો ઉપદેશ આપ્યો છે. माता शमां सावित्री बने । हेवी महान नारीमा થઈ છે, જેમણે પોતાના પ્રકાશથી માનવજાતિને ઉજ્વળ કરી છે. आप सन्मभूमिनो महिमा निराणो छ. महा શાંતિનિકેતન જેવું તપોવન છે, જ્યાં જ્ઞાની ઋષિમુનિઓ ધ્યાનમગ્ન થઈ જ્ઞાનરૂપી નભોમંડળમાં વિચરણ કરે છે. આપણો દેશ સત્યના પ્રકાશથી ખાલોકિત છે અર્થાત્ અહીં સત્યનો ખૂબ મહિમા છે. विमा समस्त विश्वासानु वन युद्धनी ભયંકરતાથી ત્રસ્ત અને જીર્ણ થઈ ગયું છે. આપણો દેશ માનવજાતિને યુદ્ધથી મુક્તિ અપાવવા માટે આજે ફરીથી મંત્રોચ્ચાર કરીને સમસ્ત વિશ્વમાં શાંતિનો પ્રચાર કરશે. તે પૃથ્વી પર રહેનારા સૌ લોકોની એકસાથે હળીમળીને એક વિશ્વ-પરિવારની ભાવનાનો પ્રચારક બની ગયો છે. એના મુખ પર નૂતન ચમક છે. કવિ કહે છે કે આપણી પ્રિય જન્મભૂમિ સ્વર્ગથી પણ વધારે श्रेष्ठ छ! शब्दार्थ :
कवि ने भारत भूमि के लिए किन किन विशेषणों का प्रयोग किया है उसे मातृभूमि क्यों कहा है?कवि ने भारत के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है? उत्तर: पकवि ने भारत के लिए जन्मभूमि, मातृभूमि, धर्मभूमि तथा कर्मभूमि विशेषणों का प्रयोग किया है।
कवि ने भारत को अपनी जन्मभूमि और मातृभूमि क्यों कहा है समझाकर लिखिए?कवि ने” वह जन्मभूमि मेरी” के माध्यम से भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ उसकी महानता और गौरव का उल्लेख भी किया है। हिमालय के समान अटल एवं उच्च विचार तथा समुद्र की तरह तरल, प्रेमपूर्ण व्यवहार का वर्णन कर भारतीयों में राष्ट्रीय गौरव की भावना जागृत करना कवि का उद्देश्य रहा है।
कवि ने भारत को कर्मभूमि क्यों कहा है?व्याख्या - कवि कहते है उसके देश में पहाड़ों के बीच अनेक झरने हैं अर्थात वे आगे चलकर नदियों में मिल जाते हैं . ... इसीलिए कवि ने अपनी जन्मभूमि को धर्मभूमि और कर्मभूमि माना है . कवि को गर्व है कि उसका जन्म भारत की भूमि पर हुआ है . अतः हमें अपने देश की सेवा करना चाहिए और यही हमारा धर्म है .
कवि ने भारत भूमि को युद्धभूमि और बुद्धभूमि कहकर संबोधित क्यों किया?(ग) कवि ने भारत-भूमि को युद्धभूमि' और 'बुद्धभूमि' कहकर संबोधित क्यों किया है? उत्तर : कवि ने भारत को बुद्ध के कारण दया व अहिंसा का पुजारी स्वीकार किया है और इसे 'बुद्धभूमि' कहा है।
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