जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

Information provided about जनसंचार ( Janasanachar ):


जनसंचार (Janasanachar) meaning in English (इंग्लिश मे मीनिंग) is MASS COMMUNICATION (जनसंचार ka matlab english me MASS COMMUNICATION hai). Get meaning and translation of Janasanachar in English language with grammar, synonyms and antonyms by ShabdKhoj. Know the answer of question : what is meaning of Janasanachar in English? जनसंचार (Janasanachar) ka matalab Angrezi me kya hai ( जनसंचार का अंग्रेजी में मतलब, इंग्लिश में अर्थ जाने)

Tags: English meaning of जनसंचार , जनसंचार meaning in english, जनसंचार translation and definition in English.
English meaning of Janasanachar , Janasanachar meaning in english, Janasanachar translation and definition in English language by ShabdKhoj (From HinKhoj Group). जनसंचार का मतलब (मीनिंग) अंग्रेजी (इंग्लिश) में जाने |

Gujarat Board GSEB Solutions Class 11 Hindi Rachana जनसंचार माध्यम (1st Language) Questions and Answers, Notes Pdf.

संचार एक अर्थ में संदेश या सूचना का आदान-प्रदान है। प्राचीनकाल से हम अश्वारोहियों या सवदिया द्वारा समाचार एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाये जाते थे। शासन द्वारा नगाड़े पर मुनादी करवाकर सूचना लोगों तक पहुँचाई जाती थी। पत्र सदियों तक संचार का प्रमुख माध्यम रहा। आज तो फोन, मोबाइल, ई-मेल, फैक्स से यह संचार द्रुतगामी, तत्काल बना है। अब विहरिणी पत्र की प्रतीक्षा नहीं करती। वह वाट्सअप, इन्स्टाग्राम या एस.एम.एस. या फोन के माध्यम से प्रिय से संपर्क बना लेती है।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

आज संचार शब्द अंग्रेजी के Communication के अर्थ में प्रयोग किया जाता है और जनसंचार mass communication के अर्थ में।

जनसंचार में विभिन्न प्रयुक्तियों द्वारा एक निश्चित समूह या जनसमुदाय को संदेश दिया जाता है। प्राचीनकाल में लोकनृत्य, लोकगीत या लोकनाट्यों के माध्यम से यह कार्य संपन्न होता था, आज जनसंचार माध्यमों में पूर्व प्रचलित पत्र-पत्रिकाओं, समाचारपत्रों, रेडियो, टेलीविजन, फोन के साथ-साथ मोबाइल फोन, सेल फोन, स्मार्ट फोन, इन्टरनेट, कम्प्यूटर इत्यादि के जुड़ जाने से यह जनसंचार : अत्यंत व्यापक बना है। इन साधनों के उपयोग ने विश्व की भौगोलिक दूरियों के एहसास को कम कर दिया है। आज विश्व एक गाँव जितना समीप आ गया है, किन्तु मानसिक दूरिया बढ़ गई हैं।

जनसंचार – परिभाषा : ‘वे असंख्य ढंग जिनसे मानवता से संबंध रखा जा सकता है, जनसंचार कहलाते हैं।’

जनसंचार का अर्थ सूचना का एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना है – जॉर्ज-ए-मिलर। शब्दार्थ की दृष्टि से देखें तो ‘विचारों के आदान-प्रदान की सामूहिक प्रक्रिया’ जनसंचार कहलाती है।

संचार एक प्रक्रिया है : जिसमें संप्रेषक या स्रोत द्वारा संदेश किसी संचार माध्यम या संचार सरणी (चैनल) द्वारा संकेतीकृत होकर संग्राहक तक पहुँचता है। जिसे वह डिकोड (वाचन) करता है। इस तरह संचार प्रक्रिया के निम्नलिखित तत्त्व हुए –

  • संप्रेषक स्रोत
  • संदेश
  • संचार माध्यम
  • संकेतीकरण –
  • संकेतवाचन
  • संग्राहक या प्राप्तकर्ता

जनसंचार के माध्यम : ज्ञानेन्द्रियों के आधार पर संचार माध्यमों को तीन भागों में बाँटते हैं –

  • श्रव्य माध्यम (रेडियो, टेपरिकार्ड, लाउड स्पीकर, नारे, भाषण, गाने)
  • दृश्य माध्यम (फोटो, चार्ट, पोस्टर, कार्टून, स्लाइड, साहित्य)
  • दृश्य श्रव्य-माध्यम (सिनेमा, टी.वी., कम्प्यूटर, मोबाईल, नाटक, कठपुतली, लोकनाट्य)

उपर्युक्त संचार माध्यमों को अन्य निम्नलिखित रूप से भी वर्गीकृत कर सकते हैं –

  • परम्परागत माध्यम – लोकगीत, गीत, लोकनृत्य, लोकनाट्य, कठपुतली आदि।
  • मुद्रित माध्यम – समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, मुद्रित साहित्य, विज्ञापन आदि।
  • इलेक्ट्रानिक माध्यम – आकाशवाणी (रेडियो), टेलीविजन, इन्टरनेट, स्मार्ट फोन
  • मौखिक संचार माध्यम – जनसभा, गोष्ठी, जनसंपर्क
  • बाहरी माध्यम – पोस्टर, स्लाइड, होर्डिंग, सिनेमा

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

जनसंचार के कार्य :
लोगों तक संदेश पहुँचाकर जनसंचार निम्नलिखित मुख्य कार्य करता है –

  • सूचना देना
  • शिक्षित करना
  • मनोरंजन करना
  • विचार-विमर्श के लिए मंच तैयार करना, देना
  • कार्यसूची तय करना
  • जनमत को प्रभावित करना

जनसंचार का महत्त्व – जनसंचार का महत्त्व उसकी उपयोगिताओं तथा बृहत्तर जनसमूह तक पहुँच के कारण अत्यधिक है, दिन प्रतिदिन इसका क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है। संचार माध्यम द्वारपाल की भूमिका निभाते हैं और जनजीवन में कुप्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने में सहायक बनते हैं। जनसंचार माध्यमों का यह दायित्व भी है कि वे सार्वजनिक हित, पत्रकारिता के सिद्धांतों, मूल्यों के अनुरूप सामग्री को संपादित करके प्रसारित करें।

भारत में जनसंचार माध्यमों का विकास :
प्राचीन भारत में जनसंचार माध्यम यांत्रिक न होकर व्यक्तिपरक था। संगीत, नृत्य, गीत, बोली, भाषा-लिपि के विकास के साथ ही जनसंचार अशाब्दिक से शाब्दिक माध्यम की ओर गति करने लगा। ढोल, मृदंग तथा मादल आदि प्रभावशाली जनसंचार माध्यम बने। वैदिक युग में गुरु-शिष्य के संवाद और व्याख्यान के माध्यम से जनसंचार की प्रक्रिया होती थी। नारद मुनि को पहला समाचार वाचक कहा जाता है। मध्यकालीन भारत में कलाओं, त्योहार-उत्सवों, धार्मिक परंपराओं का प्रयोग जनसंचार के लिए किया गया। राजसूय यज्ञ, अशोक के शिलालेख, चित्तौड़ का कीर्तिस्तंभ, महात्मा बुद्ध का प्रचार अभियान, राजदरबारों दूतों, वाकिया नवीसों की नियुक्ति, रामलीला, रासलीला, तीर्थ, मेले-उत्सव, लोकनृत्य, लोककलाओं आदि के रूप में जनसंचार की उपस्थिति अपने समय में दिखाई देती है।

अंग्रेजी शासन के समय आजादी के पूर्व तक राजसत्ता जनसंचार की विरोधी रही। मुद्रित माध्यमों के विकास के कारण यह विरोध ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सका। स्वतंत्रता आंदोलनों में मुद्रित समाचार पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं, चौपनियाँ, पंप्लेटों की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही। अंग्रेजों ने पब्लिसिटी बोर्ड की स्थापना इस कालावधि में की। बाद में दैनिक ‘टाइम्स आफ इंडिया’ के सुझाव पर सेंट्रल ब्युरो आफ इन्फार्मेशन की स्थापना हुई। दूसरे विश्वयुद्ध में पत्र सूचना कार्यालय (Press Information Bureau) को नया रूप मिला। इसी समय आल इंडिया रेडियो तथा फिल्म्स डिविजन के रूप में जनसंचार का खूब विकास हुआ। अपनी नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए अंग्रेज सरकार ने क्षेत्रीय प्रचार संस्था (Field Publicity Organisation) का निर्माण किया।।

आजादी के बाद सरकार तथा आम जनता के संबंधों में आए अभूतपूर्व परिवर्तन से अधिकांश जनसंचार माध्यम सरकारी मशीनरी का अंग बन गए। प्रेस, पत्रकारिता, रेडियो, फिल्म, दूरदर्शन को नया रूप मिला। इंटरनेट तथा कम्प्यूटर ने जनसंचार में क्रांति ला दी, साथ ही स्पीड पोस्ट, टेली प्रिंटर, ई-मेल, ई-कामर्स, वीडियो टेक्स्ट, टेली कांफ्रेंस आदि ने जनसंचार की गति बढ़ा दी। सचल उपग्रह सेवाओं ने जनसंचार के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किया है।

जनसंचार के प्रकार – सूचना क्रांति के विस्फोट ने जनसंचार के लिए शहर तथा गाँव के अंतर को समाप्त कर दिया है। वाइ फाइ से लैस होकर दूर-दराज के गाँवों में भी अब स्मार्ट फोन के माध्यम से जनसंचार के सारे अत्याधुनिक लाभ उपलब्ध हो रहे हैं।
संचार साधनों का स्थूल वर्गीकरण इस प्रकार हो सकता है।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

  • अशाब्दिक (Non verbal) या परंपरागत अंतरवैयक्तिक (Inter personal)
  • तकनीकी माध्यम आधारित जनसंचार या लिखित-शाब्दिक जनसंचार

पहले प्रकार के संचार साधनों में कायिक भाषा, संकेत, बातचीत, गोष्ठी, जनसभा, मेक-अप, स्पर्श, चित्र, चिह्न, शारीरिक मुद्राएँ, सम्मेलन, मेले. प्रदर्शनी, चारणगान, कठपतली नृत्य या लोकगीत, लोकनृत्य आदि का समावेश होता है। – दूसरे विभाग के अंतर्गत डाक सेवाएँ, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर से ई-मेल, इन्टरनेट आदि के साथ स्पीडपोस्ट, कोरियर सेवाओं ने जनसंचार को द्रुतगामी बना दिया है। प्रिंट मीडिया अत्यंत विकसित हुआ है। एक ही समाचारपत्र या पत्रिका के कई संस्करण एक साथ अनेक शहरों या केन्द्रों से निकल रहे हैं।

लघूत्तरीय प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
‘जनसंचार’ शब्द किस अंग्रेजी शब्द के पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता है?
(क) Communication
(ख) Mass Media
(ग) Mass Communication
(घ) Tele Communication
उत्तर :
(ग) Mass Communication

प्रश्न 2.
शब्दार्थ की दृष्टि से ‘जनसंचार’ का क्या तात्पर्य है?
(क) विचारों के आदान-प्रदान की सामूहिक प्रक्रिया
(ख) विचारों के आदान-प्रदान की वैयक्तिक प्रक्रिया
(ग) इलेक्ट्रानिक माध्यम द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान
(घ) समाचार पत्रों द्वारा समाचार का प्रकाशन
उत्तर :
(क) विचारों के आदान-प्रदान की सामूहिक प्रक्रिया

प्रश्न 3.
नीचे में से कौन-सा कार्य जनसंचार का नहीं है?
(क) सूचना देना
(ख) मनोरंजन
(ग) लोक जागरण
(घ) केवल ई-मेल भेजना
उत्तर :
(घ) केवल ई-मेल भेजना

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

प्रश्न 4.
समाचारपत्र किस प्रकार के संचार माध्यम हैं?
(क) परंपरागत संचार माध्यम
(ख) मुद्रित संचार माध्यम
(ग) मौखिक संचार माध्यम
(घ) इलेक्ट्रानिक संचार माध्यम
उत्तर :
(ख) मुद्रित संचार माध्यम

प्रश्न 5.
इनमें से किसे भारत का पहला समाचारवाचक कहा जाता है?
(क) वाल्मीकि ऋषि
(ख) नारद मुनि
(ग) संजय
(घ) महात्मा बुद्ध
उत्तर :
(ख) नारद मुनि।

2. अति संक्षिप्त उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
जनसंचार के लोक माध्यम कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
कठपुतली, लोकगीत, लोकनाट्य, लोकनृत्य आदि।

प्रश्न 2.
जनसंचार के आधुनिक माध्यम कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
रेडियो, टी.वी., सिनेमा, समाचारपत्र, इंटरनेट आदि।

प्रश्न 3.
जनसंचार माध्यमों के दो स्थूल वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर :

  • अशाब्दिक (Non-verbal) अंतरवैयक्तिक (Inter personal)
  • लिखित – शाब्दिक जनसंचार

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

प्रश्न 4.
संचार प्रक्रिया के कौन-से तत्त्व हैं?
उत्तर :

  • स्रोत
  • संदेश
  • संचारमाध्यम
  • संकेतीकरण (एनकोडिंग)
  • संकेतवाचन (Decoding)
  • प्राप्तकर्ता या संग्राहक।

प्रश्न 5.
आजादी के पूर्व भारतीय पत्रकारिता का लक्ष्य क्या था?
उत्तर :
आजादी के पूर्व भारतीय पत्रकारिता का लक्ष्य था – आजादी प्राप्त करना।

प्रश्न 6.
हिन्दी के किन्हीं पाँच प्रमुख हिन्दी चैनलों के नाम दीजिए।
उत्तर :

  • एन.डी.टी.वी.
  • आजतक
  • ए.बी.पी.
  • दूरदर्शन (डी.डी. न्यूज) और
  • जी न्यूज।

प्रश्न 7.
भारत के तीन प्रमुख हिन्दी दैनिकों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • नवभारत टाइम्स
  • दैनिक जागरण
  • दैनिक भास्कर आदि।

3. नीचे दिए गए कथनों में सही कथन के सामने तथा गलत कथन के सामने लगाइए।

1. भारत में टी.वी. शुरू करने का उद्देश्य शिक्षा, सामुदायिक विकास था।।
2. आजादी के बाद पत्रकारिता विशुद्ध व्यवसाय बन गया है।
3. इंटरनेट सभी संचार माध्यमों का समागम है।
4. टेलीविजन सबसे प्रभावशाली माध्यम है।
5. संचार माध्यम केवल मनोरंजन के साधन हैं।

4. कुछ महत्त्वपूर्ण तिथियाँ, तथ्य –

  • भारत में रेडियो की पहुँच का क्षेत्र – 96 प्रतिशत जनसंख्या तक
  • भारत का पहला अखबार – बंगाल गजट (1780)
  • भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र – 1876-80, उदंत मार्तंड (जुगलकिशोर शुक्ल)
  • विश्व का पहला रेडियो स्टेशन – 1892, अमेरिकी शहरों पिट्सबर्ग, न्यूयार्क, शिकागो
  • आल इंडिया रेडियो की स्थापना – 1930 में
  • आकाशवाणी से दूरदर्शन अलग हुआ – 1 अप्रैल, 1976
  • एफ. एम. रेडियो का आरंभ – 1993 में
  • विश्व में टी.वी. की शुरुआत – 1927 में, अमेरिका में
  • भारत में टी.वी. की शुरुआत – 15 सितम्बर, 1959
  • सिनेमा का आविष्कार – थॉमस आल्वा एडिसन (1883)
  • भारत की पहली मूक फिल्म – राजा हरिश्चंद्र (1913) दादा साहब फालके द्वारा निर्मित
  • भारत की पहली बोलती फिल्म – आलम आरा (1931)
  • विश्व की पहली फिल्म – द अराइवल ऑफ ट्रेन (फ्रांस 1894)
  • टेलीविजन के आविष्कारक – जॉन लॉगी बेयर्ड

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

पत्रकारिता के विविध आयाम

पत्रकारिता क्या है?
पत्रकारिता के लिए अंग्रेजी शब्द ‘जर्नलिज्म’ का व्यवहार होता है, जो अंग्रेज के जर्नल से निकला है और वह दैनिक या रोजनामचा का अर्थ देता है। जर्नल में दिन-प्रतिदिन के क्रिया कलापों, सभा-समितियों की बैठकों का विवरण ‘जर्नल’ में रहता है। जर्नल से बना जर्नलिज्म अपेक्षाकृत व्यापक शब्द है। समाचारपत्रों तथा विभिन्न समयांतरल पर प्रकाशित होनेवाले पत्रिकाओं के संपादन, लेखन और उनसे संबंधित कार्यों को पत्रकारिता के अंतर्गत रखा गया है। चैंबर्स और न्यू वेब्स्टर कोश के अनुसार प्रकाशन, संपादन, लेखन एवं प्रसारयुक्त संचार माध्यम का व्यवसाय ही पत्रकारिता है। आज तो पत्रों के साथ रेडियो तथा टेलीविजन भी अब पत्रकारिता के क्षेत्र में आ चुके हैं।

समाचार (News) : यह पत्रकारिता का प्राणतत्त्व है। मानव की ज्ञान-पिपासा तब शांत होती है, जब चढ लेता .है या सुन लेता है अथवा देख लेता है।

समाचार की व्युत्पत्ति – समाचार के लिए अंग्रेजी में व्यवहृत News शब्द New का बहवचन है, जिसका अर्थ है नया। यानी जो नया है वही समाचार है। एक कोश के अनुसार News के चार अक्षर चार दिशाओं के प्रथम अक्षर है –

N – North (उत्तर), E – East (पूर्व), W- West (पश्चिम) तथा S – South (दक्षिण)

हिंदी में समाचार में सम्यक् आचरण का भाव निहित है। जब सम्यक् आचरण के अनुरूप निष्पक्ष भाव से तथ्यों की सही सूचना दी जाती है, तो वह समाचार माना जाता है। समाचार का सामान्य से परे होना यानी नया होना जरूरी है। कुछ सूक्तियाँ इस प्रकार

‘जिसे कहीं कोई दबाना चाह रहा है, वही समाचार है, शेष विज्ञापन।’
‘पाठक जिसे जानना चाहते है, वह समाचार है।’
‘किसी अनोखी या असाधारण घटना की अविलंब सूचना को समाचार कहते हैं।’
‘पाठक जिसे जानना चाहते हैं, वह समाचार है।’
“जिस बात के छपने से पत्र की बिक्री बढ़ती है, वही समाचार है।’
समाचार की एक उत्तम परिभाषा इस प्रकार दी जाती है –

‘समाचार किसी अनोखी या असाधारण घटना की अविलम्ब सूचना को कहते हैं जिसके बारे में लोग प्राय: कुछ न जानते हो, जिसे तुरंत ही जानने की ज्यादा से ज्यादा लोगों में रुचि हो।’ निष्कर्ष – ‘सरस, सामयिक, सत्य सूचना ही समाचार है।’

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

1. समाचार के तत्त्व :

  • नवीनता – नवीनता समाचार का प्रमुख तत्त्व है। ताजा-ताजा सूचना ही समाचार है, विलम्ब होने पर वह पाठक को आकर्षित नहीं करता, निस्तेज हो जाता है।
  • सत्यता – ‘सर्व सत्ये प्रतिष्ठितम्’ समाचार का मूल मंत्र है। सत्य को ठेस पहुँचाना समाचार की आत्मा को नष्ट करना
  • सामीप्य – निकट में घटित छोटी घटना दूर की बड़ी घटना से अधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
  • सुरुचिपूर्णता – ‘जो जिसे रुचता है, वही सुंदर होता है’ की मान्यता के अनुसार पाठक की रुचि को प्रभावित करनेवाले समाचार ज्यादा पठनीय होते हैं।
  • वैयक्तिकता – उच्च पदस्थ लोगों के व्याख्यान या कथन तथा सामान्य व्यक्ति की असामान्य उपलब्धि दोनों ही समाचार बनते हैं।
  • संख्या और आकार – अधिक संख्या में मृत तथा घायल क्षत्रियों से संबद्ध भयंकर रेल दुर्घटना समाचार होगी, जबकि मामूली चोटवाली दुर्घटना समाचार की दृष्टि से गौण बन जाती है।
  • संशय तथा रहस्य – ये पाठकों की जिज्ञासा के महत्त्वपूर्ण बिंदु हैं।

इनके अलावा संघर्ष, स्पर्धा, उत्तेजना, कुकृत्य, मानवीय गुणों का उद्रेक सामाजिक आर्थिक परिवर्तन तथा असाधारणता आदि तत्त्वों के प्रति पाठक में आकर्षण उत्पन्न होता है।

संपादन के सिद्धांत या आधारभूत तत्त्व – सम्पादन कला के मूल तत्त्व निम्नलिखित हैं :

  • शीर्षकीकरण
  • पृष्ठ विभाजन
  • आमुख और समाचार की प्रस्तुति
  • अग्रलेख तथा
  • संपादक के नाम पत्र

शीर्षकीकरण – शीर्षकीकरण का उद्देश्य पाठकों को आकर्षित करके उनकी रुचि के अनुसार समाचार खोजने में सहायता करके अखबार के व्यक्तित्व को उदात्त तथा उत्तम बनाना है। शीर्षक देते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • शीर्षक समाचार के अनुकूल हो।
  • वह समाचार की रोचकता बढ़ाए।
  • पृष्ठ सज्जा में सहायक बने।
  • समाचार को समझने में सहायक बने।
  • उसमें समाचार का सारतत्त्व निहित हो।
  • वह समाचार की तरह वस्तुनिष्ठ (objective) हो।
  • उससे अधिक उपयुक्त दूसरा शीर्षक न हो।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

शीर्षक को प्रचारधर्मिता, आदेशात्मकता या प्रश्नवाचकता, द्विअर्थी, ऋणात्मक होने से बचना चाहिए।

(2) पृष्ठ विन्यास – पृष्ठ सज्जा के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –

  • महत्त्वपूर्ण समाचार सबसे ऊपर हों।
  • महत्त्व के अनुरूप टाइप का प्रयोग हो।
  • विभिन्न शीर्षकों में संतुलन स्थापित हो।
  • लम्बे समाचार में दो पंक्ति में, अलग टाइपोग्राफी में शीर्षक दें।
  • शीर्षक, समाचार के टाइप अलग हों।
  • विज्ञापन या चित्र से सटा हुआ बॉक्स समाचार पृष्ठ पर न दें।
  • विशेष महत्त्वपूर्ण समाचार पृष्ठ के ऊपरी भाग में बाईं ओर देना चाहिए।
  • समाचारों के शेषांश अगले पृष्ठ या अंतिम पृष्ठ पर देना चाहिए।
  • चित्र, विज्ञापन के आकार-प्रकार को ध्यान में रखकर पृष्ठ को मनोरम बनाएँ।

(3) आमुख (अग्रांश) या इंट्रो अथवा लीड या मुखड़ा –
आमुख समाचार का सार है, इसे समाचार की आत्मा कहा जाता है। इससे समाचार का सूक्ष्म परिचय मिलता है। व्यवहार में समाचार का प्रथम पैरा ही आमुख होता है। इसमें छः तरह के प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य है – Who (कौन), What (क्या), Where (कहाँ), When (कब), Why (क्यों) तथा How (कैसे) [5W + 1H] को समाचार के प्रस्तुतीकरण की भाषा सरल, आलंकारिक हो। सत्यता, संक्षिप्तता, स्पष्टता और सुरुचि – इन चार तत्त्वों का समाचार प्रस्तुति के समय सदैव ध्यान रखना चाहिए।

(4) अग्रलेख –
हर समाचार पत्र के बीच का पन्ना पृष्ठ-4 तथा 5 ‘संपादकीय पन्ना’ कहलाता है। इस पन्ने पर कई तरह के लेख हो सकते हैं, जिनमें पहला लेन अग्रलेख होता है। शेष टीका-टिप्पणियाँ, संपादक के नाम पत्र तथा अन्य स्तंभ होते हैं। अग्रलेख के लिए विवेक और ज्ञान का समन्वय आवश्यक है। इसका मूल्यनिष्ठ तथा तटस्थ होना भी आवश्यक है।

(5) संपादक के नाम पत्र का स्वरूप – प्राय: हर प्रसिद्ध समाचारपत्र में एक स्तंभ संपादक के नाम पत्र का होता है। इस स्तंभ को समाचार पत्र का safety valve (सेफ्टी वाल्व) कहा जाता है। इसमें समाचार का पाठक निजी स्तर पर सार्वजनिक समस्याओं पर प्रकाशित करने के लिए पत्र लिखता. है। समस्याओं के प्रकाशन के साथ पाठक अपने सुझाव भी देता है। समाचारपत्र के माध्यम से समस्त पाठक वर्ग उनका समाधान प्राप्त कर लेता है।

एक अच्छा समाचार पत्र ‘संपादक के नाम पत्र’ छापकर लोकप्रिय बनता है। वास्तव में ऐसे पत्रों में आमजनता की आवाज होती है। इसमें टीका-टिप्पणी से लेकर विचार-विमर्श तक होता है। यह कॉलम प्राय: संपादकीय पन्ने पर होता है।

समाचारपत्र में दृश्य सामग्री की व्यवस्था –
इसमें कार्टून, ग्रैफिक्स की व्यवस्था, रेखाचित्र तथा फोटो पत्रकारिता का समावेश किया जाता है। इसके माध्यम से पत्र पाठकों का अपना एक अच्छा-खासा समूह निर्मित करते हैं।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

कार्टून (व्यंग्य चित्र) – कार्टून किसी भी पत्र का शक्ति माने जा सकते हैं। ‘आज’ के कांजीलाल, ‘टाइम्स’ में लक्षण, ‘जनसत्ता’ के काक के कार्टून प्रसिद्ध थे। कार्टून का विषय प्रायः राजनीतिक विद्रूपता होता है। प्रशासन और व्यवस्था को उसकी भूलों की ओर संकेत कर उन्हें अपने से सीख लेने का आग्रह करते हैं। कार्टूनिस्ट निडर होकर तत्कालीन व्यवस्था पर व्यंग्य करता है। कभी-कभी इसके कारण उसे व्यवस्था का कोपभाजन भी बनना पड़ता है, जो कि असहिष्णुता की निशानी है।

गैफिक्स (Graphics) या फोटोग्राफी – ग्रैफिक्स का आशय है – आलेख, लेखाचित्र की कला। इस सजावट या सजीव रेखांकन को ग्रैफिक्स कहा जाता है। स्थूल रूप से आरेन (ग्राफ), रूपचित्र, शब्दचित्र, छायाचित्र या आलोक चित्र भी कह सकते हैं। इनके कारण समाचारपत्र रोचक तथा पठनीय बन जाते हैं। ग्रैफिक्स सामान्य घटना या दृश्य को रोचक ढंग से परोसते हैं। रेखाचित्र (Sketch) का भी पत्रकारिता से अभिन्न रिश्ता है। यह शब्द चित्रकला तथा साहित्य दोनों में समान रूप से प्रयुक्त होता है। चित्रकला रेखाओं का उपयोग करती है और साहित्य शब्दों के माध्यम से चित्र खींचता है। दोनों माध्यम भिन्न हैं पर दृष्टि तथा शैली में साम्य होता है। चित्रकला का रेखाचित्र स्थिर होता है जबकि साहित्यिक रेखाचित्र गत्वर। रेखाचित्र किसी भी चरित्र, स्थिति, वातावरण का भावात्मक वर्णन होता है जिसमें चित्रात्मकता तथा कथात्मकता दोनों होती है।

फोटो पत्रकारिता – फोटोग्राफी कला है, विज्ञान है और व्यवसाय भी। हिन्दी में इसे छायांकन या छायाचित्रण कहते हैं। यह श्वेत-श्याम (White-black), रंगीन या प्रकाश-छाया के सामंजस्यवाले फोटो द्वारा पत्रकारिता में इसका विशिष्ट योगदान है। पत्रकार के लिए कैमरा एक नोटबुक की तरह है जो घटनाओं, विषयों का रिकार्ड रखता है। संवाददाता यदि अच्छा फोटोग्राफर भी है तो यह उसकी दोहरी योग्यता है। प्रेस फोटोग्राफर को अपना कर्तव्य निभाते समय विषम परिस्थितियों, कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। युद्ध, बाढ़, भूकंप, दंगों जैसी परिस्थितियों में उसे अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है। एक अच्छा फोटो जर्नलिस्ट कैमरा क्लिक करने के बाद तेजी से फिल्म डेवलप करके फोटो को समाचारपत्र कार्यालय तक पहुंचा देता है। खबर के साथ फोटो प्रकाशित करना एक अच्छे समाचारपत्र की निशानी है।

पत्रकारिता के प्रकार – जीवन-समाज के विविध आयामों जैसे ही पत्रकारिता के भी विविध रूप हैं। आज कल पत्रकारिता जिन माध्यमों में हो रही है, उसके आधार पर उनके दो मुख्य प्रकार गिने जा सकते हैं –

  • मुद्रित
  • इलेक्ट्रानिक

मुद्रित – मुद्रण के विकास के साथ ही पत्रकारिता का उन्नयन हुआ है। यह सर्वविदित है। समाचारपत्र, साप्ताहिक, मासिक, द्वैमासिक तथा अन्य तरह की नियतकालीन एवं अनियतकालीन पत्र-पत्रिकाओं का इसमें समावेश होता है। इनको विषय के अनुसार वर्गीकरण करें तो उन्हें उनके विषय क्षेत्र के साथ जोड़ना पड़े। जैसे –

  • राजनीतिक – आर्थिक पत्रकारिता
  • ग्रामीण या कृषि पत्रकारिता
  • खेल पत्रकारिता
  • विज्ञान तथा प्राद्योगिकी पत्रकारिता
  • बाल पत्रकारिता
  • फिल्मी पत्रकारिता
  • साहित्यिक पत्रकारिता
  • संसदीय पत्रकारिता आदि।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

ये पत्रकारिता के दोनों माध्यमों-मुद्रण तथा इलेक्ट्रानिक से जुड़े हैं। रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारित होनेवाले कार्यक्रम इनसे संबंधित होते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की पत्रकारिता के भेद उनकी सामग्री के आधार पर नहीं बल्कि माध्यम के स्वरूप पर किए जाते हैं; जैसे –

  • रेडियो पत्रकारिता,
  • वीडियो पत्रकारिता,
  • दूरदर्शन (टी.वी.) पत्रकारिता और
  • इंटरनेट पत्रकारिता।

जैसा कि पहले ही , कहा जा चुका है कि विषय की दृष्टि से इनमें उन सभी क्षेत्रों का समावेश होता है जो मुद्रित पत्रकारिता में हैं।

पत्रकारिता के भेदों का एक विभाजन उसकी कार्यप्रणाली के विशिष्टीकरण को लेकर किया जा सकता है। जैसे –

  • खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism),
  • व्याख्यात्मक पत्रकारिता,
  • संदर्भ पत्रकारिता,
  • वृत्तांत पत्रकारिता,
  • वाच-डाग पत्रकारिता,
  • एडवोकेसी पत्रकारिता और
  • पीत पत्रकारिता।

(1) खोजी पत्रकारिता – इस तरह की पत्रकारिता में समसामयिक घटना, स्थितियों और तथ्यों का क्रमबद्ध सूक्ष्म सर्वेक्षण, अध्ययन तथा अनुसंधान के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है। यह अनुद्घाटित तथ्य को उजागर करके सत्य को उजागर करता है, जिसे छिपाया जा रहा होता है। ऐसी पत्रकारिता ने कितने ही राजनेताओं को अपदस्थ होना पड़ा है। यह समाज के दुष्कृत्यों को उजागर करके लोगों को जागरूक करने का भी कार्य करता है।

(2) व्याख्यात्मक पत्रकारिता – समाचारों का यथार्थ परिवेश में मूल्यांकन करना ही ऐसी पत्रकारिता का मुख्य लक्षण है। आज तो समाचार के विश्लेषण, उसकी पृष्ठभूमि, उसके भावि परिणाम के दिशा-निर्देशन की समस्या है, जिसे व्याख्यात्मक पत्रकारिता द्वारा हल किया जा रहा है। द्रुतगामी संचार साधनों से प्राप्त समाचार के विस्तार और स्पष्टीकरण हेतु व्याख्यात्मक पत्रकारिता स्वीकार्य हो रही है।

(3) वृत्तांत पत्रकारिता (Commentary Journalism) – रेडियो, टी.वी. में प्रस्तुत होनेवाले ‘आँखों देखा हाल’ इसी पत्रकारिता का एक भाग है। आयोजित समारोहों, कार्यक्रमों तथा प्रतियोगिताओं का जीवंत प्रसारण करना इसके कार्यक्षेत्र में आता है। वृत्तांत पत्रकार के लिए आवाज की गुणवत्ता, निष्पक्षता, भाषा पर उसका अप्रतिम अधिकार, विषय-ज्ञान तथा उत्तरदायित्व बोध आवश्यक है।

(4) वॉच-डॉग पत्रकारिता – वैसे तो यह एक तरफ खोजी पत्रकारिता से जुड़ा है और दूसरी ओर समाज और सरकार से। इसका कार्य कहीं पर भी होनेवाली गड़बड़ी का पर्दाफाश करना है। यह सरकारी सूत्रों पर आधारित समाचारों के यथार्थ को उद्घाटित
करने का काम करती है।

(5) एडवोकेसी पत्रकारिता – विभिन्न राजनीतिक दलों, संप्रदायों द्वारा प्रकाशित होनेवाली सामग्री का अधिकतर उनकी विचारधारा, कार्य, कार्यप्रणाली का समर्थन करता है, ऐसी पत्रकारिता प्राय: एकांगी होती है। इसमें अपने कार्यों-विचारों का अतिरंजित वर्णन-विवरण हो सकता है। ये अपने प्रकाशकों के हितों की रक्षा करने के लिए आवश्यक सामग्री जुटाकर प्रकाशित करते हैं। सरकारी महकमों से निकलनेवाले सामयिक भी इसी कोटि में आते हैं।

(6) पीत पत्रकारिता (Yellow Journalism) – कुछ निहित स्वार्थी पत्र तथा पत्रकार किसी समाचार या घटना को इस प्रकार का आकार देते हैं जिससे किसी व्यक्ति विशेष के मान-सम्मान तथा स्थान पर लांछन लग सकता है। कभी-कभी स्थानीय स्तर पर किसी घटना को लेकर खबर को किसी के पक्ष या विरोध में छापने को ब्लैकमेलिंग की जाती है। यह पीत पत्रकारिता का ही एक स्वरूप है।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

समाचार माध्यमों का मौजूदा रुझान

सूचना के विस्फोट के इस युग में जनसंचार माध्यमों के विकास के साथ-साथ समाचार माध्यमों का विस्तार तेजी से हुआ। भूमंडलीकरण ने इसकी गति को और बढ़ाया है। भारत एक बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार है। टेलीविजन के आरंभिक दौर के बाद अब सरकारी दूरदर्शन के अलावा अनेक नये निजी चैनल इस बाजार पर कब्जा जमाने की स्पर्धा में हैं। आरंभ में समाचारों का प्रसारण कुछ निश्चित समय पर निश्चित अवधि के लिए होता है, अब तो 24×7 (चौबीस घंटे x सात दिन) के अनेक समाचार चैनल शुरू होकर विकसित हो चुके हैं। इन निजी चैनलों का मुख्य उद्देश्य समाचार पत्रकारिता न होकर प्रायः विज्ञापनों और वाणिज्यिक प्रोग्रामों के माध्यम से धन कमाना है।

व्यापारिक उद्योग गृहों के स्वामित्ववाले निजी चैनलों के साथ-साथ राजनीतिक विचार-धारा के प्रचार-प्रसार के लिए भी ये चैनल उपयोग में लिए जा रहे हैं। सरकारी चैनलों से तटस्थता की अपेक्षा अब लोग नहीं करते। व्यावसायिक या निजी चैनलों के समाचार भी सरकार विरोधी या सरकार समर्थक अथवा किसी पार्टी विशेष के हित में अथवा विरोध में देखे जा सकते हैं। इन चैनलों का राजकीय – महत्त्व और शक्ति में वृद्धि हुई है। चुनाव के समय ‘फेक न्यूज’ झूठे समाचार, विज्ञापनों में भी कुछ समाचार चैनल शामिल होते हैं। – – पीत पत्रकारिता की छाया भी समाचार माध्यमों को ग्रस रही है। पीत पत्रकारिता और पेज-3 पत्रकारिता शुभ संकेत नहीं है।

आज समाचार माध्यमों में संपादक की भूमिका अवमूलियत हो रही है। मीडिया गृहों के स्वामी तथा प्रबंधक हावी हो रहे हैं। फलतः समाचार माध्यमों की विश्वसनीयता में कमी आई है। उसकी साख गिरी है। किसी नेता या राजनीतिक पार्टी का गुणगान या विरोध करनेवाले चैनलों को आसानी से पहचाना जा सकता है। मीडियागृह इसका लाभ उठाकर संसद में भी अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं। समाचार माध्यमों का यह मौजुदा रुझान पत्रकारिता के लिए लाल बत्ती है, इससे सचेत रहना जरूरी है।

1. अति संक्षिप्त उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
पत्रकारिता का मूल तत्त्व क्या है?
उत्तर :
जिज्ञासा।

प्रश्न 2.
समाचार प्राप्त करने के माध्यम कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र, इन्टरनेट इत्यादि।

प्रश्न 3.
संपादन के प्रमुख बिन्दु कौन-कौन से हैं?
उत्तर :

  • तथ्यात्मकता
  • वस्तु परकता
  • निष्पक्षता
  • संतुलन और
  • स्रोत

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

प्रश्न 4.
संवाददाता किसे कहते हैं?
उत्तर :
समाचार पत्रों में स्थानीय घटनाओं का विवरण भेजनेवाले व्यक्ति को संवाददाता कहते हैं।

2. सही जोड़े मिलाइए –

1. अंग्रेजी दैनिक – (A) स्टार प्लस
2. हिन्दी दैनिक -(B) इंडिया टुडे
3. समाचार लेखन का एक सूत्र – (C) इंडियन एक्सप्रेस
4. एक मनोरंजन टी.वी. चैनल – (D) हिंदुस्तान टाइम्स
5. अंग्रेजी-हिन्दी में छपनेवाली एक पत्रिका – (E) 5W + 1H
उत्तर :
(1-C),
(2-D),
(3-E),
(4-A),
(5-B)

3. सही कथन के सामने तथा गलत कथन के सामने बनाइए।

1. जिसे कोई दबाना चाह रहा है वही समाचार है, शेष विज्ञापन। [ ]
2. सत्यता समाचार का जरूरी तत्त्व नहीं है। [ ]
3. “संपादक के नाम पत्र’ स्तंभ को समाचार पत्र का सेफ्टीवाल्व कहते हैं। [ ]
4. अग्रलेख लिखने का दायित्व संपादक का है। [ ]
5. समाचार लेखन में सबसे आकर्षक उसका कलेवर है, आमुख नहीं। [ ]

4. इसे भी ध्यान में रखें –
पत्रकारिता में प्रयुक्त होनेवाले कुछ प्रमुख शब्द और उनका अर्थ –

  1. पेज थ्री पत्रकारिता – फैशन, अमीरों की पार्टियों, महफिलों और जाने-जाने व्यक्तियों के निजी जीवन के बारे में।।
  2. न्यूज पेरा – लेख्न या फीचर उस नवीनतम घटना का उल्लेख, जिसके कारण वह चर्चा में है।
  3. वॉचडॉग पत्रकारिता – सरकारी कामकाज, घपलों पर नजर रखकर उसे पर्दाफाश करनेवाली पत्रकारिता।
  4. प्रिंट मीडिया के प्रमुख माध्यम – समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें।
  5. टेलीविजन पत्रकारिता में प्रमुखता – दृश्य की
  6. रेडियो का मूल तत्त्व – आवाज-शब्द
  7. इंटरनेट पत्रकारिता का आरंभ – सन् 1983 ई. में
  8. भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का आरंभ – सन् 1993 में
  9. इंटरनेट पर उपलब्ध प्रमुख समाचार पत्र – टाइम्स आफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दू, ट्रि व्यून, गुजरात समाचार, जागरण आदि।
  10. भारत की पहली वेब पत्रकारिता साइट – रीडिफ (Rediff)
  11. नियमित अपडेट होनेवाली भारतीय साइटें – आउटलुक, हिन्दू, एन.डी. टी.वी., ए.बी.पी., आज तक और जी न्यूज आदि।
  12. हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल – नई दुनिया (इंदौर) –
  13. रेडियो के प्रमुख समाचार-कार्यक्रम – संसद समीक्षा, रेडियो न्यूज रील, समाचारदर्शन, कृषि दर्शन, वाणिज्य-स्वास्थ्य से संबंधित वार्ता, खेल जगत, जनपदों की चिट्ठियाँ, रेडियो समाचार वाचन आदि।
  14. वीडियो पत्रकारिता का भारत में आरंभ – पी.टी.आई., टी.वी., यू.एन.आई., टी.वी. और आई.टी.वी. द्वारा।।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

पत्रकारिता संबंधी लेखन – फीचर, आलेख तथा रिपोर्ट लेखन फीचर लेखन

(Feature Writing) – यह यथातथ्य सूचनाओं पर आधारित रचना के लिए ‘फीचर’ शब्द व्यवहृत होता है। संस्कृत में यह ‘रूपक’ कहा जाता है, जो हिन्दी में उपयुक्त नहीं बैठता। कुछ विद्वान फीचर को ‘मनोरंजक ढंग से लिखा गया प्रासंगिक लेख’ कहते हैं। (पुरुषोत्तदास टंडन) डॉ. ए. आर. डंगवाल के अनुसार किसी घटना का मनोरम और विशद वर्णन ही फीचर है।

फीचर का क्षेत्र व्यापक-विस्तृत होता है। मानवीय जीवन के विविध पहलूओं पर विविध प्रकार के फीचर लिखे जा सकते हैं तथा जनरूचि के क्षेत्र फीचर की विषयवस्तु बन सकते हैं। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, पौराणिक
आदि विविध विषयों पर फीचर लिखे गए हैं। व्यंग्यात्मक, चित्रात्मक फीचर विशेष रूप से लोकप्रिय हुए हैं।

हिन्दी में ‘फीचर’ पत्रकारिता से जुड़ी नवविकसित गद्य विधा है। हालांकि यह रेखाचित्र, संस्मरण या डायरी की तरह स्थापित विद्या नहीं है। विद्वानों ने फीचर के तीन भेद किए हैं –

  • वर्णनात्मक फीचर
  • व्याख्यात्मक फीचर और
  • व्यंग्यात्मक फीचर।

‘फीचर’ को कुछ विद्वान समाचार पत्र की आत्मा कहते हैं। सच तो यह है कि समाचार तथा फीचर में अंतर है। संक्षिप्तता समाचार का गुण है, इसके विपरीत फीचर विस्तृत होता है। समाचार में किसी एक घटना का रंग मिलता है जबकि फीचर बहुरंगी होता है। इसी तरह ‘फीचर’ तथा लेख में भी कुछ समानता तथा अंतर है। लेख को प्रामाणिक तथ्यों तथा आँकड़ों की आवश्यकता होती है जबकि फीचर कल्पना, भावनाओं पर आधारित होता है। लेन का संबंध मस्तिष्क से और फीचर का हृदय से। फीचर मनोविनोदी हो सकता है किंतु लेख में हास्य और विनोद का निषेध होता है।

विषय की दृष्टि से फीचर के कई प्रकार किए जा सकते हैं। यथा –

  • समाचार फीचर
  • घटनात्मक फीचर
  • व्यक्तिपरक फीचर
  • सांस्कृतिक फीचर
  • विश्लेषण फीचर
  • लोकाभिरुचि संबंधी फीचर
  • साहित्यिक फीचर
  • विज्ञान फीचर
  • खेलकूद फीचर आदि।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौन सा है? - janasanchaar shabd ka angrejee paryaay kaun sa hai?

सुप्रसिद्ध मीडिया लेखिका डॉ. प्रीतादास ने फीचर की शैली के आवश्यक गुण इस प्रकार गिनवाए हैं –

  • शब्द थोड़े पर अर्थ अधिक
  • आसानी से समझ में आए।
  • भाषा ओजपूर्ण, साहित्यिक पुट लिए हो।
  • शब्द-वाक्य का अर्थानुसार शुद्ध प्रयोग
  • अपनापन
  • मुहावरे, कहावतों, सूक्तियों का प्रयोग।
  • सरल तथा संतुलित वाक्यरचना।
  • वाक्यगठन में एकरूपता।
  • शब्दों-वाक्यों तथा विचारों की पुनरावृत्ति नहीं हो।
  • अनुच्छेदन तो बहुत छोटे हो न बहुत बड़े।
  • हर अनुच्छेद के प्रथम वाक्य में ही महत्त्वपूर्ण नवीन विचार।
  • प्रत्येक अनुच्छेद और वाक्य में कथन-तारतम्य।
  • अनावश्यक कुछ भी नहीं – न भाव, न वाक्य।
  • विषयानुरूप कथन का प्रकार
  • दुरुह वाक्यावली या तकनीकी शब्दावली का प्रयोग कम से कम।
  • अनुवादी भाषा का पूर्ण परित्याग।
  • भाव तथा भाषा के संस्कारों की रक्षा का ध्यान।
  • ग्रामीण शब्दों का प्रयोग प्रसंगवश पर अधिक नहीं।
  • शैली के परिमार्जन के लिए रचना का बार-बार पठन।।

फीचर की लेखनशैली के आवश्यक गुण हैं – सरलता, सजीवता, स्पष्टता, मर्मस्पर्शता तथा प्रभावोत्पादकता। यदि विनोद का पुट भी जुड़ जाए तो सोने में सुहागा।
फीचर-लेखन संबंधी सतर्कताएँ –

  • फीचर के कथ्य को पात्रों के माध्यम से बताना चाहिए।
  • शीर्षक चयन में सजीवता का बोध हो और शीर्षक आकर्षक ज्ञानवर्धक हो।
  • भाषा सरल – बोधगम्य हो।
  • फीचर का प्रारंभिक भाग-इंट्रो सीधा, सरल हो तथा पाठक को आकर्षित करे।
  • इंट्रों में संपूर्ण सामग्री का सार आ जाना चाहिए।
  • लेखक के कथन का अंदाज ऐसा हो कि जिससे पाठक यह महसूस करें कि वे स्वयं देख और सुन रहे हैं।
  • यह सूचनात्मक होने के साथ मनोरंजक भी हो।
  • फीचर के उद्देश्य के ईर्द-गिर्द ही सूचनाएँ, तथ्य, विचार गुंथे हों।
  • एक अनुच्छेद में एक ही पहलू पर फोकस रहे।
  • अनुच्छेद छोटे-छोटे हों और परस्पर सहज रूप से जुड़े हों।

जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौनसा है?

Answer: जनसंचार के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द Mass Communication हैं।

जनसंचार का अर्थ क्या है?

लोकसम्पर्क या जनसम्पर्क या जनसंचार (Mass communication) से तात्पर्य उन सभी साधनों के अध्ययन एवं विश्लेषण से है जो एक साथ बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संचार सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं।

जनसंचार क्या है एक वाक्य में उत्तर?

जनसंचार की परिभाषा जोसेफ डिनिटी - “जनसंचार बहुत से व्यक्ति में एक मशीन के माध्यम से सूचनाओं, विचारों और दृष्टिकोणों को रूपांतरित करने की प्रक्रिया है।” डी.एस. मेहता - “जनसंचार का अर्थ है जन संचार माध्यमों - जैसे रेडियो, दूरदर्शन, प्रेस और चलचित्र द्वारा सूचना, विचार और मनोरंजन का प्रचार-प्रसार करना।”

जनसंचार के माध्यम कौन कौन से हैं?

Solution : जनसंचार के विभिन्न माध्यम निम्नलिखित हैं- <br> (i) अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ-अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ जनसंचार का एक प्रमुख माध्यम है। यह जनसंचार का प्रिंट माध्यम होता है। लोग अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ पढ़कर देश-विदेश की जानकारी एकत्रित करते हैं