Information provided about जनसंचार ( Janasanachar ):जनसंचार (Janasanachar) meaning in English (इंग्लिश मे मीनिंग) is MASS COMMUNICATION (जनसंचार ka matlab english me MASS COMMUNICATION hai). Get meaning and translation of Janasanachar in English language with grammar, synonyms and antonyms by ShabdKhoj. Know the answer of question : what is meaning of Janasanachar in English? जनसंचार (Janasanachar) ka matalab Angrezi me kya hai ( जनसंचार का अंग्रेजी में मतलब, इंग्लिश में अर्थ जाने) Show Tags: English meaning of जनसंचार , जनसंचार meaning in english, जनसंचार translation and definition in English. Gujarat Board GSEB Solutions Class 11 Hindi Rachana जनसंचार माध्यम (1st Language) Questions and Answers, Notes Pdf. संचार एक अर्थ में संदेश या सूचना का आदान-प्रदान है। प्राचीनकाल से हम अश्वारोहियों या सवदिया द्वारा समाचार एक स्थान से दूसरे स्थान तक
पहुँचाये जाते थे। शासन द्वारा नगाड़े पर मुनादी करवाकर सूचना लोगों तक पहुँचाई जाती थी। पत्र सदियों तक संचार का प्रमुख माध्यम रहा। आज तो फोन, मोबाइल, ई-मेल, फैक्स से यह संचार द्रुतगामी, तत्काल बना है। अब विहरिणी पत्र की प्रतीक्षा नहीं करती। वह वाट्सअप, इन्स्टाग्राम या एस.एम.एस. या फोन के माध्यम से प्रिय से संपर्क बना लेती है। आज संचार शब्द अंग्रेजी के Communication के अर्थ में प्रयोग किया जाता है और जनसंचार mass communication के अर्थ में। जनसंचार में विभिन्न प्रयुक्तियों द्वारा एक निश्चित समूह या जनसमुदाय को संदेश दिया जाता है। प्राचीनकाल में लोकनृत्य, लोकगीत या लोकनाट्यों के माध्यम से यह कार्य संपन्न होता था, आज जनसंचार माध्यमों में पूर्व प्रचलित पत्र-पत्रिकाओं, समाचारपत्रों, रेडियो, टेलीविजन, फोन के साथ-साथ मोबाइल फोन, सेल फोन, स्मार्ट फोन, इन्टरनेट, कम्प्यूटर इत्यादि के जुड़ जाने से यह जनसंचार : अत्यंत व्यापक बना है। इन साधनों के उपयोग ने विश्व की भौगोलिक दूरियों के एहसास को कम कर दिया है। आज विश्व एक गाँव जितना समीप आ गया है, किन्तु मानसिक दूरिया बढ़ गई हैं। जनसंचार – परिभाषा : ‘वे असंख्य ढंग जिनसे मानवता से संबंध रखा जा सकता है, जनसंचार कहलाते हैं।’ जनसंचार का अर्थ सूचना का एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना है – जॉर्ज-ए-मिलर। शब्दार्थ की दृष्टि से देखें तो ‘विचारों के आदान-प्रदान की सामूहिक प्रक्रिया’ जनसंचार कहलाती है। संचार एक प्रक्रिया है : जिसमें संप्रेषक या स्रोत द्वारा संदेश किसी संचार माध्यम या संचार सरणी (चैनल) द्वारा संकेतीकृत होकर संग्राहक तक पहुँचता है। जिसे वह डिकोड (वाचन) करता है। इस तरह संचार प्रक्रिया के निम्नलिखित तत्त्व हुए –
जनसंचार के माध्यम : ज्ञानेन्द्रियों के आधार पर संचार माध्यमों को तीन भागों में बाँटते हैं –
उपर्युक्त संचार माध्यमों को अन्य निम्नलिखित रूप से भी वर्गीकृत कर सकते हैं –
जनसंचार के कार्य :
जनसंचार का महत्त्व – जनसंचार का महत्त्व उसकी उपयोगिताओं तथा बृहत्तर जनसमूह तक पहुँच के कारण अत्यधिक है, दिन प्रतिदिन इसका क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है। संचार माध्यम द्वारपाल की भूमिका निभाते हैं और जनजीवन में कुप्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने में सहायक बनते हैं। जनसंचार माध्यमों का यह दायित्व भी है कि वे सार्वजनिक हित, पत्रकारिता के सिद्धांतों, मूल्यों के अनुरूप सामग्री को संपादित करके प्रसारित करें। भारत में जनसंचार माध्यमों का विकास : अंग्रेजी शासन के समय आजादी के पूर्व तक राजसत्ता जनसंचार की विरोधी रही। मुद्रित माध्यमों के विकास के कारण यह विरोध ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सका। स्वतंत्रता आंदोलनों में मुद्रित समाचार पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं, चौपनियाँ, पंप्लेटों की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही। अंग्रेजों ने पब्लिसिटी बोर्ड की स्थापना इस कालावधि में की। बाद में दैनिक ‘टाइम्स आफ इंडिया’ के सुझाव पर सेंट्रल ब्युरो आफ इन्फार्मेशन की स्थापना हुई। दूसरे विश्वयुद्ध में पत्र सूचना कार्यालय (Press Information Bureau) को नया रूप मिला। इसी समय आल इंडिया रेडियो तथा फिल्म्स डिविजन के रूप में जनसंचार का खूब विकास हुआ। अपनी नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए अंग्रेज सरकार ने क्षेत्रीय प्रचार संस्था (Field Publicity Organisation) का निर्माण किया।। आजादी के बाद सरकार तथा आम जनता के संबंधों में आए अभूतपूर्व परिवर्तन से अधिकांश जनसंचार माध्यम सरकारी मशीनरी का अंग बन गए। प्रेस, पत्रकारिता, रेडियो, फिल्म, दूरदर्शन को नया रूप मिला। इंटरनेट तथा कम्प्यूटर ने जनसंचार में क्रांति ला दी, साथ ही स्पीड पोस्ट, टेली प्रिंटर, ई-मेल, ई-कामर्स, वीडियो टेक्स्ट, टेली कांफ्रेंस आदि ने जनसंचार की गति बढ़ा दी। सचल उपग्रह सेवाओं ने जनसंचार के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किया है। जनसंचार के प्रकार –
सूचना क्रांति के विस्फोट ने जनसंचार के लिए शहर तथा गाँव के अंतर को समाप्त कर दिया है। वाइ फाइ से लैस होकर दूर-दराज के गाँवों में भी अब स्मार्ट फोन के माध्यम से जनसंचार के सारे अत्याधुनिक लाभ उपलब्ध हो रहे हैं।
पहले प्रकार के संचार साधनों में कायिक भाषा, संकेत, बातचीत, गोष्ठी, जनसभा, मेक-अप, स्पर्श, चित्र, चिह्न, शारीरिक मुद्राएँ, सम्मेलन, मेले. प्रदर्शनी, चारणगान, कठपतली नृत्य या लोकगीत, लोकनृत्य आदि का समावेश होता है। – दूसरे विभाग के अंतर्गत डाक सेवाएँ, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर से ई-मेल, इन्टरनेट आदि के साथ स्पीडपोस्ट, कोरियर सेवाओं ने जनसंचार को द्रुतगामी बना दिया है। प्रिंट मीडिया अत्यंत विकसित हुआ है। एक ही समाचारपत्र या पत्रिका के कई संस्करण एक साथ अनेक शहरों या केन्द्रों से निकल रहे हैं। लघूत्तरीय प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए : प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 2. अति संक्षिप्त उत्तर दीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7.
3. नीचे दिए गए कथनों में सही कथन के सामने ✓ तथा गलत कथन के सामने ✗ लगाइए। 1. भारत में टी.वी. शुरू करने का उद्देश्य शिक्षा, सामुदायिक विकास था।। ✓ 4. कुछ महत्त्वपूर्ण तिथियाँ, तथ्य –
पत्रकारिता के विविध आयाम पत्रकारिता क्या है? समाचार (News) : यह पत्रकारिता का प्राणतत्त्व है। मानव की ज्ञान-पिपासा तब शांत होती है, जब चढ लेता .है या सुन लेता है अथवा देख लेता है। समाचार की व्युत्पत्ति – समाचार के लिए अंग्रेजी में व्यवहृत News शब्द New का बहवचन है, जिसका अर्थ है नया। यानी जो नया है वही समाचार है। एक कोश के अनुसार News के चार अक्षर चार दिशाओं के प्रथम अक्षर है – N – North (उत्तर), E – East (पूर्व), W- West (पश्चिम) तथा S – South (दक्षिण) हिंदी में समाचार में सम्यक् आचरण का भाव निहित है। जब सम्यक् आचरण के अनुरूप निष्पक्ष भाव से तथ्यों की सही सूचना दी जाती है, तो वह समाचार माना जाता है। समाचार का सामान्य से परे होना यानी नया होना जरूरी है। कुछ सूक्तियाँ इस प्रकार ‘जिसे कहीं कोई दबाना चाह रहा है, वही समाचार है, शेष विज्ञापन।’ ‘समाचार किसी अनोखी या असाधारण घटना की अविलम्ब सूचना को कहते हैं जिसके बारे में लोग प्राय: कुछ न जानते हो, जिसे तुरंत ही जानने की ज्यादा से ज्यादा लोगों में रुचि हो।’ निष्कर्ष – ‘सरस, सामयिक, सत्य सूचना ही समाचार है।’ 1. समाचार के तत्त्व :
इनके अलावा संघर्ष, स्पर्धा, उत्तेजना, कुकृत्य, मानवीय गुणों का उद्रेक सामाजिक आर्थिक परिवर्तन तथा असाधारणता आदि तत्त्वों के प्रति पाठक में आकर्षण उत्पन्न होता है। संपादन के सिद्धांत या आधारभूत तत्त्व – सम्पादन कला के मूल तत्त्व निम्नलिखित हैं :
शीर्षकीकरण – शीर्षकीकरण का उद्देश्य पाठकों को आकर्षित करके उनकी रुचि के अनुसार समाचार खोजने में सहायता करके अखबार के व्यक्तित्व को उदात्त तथा उत्तम बनाना है। शीर्षक देते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –
शीर्षक को प्रचारधर्मिता, आदेशात्मकता या प्रश्नवाचकता, द्विअर्थी, ऋणात्मक होने से बचना चाहिए। (2) पृष्ठ विन्यास – पृष्ठ सज्जा के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –
(3) आमुख (अग्रांश) या इंट्रो
अथवा लीड या मुखड़ा – (4) अग्रलेख – (5) संपादक के नाम पत्र का स्वरूप – प्राय: हर प्रसिद्ध समाचारपत्र में एक स्तंभ संपादक के नाम पत्र का होता है। इस स्तंभ को समाचार पत्र का safety valve (सेफ्टी वाल्व) कहा जाता है। इसमें समाचार का पाठक निजी स्तर पर सार्वजनिक समस्याओं पर प्रकाशित करने के लिए पत्र लिखता. है। समस्याओं के प्रकाशन के साथ पाठक अपने सुझाव भी देता है। समाचारपत्र के माध्यम से समस्त पाठक वर्ग उनका समाधान प्राप्त कर लेता है। एक अच्छा समाचार पत्र ‘संपादक के नाम पत्र’ छापकर लोकप्रिय बनता है। वास्तव में ऐसे पत्रों में आमजनता की आवाज होती है। इसमें टीका-टिप्पणी से लेकर विचार-विमर्श तक होता है। यह कॉलम प्राय: संपादकीय पन्ने पर होता है। समाचारपत्र में दृश्य सामग्री की व्यवस्था – कार्टून (व्यंग्य चित्र) – कार्टून किसी भी पत्र का शक्ति माने जा सकते हैं। ‘आज’ के कांजीलाल, ‘टाइम्स’ में लक्षण, ‘जनसत्ता’ के काक के कार्टून प्रसिद्ध थे। कार्टून का विषय प्रायः राजनीतिक विद्रूपता होता है। प्रशासन और व्यवस्था को उसकी भूलों की ओर संकेत कर उन्हें अपने से सीख लेने का आग्रह करते हैं। कार्टूनिस्ट निडर होकर तत्कालीन व्यवस्था पर व्यंग्य करता है। कभी-कभी इसके कारण उसे व्यवस्था का कोपभाजन भी बनना पड़ता है, जो कि असहिष्णुता की निशानी है। गैफिक्स (Graphics) या फोटोग्राफी – ग्रैफिक्स का आशय है – आलेख, लेखाचित्र की कला। इस सजावट या सजीव रेखांकन को ग्रैफिक्स कहा जाता है। स्थूल रूप से आरेन (ग्राफ), रूपचित्र, शब्दचित्र, छायाचित्र या आलोक चित्र भी कह सकते हैं। इनके कारण समाचारपत्र रोचक तथा पठनीय बन जाते हैं। ग्रैफिक्स सामान्य घटना या दृश्य को रोचक ढंग से परोसते हैं। रेखाचित्र (Sketch) का भी पत्रकारिता से अभिन्न रिश्ता है। यह शब्द चित्रकला तथा साहित्य दोनों में समान रूप से प्रयुक्त होता है। चित्रकला रेखाओं का उपयोग करती है और साहित्य शब्दों के माध्यम से चित्र खींचता है। दोनों माध्यम भिन्न हैं पर दृष्टि तथा शैली में साम्य होता है। चित्रकला का रेखाचित्र स्थिर होता है जबकि साहित्यिक रेखाचित्र गत्वर। रेखाचित्र किसी भी चरित्र, स्थिति, वातावरण का भावात्मक वर्णन होता है जिसमें चित्रात्मकता तथा कथात्मकता दोनों होती है। फोटो पत्रकारिता – फोटोग्राफी कला है, विज्ञान है और व्यवसाय भी। हिन्दी में इसे छायांकन या छायाचित्रण कहते हैं। यह श्वेत-श्याम (White-black), रंगीन या प्रकाश-छाया के सामंजस्यवाले फोटो द्वारा पत्रकारिता में इसका विशिष्ट योगदान है। पत्रकार के लिए कैमरा एक नोटबुक की तरह है जो घटनाओं, विषयों का रिकार्ड रखता है। संवाददाता यदि अच्छा फोटोग्राफर भी है तो यह उसकी दोहरी योग्यता है। प्रेस फोटोग्राफर को अपना कर्तव्य निभाते समय विषम परिस्थितियों, कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। युद्ध, बाढ़, भूकंप, दंगों जैसी परिस्थितियों में उसे अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है। एक अच्छा फोटो जर्नलिस्ट कैमरा क्लिक करने के बाद तेजी से फिल्म डेवलप करके फोटो को समाचारपत्र कार्यालय तक पहुंचा देता है। खबर के साथ फोटो प्रकाशित करना एक अच्छे समाचारपत्र की निशानी है। पत्रकारिता के प्रकार – जीवन-समाज के विविध आयामों जैसे ही पत्रकारिता के भी विविध रूप हैं। आज कल पत्रकारिता जिन माध्यमों में हो रही है, उसके आधार पर उनके दो मुख्य प्रकार गिने जा सकते हैं –
मुद्रित – मुद्रण के विकास के साथ ही पत्रकारिता का उन्नयन हुआ है। यह सर्वविदित है। समाचारपत्र, साप्ताहिक, मासिक, द्वैमासिक तथा अन्य तरह की नियतकालीन एवं अनियतकालीन पत्र-पत्रिकाओं का इसमें समावेश होता है। इनको विषय के अनुसार वर्गीकरण करें तो उन्हें उनके विषय क्षेत्र के साथ जोड़ना पड़े। जैसे –
ये पत्रकारिता के दोनों माध्यमों-मुद्रण तथा इलेक्ट्रानिक से जुड़े हैं। रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारित होनेवाले कार्यक्रम इनसे संबंधित होते हैं। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की पत्रकारिता के भेद उनकी सामग्री के आधार पर नहीं बल्कि माध्यम के स्वरूप पर किए जाते हैं; जैसे –
जैसा कि पहले ही , कहा जा चुका है कि विषय की दृष्टि से इनमें उन सभी क्षेत्रों का समावेश होता है जो मुद्रित पत्रकारिता में हैं। पत्रकारिता के भेदों का एक विभाजन उसकी कार्यप्रणाली के विशिष्टीकरण को लेकर किया जा सकता है। जैसे –
(1) खोजी पत्रकारिता – इस तरह की पत्रकारिता में समसामयिक घटना, स्थितियों और तथ्यों का क्रमबद्ध सूक्ष्म सर्वेक्षण, अध्ययन तथा अनुसंधान के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है। यह अनुद्घाटित तथ्य को उजागर करके सत्य को उजागर करता है, जिसे छिपाया जा रहा होता है। ऐसी पत्रकारिता ने कितने ही राजनेताओं को अपदस्थ होना पड़ा है। यह समाज के दुष्कृत्यों को उजागर करके लोगों को जागरूक करने का भी कार्य करता है। (2) व्याख्यात्मक पत्रकारिता – समाचारों का यथार्थ परिवेश में मूल्यांकन करना ही ऐसी पत्रकारिता का मुख्य लक्षण है। आज तो समाचार के विश्लेषण, उसकी पृष्ठभूमि, उसके भावि परिणाम के दिशा-निर्देशन की समस्या है, जिसे व्याख्यात्मक पत्रकारिता द्वारा हल किया जा रहा है। द्रुतगामी संचार साधनों से प्राप्त समाचार के विस्तार और स्पष्टीकरण हेतु व्याख्यात्मक पत्रकारिता स्वीकार्य हो रही है। (3) वृत्तांत पत्रकारिता (Commentary Journalism) – रेडियो, टी.वी. में प्रस्तुत होनेवाले ‘आँखों देखा हाल’ इसी पत्रकारिता का एक भाग है। आयोजित समारोहों, कार्यक्रमों तथा प्रतियोगिताओं का जीवंत प्रसारण करना इसके कार्यक्षेत्र में आता है। वृत्तांत पत्रकार के लिए आवाज की गुणवत्ता, निष्पक्षता, भाषा पर उसका अप्रतिम अधिकार, विषय-ज्ञान तथा उत्तरदायित्व बोध आवश्यक है। (4) वॉच-डॉग पत्रकारिता – वैसे
तो यह एक तरफ खोजी पत्रकारिता से जुड़ा है और दूसरी ओर समाज और सरकार से। इसका कार्य कहीं पर भी होनेवाली गड़बड़ी का पर्दाफाश करना है। यह सरकारी सूत्रों पर आधारित समाचारों के यथार्थ को उद्घाटित (5) एडवोकेसी पत्रकारिता – विभिन्न राजनीतिक दलों, संप्रदायों द्वारा प्रकाशित होनेवाली सामग्री का अधिकतर उनकी विचारधारा, कार्य, कार्यप्रणाली का समर्थन करता है, ऐसी पत्रकारिता प्राय: एकांगी होती है। इसमें अपने कार्यों-विचारों का अतिरंजित वर्णन-विवरण हो सकता है। ये अपने प्रकाशकों के हितों की रक्षा करने के लिए आवश्यक सामग्री जुटाकर प्रकाशित करते हैं। सरकारी महकमों से निकलनेवाले सामयिक भी इसी कोटि में आते हैं। (6) पीत पत्रकारिता (Yellow Journalism) – कुछ निहित स्वार्थी पत्र तथा पत्रकार किसी समाचार या घटना को इस प्रकार का आकार देते हैं जिससे किसी व्यक्ति विशेष के मान-सम्मान तथा स्थान पर लांछन लग सकता है। कभी-कभी स्थानीय स्तर पर किसी घटना को लेकर खबर को किसी के पक्ष या विरोध में छापने को ब्लैकमेलिंग की जाती है। यह पीत पत्रकारिता का ही एक स्वरूप है। समाचार माध्यमों का मौजूदा रुझान सूचना के विस्फोट के इस युग में जनसंचार माध्यमों के विकास के साथ-साथ समाचार माध्यमों का विस्तार तेजी से हुआ। भूमंडलीकरण ने इसकी गति को और बढ़ाया है। भारत एक बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार है। टेलीविजन के आरंभिक दौर के बाद अब सरकारी दूरदर्शन के अलावा अनेक नये निजी चैनल इस बाजार पर कब्जा जमाने की स्पर्धा में हैं। आरंभ में समाचारों का प्रसारण कुछ निश्चित समय पर निश्चित अवधि के लिए होता है, अब तो 24×7 (चौबीस घंटे x सात दिन) के अनेक समाचार चैनल शुरू होकर विकसित हो चुके हैं। इन निजी चैनलों का मुख्य उद्देश्य समाचार पत्रकारिता न होकर प्रायः विज्ञापनों और वाणिज्यिक प्रोग्रामों के माध्यम से धन कमाना है। व्यापारिक उद्योग गृहों के स्वामित्ववाले निजी चैनलों के साथ-साथ राजनीतिक विचार-धारा के प्रचार-प्रसार के लिए भी ये चैनल उपयोग में लिए जा रहे हैं। सरकारी चैनलों से तटस्थता की अपेक्षा अब लोग नहीं करते। व्यावसायिक या निजी चैनलों के समाचार भी सरकार विरोधी या सरकार समर्थक अथवा किसी पार्टी विशेष के हित में अथवा विरोध में देखे जा सकते हैं। इन चैनलों का राजकीय – महत्त्व और शक्ति में वृद्धि हुई है। चुनाव के समय ‘फेक न्यूज’ झूठे समाचार, विज्ञापनों में भी कुछ समाचार चैनल शामिल होते हैं। – – पीत पत्रकारिता की छाया भी समाचार माध्यमों को ग्रस रही है। पीत पत्रकारिता और पेज-3 पत्रकारिता शुभ संकेत नहीं है। आज समाचार माध्यमों में संपादक की भूमिका अवमूलियत हो रही है। मीडिया गृहों के स्वामी तथा प्रबंधक हावी हो रहे हैं। फलतः समाचार माध्यमों की विश्वसनीयता में कमी आई है। उसकी साख गिरी है। किसी नेता या राजनीतिक पार्टी का गुणगान या विरोध करनेवाले चैनलों को आसानी से पहचाना जा सकता है। मीडियागृह इसका लाभ उठाकर संसद में भी अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं। समाचार माध्यमों का यह मौजुदा रुझान पत्रकारिता के लिए लाल बत्ती है, इससे सचेत रहना जरूरी है। 1. अति संक्षिप्त उत्तर दीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. 2. सही जोड़े मिलाइए – 1. अंग्रेजी दैनिक – (A) स्टार प्लस 3. सही कथन के सामने ✓ तथा गलत कथन के सामने ✗ बनाइए। 1. जिसे कोई दबाना चाह रहा है वही समाचार है, शेष विज्ञापन। [ ✓ ] 4. इसे भी ध्यान में रखें –
पत्रकारिता संबंधी लेखन – फीचर, आलेख तथा रिपोर्ट लेखन फीचर लेखन (Feature Writing) – यह यथातथ्य सूचनाओं पर आधारित रचना के लिए ‘फीचर’ शब्द व्यवहृत होता है। संस्कृत में यह ‘रूपक’ कहा जाता है, जो हिन्दी में उपयुक्त नहीं बैठता। कुछ विद्वान फीचर को ‘मनोरंजक ढंग से लिखा गया प्रासंगिक लेख’ कहते हैं। (पुरुषोत्तदास टंडन) डॉ. ए. आर. डंगवाल के अनुसार किसी घटना का मनोरम और विशद वर्णन ही फीचर है। फीचर का क्षेत्र व्यापक-विस्तृत होता है। मानवीय जीवन के विविध पहलूओं पर विविध प्रकार के फीचर लिखे जा सकते हैं तथा जनरूचि के क्षेत्र फीचर की विषयवस्तु बन सकते हैं। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, पौराणिक हिन्दी में ‘फीचर’ पत्रकारिता से जुड़ी नवविकसित गद्य विधा है। हालांकि यह रेखाचित्र, संस्मरण या डायरी की तरह स्थापित विद्या नहीं है। विद्वानों ने फीचर के तीन भेद किए हैं –
‘फीचर’ को कुछ विद्वान समाचार पत्र की आत्मा कहते हैं। सच तो यह है कि समाचार तथा फीचर में अंतर है। संक्षिप्तता समाचार का गुण है, इसके विपरीत फीचर विस्तृत होता है। समाचार में किसी एक घटना का रंग मिलता है जबकि फीचर बहुरंगी होता है। इसी तरह ‘फीचर’ तथा लेख में भी कुछ समानता तथा अंतर है। लेख को प्रामाणिक तथ्यों तथा आँकड़ों की आवश्यकता होती है जबकि फीचर कल्पना, भावनाओं पर आधारित होता है। लेन का संबंध मस्तिष्क से और फीचर का हृदय से। फीचर मनोविनोदी हो सकता है किंतु लेख में हास्य और विनोद का निषेध होता है। विषय की दृष्टि से फीचर के कई प्रकार किए जा सकते हैं। यथा –
सुप्रसिद्ध मीडिया लेखिका डॉ. प्रीतादास ने फीचर की शैली के आवश्यक गुण इस प्रकार गिनवाए हैं –
फीचर की लेखनशैली के आवश्यक गुण हैं – सरलता, सजीवता, स्पष्टता, मर्मस्पर्शता तथा प्रभावोत्पादकता। यदि विनोद का पुट भी जुड़ जाए तो
सोने में सुहागा।
जनसंचार शब्द का अंग्रेजी पर्याय कौनसा है?Answer: जनसंचार के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द Mass Communication हैं।
जनसंचार का अर्थ क्या है?लोकसम्पर्क या जनसम्पर्क या जनसंचार (Mass communication) से तात्पर्य उन सभी साधनों के अध्ययन एवं विश्लेषण से है जो एक साथ बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संचार सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं।
जनसंचार क्या है एक वाक्य में उत्तर?जनसंचार की परिभाषा
जोसेफ डिनिटी - “जनसंचार बहुत से व्यक्ति में एक मशीन के माध्यम से सूचनाओं, विचारों और दृष्टिकोणों को रूपांतरित करने की प्रक्रिया है।” डी.एस. मेहता - “जनसंचार का अर्थ है जन संचार माध्यमों - जैसे रेडियो, दूरदर्शन, प्रेस और चलचित्र द्वारा सूचना, विचार और मनोरंजन का प्रचार-प्रसार करना।”
जनसंचार के माध्यम कौन कौन से हैं?Solution : जनसंचार के विभिन्न माध्यम निम्नलिखित हैं- <br> (i) अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ-अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ जनसंचार का एक प्रमुख माध्यम है। यह जनसंचार का प्रिंट माध्यम होता है। लोग अखबार और पत्र-पत्रिकाएँ पढ़कर देश-विदेश की जानकारी एकत्रित करते हैं।
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