> कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं यह 15 धनवान योग, पढ़ें खास जानकारी Show > अगर आप थोड़ा भी ज्योतिष जानते हैं तो अपनी जन्मकुंडली में धनवान होने के योग स्वयं देख सकते हैं। जानिए कुछ प्रमुख चमत्कारी धनवान योग- * अगर जन्मकुंडली के दूसरे भाव में शुभ ग्रह बैठा हो तो जातक के पास अथाह पैसा आता है। * जन्म कुंडली के दूसरे भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी भरपूर धन के योग बनते हैं। * दूसरे भाव के स्वामी यानी द्वितीयेश को धनेश माना जाता है अत: उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी व्यक्ति को धन की कमी नहीं रहती। * दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश के साथ कोई शुभ ग्रह बैठा हो तब भी व्यक्ति के पास खूब पैसा रहता है। * जब बृहस्पति यानी गुरु कुंडली के केंद्र में स्थित हो। * बुध पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो। (5,7,9) * बृहस्पति लाभ भाव (ग्यारहवें भाव) में स्थित हो। * द्वितीयेश उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो। * लग्नेश लग्न स्थान का स्वामी जहां बैठा हो, उससे दूसरे भाव का स्वामी उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो। * धनेश व लाभेश उच्च राशिगत हों। * चंद्रमा व बृहस्पति की किसी शुभ भाव में युति हो। * बृहस्पति धनेश होकर मंगल के साथ हो। * चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ केंद्र में हों। * चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ त्रिकोण में हों। * चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ लाभ भाव में हों। * लग्न से तीसरे, छठे, दसवें व ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह बैठे हों। * सप्तमेश दशम भाव में अपनी उच्च राशि में हो सप्तमेश दशम भाव में हो तथा दशमेश अपनी उच्च राशि में नवमेश के साथ हो। 1. मंगल का रुचक योग ( Ruchak yog) : यह योग मंगल से संबंधित है। यदि आपकी कुंडली में मंगल लग्न से अथवा चंद्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित हों अर्थात मंगल यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में मेष, वृश्चिक अथवा मकर राशि में स्थित है तो आपकी कुंडली में रूचक योग है। रूचक योग का व्यक्ति साहसी और पराक्रमी होता है। उसमें शारीरिक बल भी भरपूर होता है और वह अपनी सेहत को बनाए रखता है। उसकी मानसिक क्षमता भी बहुत शक्तिशाली होती है और वह समयानुसार उचित तथा तीव्र निर्णय लेने की क्षमता रखता है। वह कारोबारी क्षेत्र में सफलता और प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है या किसी उच्च पद पर विराजमान होकर व्यवस्था को संभालता है। शासन और प्रशासन में ऐसे बहुत लोग होते हैं। 2. बुध का भद्र योग ( Bhadra yoga ) : यह योग बुद्ध ग्रह से संबंधित है। यदि आपकी कुंडली में बुध लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित हैं अर्थात बुध यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में मिथुन अथवा कन्या राशि में स्थित हैं तो आपकी कुंडली में भद्र योग है। भद्रक योग की कुंडली का जातक बुद्धि, चतुराई और वाणी का धनी होता है। वह सफल वक्ता भी बन सकता है। ऐसा जातक चार कौशल, लेखन, गणित, कारोबार और सलाहकर के क्षेत्र में सफल रहता है। उसमें विशलेषण करने की गजब क्षमता रहती है। उसकी तार्किक शक्ति भी अद्भुत रहती है। 3. गुरु का हंस योग ( Hamsa or Hansa yoga) : यह योग गुरु अर्थात बृहस्पति से संबंधित है। कर्क में 5 डिग्री तक ऊंचा, मूल त्रिकोण धनु राशि 10 डिग्री तक और स्वयं का घर धनु और मीन होता है। पहले भाव में कर्क, धनु और मीन, 7वें भाव में मकर, मिथुन और कन्या, 10वें भाव में तुला, मीन और मिथुन एवं चौथे भाव में मेष, कन्या और धनु में होना चाहिए तो हंस योग बनेगा। जब-जब बृहस्पति ऊंचा या मूल त्रिकोण में, खुद के घर में या केंद्र में कहीं स्थित है तो भी विशेष परिस्थिति में यह योग बनेगा। बृहस्पति यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में कर्क, धनु अथवा मीन राशि में स्थित हों तो ऐसी कुंडली में हंस योग बनता है जिसका शुभ प्रभाव जातक को सुख-समृद्धि, संपत्ति, आध्यात्मिक विकास तथा कोई आध्यात्मिक शक्ति भी प्रदान कर सकता है। ऐसे लोग ज्ञानी होते हैं और अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाना जानते हैं। 4. शुक्र का माल्वय योग ( Malavya yoga ) : यह योग शुक्र से संबंधित है। जिस भी जातक की कुंडली में शुक्र लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित है अर्थात शुक्र यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में वृष, तुला अथवा मीन राशि में स्थित है तो कुंडली में मालव्य योग बनता है। मालव्य योग का जातक सौंदर्य और कला प्रेमी होता है। काव्य, गीत, संगीत, फिल्म, कला और इसी तरह के कार्यों में वह सफलता अर्जित करता है। उसमें साहस, पराक्रम, शारीरिक बल, तर्क करने की क्षमता तथा समयानुसार उचित निर्णय लेने की क्षमता भी गजब की होती है। 5. शनि का शश योग ( Shasha yoga ) : शनि ग्रह के कारण बनने वाला शश योग है। यदि आपकी कुंडली में शनि लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित है अर्थात शनि यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में तुला, मकर अथवा कुंभ राशि में स्थित है तो यह शश योग बनता है। ऐसा जातक न्यायप्रिय, लंबी आयु और कूटनीति का धनी होता है। यह परिश्रम से अर्जित सफलता को ही अपनी सफलता मानता है। इसीलिए ऐसा जातक निरंतर तथा दीर्घ समय तक प्रयास करते रहने की क्षमता रखते हैं। यह किसी भी क्षेत्र में हार नहीं मानते हैं। इनमें छिपे हुए रहस्यों का भेद जान लेने की क्षमता अद्भुत होती है। यह किसी भी क्षेत्र में सफल होने की क्षमता रखते हैं। सहनशीलता इनका विशेष गुण है, लेकिन अपने शत्रु को यह किसी भी हालत में छोड़ते नहीं हैं। रावण दुनिया का सबसे बड़ा पंडित, महाविद्वान और महा अभिमानी था. ब्रह्माजी के पुत्र पुलस्त्य ऋषि थे और उनके पुत्र का नाम विश्रवा हुआ. विश्रवा की दो पत्नियां थीं. उनकी पहली पत्नी भारद्वाज की पुत्री देवांगना थी जिसका पुत्र कुबेर था. विश्रवा की दूसरी पत्नी दैत्यराज सुमाली की पुत्री कैकसी थी. रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और सूर्पणखा इन्हीं की संतानें थीं. ज्योतिषाचार्य डॉ. अजय भाम्बी कहते हैं कि रावण दो अलग संस्कृतियों की संतान था और इसीलिए ये अद्वितीय है और महाशक्तिशाली था. वेश्यावृत्ति योग्य चरित्र हीनता का योग कैसे बनता है?1. यदि किसी महिला की कुंडली में सातवें, आठवें और दसवें घर में बुध या शुक्र ग्रह विराजमान हों तो उस स्त्री के वैश्यावृत्ति के व्यापार में आने के योग बनते हैं। वैश्यावृत्ति के लिए शुक्र और मंगल अधिक प्रभावकारी होते हैं। शुक्र और मंगल के दसवें और सातवें भाव में होने पर ऐसा होना संभव है।
द्वितीय भाव का स्वामी कौन है?2. दूसरे भाव का स्वामी ग्रह शुक्र होता है जिसका कारक ग्रह गुरु है। 3. तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है जिसका कारक ग्रह मंगल है।
कुंडली में मृत्यु योग कब बनता है?यदि स्त्री की कुण्डली में अशुभ ग्रह नीच राशि में हो या शत्रु दूसरे, सप्तम या अष्टम भाव में हो तो उसके पति के लिए मृत्यु योग बनता है। इसके साथ ही यदि स्त्री की कुंडली में अष्टम भाव में सूर्य हो तो यह योग पति की अकाल मृत्यु को दर्शाता है।
कुलदीपक योग क्या होता है?क्या है कुलदीपक योग:
अगर कुंडली लग्न में बुध ग्रह हो, केंद्र में गुरु हो और 10वें स्थान पर मंगल विराजमान हो, तो इसे कुलदीपक योग कहा जाता है. साथ ही अगर लग्न में या सातवें स्थान में मंगल हो, पांचवें स्थान में सूर्य और 12वें स्थान में राहु हो, तो भी कुलदीपक योग बनता है.
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