अस्तेय का सही अर्थ क्या है? - astey ka sahee arth kya hai?

अस्तेय का अर्थ है चोरी न करना। किसी वस्तु का मूल्य चुकाए बगैर या परिश्रम किए बिना उस वस्तु को प्राप्त करना भी चोरी है। जिस वस्तु पर हमारा अधिकार नहीं हैं उसे पाने की इच्छा बीजरूप में चोरी ही मानी जाएगी। मन पर काबू करते हुए इस दुर्गुण से बचना अस्तेय व्रत है। काम, क्रोध, लोभ आदि मनोविकारों के कारण अपराधों में वृद्धि हो रही है। सभी इंद्रियों में मन अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण इससे होने वाली चोरी सूक्ष्मतम होती है। किसी वस्तु को देखकर मन ललचाता है। लालच या प्रलोभन के वशीभूत होने पर अस्तेय का पालन संभव नहीं है। किसी चीज की जरूरत न होने पर भी उसे हड़प कर फालतू चीजों का अंबार लगा लेना परिग्रह कहलाता है, जो अस्तेय व्रत का शत्रु है। आज भी यदि हमें नैतिक मूल्यों को स्थापित करना है तो आर्थिक मर्यादा निश्चित करते हुए संयम आवश्यक है। तभी न केवल हमारे तनाव दूर होंगे, बल्कि हमें सुख व संतोष भी प्राप्त होगा।

आज उपभोगवाद का दौर चल रहा है। ऐसे समय में अस्तेय व्रत की प्रासंगिकता बढ़ गई है। इसके द्वारा ही हम उपलब्ध साधनों का सीमित उपभोग करते हुए सुखी और संतुष्ट जीवन बिता सकते हैं। महात्मा गांधी ने अपने एकादश व्रतों में अस्तेय को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। महर्षि पतंजलि ने योग-दर्शन में सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य के साथ अस्तेय को जीवन का अभिन्न अंग माना है। अस्तेय एक मानसिक संकल्प है, जिससे मन पर नियंत्रण किया जा सकता है, क्योंकि संसार का समस्त कार्य-व्यापार मन ही संचालित करता है। मन ही कर्ता, साक्षी और विवेकी है।

मन के वश में होने पर अस्तेय व्रत का पालन सब प्रकार से किया जा सकता है। मन को हम सत्य द्वारा पवित्र बना सकते हैं। अस्तेय व्रत साधने के लिए संतोष का सद्गुण अपनाना होगा। हम जानते हैं कि सारे व्रत या संकल्प एक दूसरे से जुडे़ हैं। इसलिए अस्तेय की प्राप्ति के लिए सत्य, अहिंसा आदि व्रतों का भी पालन करना होगा। संतोष के बिना परिग्रह समाप्त नहीं किया जा सकता है और न ही चोरी समाप्त हो सकेगी। इसलिए सुखमय जीवन और स्वस्थ समाज के लिए अस्तेय व्रत परमावश्यक है।

अस्तेय का शाब्दिक अर्थ हैं चोरी न करना इसका मतलब सिर्फ ये नही की धन की चोरी न करना, अपने मन, वचन तथा कर्म से से भी किसी ओर की संपत्ति को हासिल ना करना ही अस्तेय हैं। 


लेकिन अस्तेय एक दर्शन हैं और उसे व्यापक रूप से देखने और समझने की जरूरत हैं। चोरी न करना मतलब, क्या सिर्फ किसी के घर की दीवार फांदकर, तिजोरी तोड़कर धन चुराना ही चोरी हैं ? नही, यदि हम किसी व्यक्ति के साथ छल, कपट अथवा धोखा देकर उसके धन को, उसके विचारों को, उसकी किसी खोंजे या रिसर्च को चुराते है वो भी चोरी ही हैं।


किसी दूसरे व्यक्ति के हक को छीनना, उसके अधिकारों का हनन करना भी चोरी हैं। ये एक अपराध हैं। जैसे कि बहुत सी सरकारी योजनाए गरीब कल्याण के लिए बनती हैं लेकिन उसका लाभ गरीबो तक नही पहुँच पाता और बीच मे ही अधिकारियो द्वारा तथा अन्य व्यक्तिओ द्वारा झूठे आवेदन द्वारा उनका हक मार लिया जाता हैं। 


आपने कई बार देखा होगा खाद्य सुरक्षा में अनाज वितरण में कितना घोटाला हैं और राशन वितरण करने वाले ही गरीबो का हक मार देते हैं। उसके अलावा भी जो गरीब नही हैं उनके भी जूठे आवेदन गरीबो का हक मारने का काम कर रहे हैं।


अस्तेय को स्वीकार करने का अर्थ हैं अपने परिश्रम तथा हक से प्राप्त किया गया ही आपका हैं लेकिन हक जमाकर नही। यदि किसी वस्तु पर आप जबरदस्ती हक जमाते हैं तो फिर ये एक चोरी हैं। यदि कोई वस्तु आपको दी जाए या आपको उसे प्राप्त करने की अनुमति हैं तभी आप उसे ग्रहण करे। 


अस्तेय जैन धर्म के पांच महाव्रत में से एक हैं। यदि जैन धर्म के दृष्टिकोण से देखा जाए तो अस्तेय का अर्थ होता हैं जब तक कोई वस्तु आपको न दी जाए उसे ग्रहण न करना" अर्थात कोई वस्तु अथवा विचार आपके सामने जब तक रखा न जाए या दिया न जाए तब तक उस वस्तु के बारे में सोचना, उसे पाने की इच्छा रखना या उस वस्तु को छल कपट से भी प्राप्त करने की सोचना पाप हैं। 


अपने देखा होगा ये महाव्रत जैन मुनि इसका पालन करते हैं और भोजन भी जब तक दिया न जाए तब तक ग्रहण नही करते। इन पांचों महाव्रतों का पालन करना उनके लिए अनिवार्य हैं। ये पांच महाव्रत हैं सत्य, अहिँसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य। 


अस्तेय तथा अपरिग्रह का क्या संबंध है,

शाब्दिक अर्थ की बात की जाए तो अस्तेय का अर्थ हैं चोरी न करना या जब तक आपको कोई वस्तु न दी जाए उसे ग्रहण न करना। अपरिग्रह का अर्थ हैं वस्तुओ से टूटना अथवा उससे मोह भंग करना और उससे किस प्रकार का लगाव ना रखना। 

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नमस्कार आपने पूछा अस्तेय का अर्थ क्या होता है तो हफ्ते का अर्थ होता है चोरी ना करना चोरी करना ना करने के लिए व्हाट्सएप द है वह हिंदी में अस्तेय का प्रयोग किया जाता है ओके थैंक यू

namaskar aapne poocha astey ka arth kya hota hai toh hafte ka arth hota hai chori na karna chori karna na karne ke liye whatsapp the hai vaah hindi me astey ka prayog kiya jata hai ok thank you

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अस्तेय का सही अर्थ क्या है? - astey ka sahee arth kya hai?
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जैन माता में अस्तेय का क्या अर्थ है?

अस्तेय का शाब्दिक अर्थ है - चोरी न करना। हिन्दू धर्म तथा जैन धर्म में यह एक गुण माना जाता है। योग के सन्दर्भ में अस्तेय, पाँच यमों में से एक है। अस्तेय का व्यापक अर्थ है - चोरी न करना तथा मन, वचन और कर्म से किसी दूसरे की सम्पत्ति को चुराने की इच्छा न करना।

अस्तेय शब्द का क्या अभिप्राय है?

अस्तेय का अर्थ है चोरी न करना। किसी वस्तु का मूल्य चुकाए बगैर या परिश्रम किए बिना उस वस्तु को प्राप्त करना भी चोरी है।