जल को मात्र एक संसाधन नहीं समझना चाहिए। यह दैनिक जीवन को प्रभावित करता है, यह मानव जीवन के विकास में साधक है तो मानव के विनाश का माध्यम भी है तथा यह संस्कृति व परम्परा का भी माध्यम है। देश के सामने जो भयावह जल संकट आ खड़ा हुआ है Show Submitted by Hindi on Tue, 03/07/2017 - 16:58 Author इंडिया वाटर पोर्टल (हिंदी) FAQs on Jal Kranti Abhiyan Show comments जल क्रांति कैसे उपस्थित होते हैं?Expert-Verified Answer. अति सिंचाई के कारण भूमि में अत्याधिक जल जमा हो जाता है, और जलाक्रांतता हो जाती है। जलाक्रांतता मृदा अपरदन का एक प्रमुख कारण है, क्योंकि इससे मिट्टी में लवणीयता और क्षारीयता दोनों बढ़ने के कारण मृदा की उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है। अति सिंचाई के कारण भूमि निम्नीकरण होता है।
जल क्रांति कैसे उपस्थित होता है मृदा अपरदन में इसकी क्या भूमिका है?जलाक्रांतता से मृदा में लवणीय और क्षारीय गुण बढ़ जाते हैं जो भूमि के निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी होते हैं। इससे मृदा की उर्वरा शक्ति घटते जाती है और भूमि धीरे-धीरे बंजर हो जाती है। जलाक्रांतता एक बड़ी समस्या है जो मृदा अपरदन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
जलाक्रांतता का मतलब क्या होता है?जलाक्रांत (Waterlogged Meaning and definition in Hindi) भूमि की ऐसी अवस्था जिसमे भौमजल का स्तर इतना बढ़ जाता है कि पादपो तथा अन्य उपयोगी मृदा वनस्पति जात के लिये हानिकर होता है।
मृदा अपरदन में इसकी क्या भूमिका है?मृदा अपरदन की क्रियाविधि में मिट्टी के कणों का ढीला होना और उनका विलगाव तथा अलग की गई मिट्टी का परिवहन शामिल होता है। 1. जल अपरदन: जल के द्वारा मृदा का ह्रास जल अपरदन कहलाता है। वर्षा जल अपरदन: वर्षा जल की बूँदों के सीधे सतह से टकराने के कारण मृदा कण पृथक होकर स्थानांतरित हो जाते हैं जिसे वर्षा जल अपरदन कहते हैं।
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