आपको न्यायालय के समक्ष पेश हो कर हलफनामे के माध्यम से अपने साक्ष्य दर्ज करने के लिए समय की मांग करने की आवश्यकता है जिससे आपको यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि आप साबित करें कि कथित ऋण चुकाया जा चुका है और प्रश्नगत चेक एक सुरक्षा चेक है जिसे वापस किया जाना था।जैसा कि आपने कहा था कि ऋण चुकाने के संबंध में आपके पास पावती रसीद है, इसलिए इसे आसानी से साबित किया जा सकता है कि ऋण का भुगतान किया चुका है। हम सुझाव देते हैं कि आपको प्रतिनिधित्व करने और साक्ष्य का मसौदा तैयार करने के लिए आपको एक वकील को संलग्न करना चाहिए।यदि आपको किसी ने चेक बाउंस के झूठे मामले में फसाया है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, ऐसे मामलों में भारत की न्यायालय आपकी पूर्ण मदद करेगी। चेक के बाउंस होने के बाद आप को चेक बाउंस होने के 30 दिनों के अंदर दोषी पार्टी को एक लीगल नोटिस देना जरूरी होता है, आप स्वयं या अपने वकील के माध्यम से दोषी पार्टी को लीगल नोटिस भेज सकते हैं, ये लीगल नोटिस स्पीड पोस्ट या कोरियर सर्विस के माध्यम से भी भेजा जा सकता है। नोटिस में आप को यह लिखना होता है, कि यह चेक आपने कब और किस कारण लिया था। तथा उस पर लिखे रुपये को देने की जिम्मेदारी दोषी पार्टी की ही है। इसके अलावा अंत में आप दोषी पार्टी से चेक में लिखे हुए अमाउंट को नोटिस देने के बाद 15 दिन के अंदर वापस प्राप्त कर सकते हैं। और केवल चेक में लिखी हुई राशि ही नहीं बल्कि लीगल नोटिस भेजने का उचित खर्चा भी प्राप्त कर सकते है।चेक बाउंस के मामले में लीगल नोटिस भेजने के बाद जिस दिन वह नोटिस दोषी पार्टी को मिलता है, या फिर किसी कारण वश बिना मिले आप के पास वापस लौट आता है, तो उस दिन से अगले 15 दिन के बीच में दोषी पार्टी कभी भी आपके रुपये वापस कर सकती है। यदि दोषी पार्टी 15 दिन के अंदर आप के रुपये वापस नहीं करती है, तो “लेनदार नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के सेक्शन 138, के अंतर्गत अपराधिक शिकायत दर्ज करा सकता है, इसके अनुसार अगले 30 दिनों के अंदर आप दोषी पार्टी के ऊपर न्यायालय में चेक बाउंस करने और समय पर रुपये वापस न लौटने का केस भी कर सकते हो। इसका मतलब आपके पास कुल 45 दिन होते हैं, जिनमें से आखरी के 30 दिन में आप न्यायालय में केस फाइल कर सकते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); चेक बाउंस के झूठे मामले से कैसे बचें?आजकल देश में किसी व्यक्ति को फ़साने या कोई नुक्सान पहुंचाने के कानून का सहारा लेना बहुत ही आम बात बन चुका है, जिसमें एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से बदला लेने के लिए उसे किसी झूठे मामले में फसा देता है, जिससे उसका बदला भी पूरा हो जाता है, और उसे कुछ करना भी नहीं पड़ता है। किन्तु भारत की न्याय व्यवस्था किसी निर्दोष व्यक्ति का कभी अहित नहीं कर सकती है, क्योंकि भारत की न्याय व्यवस्था का एकमात्र उद्देश्य होता है, कि भले ही एक बार कोई दोषी व्यक्ति सजा पाने से बच जाये पर किसी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए। इसीलिए चेक बाउंस के मामले में भी न्यायालय एक निर्दोष व्यक्ति की पूरी मदद करती है। यदि आपने किसी व्यक्ति से लिया गया कोई ऋण का भुगतान कर दिया है, और आपके पास उस भुगतान की रसीद उपलब्ध है, तो आप वह रसीद न्यायालय में पेश करके अपने आप को बेगुनाह साबित कर सकते हैं, और ऐसे मामले में आपको किसी अनुभवी वकील से भी सलाह लेनी चाहिए क्योंकि एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो आपको किसी झूठे मामले से बचाने में आपकी मदद कर सकता है, और आपको इंसाफ दिला सकता है।आवश्यकडाक्यूमेंट्सजोकेसकेसाथफ़ाइलकरनेहोतेहैं (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); न्यायालय में केस फ़ाइल करते समय आप इन डाक्यूमेंट्स को केस में अवश्य ही लगाएंवह रसीद जिसमें आपने अपने ऋण का भुगतान किया था।चेक को बैंक में डालने के समय भरी जाने वाली स्लिपचेक की बाउंस होने वाली स्लिप (बैंक की स्टाम्प व सिग्नेचर के साथ)लीगल नोटिस तथा उसकी पोस्टल स्लिप सबूत के लिए कि आपका नोटिस दोषी पार्टी को मिला था, यदि नोटिस नहीं मिला तो उस के कारण क्या थेअगर दोषी पार्टी द्वारा आपके लीगल नोटिस का कोई जवाब आपको मिला है, तो उसका रिप्लाईइसके अलावा कोई एग्रीमेंट जो आप दोनों के बीच हुआ है, या इस लेनदेन से सम्बन्धित कोई अन्य दस्तावेज इत्यादि।चेक बाउंसहोनेपरनिम्नप्रकारसेकेसकियासकताहैदीवानीमुकदमा (सिविल केस) (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); “सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908” के सेक्शन 37, की सहायता से चेक बाउंस होने के बाद आप दोषी पार्टी पर सिविल केस फाइल कर सकते हैं, सिविल केस में यह आराम होता है, कि ये केस सिर्फ 4 तारीखों में ही खत्म हो जाता है, और न्यायालय आपको इन ही 4 तारीखों में आपका पैसा ब्याज समेत आपको दिलवाता है। लेकिन इसमें आपको अपने चेक के अमाउंट के हिसाब से न्यायालय की कोर्ट फीस देनी होती है, जो कि सामान्य से थोड़ी ज्यादा होती है। वैसे ये फीस आपको केस जीतने पर वापस मिल जाती है, लेकिन अधिकांश लोग इस फीस कि वजह से ही सिविल केस की कम फाइल करते हैं।फौजदारीमुकदमा (क्रिमिनलकेस)क्रिमिनल केस को पुलिस में एफ. आई. आर. द्वारा भी किया जा सकता है। इसके लिए आप चाहें तो दोषी के खिलाफ “भारतीय दंड संहिता, 1872” के सेक्शन 420, की सहायता से पुलिस में एफ. आई. आर. कर सकते हैं, लेकिन पुलिस ऐसे मामलो में जल्दी एफ. आई. आर. नहीं करती है, इसकी जगह वह चेक बाउंसिंग केस डालने को कहती है, लेकिन आप दोषी पार्टी पर दबाव बनाने के लिए उसके खिलाफ एफ. आई. आर. करवा सकते हैं। चेक बाउंस के मामलों में एक वकील की जरुरत क्यों होती है?हमारे देश में यदि किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया चेक बाउंस हो जाता है, तो उसके लिए न्यायालय द्वारा कड़ी सजा का प्रावधान दिया गया है, ऐसे व्यक्ति को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के सेक्शन 138 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया चेक बाउंस हो जाता है, तो उस व्यक्ति को कारावास के दंड से दण्डित किया जा सकता है, जिसकी समय सीमा को दो बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और कारावास के दंड के साथ साथ आर्थिक दंड से भी दण्डित किया जा सकता है। इसीलिए चेक बाउंस के मामलों से निपटने के लिए एक वकील ही ऐसा व्यक्ति होता है, जो आपको न्यायालय के दंड से बचा सकता है, और आपके मामले को समाप्त भी कर सकता है। लेकिन इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है, कि जिस वकील को हम अपने चेक बाउंस के मामले से बचने के लिए नियुक्त कर रहे हैं, वह अपने क्षेत्र में अनुभवी वकील होना चाहिए, जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं। Show
नकद के बदले चेक द्वारा भुगतान किया जाता है तो उसे क्या कहते हैं?Answer: Explanation: Halacha naama kehte hai.
चेक द्वारा भुगतान कैसे होता है?अगर आप किसी के बैंक अकाउंट में सीधे पेमेंट करना चाहते हैं तो चेक पर अकाउंट पेई डालना न भूलें. इसके लिए चेक के लेफ्ट (बायीं) ओर टॉप कॉर्नर पर डबल क्रॉस लाइन के बीच A/C Payee लिखा जाता है. यह चेक को सुरक्षित बनाता है और बेनेफिशियरी को ही इसका भुगतान होता है. इसे तुरंत भुनाया नहीं जा सकता है.
चेक के भुगतान को कौन रोक सकता है?खाताधारक चेक के भुगतान को रोकने के लिए अपने बैंक शाखा कार्यालय में जा सकते हैं। संबंधित व्यक्ति को लिखित अनुरोध देने के बाद, चेक के भुगतान को रोक दिया जाता है।
चेक बाउंस कितने प्रकार के होते हैं?चेक के खारिज होने की वजह:
यदि प्राप्त कर्ता का नाम अनुपस्थित है या स्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया है। यदि शब्दों और आंकड़ों में लिखी गई राशि एक दूसरे से मेल नहीं खाती है। यदि खाता संख्या स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं है या पूरी तरह से अनुपस्थित है। अगर ड्रॉअर बैंक को चेक का पेमेंट रोकने का आदेश देता है।
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