प्रदूषण कितने प्रकार के है और उसे रोकने के क्या उपाय है? - pradooshan kitane prakaar ke hai aur use rokane ke kya upaay hai?

पर्यावरण प्रदूषण क्या है और इसके प्रकार

What is environmental pollution In Hindi ? पर्यावरण प्रदूषण की पर्यावरण प्रदूषण का मतलब क्या होता है. पर्यावरण का मतलब होता है.पर्यावरण का मतलब होता है. कि हमारे चारों ओर का आवरण है. जिसमें पानी, जलवायु ,धरती ,पेड़-पौधे, आकाश यह सब चीजें मिलकर एक पर्यावरण का निर्माण करती है. उन चीजों को पर्यावरण कहा जाता है. और प्रदूषण का मतलब होता है. जो हमारे पर्यावरण में जो दूषित चीजें मिलकर हमारे पर्यावरण को खराब करती है. या उसे विषैला करती है. उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं. जैसे कि पानी में कोई चीज मिल गई तो वह हमारे पर्यावरण प्रदूषण का ही एक हिस्सा होती है. जिससे हमें बाद में उस पानी को पीने से दिक्कत होती है. या किसी भी प्रकार की बीमारी हो सकती है. तो वह एक पर्यावरण प्रदूषण का ही हिस्सा माना जाता है. तो नीचे हम आपको बतायेगे की पर्यावरण प्रदूषण से होता हैं.

जो चीजें हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करती है. या उसी विशाना करती है. उसको हम प्रदूषक कहते हैं. जिन चीजें के मिलने से हमारा पर्यावरण गंदा होता है जैसे विषैली गैस या गंदा पानी या किसी भी तरह का केमिकल वे सभी चीजें प्रदूषक कहलाते हैं. पहले पर्यावरण प्रदूषण इतना ज्यादा नहीं होता क्योंकि पहले दुनिया में जनसंख्या बहुत कम थी लेकिन जैसे जैसे दुनिया की जनसंख्या में वृद्धि हुई वैसे ही पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि हुई क्योंकि आज के समय में हर किसी को अपनी आवश्यकता पूरी करने के लिए कुछ न कुछ काम करना पड़ता है. और वह उस काम को पूरा करने के लिए अच्छा या बुरा नहीं सोचता है. वह खुद के काम के लिए पर्यावरण को दूषित कर सकता है. जैसे कि आज के समय में सबसे ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं. तो इंसान अपनी कागज. लकड़ी और दूसरी चीजों की पूर्ति करने के लिए वायु प्रदूषण कर रहा है क्योंकि अगर पेड़ काट दिए जाएंगे तो हमें वायु मिलना बहुत मुश्किल हो जाएगा तो यह सबसे बड़ा प्रदूषण का कारण बना हुआ है.इसी तरह से ही दूसरी चीजों का भी प्रदूषण हो रहा है..

पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है

मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के 4 भाग होते हैं. जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ये 4 तरह के प्रदूषण के होते हैं.

1.वायु प्रदूषण

वायु में ऐसे अन्य पदार्थों का मिलना या ऐसी रासायनिक चीजों का मिलना या किसी तरह की धूल मिट्टी का मिलना ही वायु प्रदूषण कहलाता है.अगर हम बात करें शुद्ध हवा की तो हमारी शुध्द हवा में 78% नाइट्रोजन गैस है. 21% ऑक्सीजन गैस शामिल होती है. 0.03 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है. इसके अलावा कुछ और भी शामिल होती हैं. हमारे वातावरण में मौजूद है.अगर इन सभी के अलावा दूसरी ओर चीजें हमारी वायु में मिल जाएगी तो वह हमारे लिए भी हानिकारक है. हमारी पूरी प्रकृति के लिए भी बहुत हानिकारक हो सकती है. और इन सभी चीजों को ही वायु प्रदूषण कहा जाता है. अगर साधारण भाषा में वायु प्रदूषण की बात करें तो जब वायु में रासायनिक भौतिक और जैविक विशेषताओं में अगर कमी आ जाती है. तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता हैं. क्योंकि कुछ बदलाव होगे तो यह हमारे लिए नुकसानदायक साबित होगी. वायु प्रदूषण के दो कारण होते हैं यह दो तरह से प्रदूषित होती है.

1.प्राकृतिक कारण – जब प्रकृति अपने खुद के द्वारा ही वायु प्रदूषण करती है. तो उसे प्राकृतिक वायु प्रदूषण कहा जाता है. जैसे कि अगर कई बार ज्वालामुखी फटती है तो उसके फटने के दौरान वहां से बहुत विषैली गैस निकलती है लावा निकलता है जिससे कि हमारी वायु प्रदूषित होती है. या अपने आप बहुत ज्यादा आंधी तूफान आने से हमारे हवा में धूल कण मिल जाते हैं. जिससे हमारी वायु दूषित होती है तो यह प्राकृतिक कारण होते हैं.

2. मनुष्य के कारण – प्राकृतिक कारणों से वायु प्रदूषण कम होती है. लेकिन मनुष्य के कारण वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा हो रही है. क्योंकि मनुष्य अपनी चीजों की पूर्ति के लिए वायु को प्रदूषित कर रहा है. जैसे की सबसे ज्यादा वाहनों का धुआं वायु को प्रदूषित करता है. इसके अलावा फैक्ट्री चिमनियों से निकलने वाला धुआं भी हमारी वायु को दूषित करता है. इसके अलावा मनुष्य कई बार ऐसी गलती कर देता है. जिसके कारण बहुत ज्यादा वायु प्रदूषित हो जाती है. जैसे कि भोपाल गैस त्रासदी वहां पर एक मनुष्य की गलती के कारण बहुत ज्यादा वायु प्रदूषित हुई थी. वहां के आसपास के पूरे इलाके में गंदगी और विषैली गैस फैल गई थी. जिससे की कई बीमारियां होना शुरू हो गई इसके अलावा विस्फोटक पदार्थों का इस्तेमाल करने से भी वायु प्रदूषित होती है. इसके अलावा और कीटनाशकों का स्प्रे करने से भी वायु प्रदूषण होती है और ऐसी बहुत सी और भी चीजें हैं जो हम हर रोज वायु में छोड़ देते हैं जिसके कारण बहुत तेजी से वायु प्रदूषण हो रहा है.

ऐसी चीजें जिनके कारण वायु प्रदूषण होती है उनको वायु प्रदूषण के कारक कहा जाता है. तो वह कौन कौन से कारक है मैं आपको नीचे बता रहा हूं मुख्य रूप से वायु प्रदूषण के दो कारक होते हैं.

1.प्राथमिक वायु प्रदूषक – ऐसी प्रदूषक जो किसी स्त्रोत से निकलकर हमारी वायु को प्रदूषित करते हैं. उन्हें प्राथमिक वायु प्रदूषक कहा जाता है. जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड ,कार्बन मोनोऑक्साइड, ये गैस प्राथमिक वायु प्रदूषण के अंतर्गत आती है. जो किसी स्त्रोत से अपने आप निकलती रहती है.इनकी हमारी प्रकृति के ऊपर या हमारे ऊपर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं. उनके बारे में हम आपको बता रहे हैं तो सबसे पहले हम आपको इस में बताएंगे स्वास्थ्य संबंधी क्या परेशानी इनके कारण आ सकती है.

2.स्वास्थ्य संबंधी – सबसे पहले हम बात करते कार्बन मोनोऑक्साइड की कि इसके कारण हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ते हैं.कार्बन मोनोऑक्साइड एक बहुत ही जहरीली गैस है यह रंगहीन तथा गंधहीन गैस है. यदि इसकी ज्यादा मात्रा हमारे शरीर में चली जाती है यह हमारे शरीर के खून के साथ क्रिया करके कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है. और इससे किसी भी इंसान की मृत्यु हो जाती है. क्योंकि जब हमारे सांस के साथ हमारे शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड जाती है. और यह हमारे शरीर में जाने के बाद हीमोग्लोबिन के साथ रिएक्शन करती है. जिससे मृत्यु हो जाती है.अगर हम बात करें सल्फर डाइऑक्साइड गैस की तो सल्फर डाइऑक्साइड गैस सेवा में स्वसन संबंधित परेशानी हो सकती है.इस तरह से ही सभी गैसों से हमारे शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है.

3.पादप – पादप जगत में सबसे ज्यादा कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं. जैसे वायु प्रदूषण के कारण पत्तियों का कलर पीला होना हो जाता है. और प्रदूषण के कारण पादपों में क्लोरोफिल की कमी होने लगती है. जिसके कारण उनमें हरिमाहीनता नामक रोग हो जाता है. कई बार वायु प्रदूषण के कारण पौधों की पत्तियों में छेद होने शुरू हो जाते हैं. इस तरह के रोग पौधों में होने शुरू हो जाते हैं. इसके अलावा प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है.

4.द्वितीयक प्रदूषक – द्वितीयक प्रदूषक को कहा जाता है जो प्रदूषण के प्राथमिक प्रदूषकों के मिश्रण के कारण हमारी उपायुक्त को दूषित करते हैं. उनको द्वितीयक प्रदूषक कहा जाता है.

2.जल प्रदूषण

जब कोई भी गंदी चीज या गंदे पदार्थ हमारे पानी में घुल जाते हैं. तो उसे हम जल प्रदूषण कहते हैं. जल प्रदूषण के कारण हमारे शरीर में बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं.जल प्रदूषण कई तरह से होता है जैसे कि कई बार फैक्ट्रियों का निकला हुआ कचरा पानी में डाल दिया जाता है उससे भी हमारा पानी बहुत ज्यादा दूषित हो जाता है और वह पानी अगर नदियों में डाला गया है तो वह पूरी नदी का पानी आगे पूरे इलाके में बीमारियां फैला सकता है. और जैविक उर्वरकों के कारण भी पानी दूषित होता है. और कई बार अम्लीय वर्षा के कारण भी पानी दूषित होता है. तो ऐसे बहुत से कारण हैं. जिनसे पानी भी दूषित होता है. और अगर हमारा पीने का पानी दूषित है. तो हमें बहुत सी बीमारियां हो सकती है. जैसे हैजा दस्त लगना खाज खुजली जैसे रोग ऐसे और भी बहुत से लोग हैं. जो कि हमें दूषित पानी के कारण हो सकते हैं.और दूषित पानी ऐसे बहुत से जीव को पैदा करता है. जिनसे कि हमारे शरीर को अलग-अलग तरह के रोग होने का डर रहता है.

3.मृदा प्रदूषण

जैसे पानी और वायु प्रदूषण होते हैं. वैसे ही मृदा का भी प्रदूषण होता है. और यह भी हमारे पर्यावरण प्रदूषण का एक भाग है.मृदा प्रदूषण के कई प्रकार से हो सकता है जैसे कि अगर हम कोई उड़ाया कचरा हमारे जमीन के गड्ढे मैं दबा देते हैं तो उससे हमारे मृदा का प्रदूषण होता है या हम किसी ऐसी चीज को जला देते हैं और उसको जमीन में दबा देते तो भी हमारी मृदा का प्रदूषण होता है या हम कुछ ऐसे कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि बहुत जहरीले हैं उससे भी हमारी मृदा का प्रदूषण होता है.वैसे तुम मृदा प्रदूषण में लगभग पूरा इंसान का ही काम होता है क्योंकि इंसान उसी मृदा का प्रदूषण कर सकता है. जैसे कई बार गड्ढा खोदकर पॉलिथीन आदि जमीन में दबा देते हैं. या किसी मरे हुए जानवर को मिट्टी में दबा देते हैं. तो इन कारणों से मृदा प्रदूषण होता है. और कई बार हमारे हमारी धरती के नीचे ऐसी जहरीली गैस से भी होती है. जो बहुत खतरनाक होती है. उनसे भी हमारी मृदा का प्रदूषण होता है.

4.ध्वनि प्रदूषण

यह पर्यावरण प्रदूषण का चौथा भाग है और आज के समय में ध्वनि प्रदूषण तो बहुत ज्यादा हो रहा है. ध्वनि प्रदूषण के लिए सरकार ने कानून भी बनाए हैं. जैसे कि आज के समय में शादी विवाह में DJ बहुत ज्यादा जोर से बजाया जाता है. जिससे कि बीमार व्यक्ति को बहुत ज्यादा दिक्कत होती है. तो यदि रात को ज्यादा समय तक्क DJ बजाता है. तो उस पर सरकार द्वारा जुर्माना भी लगाया जाता है. और उसको सजा भी हो सकती है. ध्वनि प्रदूषण के कारण हमें और भी बहुत सी समस्याएं हो सकती हैं. जैसे पढ़ने में दिक्कत होती है. या किसी की बात सुनने में दिक्कत होती है. इस तरह की समस्याएं होती है ध्वनि प्रदूषण सबसे ज्यादा फैक्ट्रियों या मशीनों के चलने से होता है. और DJ ध्वनि प्रदूषण होता है.

पर्यावरण प्रदूषण के नुकसान

1. पर्यावरण प्रदूषण के कारण तापमान वृद्धि बहुत तेजी से हो रही है. अगर इसका कोई हल नहीं निकाला जाएगा तो शायद आने वाले समय में धरती के ऊपर बहुत ज्यादा गर्मी हो जाएगी क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण के कारण ओजोन की परत खत्म हो रही है और ओजोन की परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है. अगर वह उनकी प्रथा खत्म हो जाएगी तो सूर्य की किरणें सीधी हमारी धरती तक पहुंच जाएगी और हमारा तापमान बहुत जल्दी ही बढ़ जाएगा.

2. पर्यावरण प्रदूषण के कारण वर्षा की कमी भी होती है. क्योंकि बहुत ज्यादा मात्रा में पेड़ काटे जा रहे .हैं और जिससे कि वर्षा कम हो रही है और गर्मी का स्तर लगातार बढ़ रहा है. अगर जल्दी-जल्दी पेड़ नहीं लगाए गए तो शायद आने वाले समय में वर्षा बहुत कम हो जाएगी.

3. पर्यावरण प्रदूषण के कारण हमारी प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा या तो कहीं पर ज्यादा बारिश होने लग जाएगी.

पर्यावरण प्रदूषण कम करने के उपाय

  1. पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए फैक्ट्रियों के धुआं को कम करना चाहिए.
  2. फैक्ट्री या कंपनियों से निकलने वाले कचरे को पानी में नहीं डालने देना चाहिए.
  3. पॉलिथीन के इस्तेमाल को बंद करना चाहिए क्योंकि यह बहुत ज्यादा प्रदूषण करता है इस के जलने से भी प्रदूषण होता है.
  4. ज्यादा से ज्यादा पेड़ों को लगाना चाहिए ताकि हमारी प्रकृति का संतुलन बना रहे.
  5. CNG गैस के वाहनों का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए.
  6. खेतों में पराली या दूसरी चीजों को जलाना नहीं चाहिए क्योंकि इससे बहुत ज्यादा वायु प्रदूषण होता है.

तो आज हमने आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और बढ़िया जानकारी आपको बताएं यह जानकारी आपके लिए भी जाना बहुत ही जरूरी है और आपके लिए इस तरह विचार करना भी बहुत ही जरूरी है. क्योंकि आने वाले समय में अगर सामने बढ़िया जीवन व्यतीत करना है.तो इन सभी चीजों को ध्यान में रखना होगा क्योंकि प्रदूषण हमारे लिए आज के समय में सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है. और चीनी को तो इतना ज्यादा प्रदूषण है. कि उस प्रदूषण को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है. तो यदि हमारे द्वारा बताई गई प्रदूषण , पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान प्रदूषण के कारण प्रदूषण का अर्थ क्या है पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं प्रदूषण रोकने के उपाय पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध in hindi , Pollution Essay In Hindi के बारे में जानकारी आपको पसंद आए और अच्छी लगे तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं.

प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं?

प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं?:.
वायु प्रदूषण (Air Pollution).
प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution).
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution).
मिट्टी प्रदूषण (Soil Pollution).
जल प्रदूषण (Water pollution).

पर्यावरण प्रदूषण क्या है इसे रोकने के उपाय?

➤ कम शोर वाले मशीन उपकरणों के निर्माण एवं उपयोग पर जोर देना चाहिए एवं उद्योगों को शहरों या आबादी वाले स्थान से दूर स्थापित करना चाहिए। ➤ परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। ➤ हमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक एवं अन्य प्लास्टिक के उपयोग को रोकना चाहिए एवं पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।

प्रदूषण क्या है इसके विभिन्न प्रकार के नाम लिखिए?

मानव कृतियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषण होता है। लोंगों द्वारा बनाये गये अवशेष को पृथक न करने के कारण बने कचरे को फेंके जाने से भूमि (जमीन) प्रदूषण होता है। प्रदुषण कई प्रकार के होते है - (१)जल प्रदुषण , (२)वायु प्रदुषण , (३)ध्वनि प्रदुषण (४) मृदा प्रदूषण आदि।

प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?

यह हैं कुछ वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय : जहाँ तक मुमकिन हो, खुद भी ऑफ़िस जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें। आप साइकिल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि साईकिल से पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता है और आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। 2.