हिंदी के वाक्यो को संस्कृत भाषा मे अनुवाद करने के नियम निश्चित होते है | नियमो का पालन करके हम संस्कृत भाषा मे अनुवाद कर सकते है | Show 1. प्रथम पुरुष को अन्य पुरुष भी कहा जाता है |प्रथम पुरुष में युष्मद् शब्द के कर्त्ताओं तथा अस्मद् शब्द के कर्त्ताओं को छोड़ कर अन्य जितने भी कर्त्ता होते है , वे सब प्रथम पुरुष के अंतर्गत आते हैं | जैसे- स: , राम: , बालक: , मोहन:, सीता , बालिका आदि | हिंदी वाक्य संस्कृत अनुवाद मेरे मित्र ने पुस्तक पढ़ी I मम मित्रं पुस्तकं अपठत् I वे लोग घर पर क्या करेंगे I ते गृहे किम करिष्यन्ति I यह गाय का दूध पीता है I सः गोदुग्धम पिवति I हम लोग विद्यालय जाते है I वयं विद्यालयं गच्छाम: I तुम शीघ्र घर जाओ I त्वं शीघ्रं गृहम् गच्छ I हमें मित्रों की सहायता करनी चाहिये I वयं मित्राणां सहायतां कुर्याम I विवेक आज घर जायेगा I विवेकः अद्य गृहं गमिष्यति I सदाचार से विश्वास बढता है I सदाचारेण विश्वासं वर्धते I वह क्यों लज्जित होता है ? सः किमर्थम् लज्जते ? हम दोनों ने आज चलचित्र देखा I आवां अद्य चलचित्रम् अपश्याव I हम दोनों कक्षा में अपना पाठ पढ़ेंगे | आवां कक्षायाम् स्व पाठम पठिष्याव: I वह घर गई I सा गृहम् अगच्छ्त् I सन्तोष उत्तम सुख है I संतोषः उत्तमं सुख: अस्ति I पेड़ से पत्ते गिरते है I वृक्षात् पत्राणि पतन्ति I मै वाराणसी जाऊंगा I अहं वाराणासीं गमिष्यामि I मुझे घर जाना चाहिये I अहं गृहं गच्छेयम् I यह राम की किताब है I इदं रामस्य पुस्तकम् अस्ति I हम सब पढ़ते हैं I वयं पठामः I सभी छात्र पत्र लिखेंगे I सर्वे छात्राः पत्रं लिखिष्यन्ति I मै विद्यालय जाऊंगा I अहं विद्यालयं गमिष्यामि I प्रयाग में गंगा -यमुना का संगम है | प्रयागे गंगायमुनयो: संगम: अस्ति | हम सब भारत के नागरिक हैं | वयं भारतस्य नागरिका: सन्ति | वाराणसी गंगा के पावन तट पर स्थित है | वाराणसी गंगाया: पावनतटे स्थित: अस्ति | वह गया | स: आगच्छ्त् | वह किसका घोड़ा है ? स: कस्य अश्व: अस्ति ? तुम पुस्तक पढ़ो | त्वं पुस्तकं पठ | हम सब भारत के नागरिक हैं | वयं भारतस्य नागरिका: सन्ति | देशभक्त निर्भीक होते हैं | देशभक्ता: निर्भीका: भवन्ति | सिकन्दर कौन था ? अलक्षेन्द्र: क: आसीत् ? राम स्वभाव से दयालु हैं | राम: स्वभावेन दयालु: अस्ति | वृक्ष से फल गिरते हैं | वृक्षात् फलानि पतन्ति | शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया | शिष्य: गुरुं प्रश्नम् अपृच्छ्त् | मैं प्रतिदिन स्नान करता हूँ | अहं प्रतिदिनम् स्नानं कुर्यामि | मैं कल दिल्ली जाऊँगा | अहं श्व: दिल्लीनगरं गमिष्यामि | प्रयाग में गंगा-यमुना का संगम है | प्रयागे गंगायमुनयो: संगम: अस्ति | वाराणसी की पत्थर की मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं | वाराणस्या: प्रस्तरमूर्त्तय: प्रसिद्धा: | अगणित पर्यटक दूर देशो से वाराणसी आते हैं | अगणिता: पर्यटका: सुदूरेभ्य: देशेभ्य: वाराणसी नगरिम् आगच्छन्ति | यह नगरी विविध कलाओ के लिए प्रसिद्ध हैं | इयं नगरी विविधानां कलानां कृते प्रसिद्धा अस्ति | वे यहा नि:शुल्क विद्या ग्रहण करते हैं | ते अत्र नि:शुल्कं विद्यां गृह्णन्ति | वाराणसी में मरना मंगलमय होता है | वाराणस्यां मरणं मंगलमयं भवति | सूर्य उदित होगा और कमल खिलेंगे | सूर्य: उदेष्यति कमलानि च हसिष्यन्ति | रात बीतेगी और सवेरा होगा | रात्रि: गमिष्यति, भविष्यति सुप्रभातम् | कुँआ सोचता है कि हैं अत्यन्त नीच हूँ | कूप: चिन्तयति नितरां नीचोsस्मीति | भिक्षुक प्रत्येक व्यक्ति के सामने दीन वचन मत कहो | भिक्षुक! प्रत्येकं प्रति दिन वच: न वद्तु | हंस नीर- क्षीर विवेक में प्रख्यात हैं | हंस: नीर-क्षीर विवेक प्रसिद्ध अस्ति | सत्य से आत्मशक्ति बढ़ती है | सत्येन आत्मशक्ति: वर्धते | अपवित्रता से दरिद्रता बढ़ती है | अशौचेन दारिद्रयं वर्धते| अभ्यास से निपुणता बढ़ती है| अभ्यासेन निपुणता वर्धते | उदारता से अधिकतर बढ़ते है | औदार्येण प्रभुत्वं वर्धते | उपेक्षा से शत्रुता बढ़ती है | उपेक्षया शत्रुता वर्धते| मानव जीवन को संस्कारित करना ही संस्कृति है | मानव जीवनस्य संस्करणाम् एव संस्कृति: अस्ति भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है | भारतीया: संस्कृति: सर्वश्रेष्ठ: अस्ति | सभी निरोग रहें और कल्याण प्राप्त करें | सर्वे संतु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यंतु च | काम करके ही फल मिलता है | कर्म कृत्वा एव फलं प्राप्यति | हमारे पूर्वज धन्य थे | अस्माकं पूर्वजा: धन्या: आसन्| हम सब एक ही संस्कृति के उपासक हैं| वयं सर्वेsपि एकस्या: संस्कृते: समुपासका: सन्ति | जन्म भूमि स्वर्ग से भी बड़ी है | जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी| विदेश में धन मित्र होता है| विदेशेषु धनं मित्रं भवति | विद्या सब धनों में प्रधान है | विद्या सर्व धनं प्रधानम् | मनुष्य को निर्लोभी होना चाहिये | मनुष्य: लोभहीन: भवेत्| आज मेरे विद्यालय मे उत्सव होगा| अद्य मम् विद्यालये उत्सव: भविष्यति | ताजमहल यमुना किनारे पर स्थित है | ताजमहल: यमुना तटे स्थित: अस्ति | हमे नित्य भ्रमण करना चाहिये | वयं नित्यं भ्रमेम | गाय का दूध गुणकारी होता है | धेनो: दुग्धं गुणकारी भवति | जंगल मे मोर नाच रहे हैं | वने मयूरा: नृत्यन्ति | किसी के साथ बुरा कार्य मत करो | केनापि सह दुष्कृतं मा कुरु| सच और मीठा बोलो | सत्यं मधुरं च वद | विकिपुस्तक से नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ हिंदी-संस्कृत परिच्छेद अनुवाद →
10 हिंदी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद?(2) मध्यम पुरुष–जिससे बात की जाती है; जैसे-तुम (त्वम्), तुम दोनों (युवाम्), तुम सब (यूयम्)। (3) उत्तम पुरुष-स्वयं बात करने वाला; जैसे—मैं (अहम्), हम दोनों (आवाम्), हम सब (वयम्)। त्वम्, युवाम्, यूयम्, अहम्, आवाम्, वयम्-इन छ: कर्ताओं को छोड़कर अन्य सभी कर्ता प्रथम पुरुष में आते हैं।
हिंदी के वाक्य को संस्कृत में कैसे बनाएं?हिन्दी-संस्कृत अनुवाद/हिंदी-संस्कृत वाक्य अनुवाद. बालक विद्यालय जाता है। - बालकः विद्यालयं गच्छति।. झरने से अमृत को मथता है। - सागरं सुधां मथ्नाति।. राम के सौ रुपये चुराता है। ... . राजा से क्षमा माँगता है। ... . सज्जन पाप से घृणा करता है। ... . विद्यालय में लड़के और लड़कियाँ है। ... . मैं कंघे से बाल सँवारता हूँ। ... . बालिका जा रही है।. हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद?उदाहरणार्थ-'राम पढ़ता है' वाक्य के लिए संस्कृत में लिखा जाएगा 'रामः पठति', जबकि 'सीता पढ़ती है' के लिए भी 'सीता पठति' ही लिखा जाएगा। इस प्रकार यहाँ क्रिया कर्ता के लिंग से अप्रभावित है। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिए कर्ता के पुरुष और वचन की पहचान करना अति आवश्यक है।
संस्कृत अनुवाद कैसे करते हैं?संस्कृत अनुवाद कैसे करें. मेरे मित्र ने पुस्तक पढ़ी । -- मम मित्रः पुस्तकं अपठत् ।. वे लोग घर पर क्या करेंगे । -- ते गृहे किं करिष्यन्ति ।. वह गाय का दूध पीता है । -- सः गोदुग्धं पिवति ।. हम लोग विद्यालय जाते है । ... . तुम शीघ्र घर जाओ । ... . हमें मित्रों की सहायता करनी चाहिये । ... . विवेक आज घर जायेगा । ... . सदाचार से विश्वास बढता है ।. |