हल्कू खेत पर कहां और कैसे रात बता रहा था - halkoo khet par kahaan aur kaise raat bata raha tha

सवाल: हल्कू खेत पर कहां और कैसे रात बिता रहा था?

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हल्कू एक गरीब काश्तकार किसान था। रात को उसे जानवरों से बचाने के लिए खेतों में सोना पड़ता था। और जब हल्कू पूस की रात में खेत पर रात बिताता था तो उसके पास खेत के किनारे बनी ईख के पत्तों की एक छतरी थी जिसमे हल्कू रात को सोता था और छतरी के अलावा उसके पास एक पुराने गाढ़े की चादर और उसका कुत्ता जबरा था। 

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हल्कू अब खेत पर कहाँ और कैसे रात बिता रहा था?...


ज्ञान गंगाकहानी

AMRESH KUMAR

Teacher

0:15

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हल्कू ने मां के महीने में अधिक ठंड में अपने खेतों के पास ही वालों में अपना रात बिता रहा था उसके साथ उसका जबड़ा कुत्ता था जो उसके साथ सोया करता था

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हल्कू खेत पर कहां और कैसे रात बता रहा था - halkoo khet par kahaan aur kaise raat bata raha tha
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हल्कू खेत पर कहां और कैसे रात बता रहा था - halkoo khet par kahaan aur kaise raat bata raha tha

1 जवाब

हल्कू खेत पर कहां और कैसे रात बता रहा था - halkoo khet par kahaan aur kaise raat bata raha tha

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खेत चौपट होने पर हल्कू ने क्या सोचा?

हल्कू ने सोचा, चलकर पत्तियाँ बटोरूँ और उन्हें जलाकर ख़ूब तापूँ। रात को कोई मुझे पत्तियाँ बटोरते देख तो समझे कोई भूत है। कौन जाने, कोई जानवर ही छिपा बैठा हो, मगर अब तो बैठे नहीं रहा जाता। उसने पास के अरहर के खेत में जाकर कई पौधे उखाड़ लिए और उनका एक झाड़ू बनाकर हाथ में सुलगता हुआ उपला लिए बग़ीचे की तरफ़ चला।

रौंदे हुए खेत को देखकर मुन्नी और हल्कू की क्या क्या प्रतिक्रिया थी?

हल्कू अपने खेत को नीलगायों से बचाने के लिए रातभर पहरेदारी करता है लेकिन पूस की उस रात खेतों को नहीं बचा पाता। अगले दिन सुबह मुन्नी खेत पर पहुंची तो उसके चेहरे पर उदासी थी लेकिन हल्कू खुश था। मुन्नी ने चिंतित होकर कहा, “अब मजूरी करके मालगुजारी करनी पड़ेगी।” हल्कू का उत्तर था, “रात को ठंड में यहां सोना तो न पड़ेगा।”