घ फादर कामिल बुल्के ने भारत में रहते हुए हिंदी भाषा के विकास में क्या योगदान दिया? - gh phaadar kaamil bulke ne bhaarat mein rahate hue hindee bhaasha ke vikaas mein kya yogadaan diya?

फ़ादर बुल्के ने हिंदी के उत्थान के लिए क्या-क्या प्रयास किए?

Solution

भारत में रहते हुए फ़ादर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम०ए० किया। इससे ज्ञात होता है कि हिंदी से उन्हें विशेष लगाव था। उन्होंने हिंदी के उत्थान के लिए

  • हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते।
  • हर मंच से हिंदी की दुर्दशा पर दुख प्रकट करते।
  • हिंदी वालों द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर दुख प्रकट करते।
  • वे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए चिंतित रहते।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)

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फादर कामिल बुल्के का हिंदी के विकास में क्या योगदान रहा लिखिए?

फादर कामिल बुल्के बेल्जियम से एक मिशनरी के तौर पर भारत आए थे। भारत आकर मृत्युपर्यंत हिंदी, तुलसी और वाल्मीकि के भक्त रहे। भारत सरकार ने 1974 में इनके साहित्य शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। अभाव और संघर्ष भरे अपने बचपन के दिन बिताने के बाद बुल्के ने कई स्थानों पर पढ़ाई जारी रखी।

फादर कामिल बुल्के ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के संबंध में क्या विचार रखते थे?

वे सदैव हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए चिंतित रहते थे। इसके लिए वे प्रत्येक मंच पर आवाज उठाते थे। उन्हें उन लोगों पर झुंझलाहट होती थी जो हिंदी जानते हुए भी हिंदी का प्रयोग नहीं करते थे। इस तरह हम कह सकते हैं कि फादर बुल्के का हिंदी के प्रति विशेष लगाव और प्रेम था।

6 फादर बुल्के ने भारत में रहते हुए हिंदी के उत्थान के लिए क्या क्या कार्य किए?

फ़ादर बुल्के ने हिंदी के उत्थान के लिए क्या-क्या प्रयास किए?.
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते।.
हर मंच से हिंदी की दुर्दशा पर दुख प्रकट करते।.
हिंदी वालों द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर दुख प्रकट करते।.
वे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए चिंतित रहते।.

कैसे कहा जा सकता है कि फादर कामिल बुल्के हिंदी के विकास में एक विशेष भूमिका निभाते हैं?

उन्होंने सन् 1950 में अपना शोध प्रबंध “रामकथा : उत्पत्ति और विकासहिंदी | में पूर्ण किया। उन्होंने सुप्रसिद्ध शब्दकोश अंग्रेजी-हिंदी लिखा। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए सदैव चिंतित रहे। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते रहे।