गायों की बीमारी का देसी इलाज क्या है? - gaayon kee beemaaree ka desee ilaaj kya hai?

Lumpy Skin Virus Disease: राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने भयंकर तबाही मचाई हुई है. देशभर में इस वायरस से 60 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है. पशुपालकों का व्यवसाय तबाह हो गया है. स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर है. जिला प्रशासन की तरफ से बकायदा एडवाइजरी जारी की गई है.

प्रशासन की तरफ से निर्देश दिया गया है कि अगर किसी भी पशुपालक को अपनी गायों में इस बीमारी का लक्षण दिखे तो वह तत्काल पशु चिकित्सा विभाग को सूचित करें और इलाज कराएं. पशुओं में तेजी से फैल रही लम्पी बीमारी के प्रभावी रोकथाम एवं जागरुकता के सम्बंध में बताते हुए जिलाधिकारी ईशा दुहन ने जनसामान्य से अपील करते हुए कहा है कि यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें. प्रभावित पशु को अन्य पशुओं से अलग रखें और प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करें. 

क्या है लंपी वायरस

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यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है. यह बीमारी गोवंशीय एंव महिषवंशीय पशुओं में पायी जाती है.इस रोग का संचरण / फैलाव / प्रसार पशुओ में मक्खी , चिचडी एंव मच्छरों के काटने से होता है. इस बीमारी से संक्रमित पशुओ में हल्का बुखार हो जाता है.पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल/ गांठे उभर आती है.इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 प्रतिशत होता है.

बीमारी के रोकथाम एंव नियंत्रण के उपाय

अगर आपका पशु इस बीमारी से ग्रसित हो गया है तो इस बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें. साथ ही पशुओं को मक्खी,चिचडी एंव मच्छर के काटने से बचाने किस दिशा में काम करें. यही नहीं पशुशाला की साफ - सफाई दैनिक रूप से करें और डिसइन्फैक्शन का स्प्रे करते रहें. संक्रमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दें. अगर इस बीमारी से किसी की मौत हो जाती है तो मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबा दें.

लम्पी संक्रमण से बचने के पशुओं को दें यह औषधियां  

लंपी संक्रमण से बचाने के लिए पशुओं को आंवला,अश्वगन्धा, गिलोय एंव मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाएं. तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी , दालचीनी 05 ग्राम सोठ पाउडर 05 ग्राम , काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खिलाएं. संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कण्डे में गूगल,कपूर,नीम के सूखे पत्ते , लोबान को डालकर सुबह शाम धुआँ करें. पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एंव 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें. घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलाएं.


संक्रमण होने के बाद इन देशी औषधियों का करें इस्तेमाल

अगर आपके पशु को लंपी वायरस का संक्रमण हो जाता है तो एक मुट्ठी नीम के पत्ते, तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी,लहसुन की कली 10 नग लौग 10 नग,काली मिर्च 10 नग जीरा 15 ग्राम हल्दी पाउडर 10 ग्राम पान के पत्ते 05 नग, छोटे प्याज 02 नग पीसकर गुंड में मिलाकर सुबह शाम 10-14 दिन तक खिलाएं.

संक्रमण के दौरान खुले घाव के देशी उपचार 

नीम के पत्ते एक मुट्ठी , तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी , मेहंदी के पत्ते एक मुट्ठी लेहसुन की कली 10 हल्दी पाउडर 10 ग्राम , नारियल का तेल 500 मिलीलीटर को मिलाकर धीरे-धीरे पकाये तथा ठण्डा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगाये. साथ ही किसी भी पशु में बीमारी होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करके उपचार कराएं. किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वंय न करें. लम्पी स्किन बीमारी से बचाव हेतु पशुपालन के कर्मियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं को टीका निःशुल्क लगाया जा रहा है. सभी पशुपालक अपने पशुओं को टीका अवश्य लगवाएं.

होम /न्यूज /दिल्ली-एनसीआर /Lumpy Skin Cow Disease: लंपी त्‍वचा रोग से संक्रमित गाय को दें ये देसी उपचार, मिलेगी राहत, पशु विशेषज्ञों ने दी सलाह

गायों की बीमारी का देसी इलाज क्या है? - gaayon kee beemaaree ka desee ilaaj kya hai?

हिमाचल में अब तक लंपी स्किन बीमारी से 4567 पशुओं की मौत हो चुकी है, जबकि 83,790 पशु संक्रमित हुए हैं.

राष्‍ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से लंपी स्किन रोग के लिए परंपरागत उपचार की विधि बताई गई है. गाय के संक्रमित होने पर ...अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 16, 2022, 16:41 IST

नई दिल्‍ली. देश के कई राज्‍यों में गायों और भैंसों में लंपी स्किन रोग वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. जिसकी वजह से गुजरात, राजस्‍थान सह‍ित कई राज्‍यों में हजारों की संख्‍या में मवेशियों की मौत हो चुकी है. मरने वाले पशुओं में सबसे बड़ी संख्‍या गायों की है. लंपी स्किन रोग एक संक्रामक रोग है जो वायरस की वजह से तेजी से फैलता है और कमजोर इम्‍यूनिटी वाली गायों को खासतौर पर प्रभावित करता है. इस रोग का कोई ठोस इलाज न होने के चलते सिर्फ वैक्‍सीन के द्वारा ही इस रोग पर नियंत्रण और रोकथाम की जा सकती है. हालांकि पशु चिकित्‍सा विशेषज्ञों की मानें तो कुछ देसी और आयुर्वेदिक उपायों के माध्‍यम से भी लंपी रोग से संक्रमित हुई गायों और भैंसों ठीक किया जा सकता है.

लंपी त्‍वचा रोग को लेकर पशु चिकित्‍सा एवं पशु पालन प्रसार शिक्षा विभाग, पशु चिकित्‍सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के पशु चिकित्‍सा विशेषज्ञ डॉ. ठाकुर कहते हैं कि गायों और भेंसों में चल रहा यह गांठदार त्‍वचा रोग काफी तेजी से फैल रहा है. अभी तक देश के करीब 17 राज्‍यों में फैल चुकी यह बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है. लिहाजा जरूरी है कि न केवल सरकारें बल्कि पशु पालक भी इसे लेकर जागरुक रहें. यह एक संक्रामक रोग है, इसका कोई इलाज भी नहीं है लेकिन अगर कोई गाय इससे संक्रमित होती है तो कुछ परंपरागत उपचार भी किए जा सकते हैं जो काफी उपयोगी हैं.

डॉ. देवेश कहते हैं कि देश के राष्‍ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से लंपी स्किन रोग के लिए परंपरागत उपचार की विधि बताई गई है. गाय के संक्रमित होने पर अगर इन परंपरागत उपायों को भी कर लिया जाए तो काफी राहत मिल सकती है. हालांकि इस दौरान ध्‍यान रखें कि बीमारी पशु को स्‍वस्‍थ पशुओं से पूरी तरह दूर रखें. बीमार पशु के पास अन्‍य पशुओं को न जाने दें और न ही इसका जूठा पानी या चारा अन्‍य पशुओं को खाने दें.

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ये है परंपरागत उपचार की विधि
पहली विधि

सामग्री- 10 पान के पत्‍ते, 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम नमक और गुड़ आवश्‍यकतानुसार
. इस पूरी सामग्री को पीसकर एक पेस्‍ट बना लें और इसमें आवश्‍यकतानुसार गुड़ मिला लें.
. इस मिश्रण को पशु को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पशु को खिलाएं.
. पहले दिन इसकी एक खुराक हर तीन घंटे पर पशु को दें.
. दूसरे दिन से दूसरे सप्‍ताह तक दिन में 3 खुराक ही खिलाएं.
. प्रत्‍येक खुराक ताजा तैयार करें.

दूसरी विधि
घाव पर लगाए जाने वाला मिश्रण ऐसे तैयार करें.
सामग्री- कुम्‍पी का पत्‍ता 1 मुठ्ठी, लहसुन 10 कली, नीम का पत्‍ता 1 मुठ्ठी, मेहंदी का पत्‍ता 1 मुठ्ठी, नारियल या तिल का तेज 500 मिलीलीटर, हल्‍दी पाउडर 20 ग्राम, तुलसी के पत्‍ते 1 मुठ्ठी

बनाने की विधि-पूरी सामग्री को पीसकर इसका पेस्‍ट बना लें. इसके बाद इसमें नारियल या तिल का तेल मिलाकर उबाल लें और ठंडा कर लें.
ऐसे करें उपयोग- अब गाय के घाव को अच्‍छी तरह साफ करने के बाद इस ठंडे मिश्रण को सीधे घाव पर लगाएं. वहीं अगर घाव में कीड़े दिखाई दें तो सबसे पहले नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाएं. या फिर सीताफल की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्‍ट बना लें और घाव पर लगा दें.

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Tags: Animals, Cow

FIRST PUBLISHED : August 07, 2022, 14:34 IST

बीमार गाय को क्या खिलाना चाहिए?

मवेशी को मल्टीविटामिन खिलाना चाहिए। संक्रमित पशु को पर्याप्त मात्रा में तरल और हल्का खाना व हरा चारा देना चाहिए

गायों की बीमारी का इलाज कैसे करें?

गाय के संक्रमित होने पर अगर इन परंपरागत उपायों को भी कर लिया जाए तो काफी राहत मिल सकती है. हालांकि इस दौरान ध्‍यान रखें कि बीमारी पशु को स्‍वस्‍थ पशुओं से पूरी तरह दूर रखें. बीमार पशु के पास अन्‍य पशुओं को न जाने दें और न ही इसका जूठा पानी या चारा अन्‍य पशुओं को खाने दें.

गायों में कौन सी बीमारी चल रही है?

गायों में लंपी का सर्वाधिक प्रभाव हाल ही में जयपुर की हिंगोनिया गौशाला में भी गायों में लंपी बीमारी के मामले मिले हैं. राज्य में लंपी सेमरने वाले पशुओं में सबसे ज़्यादा मौत गायों की हुई और गायों पर ही लंपी का 90 फीसदी तक प्रभाव देखने को मिल रहा है. डॉ रवि इसरानी ने बताया है, "भैंसों में बेहद कम मामले हैं.

लंबी रोग कितने दिन में ठीक हो जाता है?

लंपी वायरस के संक्रमण से दो से तीन हफ्ते में ठीक हुआ जा सकता है. संक्रमित होने के बाद 5 से 7 दिन तक एंटी-बायोटिक देकर इसका इलाज किया जा सकता है. इसके अलावा इसकी वैक्सीन भी है.