रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है? - rudraaksh dhaaran karane ke kya niyam hai?

हिंदू मान्यताओं में रुद्राक्ष का काफी महत्व है। इसे साक्षात भगवान शिव का अंश माना गया है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। कहा जाता है माता सती के देह त्याग के बाद भगवान शिव के रुदन से निकले आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारिक तत्व की प्राप्ति हुई।

रुद्राक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से निर्मित हुआ है. जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं, उनके ऊपर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है. लेकिन रुद्राक्ष पहनने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन बहुत जरूरी होता है.

रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है? - rudraaksh dhaaran karane ke kya niyam hai?

रुद्राक्ष को बहुत ही चमत्कारी और अलौकिक माना गया है. कहा जाता है कि इसका सीधा संबन्ध भगवान शिव से है. ये शिवजी के आंसुओं से निर्मित है. रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं. इन सभी का अलग अलग महत्व माना गया है. लेकिन सभी तरह के रुद्राक्ष पहनने के नियम करीब करीब एक जैसे हैं. यहां जानिए इन नियमों के बारे में.

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रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है? - rudraaksh dhaaran karane ke kya niyam hai?

कई बार लोग रुद्राक्ष को काले धागे में धारण कर लेते हैं, लेकिन नियमानुसार ये गलत है. रुद्राक्ष को लाल या पीले रंग के धागे में ही धारण करना चाहिए. रुद्राक्ष को धारण करते समय गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए.

रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है? - rudraaksh dhaaran karane ke kya niyam hai?

रुद्राक्ष धारण करते समय शिव जी के मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करें. साथ ही रुद्राक्ष की शुद्धता का पूरा खयाल रखें. जब भी महिलाएं पीरियड्स के दौरान इसे उतार दें. बाद में ​इसे गंगाजल से शुद्ध करके दोबारा पहनें.

रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है? - rudraaksh dhaaran karane ke kya niyam hai?

अपना पहना हुआ रुद्राक्ष कभी किसी दूसरे को पहनने को न दें. अगर आप रुद्राक्ष की माला पहनते हैं, तो इसमें कम से कम 27 मनके होना जरूरी हैं. इसके अलावा इसकी संख्या हमेशा विषम होनी चाहिए.

रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है? - rudraaksh dhaaran karane ke kya niyam hai?

रुद्राक्ष धारण करने वालों को मांस, मदिरा आदि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. रुद्राक्ष को वैसे तो धागे में पहनना सबसे श्रेष्ठ है, लेकिन आप इसे सोने या चांदी में भी पहन सकते हैं.

नई दिल्ली: भगवान शिव का प्रसाद माना जाने वाला यह चमत्कारी बीज रुद्राक्ष (Rudraksha) भगवान शिव के आंसुओं से बना है. भगवान शंकर को रुद्राक्ष बहुत प्रिय है. यही कारण है कि भगवान शिव के भक्त हमेशा अपने शरीर में इसे धारण किए रहते हैं. दरअसल, रुद्राक्ष के विभिन्न दानों का संबंध अलग-अलग देवी-देवताओं और मनोकामनाओं से है. जैसे एक मुखी रुद्राक्ष तो साक्षात शिव का स्वरूप है. वह भोग और मोक्ष प्रदान करता है. वहीं दो मुख वाला रुद्राक्ष देव देवेश्वर कहा गया है. यह सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है.

Rudraksh Ke Niyam:  बहुत से लोग रुद्राक्ष को धारण करते हैं. रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक होते हैं. हर रुद्राक्ष का अपना अलग महत्‍व है. ऐसे में रुद्राक्ष को धारण करते समय कुछ नियमों का पालन करना काफी जरूरी होता है

रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है? - rudraaksh dhaaran karane ke kya niyam hai?

rudraksha ke niyam

Rudraksh Ke Niyam: रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है. इस ज्योतिष महत्व होता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसूओं से हुई थी. इसलिए इस भगवान शिव (Lord Shiva) का स्वरूप माना गया है. प्राणियों के कल्याण के लिए जब कई सालों तक ध्यान करने के बाद भगवान शिव ने आंखें खोलीं, तब आंसुओं की बूंदे गिरीं और धरती मां ने रुद्राक्ष (Rudraksh) के पेड़ों को जन्म दिया. बहुत से लोग रुद्राक्ष को धारण करते हैं. रुद्राक्ष (Rudraksh Ke Niyam) एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक होते हैं. हर रुद्राक्ष का अपना अलग महत्‍व है. ऐसे में रुद्राक्ष (Kaise Dharan Kare Rudraksh) को धारण करते समय कुछ नियमों का पालन करना काफी जरूरी होता है. रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को इन नियमों का पालन करना चाहिए वरना भगवान शिव रूठ सकते हैं. आइए जानते हैं ये नियम-

रुद्राक्ष धारण करने के नियम

– किसी दूसरे का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी न पहनें और न ही अपना रुद्राक्ष किसी और को पहनाएं. इसकी माला बनवाते समय ध्यान रखें कि उसमें कम से कम 27 मनके जरूर हों.

– इसे गंदेो हाथों से कभी भी ना छुएं. इसे हमेशा स्नान के बाद ही धारण करना चाहिए.

– रुद्राक्ष को हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में ही धारण करें. इसे कभी काले धागे में नहीं पहनना चाहिए.

– अगर आपने रुद्राक्ष धारण किया हुआ है तो मांसाहार का सेवन ना करें. ऐसा करने से आपको केवल नुकसान ही होगा.

– रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए.

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रुद्राक्ष पहनने से पहले क्या करना चाहिए?

स्नान करने के बाद शुद्ध करके ही इसे धारण करें। रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें। इ सके साथ ही शिव मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते रहें। रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए

रुद्राक्ष पहन कर क्या क्या नहीं करना चाहिए?

रुद्राक्ष पहनने के नियम- रुद्राक्ष बेहद पवित्र होता है इसलिए इसे कभी अशुद्ध हाथों से न छुएं और स्नान करने के बाद शुद्ध होकर ही इसे धारण करें। रुद्राक्ष धारण करते समय शिव जी के मंत्र ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करना चाहिए। स्वयं का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी भी किसी दूसरे को धारण करने के लिए नहीं देना चाहिए

रुद्राक्ष को कब नहीं पहनना चाहिए?

कब धारण नहीं करना चाहिए रुद्राक्ष भगवान शिव को जीवन और मृत्यु से परे माना जाता है. इसलिए उनके अंश माने जाने वाले रुद्राक्ष को पहनकर शवयात्रा या जहां बच्चे का जन्म हुआ हो उस कक्ष में नहीं जाना चाहिए. ऐसा करने से इसकी शक्तियां कम हो जाती है. सोने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए.

रुद्राक्ष को गले में कैसे पहने?

रुद्राक्ष पहनने के नियम.
रुद्राक्ष कलाई, गले और ह्रदय पर ही पहना जाता है। ... .
हाथ पर 12, गले पर 36 और ह्रदय पर 108 दाने धारण किए जाते हैं।.
रुद्राक्ष का एक दाना भी धारण किया जा सकता है, पर दाना ह्रदय तक, लाल धागे में लटका होना चाहिए।.
इसे धारण करने का सबसे शुभ मुहूर्त शिवरात्रि, सावन का महीना या सोमवार का दिन माना जाता है।.