प्राकृतिक रेशे का उदाहरण कौन सा है? - praakrtik reshe ka udaaharan kaun sa hai?

Prakritik Reshon Ka Udaharan

Pradeep Chawla on 23-09-2018

रेयान, पुनर्जीवित सेलूलोज़ से निर्मित एक तंतु (फाइबर) है। क्योंकि इसका उत्पादन प्राकृतिक रूप से मिलनेवाले बहुलकों से किया जाता है, इसलिए वास्तव में यह न तो पूरी तरह से एक कृत्रिम तंतु है और न ही एक प्राकृतिक तंतु है यह एक अर्द्ध कृत्रिम तंतु है। कपड़ा उद्योग में रेयान को विस्कोस रेयान या कृत्रिम रेशम (आर्ट सिल्क) के नाम से जाना जाता है। उच्च आलोक गुणवत्ता के कारण यह तंतु आमतौर पर काफी चमकदार होता है।

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Kanhiya on 26-10-2021

Prakritik faebar ka ioudarad

Ankitsahu on 23-03-2021

प्राकृतिक रेशा क्या है

Nishu on 24-02-2021

Parakeet Tasha ha

Prince on 01-02-2021

कुछ प्राकृतिक रेशों और उनके शरोत के नाम लिखिये

Simran on 25-10-2020

Prakritik reshe ka udhahran kya hai ?

Muskan bhoi on 15-10-2020

Kritrim resam ke udaharan

Muskan bhoi on 15-10-2020

Kritrim resam ke udaharan batao

Anjali on 23-09-2020

Deshon ke do udaharan bataiye
Tapman ji ka upyog likhiye
Priti silver kise kahate Hain
Mausam ki paribhasha bataiye
Ab anuttara ke sawal bataiye
Jaldi batao kahan ok bye

Yogander on 29-08-2020

प्राकृतिक रेशो की लाभ हानि

Tejasvi Gothwal on 25-08-2020

Prakrutik reshon ke Labh aur Hani bataiye

Anushka on 11-07-2020

Kitim rasa ka uddran

Sumit Prakritik fibers ka name on 27-06-2019

Prakritik fibers ka name

Phoolsingh mandavi on 26-06-2019

पाकतिक रेशो से बनी वस्तुओं के नाम

नीलिमा on 09-04-2019

पौधो से प्राप्त रेशो के नाम बताईये

Harshita Bizoara on 17-10-2018

ऊन कैसा तनतु है इसका वगिकरण समझाइए

Anup kumar on 21-09-2018

Animal fibers

रहुल jaikar on 23-08-2018

पाक्रतिक रेशा कौन शा है



Solution : रेशे दो प्रकार के होते हैं - प्राकृतिक रेशे और संश्लेषित रेशे। जो रेशे प्राकृतिक स्रोतों जैसे - पौधों या जानवरों से प्राप्त होते हैं प्राकृतिक रेशा कहलाते हैं। जैसे - सूती, रेशमी, ऊनी आदि। जो रेशे कृत्रिम तरीकों से प्रयोगशालाओं में बनाए जाते हैं, संश्लिष्ट या मानव निर्मित रेशे कहलाते हैं। जैसे - नाइलॉन, रेयान, पॉलिएस्टर आदि।

प्राकृतिक रेशे का उदाहरण कौन सा है? - praakrtik reshe ka udaaharan kaun sa hai?

प्राकृतिक रेशा (natural fibre) ऐसे रेशे होते हैं जिनकी मूल उत्पत्ति पौधों, जीवों व भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा होती है। इनका प्रयोग रस्सियों, काग़ज़, नमदों व अन्य चीज़ों के उत्पादन में होता है।[1][2]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • रेशा

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. mdh, Deepak Jacob; Thomas, Sabu (2008-02-08). "Biofibres and biocomposites". Carbohydrate Polymers. 71 (3): 343–364. डीओआइ:10.1016/j.carbpol.2007.05.040. मूल से 5 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 मई 2018.
  2. Sousa,, Fangueiro, Raul Manuel Esteves de; Sohel,, Rana,. Natural fibres : advances in science and technology towards industrial applications : from science to market. OCLC 938890984. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789401775137. मूल से 19 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 मई 2018.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)

नमस्कार दोस्तों प्राकृतिक & कृत्रिम रेशे Natural Fibers and Artificial Fibers in Hindi में हम रेशों के बारे में हम पढ़ेगे. वस्त्र को मानव की मूलभूत आवश्यकता में गिना जाता हैं इन्ही फाइबर की मदद से हमारे कपड़े बनते हैं. पतले और महीन तन्तुओं से बने इन रेशों के कई प्रकार हैं उनकी क्या क्या उपयोगिता हैं, इस आर्टिकल में हम समझने का प्रयास करेगे.

प्राकृतिक रेशे का उदाहरण कौन सा है? - praakrtik reshe ka udaaharan kaun sa hai?

Fibers in Hindi प्राकृतिक रेशे प्रकृति में उपलब्ध होते है. जबकि मानव निर्मित या संश्लेषित रेशे इन्ही प्राकृतिक रेशों के साथ अन्य रेशों का मिश्रण कर Artificial Fibers अर्थात कृत्रिम रेशे तैयार किये जाते है. प्राकृतिक रेशों में कपास, ऊन, जूट, सन, रेशम एवं लिनन आदि शामिल किये जाते है. सिंथेटिक और टेरिकोंन मुख्य है. यहाँ आपकों दोनों फाइबर के बारे में विस्तार से जानकारी व अंतर बताएगे. सभी प्रकार के वस्त्र व कपड़े रेशे से ही बनाए जाते है. रेशे दो प्रकार के होते है.

  1. प्राकृतिक रेशे (Natural Fibers)
  2. कृत्रिम रेशे (man made fibre or synthetic fibre)

मुख्य प्राकृतिक रेशों की जानकारी (examples of natural and synthetic fibres)

कपास (Cotton fibres)-

प्राकृतिक रेशों में कपास का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है. कपास से निर्मित वस्त्र सूती वस्त्र कहलाते है. कपास के पौधों के फल से रुई व बिनौले प्राप्त किये जाते है. रुई को हाथों से अच्छी तरह साफ कर चरखे की सहायता से उसके महीन धागे तैयार किये जाते है.

इन्ही धागों से बाद में सूती कपड़ा तैयार किया जाता है. सूती वस्त्र मुख्यतः गर्मियों में बहुत फायदेमंद रहते है. यह शरीर के ही पसीने को सोखकर शरीर को ठंडक प्रदान करते है. कपास के रेशे में मुख्यत सेल्यूलोस होता है.

रेशम (silk fibres)

कपास की तरह ही रेशम भी एक प्रकार का प्राकृतिक रेशा है. इन्हें शहतूत के पेड़ों पर पाले जाने वाले कीड़े के द्वारा निर्मित कोकून से प्राप्त किया जाता है. यह कीड़ा शहतूत के पेड़ की पत्तियों को खाता है, तथा रेशम को लार के रूप में निकालकर कोकून का निर्माण करता है.जो हवा के सम्पर्क में आने से सूख जाता है, व अन्ड़ेनुमा कोकून के चारों ओर लिपटता जाता है.

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एक विशेष प्रक्रिया के तहत इससे रेशम को निकाला जाता है. रेशम सभी प्राकृतिक रेशों में महंगा होता है, इस कारण इसकी पहुच उच्च वर्ग के लोगों तक ही रहती है. रेशम के तन्तु बेहद कोमल व महीन होते है. जो ताप लगने पर टूट या सिकुड़ जाते है. इनसे प्रोटीन भी बनता है.

लिनन (linen fibres)

रेशम की तरह लिनन भी एक तरह का प्राकृतिक रेशा है. इन्हें फ्लैक्स नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है. लिनन का रेशा रेशम की तरह चिकना चमकदार व सीधा होता है. हाल ही के वर्षों के भारत में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ा है. लिनन के बने कपड़े सूती वस्त्रों से अपेक्षाकृत महंगे व रेशम से सस्ते पड़ते है.

लिनन में 70 फीसदी तक सेल्यूलोस होता है. इसमें पसीना सोखने की क्षमता सभी रेशों से अधिक होती है. यहाँ तक कि सूती कपड़ों से भी अधिक, गर्मी के मौसम में लिनन के बने कपड़े बेहद ठंडापन देते है. लिनन का रेशा बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है, मगर यह मजबूत व टिकाऊ होता है.

लिनन तैयार करने के लिए फ्लैक्स के वृक्षों की आवश्यकता पडती है. जो पश्चिम यूरोप व युक्रेन में अधिक पाए जाते है. इसके अतिरिक्त पूर्वी यूरोप और चीन में भी बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन किया जाता है. वहां से लेनिन निर्मित भारत में आते है. अमेरिका की मुद्रा डॉलर में भी 25 लेनिन का कपड़ा व शेष कॉटन का उपयोग लिया जाता है.

ऊन (Wool fibres)

ऊन भी एक प्राकृतिक रेशा है जो मुख्यत भेड़, ऊंट, याक व खरगोश के बालों से प्राप्त किया जाता है. ऊन में पाए जाने वाले प्रोटीन में सबसे अधिक मात्रा प्रोटीन की होती है. ऊन सभी रेशों में ऊष्मा की सबसे अधिक कुचालक होने के कारण ही सर्दी ऋतु में पहनने वाले वस्त्रों में इसका उपयोग किया जाता है.

उत्कृष्ट श्रेणी की ऊन ऑस्ट्रेलिया की मेरिनों भेड़ की होती है. ऊन के बने कपड़े बेहद गर्म होते है, जो हमें सर्दी से बचाते है.

कृत्रिम रेशे क्या होते है, इनका इतिहास व जानकारी (synthetic fibres examples in Hindi)

प्रयोगशाला में विभिन्न रसायनों के मेल से बनाए गये रेशे कृत्रिम या मानव निर्मित रेशे कहलाते है. कृत्रिम रेशों में नाइलोन, डेक्रोन, ओरलोन, विस्कॉस आदि शामिल किये जाते है. मानव निर्मित पहला रेशा 1894 में विस्कॉस बनाया गया था. रेयन एवं विस्कोस लकड़ी से प्राप्त सेल्यूलोस से बनाया जाता है.

रासायनिक पदार्थों से निर्मित पूर्ण रूप से पहला कृत्रिम रेशा या सिंथेटिक रेशा नायलोन था. जो 1930 में अमेरिकन शोधकर्ता वालेस कैरोथर्स ने विकसित किया. पोयलिस्टर भी एक कृत्रिम रेशा है. जो सर्वप्रथम 1941 में टेरिलोन डेक्रोन के नाम से विकसित किया गया.

कृत्रिम रेशों की विशेषताएं (Characteristics of Artificial Fibers)

कृत्रिम रेशे अधिक टिकाऊ कीटाणुओं से सुरक्षित एवं भार में बेहद कम होते है. इन कपड़ों पर सलवटे भी बहुत कम पड़ने के कारण प्रेस की आवश्यकता भी बहुत कम होती है. इनके अलावा इनकी धुलाई भी आसन होती है. कृत्रिम रेशों का निर्माण मुख्यत पेंट्रोलियम आधारित रसायनों अर्थात पेंट्रोकेमिकल से होता है.

वर्तमान में प्रयुक्त किये जा रहे कृत्रिम रेशों में पोलियस्टर, इक्रलिन, पालियोलेफिन आदि है. इनमें सर्वाधिक उपयोग पालियस्टर का ही होता है.

प्राकृतिक रेशे और कृत्रिम रेशे में क्या अंतर है

हालांकि प्राकृतिक रेशे और कृत्रिम रेशे दोनों ही रेशे होते हैं और दोनों का उपयोग ही कपड़े के निर्माण में किया जाता है लेकिन फिर भी दोनों में काफी अंतर देखने को मिलता है। प्राकृतिक रेशे और कृत्रिम रेशे के बीच के अंतर को नीचे बिंदुओं की सहायता से व्यक्त किया गया है –

रेशे की प्राप्ति – प्राकृतिक रेशे प्रकृति से प्राप्त होते हैं जबकि कृत्रिम रेशो का निर्माण मनुष्य स्वयं करता है।

रेशों का निर्माण – प्राकृतिक रेशों का निर्माण प्राकृतिक तरीकों से होता है जबकि कृत्रिम रेशों का निर्माण प्रयोगशाला में किया जाता है।

रेशों के नाम – प्राकृतिक रेशों में जूट,कपास, ऊन, लिनन एवं रेशम आदि शामिल है जबकि कृत्रिम रेशे में पोलियस्टर, इक्रलिन, पालियोलेफिन सम्मिलित हैं।

नायलॉन को कृत्रिम रेशे क्यों कहा जाता है?

नायलॉन भी एक तरह का रेशा होता है यह एक कृत्रिम रेशा होता है क्योंकि इसका निर्माण कोयला, जल और हवा को मिलाकर किया जाता है। नायलॉन दूसरे रेशों के मुकाबले बहुत ज्यादा मजबूत होता है। नायलॉन से बनी चीजें आसानी से खराब नहीं होती हैं। पैराशूट और मोटी मोटी मजबूत रस्सियां बनाने के लिए इसी रेशे का उपयोग किया जाता है।

Are all natural fibres ethical?

प्राकृतिक रेशों का निर्माण प्राकृतिक तरीके से होता है लेकिन कुछ प्राकृतिक रेशों के निर्माण में मनुष्यों का भी सहयोग होता है। प्राकृतिक रेशे के निर्माण में वातावरण पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होता है। इ

सलिए अधिकतर प्राकृतिक रेशों को एथिकल माना जाता है। लेकिन वहीं बहुत से ऐसे कृत्रिम रेशे होते हैं जिनके निर्माण में ऐसे ऐसे वज्र पदार्थ निकलते हैं जिसके कारण न सिर्फ वायु बल्कि जल भी प्रदूषित होता है।

इसलिए कृत्रिम रेशों की तुलना में प्राकृतिक रेशों को ज्यादा नैतिक माना जाता है क्योंकि इससे जो वज्र पदार्थ निकलते हैं वह वापस से प्रकृति में विलीन हो जाते हैं। ‌

अन्य पढ़े-

  • फास्टैग क्या है और ये कैसे काम करता है
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प्राकृतिक रेशे का उदाहरण क्या है?

कपास, ऊन और रेशम प्राकृतिक रेशों के उदाहरण हैं।

प्राकृतिक रेशे कितने प्रकार के होते है?

Solution : रेशे प्रमुख रूप से दो प्रकार के होते हैं- <br> (क) प्राकृतिक रेशे-ये रेशे प्रकृति से प्राप्त होते हैं। ये भी दो प्रकार के होते हैं- <br> (i) पादपों से प्राप्त रेशे-जैसे पटसन, कपास, सन आदि। <br> (ii) जंतुओं से प्राप्त रेशे-जैसे ऊन तथा रेशम।

प्राकृतिक रेशा का नाम क्या है?

प्राकृतिक रेशा (natural fibre) ऐसे रेशे होते हैं जिनकी मूल उत्पत्ति पौधों, जीवों व भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा होती है। इनका प्रयोग रस्सियों, काग़ज़, नमदों व अन्य चीज़ों के उत्पादन में होता है।

निम्नलिखित में कौन प्राकृतिक रेशे हैं?

Detailed Solution. सही उत्‍तर जूट है।