गांधी जी बचपन में क्या काम करते थे? - gaandhee jee bachapan mein kya kaam karate the?

सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी के जीवन से जुड़े किस्से और कहानियां है काफी रोचक हैं। गाँधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने और सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यहाँ हम 152nd Gandhi Jayanti 2022 पर गाँधी जी के जीवन से जुड़ी कहानी - Mahatma Gandhi Life Related Stories शेयर कर रहे है जो आपको प्रेरित करेंगी।

गांधी जी बचपन में क्या काम करते थे? - gaandhee jee bachapan mein kya kaam karate the?
गांधी जी बचपन में क्या काम करते थे? - gaandhee jee bachapan mein kya kaam karate the?

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान और महान कर्मों से उन्हें राष्ट्र के पिता, महात्मा और बापू भी कहा जाता हैं।

गाँधी जी के बचपन की कहानिया बहुत चर्चित हैं। उनके स्कूल के दिन आज के बच्चो से अलग थें। उनकी लाइफ के किस्सों से आप जान पाएंगे कि वो महात्मा क्यों कहलाते थें। गाँधी जी के जीवन से जुड़ी कहानी।

  • महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी बातें - Mahatma Gandhi in Hindi

2 अक्टूबर गाँधी जयंती के उपलक्ष्य पर हम यहाँ पर बापू के जीवन से जुडी जो कहानी शेयर कर करे हैं वो शायद ही आपने सुनी होंगी। गाँधी जी की जिंदगी से जुड़ी कहानिया इन हिंदी।

Table of Contents

  • 1 गाँधी जी के जीवन से जुडी कहानिया - Gandhi Ji Life Related Story in Hindi
    • 1.1 महात्मा गाँधी के जीवन से जुडी कहानी
    • 1.2 महात्मा गाँधी के बचपन कि कहानी - Mahatma Gandhi Childhood Story in Hindi
    • 1.3 महात्मा गाँधी की स्कूल समय कि कहानी - Gandhi Ji School Story in Hindi
    • 1.4 गाँधी जी के जीवन से जुड़ी कहानी - गांधी जी के बचपन कि स्टोरी इन हिंदी
    • 1.5 महात्मा गाँधी के जीवन की सबसे दुखद घटना

गाँधी जी के जीवन से जुडी कहानिया - Gandhi Ji Life Related Story in Hindi

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महात्मा गाँधी के जीवन से जुडी कहानी

बच्चों को गांधीजी से मिलना बहुत अच्छा लगता था। गाँधी को भी बच्चों से बहुत प्यार था एक बार एक छोटा बच्चा गांधीजी का पहनावा देखकर बहुत दुखी हुआ, उसने सोचा की इतना महान व्यक्ति अच्छे कपड़े क्यों नहीं पहनता। वो गाँधी जी के पास गया और उनसे पूछा की आप कुर्ता क्यों नहीं पहनते?

गाँधी बच्चे से बोले, बेटा मैं गरीब आदमी हूँ मैं कुर्ता नहीं खरीद सकता। तो बच्चा बोला आप चिंता मत कीजिये मेरी माँ आपके लिए नया कुर्ता सिला देगी। गांधीजी ने बच्चे की बात सुनकर हाँ कर दी और बोले, बेटा मेरे लिए वो कितने कुर्ते बनाएगी।

तो बच्चा बोला, जीतने आप चाहो उतने, तो गांधीजी बोले बेटा मेरा परिवार बहुत बड़ा है मैं अकेला ही कुर्ता पहनूं यह अच्छा नहीं लगता। क्या तुम्हारी माँ मेरे 40 करोड़ भाई- बहनों के लिए कुर्ता सिलवा देगी।

वो लड़का बच्चा एकदम सोच में पड़ गया उसे यह अहसास हुआ की गाँधी जी पूरे देश को अपना परिवार मानते है और खुद को उस परिवार का एक मुख्य। वे सारे देशवाशियों के मित्र और सहयोगी थे।

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महात्मा गाँधी के बचपन कि कहानी - Mahatma Gandhi Childhood Story in Hindi

मोहन राजा हरिश्चन्द्र से बहुत प्रभावित हुये। एक बार मोहन राजा हरिश्चन्द्र का नाटक देखना चाहते थे उन्होंने अपने पापा से भी नाटक देखने चलने के लिए कहा लेकिन उनके पापा काम में बहुत व्यस्त थे इसलिए मोहन अपने दोस्तों के साथ चला गया।

वहां जाकर उसने नाटक देखा, नाटक में राजा हरिश्चन्द्र अपना सत्यवचन निभाने के लिए अपना राज्य और अपने परिवार को खो देता है। नाटक इतना प्रेरणादायक था की नाटक में कहानी के अंत में सभी दर्शकों की आँखों से आँसू झलक पड़े।

उस कहानी से मोहन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सोचा की उसे भी राजा हरिश्चन्द्र की तरह कोई ऐसी शक्ति मिल जाये जिससे वो सत्य की खातिर किसी भी मुसीबत का सामना कर सके।

मोहन ने अपने दोस्तों से राजा हरिश्चन्द्र के बारे में बात की, की वे एक महान आदमी थे। सच का साथ देने के लिए उन्होंने अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया। यह नाटक बहुत अच्छा है इससे मुझे सत्य की ताकत पता चली।

यह कहकर उसने सत्य की राह पर चलने का प्रण लिया। उस दिन से मोहन ने सत्य में जीवन बिताना शुरू किया। बड़ा होकर उसने अपना जीवन सच के लिए दाव पर लगाया। सत्य और साहस ने उसे जीवन की हर कठिन परीक्षा में विजयी बनाया।

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महात्मा गाँधी की स्कूल समय कि कहानी - Gandhi Ji School Story in Hindi

गाँधी जी बचपन से ही बहुत ईमानदार थे। यह बात इस छोटी सी कहानी से साबित होती है। एक बार स्कूल में शिक्षकों ने सभी छात्रों से कुछ अंग्रेजी शब्दों की स्पेलिंग लिखवायी। सभी बच्चों ने स्पेलिंग लिखी।

शिक्षक ने सभी बच्चों की स्लेट्स इकठ्ठा की। उन्होंने देखा की गाँधी की स्पेलिंग गलती थी। उन्होंने गाँधी से इशारा किया की अपने पास के बच्चे की स्पेलिंग की नकल करो। लेकिन गाँधी ने ऐसा नहीं किया।

परीक्षा के अंत में शिक्षक ने गाँधी से पूछा की तुमने नकल क्यों नहीं की? मैंने तुम्हें इशारा किया, तुमने देखा नहीं। तो गाँधी बोले, देखा गुरूजी पर मुझे नकल नहीं करनी थी। शिक्षक बोले, तुम अकेले हो जिसका उत्तर गलत है।

गाँधी बोले, मैं जानता हूँ गुरूजी पर मैं गलत रास्ता अपनाना नहीं चाहता। अब आप गाँधी के बचपन से जुड़ी इस घटना से ही समझ गये होंगे की महात्मा गाँधी बचपन से ही ईमानदार लड़के थे।

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गाँधी जी के जीवन से जुड़ी कहानी - गांधी जी के बचपन कि स्टोरी इन हिंदी

बचपन में गाँधी को मोहन के नाम से बुलाया जाता था। मोहन को अँधेरे से बहुत डर लगता था उसे लगता था की रात में भुत घूमते है और उसे पकड़कर ले जायेंगें। एक रात बहुत अँधेरा था और मोहन को दुसरे घर में जाना था। उसने दुसरे घर में जाने के लिए सोचा तो बहुत लेकिन वह अपनी जगह से हिल नहीं पाया।

तब उसपर उसकी दाई रंभा की नजर पड़ी। उसने मोहन से पूछा क्या हुआ बेटा? तो मोहन बोला दाई मुझे बहुत डर लग रहा है। तो दाई बोली किस चीज से? तो गाँधी कांपते हुए बोले अँधेरे से, मुझे अँधेरे से बहुत डर लगता है, अँधेरे में भुत आते है।

तो उसकी दाई रंभा बोली, अरे अँधेरे से भी कोई डरता है, मेरी बात सुन, राम जी को याद करो फिर कोई भुत तुम्हारे पास नहीं आएगा। राम जी तुम्हारी रक्षा करेंगे। तो गाँधी बोले, सच, तो फिर में राम जी का जाप करूँगा। दाई रंभा की बातों से मोहन को हिम्मत मिली।

मोहन राम नाम जाप करते हुए दुसरे घर में चला गया और उस दिन से मोहन कभी अँधेरे से नहीं डरा। वे सोचते थे की उनके साथ राम है। इसी विश्वास ने गाँधी जी को जीवन में ताकत दी। अपनी मुत्यु के समय भी गाँधी के नाम पर राम का नाम था।

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महात्मा गाँधी के जीवन की सबसे दुखद घटना

दक्षिण अफ्रीका में भारतियों को कुली के नाम से बुलाया जाता है। महात्मा गाँधी जी को भी यह अनुभव सहना पड़ा। एक बार गांधीजी ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका की राजधानी) जा रहे थे। उस समय काले और गोरे लोगों में भेदभाव था। प्रथम श्रेणी के डिब्बे में काले लोगों को यात्रा करने की इजाजत नहीं थी।

गांधीजी को प्रथम श्रेणी के डिब्बे से निकाल दिया गया। महात्मा गाँधी ने कहा की मेरे पास प्रथम श्रेणी के डिब्बे का टिकट है उन्होंने उनसे काफी बहस की लेकिन क्रूर अंग्रेजों ने उनकी एक नहीं सुनी और गाँधी जी को सामान के साथ ट्रेन से बाहर निकाल दिया।

इस घटना ने महत्मा गाँधी जी के जीवन का रास्ता ही बदल दिया। उन्होंने सोचा की यह तो पूरी मानवता पर अन्याय है। मैं इसका मुकाबला करूँगा। उन्होंने ऐसे अन्याय के खिलाफ सत्य के हथियार का इस्तेमाल किया और इसी हथियार को सत्याग्रह आन्दोलन कहा गया।

अगर आपको गाँधी जयन्ती पर भाषण, गाँधी जयन्ती पर निबंध, गाँधी जयन्ती पर कविता चाहिए तो नीचे दी पोस्ट पढ़ें,

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  • गाँधी जयंती पर निबंध - Gandhi Jayanti Essay in Hindi 2022
  • गाँधी जयंती पर कविता - Mahatma Gandhi Jayanti Poem in Hindi 2022

यहाँ दी गयी कहानियों से आपको बापू के जीवन के बारे में बहुत कुछ पता चलेगा और मुझे उम्मीद है की आप गाँधी जी के जीवन से जुड़ी कहानी से जरूर प्रेरित होंगे।