Show इस चित्र में एक ऐसी स्पन्दित तरंग दिखायी गयी है जो 2D ग्रिड पर सभी दिशाओं में गति कर रही है। अर्थात यह तरंग अनुदैर्घ्य तरंग नहीं है। अनुदैर्घ्य तरंगे (Longitudinal waves ; अनुदैर्घ्य = लम्बाई की दिशा में) वे तरंगें हैं जिनमें माध्यम के कणों का विस्थापन तरंग की गति की दिशा या उसके विपरीत दिशा में ही होता है। इन्हें "एल तरंगें" भी कहते हैं। यांत्रिक अनुदैर्घ्य तरंगों को 'संपीडन तरंगें' (compressional waves) भी कहते हैं क्योंकि इन तरंगों के संचरण के कारण माध्यम के अन्दर संपीडन (compression) और विरलन (rarefaction) का निर्माण होता है। भूकम्प के लिए उत्तरदायी प्राथिमक तरंगे भी अनुदैर्ध्य ही होती हैं। इन तरंगों को कर्षापकर्षि तरंगे भज कहते हैं। ध्वनि तरंगों की प्रकृति भी अनुदैर्ध्य होती है। अनुप्रस्थ तरंगें (transverse wave) इससे अलग प्रकार की तरंगें हैं जिनमें कणों के कम्पन की गति, तरंग के संचरण की गति के लम्बवत होती है। उदाहरण[संपादित करें]वायु में ध्वनि तरंगें भी अनुदैर्घ्य तरंगें हैं। इसी प्रकार, भूकम्प और विस्फोट के कारण उत्पन्न पी तरंगें भी अनुदैर्घ्य तरंगें ही होतीं हैं। ध्वनि तरंगें[संपादित करें]अनुदैर्घ्य हार्मोनिक ध्वनि तरंगों की गति को निम्नलिखित समीकरण से अभिव्यक्त किया जा सकता है- जहाँ:
तरंग को x दूरी तय करने में x/c समय लगता है। तरंग की आवृत्ति (f) और उसकी कोणीय आवृत्ति में निम्नलिखित सम्बन्ध है- तरंग का तरंगदैर्घ्य निम्नलिखित समीकरण से निकाला जा सकता है- ध्वनि संचरण के सन्दर्भ में 'आयाम का अर्थ ध्वनि के कारण उत्पन्न अधिकतम दाब तथा बिना ध्वनि के वायु के दाब के अन्तर से है। ध्वनि के संचरण का वेग अलग-अलग माध्यमों में अलग-अलग होता है। इसके अलावा यह ताप, माध्यम की संरचना (कम्पोजिशन) आदि पर भी निर्भर होता है। दाब तरंगे[संपादित करें]किसी प्रत्यास्थ माध्यम में, दाब तरंगें निम्नलिखित समीकरण से अभिव्यक्त की जातीं हैं-
प्रत्यास्थ माध्यम की आयतन प्रत्यास्थता (बल्क मॉडलस), उस माध्यम को अपनी मूल स्थिति में लाने के लिए आवश्यक बल प्रदान करता है। [1] सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
प्रश्न 2: एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीड़न तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं। उत्तर: जब किसी वस्तु से ध्वनि उत्पन्न होती है तो कंपन से लगे बल के कारण उसके निकट की वायु के कण एक दूसरे के नजदीक आ जाते हैं। कणों की ऐसी स्थिति को संपीड़न कहते हैं। उसके बाद आगे के कणों का संपीड़न होता है और पहले वाले कण एक दूसरे से दूर चले जाते हैं। इस तरह से पहले वाले कणों का विरलन होता है। संपीड़न और विरलन के क्षेत्र एक के बाद एक पैदा होते रहते हैं। संपीड़न और विरलण की ऋंखला बन जाती है जिससे होकर ध्वनि तरंगे आगे बढ़ती हैं। प्रश्न 3: किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है? उत्तर: एक बेल जार, एक विद्युत घंटी और एक निर्वात (वैक्युम) पंप लीजिए। घंटी को बेल जार के भीतर लगाइए। जब आप घंटी बजाएँगे तो आपको उसकी आवाज सुनाई देगी। अब वैक्युम पंप की मदद से बेल जार के भीतर की हवा निकाल दीजिए। इससे बेल जार के भीतर वैक्युम बन जाएगा। अब जब आप घंटी बजाएँगे तो आपको उसकी अवाज नहीं सुनाई देगी। इससे साबित होता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की जरूरत होती है। प्रश्न 4: ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य क्यों है? उत्तर: ध्वनि तरंगों का संचरण माध्यम के कणों के कंपन के समांतर होता है। इसलिए ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य है। प्रश्न 5: ध्वनि का कौन सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है? उत्तर: तारत्व प्रश्न 6: तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड पश्चात गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है? उत्तर: प्रकाश की चाल की तुलना में ध्वनि की चाल बहुत कम होती है। इसलिए तड़ित की चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड बाद गर्जन सुनाई देती है। प्रश्न 7: किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHZ है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 m s-1 लीजिए। उत्तर: हम जानते हैं `v=λν` इसलिए 20 Hz आवृत्ति का तरंगदैर्घ्य या, 344 = λ × 20 या, λ = `(344)/(20)=17.2` m इसलिए 20 kHz आवृत्ति का तरंगदैर्घ्य λ = `(344)/(20000)=0.00172` m ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है 2?ध्वनि का उत्पादन होता है जब कुछ कंपन होता है हिलने वाला शरीर उसके चारों ओर मध्यम (पानी, वायु, आदि) का कारण बनता है। हवा में कंपन को अनुदैर्ध्य तरंगों का सफर कहा जाता है, जिसे हम सुन सकते हैं। ध्वनि तरंगों में क्रमशः उच्च और निम्न दबाव वाले क्षेत्रों में संप्रेषण और दुर्लभ प्रतिक्रियाएं शामिल होती हैं।
ध्वनि कैसे उत्पन्न होता है?ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगे होती हैं। जब किसी माध्यम से कपन होता है तो ध्वनि उत्पन्न होती है। ध्वनि के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में किसी न किसी पदाशिक माध्यम गैस, द्रव अथवा ठोस का होना आवश्यक है, ध्वनि निर्वात में होकर नहीं चल सकती निर्वात में घंटी तो बजती है कितु आवाज सुनाई नहीं पड़ती है।
ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है और यह हमारे द्वारा कैसे प्रसारित और सुनाई जाती है?यह वस्तुओं के कंपन से उत्पन्न होती है। किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है? जब कोई कंपमान वस्तु कंपन करती है तो पहले हवा के कणों को आगे की ओर धक्का देती है और उस क्षेत्र की हवा का दाब बढ़ जाता है, जिसे संपीडन कहते हैं।
संपीडन और विरलन क्या होता है?Solution : संपीड़न-ध्वनि संचरण के दौरान वायु के अणु जिन स्थानों पर इकट्ठे हो जाते है, उन्हें संपीड़न कहते है। <br> विरलन-ध्वनि संचरण के दौरान जिन स्थानों पर वायु के अणुओं की संख्या बहुत कम हो जाती है, उन्हें विरलन कहते है।
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