ग्रामीण नगरीय प्रवास का मुख्य कारण क्या है? - graameen nagareey pravaas ka mukhy kaaran kya hai?

COVID- 19 के प्रसार को रोकने के तहत लगाए गए लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवास की विपरीत धारा (Reverse Migration: सामान्य प्रवास के ठीक विपरीत स्थिति) देखने को मिली।

मुख्य बिंदु:

  • विपरीत प्रवास के दौरान जहाँ कई लोगों को अपना व्यवसाय छोड़ना पड़ा वहीं इसके विपरीत अनेक लोग ज्ञान-युग की तकनीकों (Knowledge-era Technologies) के माध्यम से घर से कार्य (Work From Home) जारी रखने में सक्षम हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों में प्रवास को रोकने के लिये नगर तथा ग्रामों के बीच ‘ज्ञान आधारित सेतु’ (Knowledge Bridge) का निर्माण किया जाना चाहिये। 

नगरीय प्रवास का ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव:

  • बेहतर अवसरों का अभाव:
    • नगरीय क्षेत्रों में प्रवास, नगर में उपलब्ध बेहतर अवसरों का एक स्वाभाविक परिणाम है, परंतु इस प्रवास के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन में बहुत अधिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई है। 
  • संसाधनों का केंद्रीकरण:
    संसाधनों के केंद्रीकरण के पीछे कई कारक हैं-
    • औद्योगिक युग की गतिशीलता, जिसने बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ावा देकर संसाधनों के संकेंद्रण को बढ़ाया है।
    • नगरीय क्षेत्रों में उच्च शिक्षा केंद्रों में लगातार वृद्धि होने कारण केवल नगरीय क्षेत्रों में ही अच्छी नौकरियों में वृद्धि हुई है।
  • जनसांख्यिकी लाभांश आधारित विकास: 
    • भारत में आर्थिक विकास मुख्यत: जनसांख्यिकीय लाभांश तथा भारतीय बाज़ार के बड़े आकार के कारण देखने को मिला है जबकि अनेक देशों में आर्थिक विकास मुख्यत: प्रौद्योगिकी के आधार पर हुआ है।
  • नीति निर्माण में ग्रामीण क्षेत्रों की अवहेलना:
    • दुग्ध उत्पादन की दिशा में आनंद डेयरी तथा चीनी सहकारी समितियों का निर्माण जैसे कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो आर्थिक विकास प्रक्रियाओं में हमेशा ग्रामीण क्षेत्रों  की अवहेलना की गई है।

ज्ञान आधारित तकनीक द्वारा नगरीय-ग्रामीण अंतर को कम करना:

  • वर्तमान में हम ज्ञान युग (Knowledge Era) में रह रहे हैं। ज्ञान-युग आधारित प्रौद्योगिकी, औद्योगिक-युग की प्रौद्योगिकी के विपरीत ‘लोकतंत्रीकरण’ (उदाहरण के लिये सोशल मीडिया) तथा ‘विकेंद्रीकरण’ (घर से कार्य करना) को बढ़ावा देती है।
  • इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स’, ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ जैसी तकनीकों में प्रशिक्षित लोग नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी स्थान से इन क्षेत्रों के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं।
  • ज्ञान युग आधारित तकनीकों का उपयोग ग्रामीण युवाओं की ‘क्षमता निर्माण’ में करना चाहिये। ग्रामीण क्षेत्रों में नगरीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक अवसर उपलब्ध होने चाहिये क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अर्थव्यवस्था के तीनों (कृषि, विनिर्माण और सेवाओं) क्षेत्रों से लाभ उठा सकते हैं।

'सिलेज' संबंधी विचार (The Idea of Cillage):  

  • सिलेज (Cillage) पद दो शब्दों नगर (City) तथा ग्राम (Village) से मिलकर बना है। अर्थात ‘नगरीय ग्राम क्षेत्र’। 
  • ज्ञान युग में समग्र शिक्षा, प्रौद्योगिकी तथा आजीविका के संदर्भ में ग्रामीण युवाओं की क्षमता निर्माण पर ज़ोर दिया जाता है।
  • इसके लिये नगर तथा ग्रामों के बीच ‘ज्ञान आधारित सेतु’ (Knowledge Bridge) का निर्माण किया जाना चाहिये तथा ऐसे वातावरण निर्माण किया जाना चाहिये जिसमें नगरों तथा ग्रामों के बीच समान संयोजन हो। इस अवधारणा को ही 'सिलेज' कहा जाता है।
  • नगर और ग्राम के बीच ज्ञान के अंतराल को कम करने से दोनों क्षेत्रों के मध्य आय के अंतर में भी कमी आएगी।   

सिलेज की प्राप्ति के लिये आवश्यक पहल:

  • 'सिलेज' के लिये आवश्यक पारिस्थितियों के निर्माण के लिये समग्र शिक्षा, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, प्रबंधन तथा ग्रामीण आजीविका में वृद्धि के लिये ‘एकीकृत दृष्टिकोण’ की आवश्यकता होगी।

COVID- 19 तथा 'सिलेज' की अवधरणा:

  • COVID- 19 महामारी के दौरान देखी गई प्रवास की विपरीत धाराओं को ग्रामीण अनुभव तथा कौशल के एक सेट के रूप में देखा जा सकता है।
  • इसे नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच दो-तरफा पुल के रूप में देखा जा सकता हैं लेकिन इसके लिये अनेक प्रयास करने की आवश्यकता है।
  • इसके लिये निम्नलिखित पहल आवश्यक हैं;
    • नवीन कौशल आधारित प्रशिक्षण।   
    • नवीन उद्यम प्रारंभ करने के लिये प्रौद्योगिकी एवं सहायता प्रणाली की सुविधा प्रदान करना। 
    • आजीविका को समर्थन देने के लिये तात्कालिक उपाय करना।

निष्कर्ष:

  • COVID-19 संकट के कारण सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है तथा इसका सभी क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अत: सामान्य स्थिति में लौटने के लिये सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
    राजनीतिक और धार्मिक कारकों से प्रभावित होकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर बस जाता है। जनसंख्या के प्रवास का तात्पर्य मानव समूह अथवा व्यक्ति द्वारा भौगोलिक स्थान परिवर्तन से है।1881 की जनगणना (प्रथम जनगणना) से ही प्रवास के आंकडे एकत्रित किये जा रहे है 1881 की जनगणना में प्रवास के इन आंकड़ो को जन्म के स्थान के आधार पर दर्ज किया गया था। 1961 की जनगणना में पहला संशोधन कर उसमें दो घटक अर्थात् जन्म स्थान (गाँव या नगर) और यदि अन्यत्र जन्म है तो निवास की अवधि सम्मिलित किए गए। 1971 में पिछले निवास के स्थान और गणना के स्थान पर रुकने की अवधि की अतिरिक्त सूचना को जोड़ा गया। 1981 की जनगणना में प्रवास के कारणों पर सूचना का समावेश किया गया वर्तमान में भारत की जनगणना में प्रवास की गणना निम्नलिखित दो तथ्यों के आधार पर की जाती है-
    जन्म का स्थान -यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है।
    निवास का स्थान- यदि निवास का पिछला गणना केस्थान से भिन्न है ।
    प्रवास की परिभाषा
    किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा अपने निवास स्थान का स्थायी रूप से परिवर्तन प्रवास कहलाता है
    बोग के अनुसार एक "मानव समुदाय या समूह द्वारा अपने स्थान को त्यागकर किसी दूसरे स्थान पर जाकर रहना या बसना प्रवसन कहलाता है"
    संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार " प्रवसन एक प्रकार की भौगोलिक प्रवासिता है जो एक भौगोलिक इकाई व दूसरी भौगोलिक इकाई के मध्य देखने को मिलती है जिसमें रहने का मूल स्थान और पहुंचने का स्थान दोनों भिन्न-भिन्न होते हैं"
    प्रवास में लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर आवागमन होता है। मानव के इस आवागमन के कारण उत्प्रवास व आप्रवास का स्वरूप उत्पन्न होते है।
    उत्प्रवास -जिस स्थान को छोड़कर मनुष्य अन्य स्थानों पर चले जाते हैं, उस स्थान के सन्दर्भ में प्रवास को उत्प्रवास कहते हैं तथा प्रवास करने वाले व्यक्तियों को उत्प्रवासी कहते हैं।
    आप्रवास- अन्य स्थानों से आकर जिस स्थान पर मनुष्य बस जाते हैं उस स्थान के सन्दर्भ में प्रवास को आप्रवास कहते हैं तथा प्रवास करने वाले व्यक्तियों को आप्रवासी कहते हैं।
    प्रवास के प्रकार
    प्रवास को मुख्यत: दो भागों में बाँटा गया है –
    1. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास
    2. अन्तर्देशीय या आन्तरिक प्रवास
    1. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास:- एक देश से दूसरे देश में होने वाला प्रवास या एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में होने वाला प्रवास अंतरराष्ट्रीय प्रवास कहलाता है अंतरराष्ट्रीय प्रवास अधिकतर आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक कारणों से होता है भारत में सर्वाधिक आप्रवासी बांग्लादेश, पाकिस्तान व नेपाल से आते है
    2. आंतरिक प्रवास:- एक ही देश या राज्यों के विभिन्न प्रदेशों के मध्य लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर होने वाला प्रवास अंतर्देशीय या आंतरिक प्रवास प्रवास कहलाता है इस प्रकार के प्रवास को पुनः दो भागों में बाँटा गया है –
    अन्तः राज्यीय प्रवास- एक ही प्रांत या राज्य के भीतर दो स्थानों के बीच होने वाला जनसंख्या स्थानांतरण स्थानीय या अन्तः राज्यीय प्रवास कहलाता है
    अंतर राज्यीय प्रवास– एक ही देश के विभिन्न प्रांतों या राज्यों के बीच होने वाला जनसंख्या स्थानांतरण अंतर राज्यीय प्रवास कहलाता है
    भारत में आंतरिक प्रवास की धाराएँ
    भारत में आंतरिक प्रवास की धाराएँ मिलाती है
    1. ग्रामीण से ग्रामीण
    2. ग्रामीण से नगरीय
    3. नगरीय से ग्रामीण
    4. नगरीय से नगरीय
    ग्रामीण से ग्रामीण की ओर प्रवास  महिलाओं में विवाह के कारण अधिक होता है। जबकि ग्राम से नगर की ओर का प्रवास पुरूषों में रोजगार(आर्थिक कारण) के कारण अधिक होता है।
    प्रवास में स्थानिक विभिन्नता
    भारत में सबसे ज्यादा प्रवास महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा राज्यों में हुआ है। इन राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान राज्य के प्रवासी रोजगार के लिए आते हैं। महाराष्ट्र देश में प्रवासियों को आकर्षित करने वाले राज्यों में प्रथम स्थान रखता है दूसरी ओर उत्तर प्रदेश और बिहार वे राज्य हैं जहाँ से उत्प्रवासियों की संख्या सर्वाधिक है। भारत के नगरीय समूहनों में आने वाले प्रवासियों में बृहत्‌ मुम्बई देश में अग्रणी है।
    भारतीय प्रसार
    भारतीय इतिहास में भारतीय प्रसार की प्रमुख निम्नलिखित तीन तरंगें उल्लेखनीय रहीं।
    1. प्रवासियों की प्रथम तरंग- उपनिवेश काल अंग्रेजों ने उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्य से लाखों मजदूरों को मॉरीशस, कैरीबियन द्वीपों, फिजी तथा दक्षिण अफ्रीका नामक देशों को रोपण कृषि में कार्य करने हेतु भेजा। इसके अतिरिक्त गोवा, दमन व दीव से पुर्तगाली तथा डच लोगों ने भारतीय मजदूरों को अंगोला, मोजाम्बिक तथा अन्य देशों में रोपण कृषि में कार्य करने हेतु भेजा।
    यह प्रवास भारतीय उत्प्रवास अधिनियम (गिरमिट एक्ट) नामक समयबद्ध अनुबन्ध के तहत आते थे। इस अधिनियम के तहत बागानों में कार्य करने वाले श्रमिकों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था तथा उनकी दशा दासों जैसी ही होती थी।
    2. प्रवासियों की द्वितीय तरंग- प्रवासियों की द्वितीय तरंग में व्यवसायी , शिल्पी , व्यापारी एवं कारखाना श्रमिक बेहतर आर्थिक अवसरों की खोज में निकटवर्ती देशों थाईलैण्ड, सिंगापुर, मलेशिया, ब्रूनेई एवं इण्डोनेशिया में जाकर बस गये।
    3. प्रवासियों की तृतीय तरंग- प्रवासीय प्रसार की इस तरंग में उच्च शिक्षा प्राप्त कुशल व्क्तयों ने उत्प्रवास किया। चिकित्सकों, अभियन्ताओं, सॉफ्टवेयर अभियन्ताओं, प्रबन्ध परामर्शदाताओं, वित्तीय विशेषज्ञों एवं संचार माध्यम से सम्बन्धित व्यक्तियों ने उच्चस्तरीय जीवन व्यतीत करने एवं अधिक धन कमाने के लिए भारत देश को छोड़ा और संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, न्यूजीलैण्ड, जर्मनी व आस्ट्रेलिया आदि देशों में जाकर बस गये।
    प्रवास के कारण
    लोग सामान्य रूप से अपने जन्म स्थान से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। किन्तु लाखों लोग अपने जन्म के स्थान और निवास को छोड़ देते हैं। इसके विविध कारण हो सकते हैं जिन्हें दो भागो में बांटा जा सकता है
    1. प्रतिकर्ष कारक - वे कारक जो लोगों को उनका निवास स्थान को छुड़वाने का कारण बनते हैं प्रतिकर्ष कारक कहलाते है गरीबी, कृषि भूमि पर जनसंख्या के अधिक दबाव, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं जैसी आधारभूत सुविधाओं के अभाव तथा बाढ़, सूखा, चक्रवातीय तूफान, भूकम्प, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएँ जैसे प्रतिकर्ष कारक भारत में लोगों को ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों की और प्रतिकर्ष करते है
    2. अपकर्ष कारक - वे कारक जो विभिन्न स्थानों से लोगों को आकर्षित करते हैं। अपकर्ष कारक कहलाते है रोजगार के बेहतर अवसर, नियमित काम की उपलब्धता, बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाएँ और मनोरंजन के साधन आदि अपकर्ष कारक लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर आकर्षित करते हैं।
    पुरुषों और स्त्रियों के लिए प्रवास के कारण भिन्न- भिन्न हैं। पुरुषों में प्रवास के मुख्य कारण काम और रोजगार है जबकि स्त्रियाँ विवाह के उपरांत अपने मायके से बाहर जाती हैं। अतः स्त्रियों के लिए प्रवास का मुख्य कारण विवाह है
    मेघालय इसका अपवाद है मेघालय में विवाह स्त्रियों के प्रवास का प्रमुख कारण नहीं है मेघालय भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ पुरुषों को विवाह के पश्चात्‌ अपना निवास छोड़कर पत्नी के निवास पर जाकर रहना पड़ता है।
    प्रवास के परिणाम
    प्रवास बेहतर सुविधाओं के लिए होता है किन्तु इससे अनेक ऐसे परिणाम होते हैं जिन्हें अच्छे तथा बुरे दोनों रूपों में देखा जाता है। प्रवास के निम्नलिखित परिणाम है
    1.जनांकिकीय परिणाम- प्रवास से जनसंख्या संतुलन बिगड़ता है। जिस स्थान से लोग जाते हैं वहाँ की जनसंख्या कम एवं जहाँ जाकर बसते हैं वहाँ की जनसंख्या अधिक हो जाती है। ग्रामीण-नगरीय प्रवास से नगरों में जनसंख्या की वृद्धि हो जाती है ग्रामीण क्षेत्रों से कुशल व दक्ष जनसंख्या के नगरों की ओर प्रवास से ग्रामीण जनसंख्या संगठन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है साथ ही लिंगानुपात में भी असंतुलन पैदा हो जाता है प्रवास उद्गम और गंतव्य दोनों ही स्थानों की जनसंख्या में असंतुलन पैदा कर देता है
    2.आर्थिक परिणाम- आर्थिक परिणाम- प्रवासी लोग अपनी कार्यकुशलता व तकनीकी ज्ञान से उन आर्थिक संसाधनों का उपयोग कर क्षेत्रों को शक्तिशाली बनाकर उसका आर्थिक विकास करते हैं प्रवास से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। भारत से होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई हुण्डियाँ उद्गम क्षेत्रों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हुण्डियों से प्राप्त धनराशि का उपयोग परिजनों द्वारा शिक्षा, विवाह, ऋण अदायगी, गृह निर्माण आदि के लिए किया जाता है। इसके विपरीत अनियन्त्रित प्रवास ने भारत के महानगरों में गन्दी बस्तियों तथा भीड़-भाड़ जैसी समस्याओं को भी जन्म दिया है। साथ ही अनियन्त्रित प्रवास से जनसंख्या दबाव बढ़ता है जिससे बेरोजगारी उत्पन्न होती है एवं निर्धनता बढती है
    3. सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिणाम- प्रवासी लोग सामाजिक परिवर्तन के अच्छे माध्यम होते हैं, क्योंकि ये नवीन तकनीकी, परिवार नियोजन व बालिका शिक्षा से जुड़े नवीन विचारों का प्रचार प्रसार करते है प्रवास से विभिन्न संस्कृतियों का मेल होता है प्रवासी लोगों की वेशभूषा, रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज आदि का प्रभाव उस स्थान की संस्कृति पर पड़ता है जहां ये लोग जाते हैं जिससे उस संस्कृति में धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगता है।
    4. पर्यावरणीय परिणाम- प्रवास के कारण नगरीय क्षेत्रों में गंदी बस्तियों का विकास होता है जिससे पर्यावरण प्रदूषण फैलता है प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है जिससे भूमिगत जल स्तर में गिरावट एवं अपशिष्ट निपटान की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है
    5. अन्य परिणाम- प्रवास महिलाओं के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। ग्रामीण क्षेत्रों से रोजगार की तलाश में पुरुष अपनी पत्नियों को घर पर छोड़कर नगरों की ओर प्रवास करते हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक दबाव पड़ता है।

     2.प्रवास: प्रकार, कारण और परिणाम             pdf 

    1. भारत में स्त्रियों में सर्वांधिक प्रवास किस कारण से होता है ?
      विवाह के कारण
    2. भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है?
      रोज़गार
    3. किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं ?
      महाराष्ट्र
    4. भारत में किस राज्य में उत्प्रवासियों की संख्या सर्वाधिक है
      उत्तर प्रदेश
    5. भारत में सर्वाधिक प्रवास किस देश से हुआ है ?
      बांग्लादेश
    6. भारत में प्रवास की धाराओं में से कौन-सी एक धारा पुरुष प्रधान है ?
      ग्रामीण से नगरीय
    7. किस नगरीय समूहन में प्रवासी जनसंख्या का अंश सर्वाधिक है?
      मुंबई नगरीय समूहन
    8. भारत में कौन-कौन से राज्य सर्वाधिक आप्रवासियों को आकर्षित करते है
      महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा
    9. प्रवास के प्रकार लिखिए
      (i)अंतरराष्ट्रीय प्रवास 

      (ii)अंतर्देशीय प्रवास

    10. हुण्डी क्या है
      अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा अपने मूल स्थान अथवा निवास स्थान को भेजी जाने वाली धनराशि हुण्डी कहलाती है

    11. अंतर्देशीय प्रवास किसे कहते हैं
      एक ही देश या राज्यों के विभिन्न प्रदेशों के मध्य लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर होने वाला प्रवास अंतर्देशीय प्रवास कहलाता है
    12. उत्प्रवास किसे कहते हैं
      जिस स्थान को छोड़कर मनुष्य अन्य स्थानों पर चले जाते हैं, उस स्थान के सन्दर्भ में प्रवास को उत्प्रवास कहते हैं तथा प्रवास करने वाले व्यक्तियों को उत्प्रवासी कहते हैं।
    13. आप्रवास से क्या अभिप्राय है
      अन्य स्थानों से आकर जिस स्थान पर मनुष्य बस जाते हैं उस स्थान के सन्दर्भ में प्रवास को आप्रवास कहते हैं तथा प्रवास करने वाले व्यक्तियों को आप्रवासी कहते हैं।
    14. पुरुष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।
      पुरुष चयनात्मक प्रवास मुख्य रूप से आर्थिक कारणों जैसे काम ब रोजगार की तलाश के कारण होता है, जबकि स्त्री चयनात्मक प्रवास का मुख्य कारण विवाह है जिसकी वजह से उन्हें दूसरे स्थान पर जाकर निवास करना पड़ता है
    15. भारत की जनगणना में प्रवास की गणना किन दो आधारों पर की जाती है?
      भारत की जनगणना में प्रवास की गणना निम्नलिखित दो तथ्यों के आधार पर की जाती है-
      जन्म का स्थान -यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है।
      निवास का स्थान- यदि निवास का पिछला गणना केस्थान से भिन्न है
    16. जनसंख्या प्रवास को प्रभावित करने वाले कोई चार अपकर्ष कारको के नाम लिखिए।
      1. रोजगार के बेहतर अवसर
      2. नियमित काम की उपलब्धता
      3. बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाएँ
      4. मनोरंजन के साधन

      जनसंख्या प्रवास को प्रभावित करने वाले कोई चार प्रतिकर्ष कारको के नाम लिखिए।
      1. गरीबी
      2. कृषि भूमि पर जनसंख्या के अधिक दबाव
      3. शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं
      4. प्राकृतिक आपदाएँ
    17. प्रवास के प्रमुख कारण लिखिए
      1.आर्थिक कारण 

      2.सामाजिक कारण 

      3.राजनीतिक कारण 

      4.धार्मिक कारण

    18. आतंरिक प्रवास की धाराएं कौन-कौन सी है
      1.ग्रामीण से नगरीय
      2.नगरीय से ग्रामीण
      3.ग्रामीण से ग्रामीण
      4.नगरीय से नगरीय

    19. अंतरराष्ट्रीय प्रवास से क्या अभिप्राय है
      विश्व में एक देश से दूसरे देश में होने वाला प्रवास या एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में होने वाला प्रवास अंतरराष्ट्रीय प्रवास कहलाता है अंतरराष्ट्रीय प्रवास अधिकतर आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक कारणों से होता है

    20. जीवन-पर्यत प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
      भारतीय जनगणना के अनुसार यदि जनगणना के समय किसी व्यक्ति का जन्मस्थान गणना स्थल से भिन्न है तो उसे जीवनपर्यन्त प्रवासी कहा जाता है। जबकि किसी व्यक्ति के निवास का स्थान जनगणना के समय पिछले निवास-स्थान से भिन्न होता है तो उसे पिछले निवास के अनुसार प्रवासी कहा जाता है।

    21. उद्गम और गंतव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण- नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?
      ग्रामीण- नगरीय प्रवास से उद्गम और गंतव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना में असंतुलन पैदा हो जाता है। युवा पुरुष रोज़गार की तालाश में ग्रामीण इलाकों से नगरों की और प्रस्थान करती है जिससे नगरों (गंतव्य स्थान) की युवा जनसंख्या में वृद्धि होती है। एवं लिंगानुपात घट जाता है दूसरी तरफ गावों में बूढ़े, शिशु और स्त्रियां ही रह जाती है। जिससे गावों (उद्गम स्थान) पर युवा जनसंख्या घट जाती है तथा लिंगानुपात बढ़ जाता है

      ग्रामीण नगरीय प्रवास के मुख्य कारण क्या है?

      उत्तर: पुरुष बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से नगरों की तरफ रोजगार की तलाश में प्रवास करते हैं। स्त्रियाँ विवाह के कारण प्रवास करती हैं। भारत में प्रत्येक लड़की को विवाह के बाद अपने मायके के घर से ससुराल के घर तक प्रवास करना होता है।

      भारत में ग्रामीण से नगरीय प्रवजन के क्या कारण है?

      ग्रामीण से ग्रामीण प्रव्रजन का मुख्य कारण विवाह है, जहाँ महिलाएँ एक गाँव से दूसरे गाँव में प्रव्रजन करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अवसर का अभाव तथा कम होते संसाधनों के कारण ग्रामीण से शहरी प्रव्रजन का उद्गम हुआ।

      ग्रामीण से नगरीय प्रवास क्या है?

      ग्रामीण नगरीय प्रवास नगरों में जनसंख्या की वृद्धि में योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले युवा आयु, कुशल एवं दक्ष लोगों का बाह्य प्रवास ग्रामीण जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

      ग्रामीण प्रवास क्या होता है?

      इसका सबसे सुन्दर एवं सरल उदाहरण ग्रामीण जनसंख्या का अपने-अपने गाँवों से रोजगार की तलाश में पलायन करके शहरों में आकर स्थाई रूप से बसना। अस्थाई प्रवास के अन्तर्गत वे लोग आते हैं जो कुछ समय रोजगार धंधा इत्यादि करके अपने मूल निवास स्थान को लौट जाते हैं।