जैव भूगोल की प्रकृति क्या है? - jaiv bhoogol kee prakrti kya hai?

भूगोल का अर्थ ‘भूगोल’ शब्द हिन्दी के दो शब्दों से बना है - भू गोल अर्थात् पृथ्वी गोल है। भूगोल शब्द का पहला प्रयोग इरेटोस्थेनस (276 ई.पू.-194 ई.पू.) द्वारा किया गया था जिसका अर्थ ‘पृथ्वी का वर्णन था’। इस शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘जिओ’ (पृथ्वी) तथा ‘ग्राफोस’ (वर्णन) से हुआ है। समय के अनुसार भूगोल की परिभाषा भी परिवर्तित होती रही है। 

अनेक विद्वानों ने समय-समय पर भूगोल शब्द को अपने विचारों के आधर पर परिभाषित किया है। वर्तमान समय में भूगोल शब्द का अर्थ है कि ‘ पृथ्वी के धरातल पर पाई  जाने वाली स्थानिक (Spatial) तथा सामायिक (Temporal) विभिन्नताओं (Varations) के अध्ययन को भूगोल कहते हैं।

जैव भूगोल की प्रकृति क्या है? - jaiv bhoogol kee prakrti kya hai?


भूगोल का अर्थ

भूगोल का अर्थ भूगोल दो शब्दों से मिलकर बना है- भू + गोल हिन्दी में ‘भू’ का अर्थ है पृथ्वी और ‘गोल’ का अर्थ गोलाकार स्वरूप। अंग्रेजी में इसे Geography कहते हैं जो दो यूनानी शब्दों Geo (पृथ्वीं) और graphy (वर्णन करना) से मिलकर बना है। भूगोल का शाब्दिक अर्थ ‘‘वह विषय जो पृथ्वी का संपूर्ण वर्णन करे वह भूगोल है’’ भूगोल का अर्थ समझने के पश्चात भूगोल की परिभाषा पर इस प्रकार है।

भूगोल की परिभाषा

भूगोल की परिभाषा पर इस प्रकार है-


पॉलेमी-भूगोल विभिन्न स्थानों की स्थिति का मानचित्रण करके समस्त पृथ्वी का दृश्य प्रदान करता है। 


रिटर के अनुसार :- ‘‘भूगोल में पृथ्वी तल का अध्ययन किया जाता है जो कि मानव का निवास गृह है।’’ 


स्ट्राबो के अनुसार :- ‘‘भूगोल हमको स्थल एवं महासागरों में बसने वाले जीवों के बारे में ज्ञान कराने के साथ-साथ विभिन्न लक्षणों वाली पृथ्वी की विशेषताओं को समझाता है।’’ 


टॉलमी के अनुसार :- ‘‘भूगोल वह आभामय विज्ञान है, जो कि पृथ्वी की झलक स्वर्ग में देखता हैं।’’ 


ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार :- ‘‘भूगोल वह विज्ञान है , जो पृथ्वी के धरातल , उसके आकार , विभिन्न भौतिक आकृतियों , राजनैतिक खण्डों , जलवायु तथा जनसंख्या आदि का विशद् वर्णन करता है।’’ 


बुलरिज तथा ईस्ट के अनुसार :- ‘‘भूगोल में भूक्षेत्र तथा मानव का अध्ययन होता हैं’’ भूगोल का विषय क्षेत्र सम्पूर्ण पृथ्वी भूगोल का अध्ययन क्षेत्र है। जहाँ स्थलमण्डल, जलमण्डल , वायुमण्डल और जैवमण्डल का परस्पर अध्ययन किया जाता है। 

भूगोल की प्रकृति

भूगोल एक ऐसा विषय है जो विभिन्न स्थानों की विशेषताओं तथा प्राकृतिक विशेषताओं एवं घटनाओं के वितरण का एवं उनके द्वारा पृथ्वी की सतह में लाए जाने वाले परिवर्तनों का यथा रुप वर्णन करता है। भूगोल में अक्सर ये कहाँ है? (स्थान; वास्तविक एवं सापेक्षिक) यह कैसा है या कैसा दिखता है? ये वहाँ क्यों है? ऐसा क्यों हुआ और कैसे इसमें परिवर्तन आएगा? इसका क्या प्रभाव होगा? मानवता एवं प्राकृतिक वातावरण के पारस्परिक लाभ के लिए कैसे इसका प्रबंधन किया जा सकता है? आदि प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास किया जाता है। 


उदाहरण के तौर पर नदी, स्थान, पर्वत आदि कहाँ स्थित है। कोई देश स्थान नदी या पहाड़ कहाँ स्थित है? किस क्षेत्र या देश में एक विशेष प्रकार की मिट्टी पाई जाती है या फसल उपजाया जाता है या एक विशेष खनिज पदार्थ पाया जाता है। इस प्रकार भूगोल स्थानिक प्रश्नों के उत्तर देने से सम्बन्धित है। यह संसाधन यथा, खनिज, बहुमूल्य धातु, कृषिजन्य पदार्थ आदि के प्राप्ति के स्थान के संबंध में सूचना देता है एवं।

भूगोल पृथ्वी की सतह पर प्राकृतिक पक्ष के साथ-साथ मानवीय पक्षों का भी अध्ययन करता है। प्राकृतिक विशेषताएँ जिनमें की स्थलाकृति, जलवायु, वनस्पति-क्षेत्र एवं मिट्टी शामिल होती है। विविध प्रकार के मानवीय क्रियाकलाप के लिए पृष्ठभूमि प्रदान करता है।

भूगोल वह विज्ञान है जो विविधताओं का अध्ययन करता है। विविधता प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों क्षेत्रों में पाई जाती है। भू-आकृतियों यथा पहाड़, पहाड़ी, पठार, मैदान, एवं जलीयपिंड यथा समुद्र, झील, नदी, जलवायु, वनस्पति, जंगली जीव, जीवन, मिट्टी एवं खनिज पदार्थ आदि के रूप में विभिन्न स्थानों में विविधता पाई जाती है। इसी प्रकार से, मानवीय क्षेत्र में यथा जनसंख्या का वितरण, उनके आर्थिक क्रियाकलाप, सामाजिक सांस्कृतिक तत्व जैसे कि, भोजन, वस्त्र, घरों के प्रकार, धर्म, विश्वास, रीति-रिवाज तथा अभि व्यक्ति के साधन जैसे, भाषा एवं बोली आदि के रूप में विविधता पाई जाती है। ये सारे तत्व क्षेत्र में परिवर्तन के साथ बदल जाते हैं।

भूगोल विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्ध रखता है। क्षेत्र, मुख्यत: उन स्थानिक संरचनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें आर्थिक और सामाजिक कार्यकलाप संचालित किए जाते हैं। स्थान इस प्रकार व्यवस्थित क्षेत्र को कहते हैं जिससे कि प्राकृतिक घटनाओं का एक प्रारुप स्पष्ट हो। भूगोल घटनाओं के स्थानिक संगठनों का अध्ययन करता है एवं
स्थानिक प्रारूपों का कुछ नियमों के अनुसार विश्लेषण करता है।

भूगोलविद वर्तमान समय में विश्व द्वारा सामना किए जाने वाली समस्याओं यथा वैश्विक तापमान वृद्धि, वातावरण कैसे कार्य करता है एवं मानव समाज के साथ कैसे अंतर्क्रिया करता है, वैश्विक अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा, संप्रेषण के नवीन तकनीकी के प्रभाव, आपदा प्रबंधन, आदि को भी संबोधित करते हैं। आधुनिक समय में भूगोल एक ऐसा विषय है, जो पृथ्वी की जटिलताओं को समस्त प्राकृतिक एवं मानवीय परिवर्तनों के साथ संज्ञान में लेता है एवं उसे समझने का प्रयास करता है।

भूगोल के क्षेत्र

भूगोल का क्षेत्र अति व्यापक है। भूगोल के विषयवस्तु का अनेक विशिष्ट शाखाओं के में वर्गीकृत कर अध्ययन किया जाता है।

1. भौतिक भूगोल

भौतिक भूगोल के अन्तर्गत पृथ्वी के भौतिक पर्यावरण, सें परस्पर संबंध रखने वाली घटनाओं का अध्ययन किया जाता है जो मानव जीवन को प्रभावित करती है इनकी शाखायें हैं।

  1. वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत
  2. जलवायु
  3. स्थलाकृति जिसमें की पत्रों के प्रकार एवं उनकी व्यवस्था रिलीफ एंड ड्रेनेज
  4. मिट्टी
  5. जंगली वनस्पति

इन चरों के मध्य सम्बन्ध

  1. भू-आकृति विज्ञान।
  2. जलवायु विज्ञान। 
  3. जल विज्ञान। 
  4. खगोलिय विज्ञान। 
  5. समुद्र विज्ञान। 
  6. हिमनद विज्ञान। 
  7. मृत्तिका भूगोल। 
  8. वनस्पति भूगोल। 
  9. जीवन-विज्ञान या जैव भूगोल। 

2. मानव भूगोल

यह समाज के स्थानिक संगठन से सम्बन्धित है। प्रारंभ में इसके केंद्र में उन स्थानों का वर्णन करना था जहाँ मनुष्य रहते थे।वर्तमान में, आर्थिक क्रियाकलाप को बहुत ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।  मानव भूगोल पृथ्वी की समस्त सतहों और मानव समुदायों के बीच संबंधों का अध्ययन करता है।

  1. ऐतिहासिक भूगोल। 
  2. राजनीतिक भूगोल। 
  3. आवासीय भूगोल।
  4. जनसंख्या भूगोल।
  5. आर्थिक भूगोल। 
  6. सामाजिक एवं सांस्कृतिक भूगोल। 
  7. सैन्य भूगोल। 
  8. चिकित्सा भूगोल। 

3. जैव भूगोल

भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के मध्य के वातावरण ने जैविक भूगोल को जन्म दिया है जिनमें निम्नलिखित तथ्य शामिल होते हैं:

  1. पौधा भूगोल - यह प्राकृतिक वनस्पति का उनके प्राप्ति स्थान में स्थानिक प्रारूप का अध्ययन करता है।
  2. जंतु भूगोल - यह पशुओं एवं उनके निवास स्थान के स्थानिक प्रारूप एवं भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन करता है।
  3. पारिस्थितिकी या पारितंत्र - यह विभिन्न प्रजातियों के निवासस्थान एवं उनकी विशेषताओं का अध्ययन करता है।
  4. वातावरणीय भूगोल - यह वातावरण सम्बन्धी समस्यायों एवं चुनौतियों को अनुभूत करने वाले विश्व से सम्बन्धित हैं।

4. प्रादेशिक भूगोल

प्रादेशिक भूगोल कला के अन्तर्गत प्रदेशों का सीमांकन और उसकी भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।

भूगोल की अध्ययन पद्धतियाँ

1. वैज्ञानिक विधि - भूगोल ‘कला’ के साथ-साथ विज्ञान भी है। जिसमें क्रमबद्ध ढंग से आँकड़ों का संग्रहण, वर्गीकरण, एवं निष्कर्ष निकाला जाता है। 


2. क्रम्रबद्ध विधि - यह विधि प्रकरण विधि भी कहलाती है। इसके अन्तर्गत यदि किसी क्षेत्र विशेष का अध्ययन करना है तो सबसे पहले उस क्षेत्र विशेष के भौगोलिक पर्यावरण के तत्वों का प्रकरणानुसार अध्ययन किया जाता है। भारत के मध्यप्रदेश का अध्ययन करना है तो पहले मध्यप्रदेश क्षेत्र की भौतिक रचना का अलग-अलग रूप से अनेक प्रकरणों में विभाजन कर अध्ययन करेंगे। जैसे- पठार, पर्वत, मैदान, मिट्टी, जलवायु, वनस्पति, जीव-जन्तु, खनिज सम्पदा, जनसंख्या, आर्थिक व्यवसाय, कृषि, उद्योग,परिवहन, संचार तथा व्यापार आदि का अलग-अलग अध्ययन किया जायेगा।


3. प्रादेशिक विधि - जब पृथ्वी के किसी विशेष क्षेत्र अथवा प्रदेश का संपूर्ण भौगोलिक अध्ययन किया जाता है उसे प्रादेशिक विधि कहते है। प्रादेशिक विधि के अंतर्गत पृथ्वी के सम्पूर्ण क्षेत्र या किसी महाद्वीप का एकसाथ भौगोलिक अध्ययन नहीं किया जाता है, बल्कि पृथ्वी के किसी एक प्रदेश का चयन करने के बाद उसके समस्त भौगोलिक तत्वों उच्चावच, वर्षा, वनस्पति, धरातल, जीव-जन्तु, खनिज, फसले, परिवहन, व्यापार, अधिवास, प्रति व्यक्ति आय जनसंख्या आदि का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत प्रशासनिक इकाई जैसे-राज्य जिला, तहसील को भी प्रदेश के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है। 

भूगोल का महत्व

1. मानव जिज्ञासा की तुष्टि - मानव एक सामाजिक प्राणी है। मानव का स्वाभाविक गुण जिज्ञासा है। जिज्ञासा के कारण वह न केवल अपने आस-पास के वातावरण से अपितु देश-विदेश के सम्बन्ध में भी जानना चाहता है। जिसकी तुष्टि हेतु समस्त ज्ञान एवं विज्ञान का सृजन करने के लिये भ्रमण भी करता है। जिज्ञासा के माध्यम से संसार और उसके विभिन्न भागों और वहाँ के निवासियों एवं पर्यावरण का अध्ययन कर मानव जिज्ञासा को तुष्टि करता है।

2. संसाधनोंं का नियोजन - पृथ्वी के धरातल पर विभिन्न प्रकार के खनिज पाये जाते हैं। जिसमें खनिज, वन, मिट्टी, पशु, पक्षी, मानव इत्यादि को संसाधन कहते हैं। 

3. देश की सुरक्षा में सहायक - देश की सुरक्षा में भूगोल का महत्वपूर्ण हाथ है। इतिहास और भूगोल का आपस में घनिष्ठ संबंध है। इतिहास यह बताता है कि मानवीय प्रवृत्तियों के कारण उसे युद्धों में धकेलती रही है। युद्ध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण राष्ट्र भाग लेता है। युद्ध के समय भूगोल का ज्ञान सैनिकों एवं देश के नेताओं के लिये सुरक्षात्मक प्रयास करने में सहायक होता हैं।

4. क्षेत्रीय विकास में सहायक - भूगोल में प्रादेशिक अध्ययन पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रादेशिक अध्ययन हमें विशेष की समस्याओं को समझने और उनको दूर करने में सहायक होता है। प्रादेशिक विकास की योजना बनाने में सहायक है।

जैव भूगोल का अर्थ क्या है?

जैव भूगोल : यह स्थान की जैविक घटनाओं के अध्ययन से सम्बंधित है, विशेष तौर पर विविध प्रकार के वनस्पतियों और वन्य जीवों के वितरणों का अध्ययन करता है। जैव भूगोल को पादप या वनस्पति भूगोल, जन्तु भूगोल और मानव पारिस्थितिकी के रूप में उपविभाजित किया जा सकता है ।

जैव भूगोल के जनक कौन हैं?

Detailed Solution. सही उत्तर इरेटोस्थनीज है। वह प्राचीन यूनानी विद्वान थे जिन्हें 'भूगोल का जनक' कहा जाता है।

जैव भूगोल का महत्व क्या है?

जैव भूगोल, विभिन्न जीवधारियों और प्रजातियों के भूस्थानिक वितरण, स्थानिक वितरण के कारण और वितरण के प्रतिरूपों और उनमें समय के सापेक्ष होने वाले बदलावों का अध्ययन करता है। जैव भूगोल का उद्देश्य किसी जीव के आवास का प्रकटन, किसी प्रजाति की जनसंख्या का आकलन और यह पता लगाना है।

जैव भूगोल के लेखक कौन है?

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