गैर-संक्रामक रोग के 3 उदाहरण दें - gair-sankraamak rog ke 3 udaaharan den

गैर संचारी रोग
गैर-संक्रामक रोग के 3 उदाहरण दें - gair-sankraamak rog ke 3 udaaharan den
एक गैर-संचारी रोग किट के साथ एक नर्स, फिजी, 2012।

गैर-संचारी रोग (एनसीडी), के अंतर्गत वह रोग आते है, जोकि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे प्रसारित नहीं होते है। गैर-संचारी रोगों में पार्किंसन रोग, स्वप्रतिरक्षित रोग, स्ट्रोक, अधिकांश हृदय रोग, अधिकांश कर्कट रोग, मधुमेह, गुर्दे की पुरानी बीमारी, अस्थिसंध्यार्ति, ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर रोग, मोतियाबिंद और अन्य शामिल हैं। गैर-संचारी रोग जीर्ण या तीव्र हो सकता है। अधिकांश गैर- संक्रामक होते है, हालांकि कुछ गैर-संचारी संक्रामक रोग हैं, जैसे कि परजीवी रोग जिसमें परजीवी के जीवन चक्र में सीधे मेजबान से मेजबान संचरण शामिल नहीं है।

गैर-संचारी रोग विश्व स्तर पर मौत का प्रमुख कारण है। 2012 में, यह 68% मृत्यु (38 मिलियन) का जिम्मेदार था, जबकि 2000 में यह 60% मृत्यु का जिम्मेदार था।[1] इनमें से लगभग आधे 70 वर्ष से कम आयु के और आधी महिलाएं थीं।[2] एक व्यक्ति की पृष्ठभूमि, जीवन शैली और पर्यावरण जैसे जोखिम कारक कुछ गैर-संचारी रोगों की संभावना को बढ़ा देते हैं। हर साल तम्बाकू के उपयोग के कारण कम से कम 50 लाख लोग मर जाते हैं और लगभग 28 लाख लोग अधिक वजन होने के कारण मर जाते हैं। उच्च कोलेस्ट्रॉल की वजह से लगभग 26 लाख लोगों की मृत्यु होती है और उच्च रक्तचाप के कारण 75 लाख लोग मारे जाते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • गैर-संचारी रोग से मृत्यु के जोखिम वाले देशों की सूची
  • पुरानी बीमारी
  • वैश्विक स्वास्थ्य
  • कैंसर उपचार और अनुसंधान के लिए इंटरनेशनल नेटवर्क का INCTR चैलेंज फंड प्रोजेक्ट

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "The top 10 causes of death". विश्व स्वास्थ्य संगठन. मूल से 4 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मई 2015.
  2. "Noncommunicable diseases". विश्व स्वास्थ्य संगठन. मूल से 17 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अप्रैल 2016.

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शासन व्यवस्था

  • 03 Jul 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) की रिपोर्ट ‘इंडिया: हेल्थ ऑफ़ द नेशंस स्टेट्स’ के अनुसार, वर्ष 2016 में होने वाली कुल मौतों में गैर-संचारी रोगों का योगदान 61.8% था।

  • प्रमुख बिंदु
    गैर-संचारी रोग ऐसी दीर्घकालिक बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं जैसे- कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग, जबकि संचारी रोग तेज़ी से संक्रमण करते हैं तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अति शीघ्र फैलते हैं जैसे- मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्ज़ा आदि।
  • रिपोर्ट के अनुसार, केरल, गोवा और तमिलनाडु में महामारी के संक्रमण अर्थात् संचारी रोगों के कारण क्षेत्र में मृत्यु के मामले कम पाए गए जबकि मातृत्व, नवजात एवं पोषण संबंधी गैर-संचारी बीमारियाँ मृतकों की संख्या में वृद्धि कर रही हैं।
  • गैर-संचारी रोग के जोखिम उम्र बढ़ने, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा अधिक वज़न आदि के कारण बढ़ रहे हैं।
  • हालाँकि सार्वजनिक स्वास्थ्य का विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है, केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों में पूरक का कार्य करती है।

गैर-संचारी रोग

(Non-Communicable Diseases- NCD)

  • गैर-संचारी रोगों को दीर्घकालिक बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये लंबे समय तक बनी रहते हैं तथा ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं।
  • आमतौर पर ये रोग आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और जीवन-शैली जैसे कारकों के संयोजन का परिणाम होते हैं।
  • यह एक आम धारणा है कि बढ़ती आय के साथ आहार संबंधी व्यवहार, अनाज और अन्य कार्बोहाइड्रेट आधारित भोजन से फलों, सब्जियों, दूध, अंडे और मांस जैसे पोषक तत्त्वों से समृद्ध विकल्पों की तरफ झुक जाता है।
  • ऐसे खाद्य उत्पाद ऊर्जा-गहन (Energy-dense) और वसा, शर्करा तथा नमक की उच्च मात्रा से युक्त होते हैं जो इनके उपभोक्ताओं की NCDs और मोटापे के प्रति सुभेद्यता को बढ़ाते हैं।
  • गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और इन पर नियंत्रण हेतु वैश्विक कार्रवाई के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की योजना में चार मुख्य NCD शामिल किये गए हैं, जो कि निम्नलिखित हैं:
    • हृदयवाहिनी बीमारियाँ (Cardiovascular Diseases-CVD) जैसे-हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक
    • कैंसर
    • दीर्घकालिक श्वास संबंधी बीमारियाँ
    • मधुमेह (Diabetes)
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हृदय संबंधी विकार, कैंसर और मधुमेह सहित गैर-संचारी रोग भारत में लगभग 61% मौतों का कारण बनते हैं।
  • इन बीमारियों के कारण लगभग 23% लोगों पर प्री-मैच्योर (समय से पहले) मौत का खतरा बना हुआ है।

केंद्र सरकार के प्रयास

  • केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM) के तहत कैंसर, मधुमेह और हृदय रोगों तथा स्ट्रोक की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैंसर सहित सामान्य गैर-संचारी रोगों से लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है जिसमें स्वास्थ्य संवर्द्धन गतिविधियाँ आदि शामिल है।
  • NHM के तहत गैर-संचारी रोगों जैसे- डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप और कैंसर (ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर) की जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग/जाँच शुरू की गई है।
  • जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग के प्रमुख घटकों में समुदाय आधारित जोखिम का मूल्यांकन, परीक्षण, परामर्श आदि शामिल हैं, और सामान्य गैर-संचारी रोगों (उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ओरल कैंसर, स्तन कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर) के लिये 30 साल तथा उससे अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों की सहायता करना शामिल है।
  • यह पहल शुरुआती निदान में मदद करेगी और गैर-संचारी रोगों के जोखिम कारकों के विषय में जागरूकता पैदा करेगी।
  • कैंसर की तृतीयक देखभाल (Tertiary Care) में सुविधाओं को बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में राज्य कैंसर संस्थानों (State Cancer Institutes- SCI)और तृतीयक देखभाल केंद्रों (Tertiary Care Centres) की स्थापना में सहायता हेतु नई योजनाएँ लागू कर रही है।
  • सस्ती दवाओं तथा उपचार के लिये विश्वसनीय प्रत्यारोपण (Affordable Medicines and Reliable Implants for Treatment- AMRIT) हेतु 159 संस्थानों/अस्पतालों में दीनदयाल आउटलेट खोले गए हैं, जिनका उद्देश्य कैंसर और हृदय रोग एवं प्रत्यारोपण के रोगियों को रियायती कीमतों पर दवा उपलब्ध कराना है

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

National Health Mission- NHM

  • भारत सरकार द्वारा इस मिशन को वर्ष 2013 में प्रारंभ किया गया। इसे वर्ष 2020 तक जारी रखने की योजना है।
  • इसके दो उप-मिशन राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन हैं।
  • इस मिशन का उद्देश्य प्रजनन-मातृ-नवजात शिशु- बाल एवं किशोरावस्था स्वास्थ्य (RMNCH-A) तथा संक्रामक एवं गैर-संक्रामक रोगों के लिये ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत बनाना शामिल है।
  • इस मिशन का लक्ष्य न्यायसंगत, सस्ती एवं गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौम पहुँच सुनिश्चित करना है।

स्रोत- PIB

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गैर-संक्रामक रोग के 3 उदाहरण दें - gair-sankraamak rog ke 3 udaaharan den

गैर संक्रामक रोग कौन सा है?

गैर-संचारी रोगों में पार्किंसन रोग, स्वप्रतिरक्षित रोग, स्ट्रोक, अधिकांश हृदय रोग, अधिकांश कर्कट रोग, मधुमेह, गुर्दे की पुरानी बीमारी, अस्थिसंध्यार्ति, ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर रोग, मोतियाबिंद और अन्य शामिल हैं।

गैर संचारी रोग का मुख्य कारण क्या है?

गैर-संचारी रोग के जोखिम उम्र बढ़ने, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा अधिक वज़न आदि के कारण बढ़ रहे हैं।

संक्रामक रोग का उदाहरण क्या है?

संक्रामक रोग, रोग जो किसी ना किसी रोगजनित कारको (रोगाणुओं) जैसे प्रोटोज़ोआ, कवक, जीवाणु, वाइरस इत्यादि के कारण होते है। संक्रामक रोगों में एक शरीर से अन्य शरीर में फैलने की क्षमता होती है। मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्जा इत्यादि संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं।

और संक्रामक रोग कौन कौन से हैं?

छोटी माता.
डेंगू ज्वर.
हेपेटाइटिस ए.
हेपेटाइटिस बी.
हेपेटाइटिस सी.