अस्त-व्यस्त और अनियंत्रित जीवनशैली के नकारात्मक प्रभाव किसी भी रूप में सामने आ सकते हैं। नसों की कमजोरी भी उसी में शामिल है। नसों की कमजोरी तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। इस बारे में हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे। यह विकार गंभीर इसलिए भी है, क्योंकि यह कई मानसिक और शारीरिक तकलीफों का कारण बन सकता है (1)। अगर समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। इस लेख में हम नसों की कमजोरी के कारण, नसों की कमजोरी के लक्षण और नसों की कमजोरी के बचाव के उपाय जानेंगे। वहीं, आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि लेख में दिए घरेलू उपाय समस्या में राहत दिला सकते हैं, लेकिन समस्या का पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है। Show
पढ़ते रहें लेख तो आइए, सबसे पहले हम नसों में कमजोरी क्या है? इस बारे में जान लेते हैं। बाद में हम नसों की कमजोरी कैसे दूर करें? इस बारे में बात करेंगे। विषय सूची
नसों की कमजोरी को मेडिकल टर्म में न्यूरोपैथी के नाम से जाना जाता है। वहीं, बात जब संपूर्ण शरीर की नसों की कमजोरी की हो रही हो, तो उसके लिए मेडिकली टर्म के रूप में इसे पेरिफेरल न्यूरोपैथी कहा जाता है। अगर सवाल किया जाए कि नसों की कमजोरी है क्या? तो यह जान लेना जरूरी है कि नसें शरीर में किसी कम्प्यूटर के वायर की तरह काम करती हैं, जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं को करने के लिए दिमाग तक संदेश पहुंचाती हैं। जब किसी वजह से ये नसें दिमाग तक ठीक तरह से संदेश पहुंचाने में विफल होती हैं या फिर नहीं पहुंचा पाती हैं, तो इसे ही नसों की कमजोरी के रूप में जाना जाता है। मानों जैसे कम्प्यूटर में लगा कोई वायर ब्रेक हो जाने के कारण कम्प्यूटर ठीक से काम करना बंद कर देता है। यह विकार शरीर के एक या कई हिस्सों को प्रभावित कर नसों को कमजोर बना सकता है। हालांकि, कुछ व्यक्तियों में यह समस्या अस्थाई हो सकती है, जबकि कुछ के लिए जीवन भर का दुख साबित हो सकता है (2)। आगे पढ़ें लेख नसों की कमजोरी कैसे दूर करें? यह जानने से पूर्व जरूरी है कि नसे कमजोर होने का कारण जान लिया जाए। नसों की कमजोरी के कारण – Causes of Nervous Weakness in Hindiनिम्न बिंदुओं के माध्यम से नसों में कमजोरी के कारण को अच्छी तरह से समझने में मदद मिल सकती है, जो कुछ इस प्रकार हैं (2):
नीचे स्क्रॉल करें नसे कमजोर होने का कारण जानने के बाद अगले भाग में अब हम आपको नस कमजोर होने के लक्षण से जुड़ी जानकारी देंगे। नसों की कमजोरी के लक्षण – Symptoms Of Nervous Weakness in Hindiलेख के इस भाग में अब हम कुछ बिंदुओं के माध्यम से नसों की कमजोरी के लक्षण को समझाने का प्रयास करेंगे (2) (1)।
पढ़ते रहें लेख नस कमजोर होने के लक्षण के बाद अगले भाग में अब हम नर्वस सिस्टम रोग की सूची के बारे में बात करेंगे। नर्वस सिस्टम से जुड़े रोगों की सूची – List Of Nervous System Diseases in Hindiविशेषज्ञों के मुताबिक नर्वस सिस्टम रोग की संख्या करीब 600 से भी अधिक है। इसलिए यहां हम कुछ आम नर्वस सिस्टम की बीमारी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (1)।
आगे पढ़ें लेख नर्वस सिस्टम रोग के बाद अब हम कैसे कमजोर तंत्रिका तंत्र में सुधार के लिए प्राकृतिक चिकित्सा लाभकारी हो सकती इस बारे में बताएंगे। नसों की कमजोरी के लिए प्राकृतिक चिकित्सा – Natural Therapies For Nervous Weaknessलेख के इस भाग में हम नसों में कमजोरी को दूर करने के लिए कुछ प्राकृतिक उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं : 1. आयुर्वेदिक ऑयल मसाज:कमजोर नसों का आयुर्वेदिक इलाज आयुर्वेदिक ऑयल मसाज के जरिए किया जा सकता है। इस बात की पुष्टि दो अलग-अलग शोध से होती है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध में माना गया कि लैवेंडर ऑयल में दर्द निवारक गुण मौजूद होता है। इस गुण के कारण लैवेंडर ऑयल नसों में कमजोरी और दर्द की समस्या में सहायक साबित हो सकता है (3)। वहीं, अन्य शोध में स्पष्ट रूप से जिक्र मिलता है कि एसेंशियल ऑयल से की जाने वाली एरोमाथेरेपी मसाज के जरिए नसों में कमजोरी और दर्द की समस्या में राहत पाई जा सकती है। इस समस्या के लिए शोध में रोजमेरी, जिरेनियम, लैवेंडर, यूकेलिप्टिस और कैमोमाइल एसेंशियल ऑयल को फायदेमंद और सुरक्षित बताया गया है (4)। इस आधार पर नर्वस सिस्टम की बीमारी के लिए आयुर्वेदिक ऑयल मसाज को सहायक माना जा सकता है। साथ ही इससे नर्वस सिस्टम कमजोर होने के लक्षण भी कम हो सकते हैं। 2. एप्सम साल्ट:नर्वस सिस्टम की बीमारी के लिए एप्सम साल्ट का उपयोग किया जा सकता है। तंत्रिका तंत्र से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में एप्सम साल्ट (मैग्नीशियम सल्फेट) को कई न्यूरोलोजिकल डिजीज (नसों के रोग) में उपयोगी माना गया है। इनमें मिर्गी, पार्किन्संस रोग, अल्जाइमर और स्ट्रोक जैसी कई स्थितयां शामिल हैं। इसके लिए एप्सम साल्ट का न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण सहायक माना जा सकता है (5)। ऐसे में कहा जा सकता है कि एप्सम साल्ट युक्त पानी से नहाने या प्रभावित अंग को भिगोने से काफी हद तक नर्वस सिस्टम कमजोर होने के लक्षण से राहत पाई जा सकती है। वहीं, डॉक्टरी परामर्श पर एप्सम सॉल्ट के सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं (6)। 3. अश्वगंधा:अश्वगंधा के उपयोग से भी कमजोर नसों का आयुर्वेदिक इलाज संभव हो सकता है। एनसीबीआई पर प्रकाशित एक अफ्रीकन जर्नल के मुताबिक अश्वगंधा को नर्वाइन टॉनिक (नसों को पुनर्जीवित करने वाला) माना गया है। इसके साथ ही शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होता है। यह गुण नसों के रोग (जैसे:- पार्किन्संस, अल्जाइमर और हंगिसटन रोग) में राहत दिलाने का काम कर सकता है (7)। इस आधार पर अश्वगंधा को नसों में कमजोरी से राहत दिलाने और नर्वस सिस्टम कमजोर होने के लक्षण को कम करने के लिए उपयोगी माना जा सकता है। 4. वाटर थेरेपी:वाटर थेरेपी को एक्वेटिक थेरेपी भी कहा जाता है। इससे संबंधित एक एनसीबीआई के शोध में इसे तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फायदेमंद माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि कुछ देर पानी में रह कर आराम करने से या फिर कुछ व्यायाम करने से नसों में कमजोरी की समस्या में राहत मिल सकती है (8)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि नर्वस सिस्टम की बीमारी से राहत पाने में वाटर थेरेपी सहायक साबित हो सकती है। 5. सूरज की रोशनी:नसों की कमजोरी से राहत पाने के लिए रोजाना कुछ देर धूप में बैठा जा सकता है। नसों की कमजोरी विटामिन-डी की कमी के कारण भी हो सकती है। इससे जुड़े शोध में जिक्र मिलता है कि विटामिन-डी की कमी पार्किंसन्स रोग का जोखिम खड़ा कर सकती है। वहीं, सूरज की किरणें विटामिन-डी का एक बड़ा स्रोत हैं, जो शरीर में विटामिन-डी की मात्रा को बढ़ाने का काम कर सकती हैं (9)। वहीं, दोपहर में लंबे समय तक धूप में बाहर जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है (10)। इस आधार पर माना जा सकता है कि शरीर की नसों की कमजोरी का इलाज सूर्य की रोशनी से भी संभव हो सकता है। नीचे स्क्रॉल करें शरीर की नसों की कमजोरी का इलाज करने के लिए डॉक्टर से सलाह कब लेनी चाहिए, इस बारे में हम लेख के अगले भाग में जानेंगे। नसों की कमजोरी के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?नसों में दर्द या संवेदनहीनता जैसे कई लक्षण हैं, जिनके बारे में लेख में पहले ही बताया जा चुका है। इन लक्षणों के दिखाई देने पर बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि समय रहते ही शरीर की नसों की कमजोरी का इलाज शुरू किया जा सके (11)। पढ़ते रहें लेख लेख में आगे जानिए नसों की कमजोरी का निदान कैसे किया जा सकता है। इसके बाद हम नसों की कमजोरी का इलाज बताएंगे। नसों की कमजोरी का निदान – Diagnosis of Nervous Weakness in Hindiनसों में कमजोरी के निदान के लिए डॉक्टर रोगी से इसके लक्षण के साथ पारिवारिक या चिकित्सकीय इतिहास को जानने का प्रयास करेगा। इसके बाद डॉक्टर नसों में कमजोरी की पुष्टि के लिए निम्न चरणों के तहत जांच कर सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं (12): 1. भौतिक परीक्षण:
2. ब्लड टेस्ट:डॉक्टर जरूरत पड़ने पर थायरायड, किडनी विकार और विटामिन बी-12 की कमी से जुड़े ब्लड टेस्ट करा सकता है ताकि नर्वस सिस्टम कमजोर होने के कारण का निश्चित तौर पर पता चल सके। आगे पढ़ें लेख लेख के अगले भाग में अब हम आपको नसों में कमजोरी के इलाज के साथ नसों की कमजोरी की दवा के बारे में बताएंगे। नसों की कमजोरी का इलाज – Treatment of Nervous Weakness in Hindiनसों की कमजोरी के इलाज के मामले में डॉक्टर मरीज को उसकी स्थिति के आधार पर नसों की कमजोरी की दवा के तौर पर एंटीडिप्रेसेंट (अवसाद को कंट्रोल करने वाली) या एंटीकोवास्कुलेंट (नसों से संबंधित दर्द में आराम दिलाने वाली) दवा लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर दर्द से आराम दिलाने वाले कुछ स्प्रे या क्रीम भी लगाने की भी सलाह दे सकते हैं (12)। नीचे स्क्रॉल करें नसों के रोग के इलाज और नसों की कमजोरी की दवा के बाद अब हम इस समस्या में लिए जाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे। नसों की कमजोरी के लिए जरूरी खाद्य पदार्थ1. विटामिन:नसों की कमजोरी से निजात पाने के लिए विटामिन-बी और डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। ये भोजन रीढ़ और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का काम कर सकते हैं। विटामिन बी-12, फोलेट और डी एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होते हैं, जो शरीर के अंदर की सूजन को कम करने का काम कर सकते हैं। साथ ही केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकारों (नसों के रोग) को दूर करने में मदद कर सकते हैं (13), (14)। शरीर में इन विटामिन की मात्रा बढ़ाने के लिए मछली, रोटी, साबुत अनाज, सब्जियां, ब्राउन राइस, पनीर और अंडे की जर्दी जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। 2. मैग्नीशियम:स्वस्थ नर्वस सिस्टम के लिए मैग्नीशियम महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह नसों के साथ ही हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाता है। साथ ही हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम को भी बढ़ावा देने का काम करता है। वहीं, तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को आराम देने के लिए भी इसे उपयोगी माना जाता है। शरीर में मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, केला और दही जैसे मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है (15) (16)। 3. ओमेगा-3 फैटी एसिड:ओमेगा-3 फैटी एसिड पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो तंत्रिका तंत्र (Nervous System) के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है और कमजोर व क्षतिग्रस्त नसों के कारण नसों की विभिन्न बीमारियों का उपचार करने में मदद कर सकता है (17) (18)। ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए मैकेरल, सीप, सार्डिन, सैल्मन और टूना जैसे सी फूड्स का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, चिकित्सक से परामर्श कर ओमेगा-3 फैटी एसिड के सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं (19)। 4. कैमोमाइल चाय:सामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल:
कितनी बार करें:
कैसे है लाभदायक: नसों की कमजोरी का इलाज करने के लिए कैमोमाइल चाय का उपयोग किया जा सकता है। कैमोमाइल से संबंधित एक शोध में इस बात को माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों को नष्ट करने वाला) गुण के साथ न्यूरोप्रोटेक्टिव (नसों का बचाव करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस कारण यह तनाव को दूर करने के साथ ही नसों की कमजोरी में भी आराम दिलाने का काम कर सकता है (20)। 5. ग्रीन टीसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल:
कितनी बार करें:
कैसे है लाभदायक ग्रीन टी के कई लाभ हैं। यह स्वस्थ तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को बढ़ावा देता है। इसमें एल-थीनिन नाम का एक तत्व होता है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है (21)। इसके अलावा, ग्रीन टी संवेदनहीनता संबंधी तंत्रिका संबंधी विकार में भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकती है (22)। पढ़ते रहें लेख लेख के अगले भाग में अब हम नसों की कमजोरी से राहत पाने के व्यायाम के बारे में बात करेंगे। नसों की कमजोरी से राहत पाने के सटीक व्यायामएनसीबीआई के एक शोध में स्पष्ट रूप से माना गया है कि विभिन्न कारणों की वजह से पैदा होने वाली नसों की कमजोरी की समस्या को एक्सरसाइज के माध्यम से कुछ हद तक सुधारा जा सकता है (23)। ऐसे में हम कुछ आसन और एक्सरसाइज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आसानी से अभ्यास में लाया जा सकता है।
आगे पढ़ें लेख लेख के अगले भाग में अब हम आपको नसों की कमजोरी के बचाव के उपाय बताएंगे। नसों की कमजोरी के बचाव के उपाय – Prevention Tips for Nervous Weakness in Hindiनिम्न बिंदुओं के माध्यम से हम नसों की कमजोरी के बचाव के उपाय को आसानी से समझ सकते हैं (11)।
अब तो आप जान गए होंगे कि बॉडी में नसें क्यों फड़कती हैं? साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि स्वस्थ शरीर के लिए नर्वस सिस्टम का मजबूत रहना कितना जरूरी है। ऐसे में अगर आप यहां बताए गए किसी भी नसों की कमजोरी के लक्षण को महसूस करते हैं, तो आप लेख में बताए गए नर्वस सिस्टम रोग के प्राकृतिक उपचार का सहारा ले सकते हैं। वहीं, नसों की कमजोरी के लिए आयुर्वेदिक दवा का भी सेवन किया जा सकता है। अगर समस्या गंभीर नजर आती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप इस समस्या के प्रति जितना जागरूक रहेंगे नसों की कमजोरी से उतना बचे रहेंगे। उम्मीद है कि बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने में यह लेख काफी हद तक कारगर साबित होगा। अक्सर पूछे जाने वाले सवालमैं नसों की कमजोरी से कैसे राहत पा सकती हूं? आप इस समस्या से राहत पाने के लिए लेख में बताए गए इससे जुड़े घरेलू उपचार और इलाज के तरीकों को प्रयोग में ला सकती हैं। नर्वस सिस्टम को कैसे मजबूत करें? अगर आप भी जानना चाहते हैं कि नर्वस सिस्टम को कैसे मजबूत करें, तो इसके लिए जरूरी है कि पोषक तत्वों से भरपूर आहार शैली और व्यायाम का पालन किया जाए। इसकी मदद से नसों को मजबूत और स्वस्थ बना सकते हैं। क्या नसों में आई कमजोरी ठीक की जा सकती है? नसों में आई कमजोरी को पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं है। हां, सही समय पर इलाज से इस समस्या के बढ़ने से रोका और इसके लक्षणों को नियंत्रित जरूर किया जा सकता है (26)।
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सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन... more Dr. Zeel Gandhi is an Ayurvedic doctor and an expert at providing holistic solutions for health problems encompassing Internal medicine,... more नर्वस सिस्टम को मजबूत करने के लिए क्या खाना चाहिए?आप को रोजाना बादाम, काजू, अखरोट आदि को अपनी डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए. ओमेगा 3 फैटी एसिड नसों के लिए बहुत जरूरी होता हैं. इससे नसों को ताकत मिलती हैं. मछली में बहुत मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता हैं.
नर्वस सिस्टम को कैसे ठीक किया जाता है?दिमाग और नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखेंगे ये फूड्स. हरी-पत्तेदार सब्जियां हरी-पत्तेदार सब्जियों में विटामिन बी कॉम्पलैक्स, विटामिन सी, ई और मैगनिशियम भी होता है जो कि हमारे दिमाग के काम करने के लिए बेहद जरूरी है। ... . फिश फिश आयल सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। ... . डार्क चॉकलेट ... . ब्रॉक्ली ... . सामन मछली ... . अवाकाडो ... . बादाम ... . कद्दू के बीज. नर्वस सिस्टम क्यों खराब होता है?तंत्रिका विकार या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर आमतौर पर नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले वायरल, जीवाणु, कवक और परजीवी संक्रमण के कारण होते हैं. नर्वस सिस्टम की बीमारियों में अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया, मिर्गी, सेरेब्रोवास्कुलर बीमारियां जैसे माइग्रेन, स्ट्रोक और अन्य सिरदर्द शामिल हैं.
कमजोर तंत्रिका तंत्र को कैसे सुधारें?पार्किंसन यह न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है जो मस्तिष्क की कुछ नसों को धीरे-धीरे क्षति पहुंचाता है। नसों की कमजोरी से छुटकारा पाने के लिए विटामिन, मैग्नीशियम, ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त चीजों का भरपूर सेवन करें। डॉ. वली के मुताबिक, सेंधा नमक सूजन को कम करता है और मांसपेशियों व नसों के बीच के संतुलन को बेहतर बनाता है।
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