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Advertisement Remove all ads One Line Answer ‘कहीं साँस लेते हो’ ऐसा कवि ने किसके लिए कहा है और क्यों? Advertisement Remove all ads Solutionफागुन महीने में तेज हवाएँ चलती हैं जिनसे पत्तियों की सरसराहट के बीच साँय-साँय की आवाज़ आती है। इसे सुनकर ऐसा लगता है, मानो फागुन साँस ले रहा है। कवि इन हवाओं में फागुन के साँस लेने की कल्पना कर रहा है। इस तरह कवि ने फागुन का मानवीकरण किया है। Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 5: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह और अट नहीं रही है - अतिरिक्त प्रश्न Q 7Q 6Q 8 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter 5 सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह और अट नहीं रही है Advertisement Remove all ads फागुन महीने के सांस लेने का संसार पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?← Prev Question Next Question → 0 votes 18 views asked Aug 30 in Hindi by AnmolSingh
(85.0k points)
फागुन महीने के सांस लेने का संसार पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
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Aug 30 by KrushnaBhovare (81.6k points) Best answer कवि ने फागुन महीने का मानवीकरण किया है। उसके साँस छोड़ने से पूरे परिवेश में सुगंध व्याप्त हो गई है। ऐसे चलनेवाली हवाओं से घर-घर आवाज आ रही है। सुगंध को मानो पर लग गए हैं और उसने सारे आकाश को सुगंध से भर दिया है। ← Prev Question Next Question →
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... फागुन के साँस लेने से क्या हो रहा है?Answer: Explanation: फागुन के साँस लेते ही प्रकृति में यह परिवर्तन दिखाई देते हैं कि सर्वत्र खुशभू व्याप्त हो जाती है। इसका प्रभाव तन-मन, पेड़-पौधों की डालियों, नए-नए पत्तों एवं फूलों पर दिखाई देता है।
फागुन की सांस से कवि का क्या तात्पर्य है?Explanation: इस कविता में कवि ने वसंत ऋतु की सुंदरता का बखान किया है। ... वसंत जब साँस लेता है तो उसकी खुशबू से हर घर भर उठता है। कभी ऐसा लगता है कि बसंत आसमान में उड़ने के लिए अपने पंख फड़फड़ाता है।
क अट नहीं रही है कविता में फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?प्रश्न 5-9: फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ? उत्तर 5-9: फागुन में प्रकृति की शोभा अपने चरम पर होती है। पेड़-पौधें नए पत्तों, फल और फूलों से लद जाते हैं, हवा सुगन्धित हो उठती है। आकाश साफ-स्वच्छ होता है।
कहीं सांस लेते हो कवि ने ऐसा क्यों कहा है?फागुन महीने में तेज हवाएँ चलती हैं जिनसे पत्तियों की सरसराहट के बीच साँय-साँय की आवाज़ आती है। इसे सुनकर ऐसा लगता है, मानो फागुन साँस ले रहा है। कवि इन हवाओं में फागुन के साँस लेने की कल्पना कर रहा है। इस तरह कवि ने फागुन का मानवीकरण किया है।
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