ये भी पढ़ें: Complete Hindi Vyakaran व्याकरण : Bhasha भाषा, Varn वर्ण and Varnmala वर्णमाला, Shabd शब्द, Vakya वाक्य , Sangya संज्ञा Sarvnam सर्वनाम, Ling लिंग, Vachan वचन , alankar अलंकार, visheshan विशेषण , pratyay प्रत्यय , Kriya क्रिया , Sandhi संधि, karak कारक, kal काल kaal _________________________________________________________________________ क्रिया
के होने या करने के समय को काल कहते हैं। अथवा क्रिया के जिस रूप से कार्य करने या होने के समय का बोध होता है उसे ‘काल’ कहते है। अन्य शब्दों में क्रिया के उस रूपान्तर को काल कहते है, जिससे उसके कार्य-व्यापर का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो। जैसे- इन वाक्यों की क्रियाओं से कार्य के होने का समय प्रकट हो रहा है। काल के तीन भेद होते है-
क्रिया के जिस रुप से यह पता चले कि काम अभी हो रहा है। जिन वाक्यों के अंत में ता , ती , ते , है , हैं आते हैं वो वर्तमान काल कहलाता है। क्रियाओं के होने की निरन्तरता को वर्तमान काल कहते हैं। वर्तमान काल के भेद :-(1) सामान्य वर्तमान काल (1) सामान्य वर्तमान काल :-जिस क्रिया से क्रिया के सामान्य रूप का वर्तमान में होने का पता चलता है उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में ता है , ती है , ते है , ता हूँ , ती हूँ आदि आते हैं उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है। जैसे :- सीता पढती है।, वह आता है। (2) अपूर्ण वर्तमान काल :-क्रिया के जिस रूप से कार्य के लगातार होने का पता चलता है उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते है। जिन वाक्यों के अंत में रहा है , रहे है , रही है , रहा हूँ आदि आते है उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। जैसे :- वह घर जा रहा है।, राम लिख रहा है। (3) पूर्ण वर्तमान काल :-क्रिया के जिस रूप से कार्य के अभी पूरे होने का पता चलता है। उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते है।
जैसे :- मैंने
फल खाए हैं। (4) संदिग्ध वर्तमान काल :-क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल क्रिया के होने या करने पर शक हो उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते है। इन वाक्यों के अंत में ता होगा , ती होगी , ते होंगे आदि आते हैं । जैसे :- वह गाता होगा।, गाड़ी आती होगी ।, बच्चा रोता होगा। (5) तात्कालिक वर्तमान काल :-क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता हो कि कार्य वर्तमान में हो रहा है उसे तात्कालिक वर्तमान काल कहते हैं। जैसे :- मैं
पढ़ रहा हूँ। (6) संभाव्य वर्तमान काल :-संभाव्य का अर्थ होता है संभावित या जिसके होने की संभावना हो। इससे वर्तमान काल में काम के पूरे होने की संभावना होती है उसे संभाव्य वर्तमान काल कहते हैं। जैसे :- वह चलता हो।
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि काम बीते हुए समय में पूरा हो गया है। भूतकाल का अर्थ होता है बीता हुआ। क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। इसकी पहचान वाक्यों के अंत में था , थे , थी आदि से होती है। इसके छ: भेद है। i. सामान्य भूत काल :–क्रिया के जिस रूप से यह मालूम हो कि काम बीते हुए समय में सामान्यतः पूरा हो गया। जिस क्रिया के भूतकाल में क्रिया के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का संकेत मिले उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में आ , ई , ए , था , थी , थे आते हैं वे सामान्य भूतकाल होता है। जैसे– वह गया, पानी गिरा, वह स्कूल गया। ii.आसन्न भूत काल:–क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि काम अभी-2 पूरा हुआ है। अथार्त क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चले की क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। जैसे – वह अभी गया, मैं अभी सोकर उठा हूँ, उसने दवा खायी है। iii. पूर्ण भूत काल:–क्रिया के जिस रुप से यह ज्ञात हो कि काम बहुत पहले पूरा हो चुका था। अथार्त क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य को समाप्त हुए बहुत समय बीत चूका है उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं। जैसे – वह गया था, बच्चा आया था, उसने विजय को मारा था। iv. अपूर्ण भूत :–क्रिया के जिस रुप से क्रिया का भूतकाल में होना पाया जाए, लेकिन पूर्ण हुआ या नहीं ज्ञात न हो, उसे अपूर्ण भूत कहते है। अथार्त क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में शुरू होने का पता चले लेकिन खत्म होने का पता न चले उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। जैसे – वह जा रहा था, सुनील पढ़ रहा था, बच्चे खेल रहे थे। v. संदिग्ध भूत :–जिस क्रिया के करने या होने में संदेह हो उसे संदिग्ध भूत कहते है। क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में पूरा होने पर संदेह हो कि वह पूरा हुआ था या नहीं उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं। जैसे– वह गया होगा, उसने खाया होगा, महिमा चली गई होगी। vi. हेतु हेतुमद भूत :–क्रिया के जिस रुप से कार्य के भूतकाल में होने या किए जाने की शर्त पाई जाए, उसे हेतुहेतुमद भूत कहते है। इसमें पहली क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर होती है। पहली क्रिया तो पूरी नहीं होती लेकिन दूसरी भी पूरी नहीं हो पाती। जैसे – वह मेहनत करता तो सफल हो जाता।
क्रिया के जिस रुप से किसी काम का आने वाले समय में किया जाना या होना ज्ञात हो उसे भविष्य काल कहते है। जिन वाक्यों के अंत में गा , गे , गी आदि आते हैं वे भविष्य काल होते हैं। भविष्य काल के भेद :- (1)
सामान्य भविष्य काल i. सामान्य भविष्य :–क्रिया के जिस रूप से काम का सामान्य रूप से भविष्य में किया जाना या होना पाया जाए अर्थातजिन शब्दों के अंत में ए गा , ए गी , ए गे आदि आते हैं उन्हें सामान्य भविष्य काल कहते हैं। जैसे- माता जी तीर्थ यात्रा पर जाएगी , वह घर जायेगा, राम आएगा, मै प्रातः कॉलेज जाऊँगा। ii. सम्भाव्य भविष्य :–क्रिया का वह रूप जिससे काम के भविष्य में होने या किए जाने की सम्भावना है, पर निश्चितनहीं, उसे सम्भाव्य भविष्य कहते है। जैसे– शायद कल सवेरे वह आ जाए , वह विजयी होगा। iii. हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल:-क्रिया के जिस रूप से एक कार्य का पूरा होना दूसरी आने वाले समय की क्रिया पर निर्भर हो उसे हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल कहते है। इसमें एक क्रिया दूसरी पर निर्भर होती है। इसमें एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है। जैसे :- वह
आये तो मैं जाऊ। _______________________________________________________________ये भी पढ़ें: Complete Hindi Vyakaran व्याकरण : Bhasha भाषा, Varn वर्ण and Varnmala वर्णमाला, Shabd शब्द, Vakya वाक्य , Sangya संज्ञा Sarvnam सर्वनाम, Ling लिंग, Vachan वचन , alankar अलंकार, visheshan विशेषण , pratyay प्रत्यय , Kriya क्रिया , Sandhi संधि, karak कारक, kal काल kaal _________________________________________________________________________ भविष्य काल से आप क्या समझते हैं?वाक्य में प्रयोग की गई क्रिया का ऐसा रूप जिससे आने वाले समय मे कार्य के होने या करने का बोध हो रहा हो, उन वाक्यों को भविष्य काल कहते हैं। वह कल कानपुर जाएगा। वह पूरा काम कल करेगा।
भविष्य काल के भेद कितने हैं?भविष्यत् काल के चार (4) प्रकार के भेद हैं- सामान्य भविष्यत् काल, सम्भाव्य भविष्यत् काल, सातत्यबोधक भविष्यत् काल और हेतु-हेतुमद् भविष्यत् काल। मैं खेलूँगा।
भविष्य काल के तीन प्रकार कौन से हैं?भविष्य काल के भेद. सामान्य भविष्य काल. संभाव्य भविष्य काल. हेतुहेतुमद विषय भविष्य काल. |