बहुउद्देशीय परियोजना का उद्देश्य क्या है - bahuuddesheey pariyojana ka uddeshy kya hai

निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्क नहीं है?

  • बहुउद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लती है जहाँ जल की कमी होती है।

  • बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जल बहाव को नियंत्रित करके बाढ़ पर काबू पाती है।

  • बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती हैं।

  • बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती हैं।


C.

बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती हैं।

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राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जा सकता है? व्याख्या कीजिए।


जल संग्रहण प्रणाली सामाजिक,आर्थिक और पर्यावरणनीय रूप में एक महत्वपूर्ण उपाय है। प्राचीन समय में भी लोग वर्षा प्रदेश, मृदा की बनावट तथा वर्षा जल संग्रहण की प्रक्रिया से पूरी तरह परीचित थे। पर्वतीय क्षेत्रों में पश्चिमी हिमालय प्रदेश में लोग कृषि के लिए 'गुल' अथवा 'कुल्स' (नालियों) का निर्माण करते थे। राजस्थान में छत पर वर्षा जल संग्रहण करते थे। शुष्क तथा अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में खेतों को वर्षा वाले भंडारण क्षेत्र में बदल दिया जाता था। इससे उनमें पानी भरा रहता था जो मृदा को आर्द्र बनाए रखता था। जैसलमेर में खादिन और अन्य भागों में 'जोहड़' इसके उदाहरण है। 
राजस्थान के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों विशेषकर बीकानेर, फलोदी और बाड़मेर में, लगभग हर घर में पीने का पानी संग्रहित करने के लिए वहाँ भूमिगत टैंक अथवा 'टाँका, हुआ करते थे। इसका आकार एक बड़े कमरे जितना हो सकता है। फलौदी में एक घर में 6.1 मीटर गहरा, 4.27 मीटर लंबा और चौड़ा टाँका था। टाँका यहाँ सुविकसित छत वर्षा जल संग्रहण तंत्र का अभिन्न हिस्सा होता है जिसे मुख्य घर के आंगन में बनाया जाता था। वे घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े हुए थे। छत से वर्षा का पानी इन नालो से होकर भूमिगत टाँका तक पहुंचता था जहां इसे एकत्रित किया जाता था। टाँका में वर्षा जल अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहित किया जा सकता है। यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला जल स्रोत बनाता है। 

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परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपना कर जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा रहा है।


आज भी भारत के कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल संग्रहण और भंडारण का तरीका प्रयोग में लाया जाता है-

(i) पश्चिमी भारत में छत वर्षा जल संग्रहण की विधि प्रचलित है। छत वर्षा जल को पी.वी.सी. पाइप द्वारा एकत्र किया जाता है। रेत और ईंट प्रयोग करके जल का छानन किया जाता है। भूमिगत पाइप द्वारा जल हौज तक ले जाया जाता है जहाँ इसे तुरंत प्रयोग में किया जाता है। अतिरिक्त जल को कुएँ तक ले जाया जाता है। 
(ii) कर्नाटक के मैसूर जिले में स्थित एक सुदूर गाँव में गंडाथूर के ग्रामीणों ने अपने घर में जल आवश्यकता पूर्ति छत वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की हुई है। गाँव के लगभग 200 घरों में यह व्यवस्था है और इस गाँव में वर्षा जल संपन्न गाँव की ख्याति अर्जित की है। इस गाँव में हर वर्ष लगभग 1,000 किलोमीटर वर्षा होती है और 10 भराई के साथ यहाँ संग्रहण दक्षता 80 प्रतिशत है। यहाँ हर घर लगभग प्रत्येक वर्ष 50,000 मीटर जल का संग्रह और उपयोग कर सकता है। 20 घरों द्वारा हर वर्ष लगभग 1000,000 लीटर जल एकत्रित किया जाता है।
(iii) तमिलनाडु देश एक मात्र राज्य है जहाँ पूरे राज्य में हर घर में छत वर्षाजल संग्रहण धातु का बनाना आवश्यक कर दिया गया है। इस संदर्भ में दोषी व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है। 
(iv) मेघालय की राजधानी शिलांग में छत वर्षा जल संग्रहण प्रचलित है। चेरापूंजी और मॉनिनराम विश्व की सबसे अधिक वर्षा होती है। शिलांग में 55 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है और यह शहर पीने के जल की कमी की गंभीर समस्या का सामना करता है। शहर के लगभग हर घर में छत वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था है। घरेलू जल आवश्यकता की कुल माँग के लगभग 15-25 हिस्से की पूर्ति जल संग्रहण व्यवस्था से ही होती है।

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बहुउद्देशीय परियोजनाओं होने वाले लाभ और हानियों की तुलना कीजिए।


लाभ:
(i) इस प्रकार की योजनाएं बाढ़ जैसे भयानक खतरे को रोकने में सहायक है।
(ii) इनसे जल विद्युत का उत्पादन होता है।
(iii) जल सिंचाई के लिए बाँध उपयोगी है।
(iv) इसका जल घरेलू कामकाज तथा उद्योग के लिए उपयोग में आता है।
(v) साधारणतया इन योजनाओं के समीप क्षेत्र में लोग अपने मनोरंजन के लिए जाते हैं।
(vi) यह योजना तथा मछली पालन और नौकायन के लिए उपयोग में आती है।

हानियाँ:
(i) नदी पर बांध बनने से नदी के जल का प्रवाह बाधित होता है।
(ii) बाँध से नदी की शाखाएँ बट जाती है, जो जल में रहने वाले वनस्पति को स्थानांतरित करता है।
(iii) बाढ़ निर्मित मैदान में बने जल भंडारों में वनस्पति डूब जाती है तथा मृदा विघटित हो जाती है।
(iv) बहुउद्देशीय परियोजनाएं तथा बड़े बांध नर्मदा बचाओ आंदोलन और टिहरी बांध आंदोलन के जन्मदाता बन गये है क्योंकि लोगो को इनके कारण अपने घरो से पलायन करना पड़ा।

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नीचे दी गई सूचना के आधार पर स्थितियों को 'जल की कमी से प्रभावित' या 'जल की कमी से अप्रभावित' में वर्गीकृत कीजिए:
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र।
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र।
(ग) अधिक वर्षा वाले परंतु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र।
(घ) कम वर्षा वाले तथा कम जनसंख्या वाले क्षेत्र। 


जल की कमी से प्रभावित-
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र।
(ग) अधिक वर्षा वाले परंतु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र।
(घ) कम वर्षा वाले तथा कम जनसंख्या वाले क्षेत्र।
जल की कमी से अप्रभावित-
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र।

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भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को 'आधुनिक भारत का मंदिर' कहा था। इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य- सिंचाई का प्रबंध, जल विद्युत् का उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, पर्यावरण की रक्षा, अन्तः-स्थलीय नौपरिवहन का विकास, भू-संरक्षण और मछली पालन का विकास।

बहुउद्देशीय क्या है?

एक नदी घाटी परियोजना जो एक साथ कई उद्देष्यों जैसे-सिंचाई,बाढ़ नियन्त्रण, जल एवं मृदा संरक्षण,जल विद्युत, जल परिवहन,पर्यटन का विकास ,मत्स्यपालन,कृषि एवं औद्योगिक विकास आदि की पूर्ति करती हैं;बहुउद्देशीय परियोजनायें कहलाती हैं।

भारत की बहुउद्देशीय परियोजना क्या है?

बहुउद्देशीय परियोजनाओं को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ' आधुनिक भारत का मंदिर ' कहा था । बहुउद्देशीय परियोजनाओं का मकसद सिंचाई का प्रबंध , जलविद्युत उत्पादन , बाढ़ नियंत्रण , पेयजल आपूर्ति , नौकायन , मत्स्य पालन , वन्यजीव संरक्षण , मृदा संरक्षण , पर्यटन आदि होता है ।

भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना कौन सी है?

क्र:सं:
परियोजना का नाम
लाभान्वित राज्य
1.
भाखड़ा नांगल परियोजना
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान
2.
व्यास परियोजना
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश
3.
दामोदर परियोजना
झारखंड, वेस्ट बंगाल
4.
हीराकुंड बांध परियोजना
ओडिशा
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