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Testbook Edu Solutions Pvt. Ltd. 1st & 2nd Floor, Zion Building, [email protected] Toll Free:1800 833 0800 Office Hours: 10 AM to 7 PM (all 7 days) कार्ली मिर्च का इतिहास भारत में 4000 साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है. इतिहास में इसे सबसे महत्वपूर्ण मसाले के तौर पर माना जाता है. कहते हैं कि इस काली मिर्च ने एक नई दुनिया के निर्माण में बड़ी मदद की थी.काली मिर्च,आमतौर पर रसोई में खाने का स्वाद बढ़ाने और मसालों के रूप में इस्तेमाल होने वाली काली मिर्च खाने के कई फायदे हैं. आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधि बताया गया है.काली मिर्च में पिपराइन मौजूद होती है और उसमें एंटी-डिप्रेसेंट के गुण होते है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी काली मिर्च ने दुनिया को बदलकर रख दिया था. आइए आपको बताते हैं काली मिर्च के बारे में. 4,000 साल से ज्यादा पुराना इतिहासकार्ली मिर्च का इतिहास भारत में 4000 साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है. इतिहास में इसे सबसे महत्वपूर्ण मसाले के तौर पर माना जाता है. कहते हैं कि इस काली मिर्च ने एक नई दुनिया के निर्माण में बड़ी मदद की थी. काली मिर्च शुरुआत में आई वो पहली मुद्रा थी जिसकी वजह से दुनियाभर में व्यापार को आगे बढ़ाने में मदद मिली. कई इतिहासकार मानते हैं कि इस मसाले के व्यापार में जिन रास्तों को तलाशा गया था, वो रास्ते ही ग्लोबलाइजेशन की बड़ी वजह बन सके. जब रोमन से फिरौती में मांगी कई काली मिर्चकाली मिर्च केरल के कोझीकोड से आने वाला सबसे बड़ा मसाला है. माना जाता है कि सन् 1572 में कोझीकोड इस मसाले का गढ़ बन गया था. इसके व्यापार का इतिहास रोमन संस्कृति से जुड़ा है. यह मसाला रामसीज II की नाक में पाया गया था. रामसीस II को रामसीस द ग्रेट के नाम से भी जानते हैं और वह इजिप्ट के 19वें राजवंश के तीसरे समुदाय से आते थे. यूरोप ने भी इस मसाले का प्रयोग किया. कहते हैं कि 410 CE में आक्रमणकारियों ने फिरौती के तौर पर 3,000 पौंड काली मिर्च की मांग की थी. जब रोम को घेर लिया गया था तो काली मिर्च की मांग की गई थी. इसके अलावा रोम से सोना, चांदी और सिल्क की मांग भी कई थी. हर साल कई लाख किलो की ट्रेडिंगसन् 968 से 1016 तक राज करने वाले अंग्रेज राजा एथेलेड्र आने वाले जहाजों से टोल के तौर पर काली मिर्च ही लेते थे. इस समय तक व्यापारियों के तौर पर अरबों ने खुद को स्थापित कर लिया था. 500 साल बाद चीजें बदलना शुरू हो गईं जब क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डि गामा एक के बाद एक समुद्री यात्रा पर निकले. वो भारत और यहां के मसालों की खोज के लिए आए थे. वास्को डि गामा केरल के मालाबार क्षेत्र में पहुंच गए थे. पुर्तगालियों ने बाद में काली मिर्च का व्यापार शुरू किया. 10 लाख किलोग्राम काली मिर्च की ट्रेडिंग हर साल होती और इसके बाद डच लोगों ने इस पर नियंत्रण कर लिया. अरब व्यापारियों को होने लगा नुकसानकोलंबस की मसालों के लिए हुई खोज उन्हें बहामास लेकर पहुंची. आज बहामास को आधुनिक अमेरिका के निर्माण और नए दौर के इतिहास का श्रेय दिया जाता है. अपने मार्केट को बचाने के लिए अरबों ने काली मिर्च के दाम बढ़ा दिए और इससे जुड़े कई मिथ्स को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. अरबों ने यह कहना शुरू कर दिया कि काली मिर्च उन पेड़ों से आती हैं जो सांपों का घर होते हैं और जिन्हें काली मिर्च हासिल करने के मकसद से जलाना पड़ता है. देश के टॉप 3 राज्य7वीं सदी से पहले तक काली मिर्च जावा और सुमात्रा में भी पैदा होती थी. वर्तमान समय में केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु भारत में काली मिर्च के टॉप थ्री उत्पादक राज्य हैं. कर्नाटक में साल 2008 से 2012 तक इसका उत्पादन दोगुना हो गया तो केरल में इसमें गिरावट आई है. यहां पर काली मिर्च की खेती करने वाले किसान अब इलायची जैसी तेज फसलों की खेती करने लगे हैं. यह भी पढ़ें-आपकी किचन में आने से पहले मसाले कुछ इस तरह दिखते है
काली मिर्च के उत्पादन में कर्नाटक पहले स्थान पर आने जा रहा है। वर्तमान सत्र में कर्नाटक में इसका उत्पादन केरल के मुकाबले करीब दोगुना होने के आसार हैं। केरल अब तक काली मिर्च के उत्पादन में पहले स्थान पर रहा है। राज्य के कुर्ग इलाके में हाल के पौधारोपण के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि कुल उत्पादन 28,000 से 30,000 टन होगा, जबकि पिछले साल कुल उत्पादन 10,000 से 12,000 टन के बीच था। परंपरागत रूप से अब तक पहले स्थान पर रहे केरल में कुल उत्पादन 15,000 टन रहने का अनुमान है, जहां प्रतिकूल मौसम के चलते उत्पादन में 40 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। अगर हम केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुल कालीमिर्च उत्पादन के अनुमान को देखें तो इस साल कुल उत्पादन 48,000 से 50,000 टन के बीच रहेगा, जो सामान्य वार्षिक उत्पादन की तुलना में 5,000 से 7,000 टन कम है। दिलचस्प यह है कि ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि कर्नाटक पहला स्थान हासिल कर लेगा। केरल में खेती और रोपण के लिहाज से पीछे छूट रहा है। केरल में उत्पादन को गहरा झटका इसलिए लगा है कि पिछले साल गर्मी बहुत ज्यादा रही, इसके साथ ही अप्रैल मई में फूल आने के मौसम में तेज बारिश हुई, जिसकी वजह से फसल को नुकसान पहुंचा। स्थिति यह हुई कि ज्यादातर किसानों ने कालीमिर्च की खेती से मुंह मोड़ लिया और उत्पादन में 40-50 प्रतिशत की गिरावट आई। सदियों से केरल, वैश्विक रूप से कालीमिर्च का बडा उत्पादक रहा है। अरब, चीन और यूरोपीय देश के लोग कालीमिर्च खरीदने केरल आते थे। लेकिन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में कृषि के तौर तरीकों पिछली शताब्दी के 80 और 90 के दशक के दौरान खासा बदलाव आया और वियतनाम विश्व का सबसे बड़ा कालीमिर्च उत्पादक बनकर उभरा। अब केरल भारत में भी अपना पहला स्थान खो रहा है। सिर्फ कालीमिर्च ही नहीं बल्कि नारियल और सुपारी के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। बहरहाल कर्नाटक की कालीमिर्च अब घरेलू बाजार पर राज करने जा रही है। यहां से ज्यादातर माल उत्तर भारत के बाजारों में भेजा जाता है। तमिलनाडु में कालीमिर्च की तस्करी भी होती है, क्योंकि वहां पर वैट नहीं लगता। लेकिन स्थानीय बाजारों में ऊंची कीमतों के चलते ज्यादा सक्रियता नहीं है। वायदा बाजार में अटकलबाजियों के आधार पर कीमतों में उतार चढ़ाव होता है, जिसके चलते कीमतों के बारे में कुछ भी कहा जाना संभव नहीं होता। राज्य के एक प्रमुख कारोबारी का कहना है कि ऑनलाइन खरीद से स्थानीय स्तर के मझोले और छोटे कारोबारी खत्म हो गए हैं। बडे स्तर के कारोबारियों ने भी वायदा कारोबार में नुकसान उठाने के बाद अपना हाथ खींच लिया है। इसके साथ ही कालीमिर्च का आयात का कारोबार भी बहुत सक्रियता से होता है और इंडोनेशिया से पिछले 6-8 सप्ताह के दौरान प्रसंस्करणकर्ताओं द्वारा करीब 1500 टन कालीमिर्च का आयात किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि यह कारोबार इस साल के जून तक जारी रहेगा, क्योंकि भारत और वियतनाम में कालीमिर्च की कीमतों में भारी अंतर है। भारत में कौन काली मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक है?केरल भारत में इलायची और काली मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक है।
भारत में सबसे अच्छी काली मिर्च किस राज्य में है?कर्नाटक ने केरल को काली मिर्च के प्रमुख उत्पादक के रूप में पीछे छोड़ दिया है, जिसका फसल वर्ष 2014-15 के फसल वर्ष में लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन हुआ है। 70,000 टन के अनुमानित अखिल भारतीय काली मिर्च उत्पादन में, कर्नाटक का हिस्सा 33,000 टन था जबकि इस अवधि के दौरान केरल का हिस्सा 28,000 टन था।
भारत में काली मिर्च के लिए कौन सा शहर प्रसिद्ध है?विस्तृत समाधान। सही उत्तर कर्नाटक है। कर्नाटक ने काली मिर्च के प्रमुख उत्पादक के रूप में केरल को पछाड़ दिया है। काली मिर्च की खेती सबसे पहले केरल (तब भारत के मालाबार तट) में की जाती थी।
भारत का सबसे बड़ा इलायची उत्पादक राज्य कौन सा है?देश में केरल देश छोटी इलायची का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके अलावातमिलनाडु और कर्नाटक अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही के दौरान छोटी इलायची के निर्यात में बढ़ोतरी दिखी है।
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