जल संकट: कारण और समाधान
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख के अंतर्गत जल संकट के कारण और समाधान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भधरती पर जल संकट व्याप्त है, उपर्युक्त उद्धरण जल संकट की विभीषिका को बयाँ कर रहा है क्योंकि औद्योगीकरण की राह पर बढ़ती दुनिया में जल संकट कोने-कोने में पसर चुका है, जिसने अब एक विकराल रूप ले लिया है। नि:संदेह दुनिया विकास के मार्ग पर अग्रसर है, लेकिन स्वच्छ जल मिलना कठिन हो रहा है। एशिया में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लेकर अफ्रीका में केन्या, इथोपिया, सूडान और इजिप्ट जैसे देश जल के संकट से जूझ रहे हैं। अफ्रीका महाद्वीप में नील नदी पर बने ग्रैंड इथोपियाई रेनेंशा डैम (Grand Ethiopian Renaissance Dam-GERD) को लेकर इथोपिया, इजिप्ट और सूडान में तनाव बढ़ता जा रहा है। इन देशों में मतभेद तब और गहरे हो गए जब संयुक्त राज्य अमेरिका तथा विश्व बैंक की अध्यक्षता में आयोजित एक त्रिपक्षीय बैठक में इथोपिया ने सूडान एवं इजिप्ट के साथ वार्ता करने से इनकार कर दिया। तीसरी दुनिया के देशों की खराब हालत के पीछे एक बड़ी वजह स्वच्छ जल की कमी है। जब से जल संकट के बारे में विश्व में चर्चा शुरू हुई तब से एक विचार प्रचलित हुआ है कि तीसरा विश्व युद्ध जल आपूर्ति के लिये होगा। वास्तव में अब जल संबंधी चुनौतियाँ गंभीर हो गई हैं। वर्ष 1995 में विश्व बैंक के उपाध्यक्ष इस्माइल सेराग्लेडिन ने कहा था कि ‘इस शताब्दी की लड़ाई तेल के लिये लड़ी गई है लेकिन अगली शताब्दी की लड़ाई जलापूर्ति के लिये लड़ी जाएगी।’ इस आलेख में जल संकट के कारण, प्रभाव और उनका समाधान ढूँढने का प्रयास किया जाएगा। पृष्ठभूमि
जल संकट क्या है?
जल संकट की वैश्विक स्थिति
भारत में जल संकट की स्थिति
डे ज़ीरो: दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर में पानी के उपभोग को सीमित और प्रबंधित करने हेतु सभी लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिये डे ज़ीरो के विचार को पेश किया गया था ताकि जल के उपयोग को सीमित करने संबंधी प्रबंधन और जागरूकता को बढ़ाया जा सके।
भारत में जल संकट का कारण
जल संकट के परिणाम
जल संरक्षण हेतु प्रयास
नदी जोड़ो परियोजना के माध्यम से अधिशेष जल वाले क्षेत्रों से जल को जल प्रतिबल वाले क्षेत्रों की ओर भेजा जा सकता है। नीति आयोग की @75 कार्यनीति और जल प्रबंधनवर्ष 2018 में नीति आयोग ने अभिनव भारत @75 के लिये कार्यनीति जारी की थी जिसके तहत यह निश्चित किया गया था कि वर्ष 2022-23 तक भारत की जल संसाधन प्रबंधन रणनीति में जीवन, कृषि, आर्थिक विकास, पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिये पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु जल सुरक्षा की सुविधा होनी चाहिये। आगे की राह
भारत में जल स्तर गिरने का मुख्य कारण क्या है?स्पष्ट है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण जल की उपलब्धता कम हो जाने के चलते भूमिगत जल पर भी दबाव बढ़ा जिसका परिणाम इसके गिरते स्तर के रूप में सामने आया। बढ़ते औद्योगिकीकरण तथा गाँवों से शहरों की ओर तेजी से पलायन तथा फैलते शहरीकरण ने भी अन्य जलस्रोतों के साथ भूमिगत जलस्रोत पर भी दबाव उत्पन्न किया है।
जल स्तर के घटने के क्या कारण हैं समझाइए?देश में पानी के परम्परागत स्रोत कम वर्षा व बेतरतीब दोहन के चलते खत्म होते जा रहे हैं इस कारण भूजल स्तर घटता जा रहा है. उठाने के लिए और इसका पेयजल व सिंचाई के लिए उपयोग करने हेतु अत्यधिक ऊर्जा और ईंधन की जरूरत पड़ती है.
जल संसाधनों के ह्रास के लिए कौन से कारक जिम्मेदार हैं?जल संसाधनों की कमी के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए। उत्तर: भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण जल की प्रतिव्यक्ति उपलब्धता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। साथ ही उपलब्ध जल संसाधन औद्योगिक, कृषि और घरेलू प्रदूषकों से प्रदूषित होता जा रहा है। इस कारण उपयोगी जल संसाधनों की उपलब्धता कम होती जा रही है।
जल संकट क्या है जल संकट के लिए जिम्मेवार कारकों का उल्लेख कर इसे दूर करने के उपायों का विवरण दीजिए?एक क्षेत्र के अंतर्गत जल उपयोग की मांगों को पूरा करने हेतु उपलब्ध जल संसाधनों की कमी को ही 'जल संकट' कहते हैं। विश्व के सभी महाद्वीपों में रहने वाले लगभग 2.8 बिलियन लोग प्रत्येक वर्ष कम-से-कम एक महीने जल संकट से प्रभावित होते हैं। लगभग 1.2 बिलियन से अधिक लोगों के पास पीने हेतु स्वच्छ जल की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है।
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