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(आर्थिक मुद्दे) अमेरिका - भारत अर्थयुद्ध और जीएसपी (America India Tarde War and GSP)एंकर (Anchor): आलोक पुराणिक (आर्थिक मामलो के जानकार) अतिथि (Guest): अशोक सज्जनहार (पूर्व राजदूत), दीपक उपाध्याय (अंतर्राष्ट्रीय कारोबार के जानकार) चर्चा में क्यों?बीते दिनों 4 मार्च को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये घोषणा किया कि वे भारत का नाम उन देशों की सूची से बाहर कर देंगे, जो जनरलाइज़्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस यानी जीएसपी कार्यक्रम का लाभ उठा रहे हैं। अमेरिकी प्रावधानों के मुताबिक़ ये बदलाव अधिसूचना जारी होने के 60 दिनों बाद लागू हो जाएंगे। राष्ग्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिकी हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव की स्पीकर नैन्सी पैलोसी को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने बताया कि भारत ने अमेरिका को इस बात का भरोसा नहीं दिया कि वह अमेरिकी उत्पादकों को भारत के बाजारों में ‘न्यायसंगत एवं उचित पहुंच’ प्रदान करेगा। क्या है जीएसपी?जीएसपी को, आसान शब्दों में, सामान्य कर-मुक्त प्रावधानों के तौर पर समझा जा सकता है। यह कार्यक्रम अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक वरीयता कार्यक्रम यानी ट्रेड प्रेफरेंस प्रोग्राम है।
किस आधार पर अमेरिका द्वारा दिया जाता है जीएसपी दर्ज़ा?अमेरिकी नियमों के अनुसार जीएसपी का फायदा उठाने वाले देश को पात्रता के 15 मानकों को पूरा करना होता है। इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका इन्ही 15 आधारों पर किसी देश को जीएसपी कार्यक्रम में शामिल करता है। इनमे से कुछ अहम् मानक इस प्रकार हैं-
भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?जीएसपी कार्यक्रम के तहत भारत को 5.6 अरब डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट पर छूट मिलती है। जीएसपी से बाहर होने पर भारत को यह फायदा नहीं मिलेगा। गौरतलब है कि भारत जीएसपी का सबसे बड़ा लाभार्थी देश है। साल 2017 में अमेरिका में आयात पर कुल 21.1 अरब डॉलर का शुल्क माफ किया गया था, जिनमें 5.6 अरब डॉलर का लाभ अकेले भारत को मिला था। वो कौन से कारण हैं जिनसे अमेरिका ने ये निर्णय लिया?भारत और अमेरिका के बीच तमाम ऐसे मुद्दे रहे हैं, जिसने दोनों देशों के व्यापार संबंधों को प्रभावित किया है।
दरअसल, अमेरिका अपनी डेयरी और मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री की ओर से दी गई याचिकाओं के आधार पर भारत की पात्रता की समीक्षा करना चाहता है। भारत में, इन दोनों सेक्टरों में, अमेरिकी कंपनियों को कड़े नियमों के कारण एक्सपोर्ट में मुश्किल हो रही है। अमेरिकी डेयरी उत्पादों में क्या दिक्कत है और ब्लड मील क्या है?अमरीका और यूरोप के कई देशों में गायों को खिलाए जाने वाले चारे में गायों-सूअरों और भेड़ों का माँस और खून को मिलाया जाता है, इसी वजह से इन जानवरों के चारे को 'ब्लड मील' कहा जाता है।
आखिर भारत अमेरिका को क्यों नहीं दे रहा है टैरिफ छूट?भारत ने दो कारणों से अमेरिका को टैरिफ छूट देने से मना कर रहा है।
भारत और अमेरिका के बीच के व्यापार सम्बन्धी आंकड़े क्या कहते हैं?साल 2017-2018 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक़ भारत अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष यानी ट्रेड सरप्लस की स्थिति में है। वित्त वर्ष 2016-2017 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 64.5 बिलियन डॉलर का था। बाद में, 15.5% की वृद्धि के साथ साल 2017-18 में ये व्यापार 74.5 बिलियन डॉलर का हो गया। अभी हाल के आंकड़ों पर भी नज़र डाले तो हम पाते हैं कि व्यापार भारत के पक्ष में झुका है, मसलन एक अंदाज़ के मुताबिक़ अप्रैल 2018 से दिसंबर 2018 में भारत ने अमेरिका को 38.8 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जबकि आयात मात्र 26.3 बिलियन डॉलर का ही किया था। अमेरिका के इस घोषणा के बाद भारत का क्या कहना है?वाणिज्य सचिव अनूप वाधवा ने कहा कि भारत जीएसपी के तहत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के सामानों का निर्यात करता है, जिसमें से केवल 1.90 करोड़ डॉलर मूल्य की वस्तुएं ही बिना किसी शुल्क वाली श्रेणी में आती हैं। इस तरह, अमेरिका अगर जीएसपी की व्यवस्था को खत्म करने का फैसला लागू करता है, तो 'भारतीय व्यापार पर इसका असर बेहद सीमित होगा।' इस सम्बन्ध में WTO का नियम क्या कहता है?अमेरिका की जीएसपी योजना व्यापार को प्रोत्साहन देने वाली एक योजना है। इस तरह की योजना के तहत विकसित देश विकासशील देशों को व्यापार के लिए छूट देते हैं।
अब भारत के सामने कौन-कौन से विकल्प हैं?भारत को मिली तरजीही व्यापार सुविधा को खत्म किए जाने के बाद भारत के सामने कई विकल्प खुले हैं।
मुद्दे के समाधान के लिए भारत ने क्या किया और इसको कितनी सफलता मिली?वाशिंगटन द्वारा जीएसपी को खत्म करने की चेतावनी के बाद भारत ने अपने कृषि, डेयरी एवं पॉल्ट्री बाजार को अमेरिका के लिए खोलने की सहमति जताई। भारत ने बाक़ायदा ट्रंप सरकार को इसका एक औपचारिक प्रस्ताव भी भेजा। लेकिन, इस प्रस्ताव का अमेरिकी सरकार पर कोई असर नहीं हुआ। मामला पिछले साल से ही शुरू हो चुका थाग़ौरतलब है कि पिछले साल से भी भारत को अमेरिकी सरकार की ओर से व्यापार पर झटका मिल चुका है। अमेरिकी प्रशासन ने भारत के कई सामानों को ड्यूटी-फ्री लिस्ट से बाहर किया था। बाद में, भारत ने भी ऐलान किया कि वो अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाया जाएगा। हालांकि, भारत सरकार इस फैसले को लागू करने से बचता रहा। इससे पहले भी भारत, EU के जीएसपी सिस्टम को WTO में दे चुका है चुनौतीसाल 2002 में भारत का यूरोपियन यूनियन के साथ भी एक ऐसा ही विवाद हुआ था। जिसमे भारत ने यूरोपियन यूनियन के जीएसपी सिस्टम को WTO में चुनौती दी थी। भारत का कहना था कि यह सिस्टम विकासशील देशों के बीच भेदभाव करता है। बाद में WTO ने यूरोपियन यूनियन के फ़ार्मासूटिकल से जुड़े जीएसपी सिस्टम में कमियां पाई थीं। Click Here for आर्थिक मुद्दे Archiveपीडीएफ में आर्थिक मुद्दे को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करेंFor More Videos Click Here (अधिक वीडियो के लिए यहां क्लिक करें)अमेरिका भारत से क्या आयात करता है?बता दें, अमेरिका को भारत से मुख्यत: पेट्रोलियम उत्पादों, पॉलिश हीरे, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल वगैरह का निर्यात किया जाता है. वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है.
भारत सबसे ज्यादा किसका निर्यात करता है?भारत से शीर्ष 10 सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले उत्पाद. चमड़ा और उसके उत्पाद ... . पेट्रोलियम उत्पाद ... . रत्न और आभूषण ... . ऑटोमोबाइल और उपकरण ... . फार्मास्युटिकल उत्पाद ... . इलेक्ट्रॉनिक सामान ... . डेयरी उत्पाद ... . हथकरघा और सूती धागे. भारत सबसे ज्यादा क्या एक्सपोर्ट करता है?भारत सबसे ज्यादा निर्यात क्या करता है ? इंजीनियरिंग गुड्स सेक्टर ने भारत के निर्यात में पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान 69.8 बिलियन डॉलर का योगदान दिया. इसके बाद 67.6 बिलियन डॉलर के निर्यात के साथ रिफाइंड पेट्रोलियम व क्रूड प्रोडक्ट का स्थान रहा.
भारत से सबसे अधिक आयात कौन सा देश करता है?सही उत्तर चीन है। भारत के आयात का सबसे बड़ा हिस्सा चीन से आया, जिसका वित्त वर्ष 2020 में लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा था। संयुक्त राज्य अमेरिका ने करीब आठ प्रतिशत का अनुसरण किया।
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