बिहार में ग्रामीण गरीबी के दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। - bihaar mein graameen gareebee ke do pramukh kaaranon ka varnan keejie.

‌‌‌ ‌‌‌आज हम बात करेंगे बिहार में गरीबी के कारण , बिहार में गरीबी के प्रमुख कारण क्या है ? तो आइए बिहार की गरीबी जैसी समस्या पर विस्तार से चर्चा करते हैं।बिहार भारत के पूर्वी भाग के अंदर स्थिति एक राज्य है। इसका बिहार नाम बौद्ध संन्यासियों के ठहरने की वजह से हुआ था।आमतौर पर जहां पर बौद्ध संयासी रहते हैं उनको विहार कहा जाता है और बिहार अपभ्रंश है।राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है।भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से बिहार वर्तमान में 13 वाँ राज्य है।।

‌‌‌यदि हम बिहार की गरीबी की बात करें तो सन 2017 से 18 मे बिहार का सकल घरेलू उत्पाद 487628 करोड़ रूपये है।जबकि 2011 से 12 के बीच यह आंकड़ा 361504 था।यदि हम निवल राज्य घरेलू उत्पाद की बात करें तो यह आंकड़ा वर्तमान मे 448584 करोड़ है।इस प्रकार से 2017 से 18 प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद ‌‌‌42 2842 रूपये था और स्थिर मूल्य पर यह 31316 रूपये था।सन 2017 से 18 के बीच निवल राज्य घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति 28485 रूपये था।जो राष्टि्रय औसत का 32 प्रतिशत था।जबकि यह 2014 से 15 मे यह 30 प्रतिशत था। लेकिन इसी प्रकार से यह चलता रहा तो बिहार भारत के दूसरे राज्यों से पिछड़ जाएगा।

‌‌‌बिहार एक पिछड़ा राज्य है और इसकी मूल समस्या है गरीबी ।क्योंकि राज्य का एक बड़ा वर्ग जीवन की दैनिक आवश्यकताएं जैसे रोटी कपड़ा और मकान को भी नहीं जुटा पाता है।राज्य के अंदर गरीबी की अवधारणा को दो तरीके से देखा जाता है । एक तो परम्परागत द्रष्टिकोण और दूसरा बहुआयामी द्रष्टिकोण ।‌‌‌आपको बतादें कि सापेक्ष गरीबी नापने की दो विधियां मानी जाती हैं।लारेंज वक्र विधि और गिनी गुणांक विधि ।बिहार के अंदर गरीबी को दो प्रकारो से नापा जाता है। एक होती है सापेक्ष गरीबी और दूसरी होती है निरपेक्ष गरीबी ।

बिहार में ग्रामीण गरीबी के दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। - bihaar mein graameen gareebee ke do pramukh kaaranon ka varnan keejie.

‌‌‌सापेक्ष गरीबी के अंदर दो अलग अलग वर्गों के बीच आय के अंतर को देखा जाता है।जैसे उपर के वर्ग की आय की तुलना नीचे के वर्ग की आय से करके अंतर का पता लगाया जाता है।भारत के अंदर गरीबी की रेखा निर्धारित करने के लिए दो चीजों को देखा जाता है।

‌‌‌जैसे किसी भी व्यक्ति के लिए पोषाहार का न्यून्तम स्तर और न्यूनतम पोषाहार की लागत का निर्धारण आदि ।बिहार के अंदर हर दूसरा आदमी गरीबी रखा से नीचे है और एक तिहाई जनसंख्या के लिए तो अच्छा जल भी नहीं है।इसके अलावा गरीबी  रेखा से उपर जो हैं उनको भी यह डर बना रहता है कि कोई प्राक्रतिक  ‌‌‌आपदा आए तो वे भी गरीबी रेखा से नीचे जा सकते हैं।‌‌‌1990 से बिहार के अंदर कई सुधार गरीबी को दूर करने के लिए किये जा रहे हैं।जिनमे से क्रषि और व्यापार मे सुधार किये गए हैं।

‌‌‌बिहार के अंदर गरीबी का प्रभाव आप हर क्षेत्र के अंदर देख सकते हैं।जैसे सकल घरेलू उत्पाद और प्रतिव्यक्ति आय इसके अलावा कम साक्षरता ,लिंगभेद और अधिक मौत की दर । बच्चों का कूपोषण का शिकार होना ।‌‌‌कम रोजगार ,कम सकल घरेलू उत्पाद और कम साक्षरता की दर ने बिहार मे गरीबी को बढ़ाने का योगदान दिया है।सन 1983 से 1984 के अंदर 64 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे थे ।और 2004 के अंदर गरीबी कम हुई यह प्रतिशत 44 पर आ गया ।

‌‌‌यदि बिहार की गरीबी को देखें तो यह भारत की गरीबी से कहीं अधिक है।सन 1993 से 1994 ई के अंदर बिहार के ग्रामिण क्षेत्र की गरीबी 58 प्रतिशत थी । जबकि शहरी क्षेत्र की गरीबी 34 प्रतिशत थी जबकि भारत कि संयुक्त गरीबी 36 प्रतिशत थी।

‌‌‌इसी प्रकार से सन 1999 से 2000 की बात करें तो बिहारी की संयुक्त गरीबी 42 प्रतिशत थी जबकि भारत की संयुक्त गरीबी केवल 26 प्रतिशत ही थी।इसी प्रकार से 2011से 12 के बीच बिहार की शहरी गरीबी 12 प्रतिशत है तो ग्रामीण 21 प्रतिशत है।जबकि भारत की ग्रामीण 16 प्रतिशत गरीबी है और शहरी 12 प्रतिशत है।

  • ‌‌‌1.कम साक्षरता दर bihar me garibi ke karan
  • ‌‌‌2.कम मजदूरी की दर
  • ‌‌‌3.बिहार मे आपदाएं भी गरीबी का बड़ा कारण
  • ‌‌‌4.बिहार मे गरीबी का कारण जनसंख्या  मे बढ़ोतरी
  • ‌‌‌5.बिहार के सकल घरेलू उत्पाद मे कमी state domastic product
  • ‌‌‌6.भष्टाचार
  • ‌‌‌7.बिहार मे गरीबी का कारण अपराध
  • ‌‌‌ 8.बिहार में गरीबी के कारण बेरोजगारी
  • ‌‌‌9.सरकारी योजनाओं का लाभ ना मिल पाना
  • ‌‌‌10.कौशल विकास पर कम ध्यान
  • ‌‌‌11.बिहार मे उद्योग की कमी

‌‌‌1.कम साक्षरता दर bihar me garibi ke karan

बिहार के अंदर बेरोजगारी होने का एक बड़ा कारण बिहार की कम साक्षरता दर भी है। यदि आप सन 2011  की साक्षरता दर पर नजर डालेंगे तो आप देखेंगे कि बिहार की साक्षरता दर 61.80 प्रतिशत है और इसके अंदर महिला साक्षरता बहुत ही कम 51 प्रतिशत है जबकि पुरूष साक्षरता 71 प्रतिशत है।‌‌‌इसमे सबसे अधिक महिला साक्षरता वाला जिला रोहतास है ।और सबसे कम महिला साक्षरता वाला जिला सहरसा है। कम साक्षर होने की वजह से अधिकतर लोग कोई कौशल नहीं सीख पाते हैं। वे ईंट और भटटों पर मजदूरी करते हैं। जिनके अंदर इतनी अधिक इनकम नहीं होती है कि  ‌‌‌अपने जीवन को अच्छे ढंग से चलाया जा सके ।‌‌‌2011 की जन गणना के अनुसार भारत के अलग अलग राज्यों की साक्षरता के उपर यदि आप नजर डालेंगे तो बिहार इसके अंदर सबसे नीचे आता है। ऐसी स्थिति के अंदर बिहार के अंदर अधिकतर लोग उधोग शूरू करना और दूसरे बड़े कार्ये नहीं कर पाते हैं ।हालांकि पीछले कई सालों के आंकड़ों के उपर हम नजर डालें तो पता चलता कि ‌‌‌बिहार की हालत साक्षरता के मामले मे अधिक सुधर रही है।

S.N. State Literacy Rate (Person) Literacy (Male) Literacy Rate (Female)
1. Kerala 94.0 96.1 92.1
2. Lakshadweep 91.8 95.6 87.9
3. Mizoram 91.3 93.3 89.3
4. Goa 88.7 92.6 84.7
5. Tripura 87.2 91.5 82.7
6. Daman & Diu 87.1 91.5 79.5
7. Andaman & Nicobar Island 86.6 90.3 82.4
8. NCT of Delhi 86.2 90.9 80.8
9. Chandigarh 86.0 90.0 81.2
10. Puducherry 85.8 91.3 80.7
11. Himachal pradesh 82.8 89.5 75.9
12. Maharashtra 82.3 88.4 75.9
13. Sikkim 81.4 86.6 75.6
14. Tamil Nadu 80.1 86.8 73.4
15. Nagaland 79.6 82.8 76.1
16. Manipur 79.2 86.1 72.4
17. Uttrakhand 78.8 87.4 70.0
18. Gujarat 78.0 85.8 69.7
19. West Bengal 76.3 81.7 70.5
20. Dadra & Nagar Haveli 76.2 85.2 64.3
21. Punjab 75.8 80.4 70.7
22. Haryana 75.6 84.1 65.9
23. Karnataka 75.4 82.5 68.1
24. Meghalaya 74.4 76.0 72.9
25. Odisha 72.9 81.6 64.0
26. Assam 72.2 77.8 66.3
27. Chhattisgarh 70.3 80.3 60.2
28. Madhya pradesh 69.3 78.7 59.2
29. Uttar pradesh 67.7 77.3 57.2
30. Jammu & Kashmir 67.2 76.8 56.4
31. Andhra pradesh 67.0 74.9 59.1
32. Jharkhand 66.4 76.8 55.4
33. Rajasthan 66.1 79.2 52.1
34. Arunachal Pradesh 65.4 72.6 57.7
35. Bihar 61.8 71.2 51.5

‌‌‌बिहार की साक्षरता दर मे होने वाली बढ़ोतरी

  • Bihar   
  • 13.49   1951
  • 21.95   1961
  • 23.17   1971
  • 32.32   1981
  • 37.49   1991
  • 47       2001
  • 63.82    2011

‌‌‌बेरोजगारी का सीधा कनेक्सन साक्षरता दर से है। आप उपर के टेबल मे यह देख सकते हैं कि बिहार मे साक्षरता की बढ़ोतरी जैसे जैसे हो रही है । बेरोजगारी की दर मे कमी हो रही है। क्योंकि अब कई बिहार के युवा दूसरे राज्यों के अंदर जाकर काम करने लगे हैं।

‌‌‌2.कम मजदूरी की दर

‌‌‌यदि आप देखें तो बिहार के अंदर मजूदरी की दर बहुत ही कम है। वैसे कम्पनियों की मजदूरी की दर तो कम है ही इसके अलावा खुली मजदूरी की दर भी कम है।एक अकुशल मजदूर को 232 रूपये मिलते हैं जबकि एक कुशल मजदूर को 399 रूपये मिलते हैं जोकि बहुत ही कम है।‌‌‌जबकि हरियाणा और दूसरे राज्यों कि बात की जाए तो यहां पर एक मजूदर को 400 रूपये मिलते हैं। यह खुली मजदूरी है। इतना ही नहीं बहुत बार खुली मजदूरी 500 रूपये तक होती है। इसके अलावा यदि हम लिमिटेड कम्पनियों की बात करें तो यहां पर वे एक अकुशल मजदूर को 7500 रूपये महिना देती हैं।

‌‌‌मजदूरी की दर कम होने की वजह से राज्य के बड़ा वर्ग गरीबी रेखा से नीचे निवास करता है। बिहार राज्य के अधिकतर मजूदर दूसरे राज्यों जैसे दिल्ली वैगरह के अंदर काम करते हैं। कोराना काल के अंदर आपने भी देखा होगा कि दिल्ली से सबसे अधिक मजदूर बिहार के ही रवाना हुए थे ।‌‌‌इतना ही नहीं दिल्ली जैसे क्षेत्रों के अंदर यह मजूदर छोले भठूरे और पानी पूरी जैसे छोटे मोटे काम करके अच्छा पैसा कमाते हैं। इसके अलावा कुछ बिहार के मजूदर खुली मजदूरी भी करते हैं। इनको काम आसानी से मिल जाता है।‌‌‌राजस्थान के अंदर भी बिहार के कई मजूदर काम करते हैं। मैंने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि वहां पर काम बहुत ही कम है और यहां पर हमको परमानेंट काम मिल जाता है।

मजदूरी भी वहां से ज्यादा मिलती है। आप इंट भटटों पर काम करते हुए बिहारी मजदूरों को देख सकते हैं। जो लोकल मजदूरों से कम कीमत पर काम ‌‌‌करते हैं।‌‌‌तो आप समझ गए होंगे ‌‌‌मजदूरी की दर कम होना भी एक गरीबी का एक बड़ा कारण है।

‌‌‌3.बिहार मे आपदाएं भी गरीबी का बड़ा कारण

बिहार एक ऐसा राज्य है जहां पर  प्राक्रतिक आपदाएं आती रहती हैं और इसकी वजह से राज्य को एक बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।जैसे यदि बाढ आ जाती है तो किसानों की फसल नष्ट हो जाती है जिससे राज्य को आर्थिक नुकसान होता है।‌‌‌बिहार सर्वाधिक आपदा प्रभावित राज्य के अंदर आता है।

‌‌‌बिहार मे 2020 मे आई बाढ़ से  अब तक 16 जिलों में 74 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है। और बिहार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां पर दो तरह की मार झेलनी पड़ती है। एक तो अधिक सूखे की समस्या होती है तो दूसरी नदियों के बांध टूटने से बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है।

‌‌‌बिहार के अंदर बाढ़ आमतौर पर दूसरे राज्यों मे अधिक वर्षा की वजह से आती है। जैसे उतराखंड के अंदर अधिक वर्षा का होना बिहार के अंदर समस्या पैदा कर सकता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश और नेपाल मे अधिक बारिश होने से बाढ़ आ सकती है।कोसी त्रासदी के एक वर्ष पूर्व 2007 में बिहार में बड़ी बाढ़ आई। बाढ़ से 22 जिले तथा 2.5 करोड लोग प्रभावित हुए थे। कोसी नदी पर बना बांध 18 अगस्त 2008 को कोसी नदी का बांध टूटा था और इसकी वजह से बिहार मे बाढ़ आ गई थी।

‌‌‌हाल ही मे आई बाढ़ मे लोगों ने बताया कि बहाव इतना तेज था कि कई मकान ढह गए और खाने पीने का सामान तक नहीं बच पाए । तो आप समझ सकते हैं कि ‌‌‌इन स्थितियों की वजह से बिहार के अंदर काफी गरीबी रही है।‌‌‌सन 2017 के अंदर बिहार मे बाढ़ आई थी और उसकी वजह से कुल 19 जिले प्रभावित हुए थे ।इसके अंदर 514 लोगो की मौत हो गई थी और 1 करोड़ 71 लाख लोग इससे प्रभावित हुए थे ।

‌‌‌इसके अंदर कुल 9 लाख लोगों के घर टूट गए थे और करीब 8 लाख एकड़ की फसल पूरी तरह से बरबाद हो गई थी।इसके अलावा रोड़ के टूटने  से 1000 करोड़ का नुकसान हुआ ।‌‌‌आपको बतादें कि बिहार के अंदर 76 प्रतिशत आबादी ऐसे स्थानों पर रहती है जहां पर कभी भी बाढ़ आ सकती है।यहां पर भारी वर्षा की वजह से भी बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है।2017 मे आई बाढ़ से 49 करोड़ रूपये का नुकसान केवल रेल्वे को हुआ था जबकि कुल नुकसान तो बहुत अधिक था।

अररिया जिले में अकेले 2.2 लाख बेघर हो गए थे । बिहार की स्थिति यह है कि यदि आज आप गरीबी रेखा से उपर हैं तो कल हो सकता है आप गरीबी रेखा के बहुत नीचे चले जाएं क्योंकि वहां पर बाढ का कोई भरोशा नहीं है।

‌‌‌सन 2017 मे आई बाढ़ से  उत्तर बिहार के 19 जिले- किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण, सिवान, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा एवं खगड़िया जिले प्रभावित हुए थे ।

30 जुलाई 2020 प्रकाशित एक खबर के अनुसार बिहार मे आई बाढ़ 2020 के अंदर अब तक 1000 से अधिक गांव प्रभावित हो चुके हैं।असम और बिहार मे आई बाढ़ से अब तक 6 लाख से अधिक लौग मारे जा चुके है।।

‌‌‌बिहार मे आने वाली बाढ़ की वजह से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं। आमतौर पर जो लोग खेती करते हैं और मजदूरी करते हैं उनको सबसे बड़ा नुकसान होता है।एक तो वे पहले से ही गरीब हैं दूसरी और बाढ़ जैसे हालात की वजह से उनके सामने खाने तक का संकट खड़ा हो जाता है।‌‌‌बिहार मे आने वाली बाढ़ को रोकने और आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए सरकारे मे भी कुछ खास नहीं कर पाई हैं। अधिकतर सरकारे बस दावे करती है। आने वाली प्राक्रतिक आपदा बिहार के लोगों के जीवन स्तर को बहुत ही बुरे तरीके से प्रभावित करती है।‌‌‌यदि यहां के लोगों का जीवन स्तर उंचा उठ भी जाए तो कुछ ही दिनों मे यह वापस वहीं पर आ सकता है। यहीं कारण है कि बिहार मे अभी भी गरीबी है।

‌‌‌4.बिहार मे गरीबी का कारण जनसंख्या  मे बढ़ोतरी

‌‌‌दोस्तों बिहार के अंदर गरीबी का सबसे बड़ा जो कारण है वह जनसंख्या बढ़ोतरी भी है।एक न्यूज पैपर मे छपी रिपोर्ट के अनुसार 2018 से 19 के बीच यह बात सामने आई की पूरे भारत की जनसंख्या के अंदर कमी आई थी लेकिन अकेला बिहार एक ऐसा राज्य है जहां पर जनसंख्या मे बढ़ोतरी को दर्ज किया गया था।

वर्ष 2001 की जनगणना की तुलना में पिछले एक दशक के दौरान बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर में जहाँ 3.35 प्रतिशत की गिरावट हुई है। लेकिन अभी भी बिहार देश के अंदर जनसंख्या के मामले मे तीसरे स्थान पर है। ‌‌‌सन 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की जनसंख्या 10 करोड़ के आस पास थी जो कि पूरे देश का 8.6 प्रतिशत थी। बिहार मे 2001 से 2011 के बीच यदि हम जनसंख्या की व्रद्धि दर के बारे मे बात करें तो यह 25.1 थी जबकि पूरे देश की जनयंख्या की व्रद्धिदर 17.6 % थी।‌‌‌बिहार के अंदर 2001 से 2011 के बीच जनसंख्या की बढ़ोतरी दर 25 प्रतिशत थी जबकि पूरे देश की बढ़ोतरी दर 17 प्रतिशत थी। इसका मतलब यह है कि बिहार संक्रमण के दौर से गुजर रहा है जिस दौर से अन्य राज्य पहले से गुजर चुके हैं।

बिहार में ग्रामीण गरीबी के दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। - bihaar mein graameen gareebee ke do pramukh kaaranon ka varnan keejie.

‌‌‌और यदि बात करें जनसंख्या घनत्व की तो यह भी अन्य राज्यों की तुलना मे बहुत अधिक है। यह 1106 प्रति व्यक्ति वर्ग किलोमिटर है।जबकि भारत का जनसंख्या घनत्व मात्र 382 प्रति व्यक्ति वर्ग किलोमीटर है।इससे एक बात बहुत अधिक स्पष्ट हो जाती है कि बिहार के अंदर प्रति वर्ग किलोमिटर पर ‌‌‌बहुत अधिक दबाव है।इसका अर्थ यह है कि यहां के लोगों को अच्छी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। अच्छी सुविधाएं नहीं मिलने की वजह से कौशल विकास की समस्याएं आती हैं। बढ़ती जनसंख्या बहुत अधिक चिंता का विषय है।

‌‌‌ऐसा नहीं है कि सरकार ने बिहार की गरीबी को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया हो सरकार ने बहुत सी योजनाएं भी चलाई हैं।लेकिन जनसंख्या का बढ़ना बेरोजगारी पैदा करता है जिसकी वजह से गरीबी होती है। आप देखेंगे कि अधिकतर बिहार के अनपढ़ लोगों के अधिक बच्चे होते हैं। लेकिन जो समझदार हैं उनके बच्चों ‌‌‌ की संख्या कम होती है। जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दे पाते हैं और उनको रोजागार तो फिर आसानी से मिल ही जाता है।

‌‌‌और यदि बिहार के अंदर शहरीकरण की दर की बात करें तो यह 11 प्रतिशत है जबकि देश की औसत शहरी करण की दर की बात करें तो यह 31 प्रतिशत है।

‌‌‌5.बिहार के सकल घरेलू उत्पाद मे कमी state domastic product

‌‌‌बिहार के अंदर सकल घरेलू उत्पाद भी दूसरे राज्यों से कम है। आप नीचे देख सकते हैं।बिहार मे 2011 से 2012 के बीच प्रति व्यक्ति आय दूध उत्पादन से 21750 रूपये हुई थी जबकि दूसरे राज्ये जैसे मध्यप्रदेश के अंदर दूध उत्पादन से प्रति व्यक्ति आय 38525 रूपये थी।

बिहार में ग्रामीण गरीबी के दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। - bihaar mein graameen gareebee ke do pramukh kaaranon ka varnan keejie.

‌‌‌यदि आप 2012 से लेकर 2016 के बीच बिहार के दूध उत्पादकों की प्रति व्यक्ति आय को देखेंगे तो यह 26000 तक ही पहुंच पाई है। इसका अर्थ यह है कि बिहार के अंदर उत्पादन कम होता है। और उत्पादन कम होने की वजह से रोजगार के अवसर भी कम पैदा होते हैं।‌‌‌जैसे एक व्यक्ति अधिक उत्पादन करता है तो उसकी क्रय शक्ति अधिक होगी और अधिक क्रय शक्ति की वजह से बहुत से लोगों को रोजगार भी मिलेगा । जबकि कम उत्पादन होने की वजह से व्यक्तियों की आय भी कम होगी तो वे सीमित मात्रा मे खर्च करेंगे ।

‌‌‌एक चीज दूसरी चीज को प्रभावित करती है।एक सर्वे से पता चलता है कि जैसे जैसे व्यक्तियों की आय के अंदर बढ़ोतरी होती है उनकी क्रय करने की दर मे भी बढ़ोतरी हो जाती है। जिसकी वजह से अब पहले की तुलना मे अधिक लोगों को रोजगार मिलता है।

‌‌‌6.भष्टाचार

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि बिहार के अंदर भ्रष्टाचार भी होता है लेकिन सर्वे बताते हैं कि बिहार भ्रष्टाचार के मामले मे अन्य राज्यों से पीछे हैं। भ्रष्टाचार की वजह से भी गरीबी आना स्वाभाविक है। अक्सर सरकारी अधिकारी कोई भी काम करने के बदले पैसा मांगने लगते हैं।‌‌‌और जो योजनाएं सरकार चलती है।

वे आम लोगों के कल्याण के लिए होती हैं लेकिन भ्रष्ट लोग इनको बीच मे ही चट कर जाते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। जिसकी वजह से भी बिहार के अंदर गरीबी बनी रही है। और दूसरी बात भ्रष्ट लोगों के लिए कोई सख्त कानून नहीं होने की वजह से वे आसानी से छूट जाते हैं।

लोकल क्रिकल्स और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा किए गए नवीनतम इंडिया करप्शन सर्वे  2019 के अनुसार राजस्थान भारत का सबसे भ्रष्ट राज्य है।राजस्थान में सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 78 प्रतिशत लोगों ने काम पूरा करने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकार की है।

राजस्थान के बाद बिहार है जहाँ 75% नागरिकों ने अपना काम करवाने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकार की है। तो आप समझ सकते हैं कि लोगों की आय का बहुत अधिक पैसा तो केवल रिश्वत के अंदर ही चला जाता है।बिहार में, 47% ने संपत्ति पंजीकरण और अन्य भूमि मुद्दों के लिए रिश्वत का भुगतान किया, जबकि 6 प्रतिशत ने नगर निगम को भुगतान किया। जबकि 26 प्रतिशत लोगों ने बिजली बोर्ड को रिश्वत दी थी।अन्य लोगों को पुलिस और 18% को रिश्वत दी।

‌‌‌इसका सीधा सा अर्थ यह है कि जिस राज्य के अंदर अधिक भ्रष्टाचार होगा तो वहां के अधिकारी भी किसी कार्य को सेवा भाव से नहीं करेंगे वरन बस पैसों के लिए करेंगे और ऐसी स्थिति मे जो पैसे वाला होगा वह तो आगे निकल जाएगा और जो पैसे वाला नहीं होगा वह पीछे होता चला जाएगा ।‌‌‌यही भ्रष्ट अधिकारी सरकारी योजनाओं के पैसे को लूट कर खा जाएंगे और आम लोगों तक कुछ भी नहीं पहुंच पाएगा ।

‌‌‌7.बिहार मे गरीबी का कारण अपराध

बिहार में ग्रामीण गरीबी के दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। - bihaar mein graameen gareebee ke do pramukh kaaranon ka varnan keejie.

दोस्तों कुछ लोगों को यह लग सकता है कि अपराध का कारण गरीबी कैसे हो सकता है ? तो इस संबंध मे हम आपको यह बतादें कि जिस जगह पर अधिक अपराध होते हैं वहां पर कोई भी उधोग वैगरह चल नहीं पाते हैं। क्योंकि अपराधियों का खौफ होता है। बिहार के अंदर गरीबी होने का यह ‌‌‌भी बड़ा कारण है।

‌‌‌पैसे लूट लेना और किसी को मार देना इनसब की वजह से लोग वहां पर कोई नया काम करने से डरते हैं और खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। 13 जनवरी 2020 मे प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार का पटना सबसे ज्यादा क्राइम करने वाला शहर है । यही वह भारत का इकलौता शहर है जिसमे सबसे अधिक अपराध होते हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी । उसके अंदर बिहार को 5 वां स्थान अपराध के मामले मे दिया गया था लेकिन पटना पहले स्थान पर रहा था।राज्य में 2017 में 180573 केस दर्ज किए गए थे। वहीं 2015 में बिहार 9 वें व 2016 में आठवें स्थान पर रहा था।‌‌‌यदि बिहार मे महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात करें तो 2018 में  16, 920 हो गई जो कि वर्ष 2017 की 14,711 की तुलना में 2,200 से अधिक है।

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बिहार में साल 2018 में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के 179 मामले सामने आए हैं। 2018 में बिहार में देश भर में सबसे ज्यादा 6608 सम्पति विवाद के केस सामने आए हैं। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि लोगों का एक बड़ा हिस्सा इन विवादों के अंदर फंसा रहता है और अपना समय वह उर्जा खर्च करता है।

‌‌‌ 8.बिहार में गरीबी के कारण बेरोजगारी

‌‌‌बिहार के अंदर बहुत अधिक बेरोजगारी है। यहां पर उतने अधिक उधोग धंधे नहीं होने की वजह से बिहार के युवा काम की तलास मे दिल्ली और दूसरे राज्यों के अंदर आते हैं ताकि वे आसानी से अपना पेट पाल सकें । बिहार मे गरीबी का सबसे बड़ा कारण जो है वह बेरोजगारी ही है।‌‌‌सन 2017 के अंदर बिहार मे बेरोजगारी की दर 7 फीसदी थी लेकिन अब जारी हुए नए आंकड़े 2020 के अंदर बेरोजगारी की दर 10 फीसदी तक पहुंच चुकी है।और सन 2020 के अंदर जब कोविड चल रहा था तो बिहार के मजूदर सबसे अधिक प्रभावित हुए थे । कम्पनियां बंद हो गई और इसकी वजह से ‌‌‌ अधिकतर मजदूरों को प्लाएन करना पड़ा था। ऐसी स्थिति के अंदर और अधिक लोग बेरोजगार हो गए । आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिहार के अंदर उधोग धंधे ना के बराबर हैं। ऐसी स्थिति मे रोजगार का कोई साधन नहीं है तो बिहार के लोग अन्य राज्यों मे कम कीमत पर काम करते हैं।

बिहार में ग्रामीण गरीबी के दो प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। - bihaar mein graameen gareebee ke do pramukh kaaranon ka varnan keejie.

‌‌‌आपको बतादें कि अप्रेल मे हुए सर्वे के अंदर बिहार बेरोजगारी के अंदर तीसरे स्थान पर आया है। बिहार मे बेरोजगारी होने के पीछे कई सारे कारण जिम्मेदार हैं। यहां पर उधोग धंधा नहीं होना इसके अलावा सरकार भी इस दिशा के अंदर कुछ खास कदम नहीं उठा पा रही है। और जनयंख्या मे बढ़ोतरी तो इसकी वैसे भी सबसे  ‌‌‌ बड़ी समस्याओं मे से एक है ही ।हालांकि कोई भी सरकार बेरोजगारी को दूर नहीं कर सकती है जबतक कि जनयंख्या नियंत्रण कानून ना बन जाए । क्योंकि संसाधन हमेशा सीमित होते हैं सरकारों के पास कोई जादू नहीं है। बहुत से लोग बेरोजगारी पर चिल्लात हैं लेकिन उनके घर मे 10 बच्चे होते हैं तो आप समझ सकते ‌‌‌ हैं कि इन लोगों की हालत कैसी होगी और इसका हर्जाना हर इंसान को भुगतना होगा जो इस देश मे रहता है।

‌‌‌9.सरकारी योजनाओं का लाभ ना मिल पाना

‌‌‌दोस्तों आपको बतादें कि सरकार ने बिहार की गरीबी को दूर करने के लिए कई सारे कदम उठाएं हैं लेकिन अधिकतर सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंच नहीं नहीं पाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।जैसे कि इन योजनाओं के बारे मे लोग नहीं जान पाते हैं । लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करने मे सरकार सफल नहीं ‌‌‌हो पाती है। इस वजह से बहुत से लोगों को तो योजनाओं का नाम तक पता नहीं हो पाता है तो कहीं ना कई सरकारी भी इस मामले मे असफल रही है। और दूसरा कारण यह है कि इन योजनाओं को जमीन पर उतारने के पीछे  जिन अधिकारियों का काम होता है उनका रैवइया ही बेकार होता है।

  • ‌‌‌यह लोग अक्सर चक्कर कटाने लगते हैं। और एक गरीब की समस्या यह है कि वह बार बार यदि चक्कर काटेगा तो उसके बच्चे भूखे मर जाएंगे । असल मे सरकार ने ऐसी अनेक योजनाएं चला रखी हैं जिनकी मदद से लोन लिया जाता है और उसके बाद खुद का कोई भी काम शूरू किया जा सकता है लेकिन ‌‌‌वे सिर्फ किताबी योजनाएं बनकर रह गई हैं क्योंकि लोगों को इनके बारे मे सही से जानकारी ही नहीं है।
  • चौथी श्रेणी सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास योजना
  • कौशल प्रशिक्षण योजना के तहत कुशल युवा कार्यक्रम
  • प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना
  • बिहार छात्र क्रेडिट कार्ड योजना
  • मुख्यमंत्री स्वामी स्वयं सहायता भत्ता योजना

‌‌‌इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए भी सरपंच और दूसरे लोगों से संपर्क होना आवश्यक होता है।यदि आपके पास किसी की जानकारी नहीं है तो कोई भी आपकी मदद नहीं करेगा । कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि ‌‌‌ बिहार मे बेरोजगारी का एक बड़ा कारण यह भी है कि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं होना भी है।

‌‌‌10.कौशल विकास पर कम ध्यान

वैसे तो   कौशल प्रशिक्षण योजना के तहत कुशल युवा कार्यक्रम सरकार के द्धारा चलाया जा रहा है।जिसके अंदर आपको किसी भी एक कार्य का प्रशीक्षण दिया जाता है ।राजस्थान मे भी यह कार्यक्रम चल रहा है लेकिन इसका कोई खास फयदा नहीं मिल पाया है।क्योंकि कौशल विकास कार्यक्रम के ‌‌‌अंदर ऐसे ऐसे टीचरों को मैंने देखा है जिनको चीजों के बारे ठीक से जानकारी नहीं है उसके बाद भी उनको नियुक्त कर लिया गया है। खैर इस योजना से जुड़ने वाले लोगों की संख्या भी बहुत ही कम होती है।

‌‌‌जिसकी वजह से एक बड़ा वर्ग बिना किसी कौशल के काम करता है और उसे कम मजदूरी मिलती है। इसके अलावा बिहार और दूसरे गरीब राज्यों के अंदर एक बड़ी समस्या यह भी है जो गरीबी को बढ़ाती है। ‌‌‌यहां पर छोटे बच्चों को कौशल सीखने पर जोर नहीं दिया जाता है वरन उनको कमाने के लिए कहा जाता है। और वह कमाई भी बहुत ही कम होती है। ऐसी स्थिति मे बाद मे घर का बोझ उनके उपर आने की वजह से वे कौशल नहीं सीख पाते हैं और गरीब ही रह जाते हैं ।

‌‌‌कुलमिलाकर लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे अपने बच्चों के अंदर अलग अलग कौशल का विकास करें ताकि जरूरत होने पर वह उनके कौशल से कोई रोजागार कर सके ।

बिहार मे गरीबी का एक बड़ा कारण उधोग की कमी होना भी है।बिहार एक क्रषि आधारित राज्य है और जब बंटवारा हुआ तो अधिकतर उधोग झारखंड के अंदर चले गए थे ।अब बिहार के अंदर केवल वस्त्र, जूट, तंबाकू, चावल-दाल मिल, आटा चक्की मिलें, तेल मिल  आदि ही बची हैं। बरौनी तेल शोधक कारखाना, मुंगेर में रेलवे वर्कशॉप और भारत बैगन एवं इंजीनियरिंग कम्पनी लिमिटेड हैं।

 लेकिन यहां की राज्य सरकार ने भी उधोग पर कोई ध्यान नहीं दिया था। इसके अलावा   केंद्र ने भी उधोग को बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया । बढ़ते अपराध के कारण जो भी उधोग लगे हुए थे । उन्होंने भी अपना ‌‌‌कार्य क्षेत्र सीमित ही रखा था। ‌‌‌कम उधोग धंधों की वजह से लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया और इसकी वजह से गरीबी का होना आम बात है।

कृषि आधारित 512 3984
सोडा – वाटर 4 80
कपास कपड़ा 12 102
ऊनी, रेशम और कृत्रिम धागा आधारित कपड़े 4 22
जूट और जूट आधारित 5 46
तैयार वस्त्र और कढ़ाई 28 52
लकड़ी / लकड़ी के फर्नीचर 158 725
कागज और कागज उत्पादों 4 16
चमड़ा आधारित 36 24
रासायनिक / रासायनिक आधारित 42 389
रबड़, प्लास्टिक और पेट्रो आधारित 42 100
खनिज आधारित 5 25
धातु आधारित (स्टील फैब) 102 820
इंजीनियरिंग इकाइयां 68 860
विद्युत मशीनरी और परिवहन उपकरण 86 325
मरम्मत और सर्विसिंग 233 186
अन्य 136 312
कुल 1477 8068

बिहार में गरीबी के कारण लेख के अंदर हमने यह जाना कि बिहार मे गरीबी के पीछे कौनसे कारण जिम्मेदार हैं ?

बिहार में ग्रामीण गरीबी के मुख्य कारण कौन कौन से हैं?

बिहार में गरीबी का सबसे बड़ा कारण है की बिहार में उद्योगों की कमी और शिक्षा की कमी के कारण लोगों में रोजगार न मिलने के कारण बिहार में अधिक गरीबी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का मुख्य कारण क्या है?

ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी गरीबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था व्यापक रूप से कृषि पर निर्भर करती है। लेकिन भारत में खेती अप्रत्याशित मानसून पर निर्भर करती है जिससे उपज में अनिश्चितता की स्थिति बनी रहती है। पानी की कमी, खराब मौसम तथा सूखा भी ग्रामीण इलाकों में गरीबी का प्रमुख कारण है।

भारत में ग्रामीण गरीबी की क्या कारण है?

भारत में गरीबी बहुत व्यापक है किन्तु बहुत तेजी से कम हो रही है। अनुमान है कि विश्व की सम्पूर्ण गरीब आबादी का तीसरा हिस्सा भारत में है। 2010 में विश्व बैंक ने सूचना दी कि भारत के 32.7% लोग रोज़ना की US$ 1.25 की अंतर्राष्ट्रीय ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं और 68.7% लोग रोज़ना की US$ 2 से कम में गुज़ारा करते हैं।

बिहार में ग्रामीण गरीबी के मुख्य कारण कौन से हैं इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताएं?

(v) यातायात के साधनों की कमी-बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात के साधनों की स्थिति खराब है जिससे संसाधनों तक लोगों की पहुँच असंभव है। इस प्रकार जनसंख्या का तेजी से वृद्धि, कृषि का पिछड़ापन आदि बिहार के ग्रामीण गरीबी के मुख्य कारण हैं। का समुचित उपयोग करके गरीबी को समाप्त किया जा सकता है।