बेबी इन ब्रीच पोजीशन बॉय और गर्ल - bebee in breech pojeeshan boy aur garl

नौवें महीने में डिलीवरी से कुछ हफ्ते पहले शिशु का सिर नीचे की ओर घूम जाता है, इसे वर्टेक्‍स पोजीशन कहते हैं। नॉर्मल डिलीवरी के लिए बच्‍चे का इस पोजीशन में आना बहुत जरूरी होता है। इससे मां और बच्‍चे, दोनों को ही प्रसव के दौरान कम परेशानी होती है लेकिन अगर डिलीवरी डेट तक बच्‍चे का सिर नीचे योनि की ओर नहीं आता है तो यह मां और डॉक्‍टर दोनों के लिए चिंता का कारण बन जाता है।
कुछ मामलों में डिलीवरी के समय तक बच्‍चे का सिर ऊपर और पैर नीचे योनि की ओर रहते हैं। इसमें पेट में बच्‍चा उल्‍टा होता है जिसे अंग्रेजी में ब्रीच पोजीशन भी कहा जाता है। यदि डिलीवरी से कुछ समय पहले आपको बच्‍चे के उल्‍टे होने का पता चला है तो आप डॉक्‍टर या दाई की मदद से बच्‍चे को सही पोजीशन में ला सकते हैं।

​पेट में बच्‍चा उल्‍टा हो तो क्‍या करें

बेबी इन ब्रीच पोजीशन बॉय और गर्ल - bebee in breech pojeeshan boy aur garl

पेट में बच्‍चा उल्‍टा हो जाए तो डॉक्‍टर और दाई के अलावा मां खुद भी बच्‍चे को सही पोजीशन में लाने की कोशिश कर सकती है। सोने की एक पोजीशन ऐसी है जो इस काम में आपकी मदद कर सकती है।

'द परफेक्‍ट पुश' की ओनर और बोर्ड सर्टिफाइड फैमिली नर्स प्रैक्टिशनर रू खोसा का कहना है कि सही पोजीशन और पोस्‍चर से पेल्विस को खुलने में मदद मिलती है। कई ऐसी पोजीशन होती हैं जिनमें बच्‍चे को पेट के अंदर ज्‍यादा जगह मिल पाती है। आपको भी इन पोजीशन पर ध्‍यान देना है।

खोसा कहती हैं कि दोनों घुटनों और एड़ियों के नीचे तकिया लगाकर करवट लेकर सोना चाहिए। शिशु को पेट में जितनी ज्‍यादा जगह मिलेगी, उसके लिए वर्टेक्‍स पोजीशन में आना उतना ही आसान होगा।

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​इस पोजीशन में न सोएं

बेबी इन ब्रीच पोजीशन बॉय और गर्ल - bebee in breech pojeeshan boy aur garl

ऐसा जरूरी नहीं है कि आपको बाईं करवट सोकर ही पूरी रात निकालनी है। आप चाहें तो अपनी सुविधा के अनुसार दाईं करवट भी सो सकती हैं। डिलीवरी के बाद शिशु की देखभाल में आपको कई रातें जागना पड़ेगा, इसलिए अभी अपनी नींद पूरी करने की कोशिश करें।

इसके अलावा प्रेग्‍नेंसी के आखिरी महीनों में पीठ के बल सोने से बचना चाहिए। इससे गर्भाशय और शिशु तक ऑक्‍सीजन और पोषक तत्‍व पहुंचाने वाली रक्‍त वाहिका दब सकती है।

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​प्रेग्‍नेंसी में बेस्‍ट स्‍लीपिंग पोजीशन

बेबी इन ब्रीच पोजीशन बॉय और गर्ल - bebee in breech pojeeshan boy aur garl

नौवें महीने में दिन-ब-दिन पेट बढ़ता रहता है और इस समय आपको करवट लेकर सोना चाहिए। प्रेग्‍नेंसी के आखिरी महीनों में बाईं करवट सोना सबसे ज्‍यादा फायदेमंद रहता है। इसमें इंफीरियर वेना कावा नामक नस से रक्‍त का प्रवाह बढ़ता है जो कि ह्रदय से खून लेकर शिशु तक पहुंचाती है।

बाईं करवट सोने से इस नस पर कम दबाव पड़ता है जिससे शिशु तक पर्याप्‍त खून पहुंच पाता है।

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​ये टिप आएगा काम

बेबी इन ब्रीच पोजीशन बॉय और गर्ल - bebee in breech pojeeshan boy aur garl

गर्भावस्‍था के शुरुआती दिनों में आप पीठ या पेट के बल लेट सकती हैं लेकिन जैसे-जैसे पेटका साइज बढ़ता है, बच्‍चे को गर्भाशय के अंदर जगह कम पड़ने लगती है। आखिरी कुछ महीनों में बाईं करवट सोकर आप बच्‍चे को गर्भाशय के अंदर पर्याप्‍त जगह दे सकती हैं। इससे डिलीवरी तक बच्‍चे को वर्टेक्‍स पोजीशन में आने में बहुत मदद मिलती है।

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2. एक्यूपंक्चर और मोक्सीबस्टन

3. स्विमिंग

4. पेल्विस टिल्ट

5. कायरोपेटिक (Chiropractics)

1. फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन (Forward-Leaning Inversion)

फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन (Forward-leaning inversion) के लिए बेड या सोफे पर घुटने की मदद झुक जाएं। ऐसा करने से पेल्विस मसल्स को आराम मिलेगा और ग्रेविटी के कारण यूट्रस का पुजिशन भी ठीक रहेगी। हालांकि इसे करने से पहले अपने साथ किसी एक्सपर्ट को रखें या परिवार के सदस्य को अपने पास मदद के लिए जरूर रखें। इसे 30 सेकेंड से ज्यादा देर तक न करें और एक दिन में सिर्फ एक बार ही करें।

2. एक्यूपंक्चर और मोक्सीबस्टन (Acupuncture and Moxibustion)

एक्यूपंक्चर और मोक्सीबस्टन (Acupuncture and moxibustion) चायनीज तरीका है। इसमें चाइनीज मेडिसिन और एक्यूपंचर की मदद से ब्रीच पुजिशन को ठीक किया जाता है। इसे एक्सपर्ट ही कर सकते हैं, किसी अन्य या अनुभवहीन से यह करवाना समस्या पैदा कर सकता है और आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसलिए, बिल्कुल सतर्क रहें।

और पढ़ें- क्या है 7 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट, इस अवस्था में क्या खाएं और क्या न खाएं?

3. स्विमिंग (Swimming)

स्विमिंग से ब्रीच बेबी के पुजिशन ठीक करने का कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन, ये गर्भवती महिला के लिए काफी आरामदायक होता है। स्विमिंग मां और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होती है। आजकल बेबी की डिलिवरी वॉटर बर्थ की मदद से भी करवाई जाती है। लेकिन, गर्भावस्था में स्विमिंग या कोई भी एक्सरसाइज करते हुए एक्सपर्ट की सलाह लेना न भूलें, क्योंकि इसमें जरा-सी गलती आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। जिससे डिलिवरी के समय आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।

4. पेल्विस टिल्ट (Pelvis Tilt)

पेल्विस टिल्ट आसानी से प्रेग्नेंसी में किया जा सकता है। इसके लिए फ्लोर पर घुटने और हाथों के पंजों की सहायता से अपनी पुजिशन ले लें और अपने हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं। ऐसा एक दिन में 20 मिनट तक किया जा सकता है। इससे डिलिवरी में आसानी होती है, लेकिन ब्रीच बेबी के पुजिशन में बदलाव आएगा या नहीं यह निश्चित नहीं है।

5. कायरोपेटिक (Chiropractics)

कायरोपेटिक (Chiropractics) एक टेक्निक है जिसे एक्सपर्ट्स से समझना बेहतर होगा। इसमें गर्भवती के पेल्विस और स्पाइन को बैलेंस किया जाता है। जिससे बच्चे की पुजिशन ठीक करने में मदद मिलती है।

ऊपर बताई गई टेक्निक्स अपनाने के पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट्स से जरूर सलाह लें।

बेबी ब्रीच होने की स्थिति में कैसे रखें ख्याल? (Breech baby care)

ब्रीच बेबी या प्रेग्नेंसी की किसी भी स्टेज में खुद का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इसलिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।

  • नियमित वॉक पर जाएं सिर्फ वॉकिंग के दौरान ध्यान से चलें। बेबी बंप की वजह से नीचे देख पाना आसान नहीं होता है
  • प्रेग्नेंसी में की जाने वाली एक्सरसाइज करें लेकिन, एक्सरसाइज करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें और वर्कआउट करने के दौरान फिटनेस एक्सपर्ट की मौजूदगी में एक्सरसाइज करें।
  • पौष्टिक आहार का रोजाना सेवन करें
  • शरीर को सुस्त पड़ने न दें। फिजिकली एक्टिव रहें
  • प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी नींद लें
  • प्रेग्नेंसी के दौरान दो से तीन लीटर पानी का सेवन करें

और पढ़ें: सिजेरियन डिलिवरी के बाद क्या खाएं और क्या ना खाएं?

ब्रीच बेबी से होने वाली परेशानी क्या है?

ब्रीच बेबी की वजह से निम्नलिखित परेशानी हो सकती है। जैसे:-

  1. बच्चे की पुजिशन बदल जाती है।
  2. प्लेसेंटा से ब्लीडिंग हो सकती है।

इन दो परेशानियों के अलावा अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रीच बेबी की जानकारी मिलती है, तो तुरंत अपने हेल्थ एक्सपर्ट के संपर्क करें।

अगर आप ब्रीच बेबी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। क्योंकि, यह शिशु और मां की जिंदगी से संबंध रखता है। इसलिए डॉक्टर से सलाह-मशविरा करना बेहतर विकल्प है, वह आपकी शारीरिक क्षमताओं व कमजोरियों को ध्यान में रखकर आपको इसके सही उपाय के बारे में उचित सलाह देता है।

अल्ट्रासाउंड में ब्रिज का मतलब क्या होता है?

जब शिशु के सिर की बजाय उसका नितंब नीचे की तरफ हो, तो इस अवस्था को अंग्रेजी में ब्रीच पॉजिशन कहा जाता है। इसका मतलब है कि सिर की बजाय शिशु का नितंब या पैर पहले बाहर आएंगे। तीसरी तिमाही के दौरान तक ब्रीच अवस्था आमतौर पर अस्थाई होती है। बहुत से शिशु जन्म से पहले घूमकर सिर नीचे वाली अवस्था में आ जाते हैं।

गर्भ में लड़का कब हलचल करता है?

इसकी शुरुआत 17 सप्ताह के बाद शुरू होती है जैसे-जैसे सप्ताह बीतते हैं, गर्भ में बच्चे की हलचल का अहसास बढ़ने लगता है. सामान्यत 35वें सप्‍ताह के बाद इसमें कमी आने लगती है क्योंकि शिशु के शरीर के बढ़ जाने की वजह से उसे गर्भाशय में हलचल करने की जगह नहीं मिलती है.

गर्भ में बच्चा उल्टा कैसे हो जाता है?

लगभग 3 से 4 फीसदी महिलाओं में प्रेगनेंसी (Pregnancy) के दौरान गर्भ में बच्‍चा उल्‍टा होने की समस्‍या देखी जाती है। इस स्थिति में गर्भाशय के अंदर शिशु का सिर ऊपर की तरफ और पैर नीचे बर्थ कैनाल की ओर आ जाते हैं। नॉर्मल प्रेगनेंसी में डिलीवरी से पहले अपने आप ही शिशु का सिर नीचे की ओर आ जाता है।

गर्भ में लड़का की धड़कन कितनी होती है?

तथ्‍य : अध्‍ययनों की मानें तो पहली तिमाही में लड़के और लड़की के हार्ट रेट में कोई अंतर नहीं होता है। भ्रूण की सामान्‍य हार्ट रेट 120 से 160 बीपीएम होती है जो कि प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती चरण में 140 से 160 बीपीएम और गर्भावस्‍था के आखिरी चरण में 120 से 140 बीपीएम तक जा सकती है।