अधूरे जले जीवाश्म ईंधन से क्या फैलता है? - adhoore jale jeevaashm eendhan se kya phailata hai?

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आपने पूछा है कि जीवाश्म ईंधन को जलाने से कौन सी गैस रिलीज होती है तो इसका जवाब है कि जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस उत्सर्जित होती है

aapne poocha hai ki jivashm indhan ko jalane se kaun si gas release hoti hai toh iska jawab hai ki jivashm indhan ko jalane se carbon dioxide tatha nitrogen oxide gas utsarjit hoti hai

आपने पूछा है कि जीवाश्म ईंधन को जलाने से कौन सी गैस रिलीज होती है तो इसका जवाब है कि जीवाश

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जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत हैं अब दुनिया में इनके सीमित भंडारी बचे हैं यह दिन बहुत अधिक प्रदूषण फैलाते हैं जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन सल्फर नाइट्रोजन के ऑक्साइड उत्पन्न होते हैं नहीं कार्बन डाई ऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड सल्फर के ऑक्साइड होते पर अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं और इस अम्लीय वर्षा से हमारे जरूर मिट्टी के संसाधनों पर बुरा असर पड़ता है तो आपने पूछा है कि इन से कौन सी गैस उत्पन्न होती है तो इनसे सारी ग्रीन हाउस गैसें जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड सल्फर डाई ऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड यह कैसे उत्पन्न होती है धन्यवाद

jivashm indhan urja ke navikarniya srot hain ab duniya mein inke simit bhandari bache hain yah din bahut adhik pradushan failate hain jivashm indhan ko jalane se carbon sulphur nitrogen ke oxide utpann hote hain nahi carbon dye oxide Nitrous oxide aur sulphur dye oxide sulphur ke oxide hote par amliya varsha ka karan bante hain aur is amliya varsha se hamare zaroor mitti ke sansadhano par bura asar padta hai toh aapne poocha hai ki in se kaun si gas utpann hoti hai toh inse saari green house gasein jaise carbon dye oxide sulphur dye oxide Nitrous oxide yah kaise utpann hoti hai dhanyavad

जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत हैं अब दुनिया में इनके सीमित भंडारी बचे हैं यह दिन बह

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जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न वायु प्रदूषण के कारण भारत में हर साल दस लाख लोगों की मौत का अनुमान है

India is estimated to have killed one million people every year due to air pollution caused by burning of fossil fuels.

नई दिल्ली, 12 फरवरी – ग्रीनपीस दक्षिण पूर्व एशिया (Greenpeace Southeast Asia) ने अपनी तरह की पहली रिपोर्ट में बताया है कि जीवाश्म ईंधन से वायु प्रदूषण की वैश्विक लागत (Global cost of air pollution from fossil fuels) का अनुमानतः लगभग $ 2.9 ट्रिलियन, या दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (World gross domestic product) का 3.3% सालाना है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष अनुमानतः 10.7 लाख करोड़  (US $ 150 बिलियन), या भारत के GDP का 5.4% नुकसान है, जो दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन जनित वायु प्रदूषण (Fossil fuel generated air pollution) से होने वाली तीसरी सबसे बड़ी लागत है। 900 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ चीन सबसे अधिक लागत वहन करता है और इसके बाद अमेरिका 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर और भारत है।

Economic losses from fossil fuel pollution

विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि भारत में जीवाश्म ईंधन से होने वाले वायु प्रदूषण (Fossil fuel air pollution in India) से अनुमानित दस लाख लोगों की हर साल मौत हो जाती है। भारत में जीवाश्म ईंधन से वायु प्रदूषण की वजह से  980,000 अनुमानित पूर्व जन्म, 10.7 लाख करोड़ (US $ 150 बिलियन) की वार्षिक आर्थिक हानि होती है।

Disease caused by exposure to pollution from fossil fuels

आर्थिक लागत का एक अन्य स्रोत यह है कि हर साल बच्चे के अस्थमा के लगभग 350,000 नए मामले जीवाश्म ईंधन दहन के उप-उत्पाद NO2 से जुड़े हैं। परिणामस्वरूप, भारत में लगभग 1,285,000 बच्चे जीवाश्म ईंधन से होने वाले प्रदूषण की वजह से अस्थमा के शिकार हैं। जीवाश्म ईंधन से प्रदूषण के संपर्क में आने से होने वाली बीमारी के कारण लगभग 49 करोड़ दिन लोगों ने काम से छूट्टी ली है।

ग्रीनपीस ईस्ट एशिया के क्लीन एयर कैंपेनर मिनोयो सोन ने कहा,

“वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य और हमारी अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरा है। हर साल, जीवाश्म ईंधन से वायु प्रदूषण लाखों लोगों की जान ले लेता है, जिससे स्ट्रोक, फेफड़े के कैंसर और अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है और हमें खरबों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन यह एक समस्या है जिसे हम जानते हैं कि कैसे हल करना है, अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर, डीजल और पेट्रोल कारों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर, और सार्वजनिक परिवहन को बेहतर करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। हमें न केवल हमारे तेजी से गर्म होने वाले धरती के लिए, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी, जीवाश्म ईंधन की वास्तविक लागत को ध्यान में रखना होगा।”

ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ कैंपेनर अविनाश चंचल ने कहा,

“देश स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.28% खर्च करता है, जबकि जीवाश्म ईंधन को जलाने से भारत के सकल घरेलू उत्पाद का अनुमानित 5.4% नुकसान होता है। इस साल केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए केवल 69,000 करोड़ रुपये आवंटित किए। इससे यह स्पष्ट होता है कि एक देश के रूप में हमें अपनी प्राथमिकता तय करनी चाहिए और जीवाश्म ईंधन को जलाना बंद करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।”

गौरतलब है कि भारत में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा बार-बार केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्धारित नये उत्सर्जन मानको को पालन करने की समय सीमा का उल्लघंन किया जा रहा है।

अंत में अविनाश ने कहा,

“थर्मल पावर प्लांटों की गैर-अनुपालन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नए कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों का निर्माण रुका रहे और मौजूदा संयंत्रों को चरणों में बंद किया जाए। हमारे ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र को जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा की ओर ले जाने से समय से पहले होने वाली मौतों और स्वास्थ्य लागत में भारी खर्च को रोकने में मदद मिलेगी। नवीकरणीय ऊर्जा एक सुरक्षित और संभव विकल्प है, और हम अब और इंतजार नहीं कर सकते। सरकार और जीवाश्म ईंधन कंपनियों को अब कार्रवाई करने की आवश्यकता है।”

A new report from Greenpeace Southeast Asia and Centre for Research on Energy and Clean Air finds that air pollution from fossil fuels is linked to about 4.5 million deaths each year and costs the world US$8 billion daily.

BREAKING: A new report from @GreenpeaceSEA and @CREACleanAir finds that air pollution from fossil fuels is linked to about 4.5 million deaths each year and costs the world US$8 billion daily. https://t.co/JtLzGlRQg2

— Greenpeace PressDesk (@greenpeacepress) February 12, 2020

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अधूरे जले जीवाश्म ईंधन से कौन सी गैस फैलती है?

Detailed Solution सही उत्तर कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) है।

जीवाश्म ईंधन जलने से कौन सा प्रदूषण होता है?

जीवाश्म ईंधन कंपनियां घातक वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।

जीवाश्म ईंधन के नुकसान क्या हैं?

(i) जीवाश्म ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत हैं जो कि सीमित हैं। (ii) इसके ज्वलन से कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड्स उत्पन्न होते हैंजो स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ये जल और भूमि संसाधनों पर भी बुरा प्रभाव डालता है। (iii) कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाउस प्रभाव से वातावरण तापमान में वृद्धि होती है।

जीवाश्म ईंधन जलना क्या है?

जीवाश्म ईंधन एक प्रकार का कई वर्षों पहले बना प्राकृतिक ईंधन है। यह लगभग 65 करोड़ वर्ष पूर्व जीवों के जल कर उच्च दाब और ताप में दबने से हुई है। यह ईंधन पेट्रोल, डीजल, घासलेट आदि के रूप में होता है। इसका उपयोग वाहन चलाने, खाना पकाने, रोशनी करने आदि में किया जाता है।