रघुनाथराव 1773 ई. में अपने भतीजे नारायणराव की हत्या कर पेशवा बन गया। परंतु 1774 ई. में जब माधवराव का पुत्र सवाई माधव नारायणराव पैदा हुआ। बारभाई नामक मराठा सरदारों के दल ने नाना फड़णवीस के नेतृत्व में नारायणराव को पेशवा बना दिया गया। निराश रघुनाथ अंग्रेजो के शरण में चला गया और सूरत की संधि की। Show सूरत की सन्धि 1775 ई. को राघोवा (रघुनाथराव) और अंग्रेज़ों के बीच हुई। इस सन्धि के अनुसार अंग्रेज़ों ने राघोवा को सैनिक सहायता देना स्वीकार कर लिया। अंग्रेज़ों ने युद्ध में विजय के उपरांत उसे पेशवा बनाने का भी वचन दिया। सन्धि के अनुसार राघोवा ने साष्टी और बसई तथा भड़ौच और सूरत ज़िलों की आय का कुछ भाग अंग्रेज़ों को देना स्वीकार किया। उसने अंग्रेज़ों को यह वचन भी दिया कि वह उनके शत्रुओं से किसी भी प्रकार का मेल-मिलाप नहीं रखेगा। पुरन्दर की संधि मार्च 1776 ई. को मराठों तथा ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई थी। इस समझौते के अनुसार तय हुआ कि रघुनाथराव को, जिसको पेशवा की गद्दी पर बिठाने के उद्देश्य से अंग्रेज़ों ने लड़ाई छेड़ी थी, उसे मराठों को सौंप देगी। कम्पनी की बम्बई सरकार 1773 ई. के बाद जीते गये समस्त इलाके मराठों को लौटा देगी और अपने वचनों का पालन करने की गारंटी के रूप में कुछ अंग्रेज़ अफ़सरों को बंधक के रूप में मराठों के सुपुर्द कर देगी। और भड़ौंच से प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा महादजी शिन्दे को दिया जायेगा। गवर्नर-जनरल ने इस समझौते को अस्वीकृत कर दिया और समझौते करने वाले अंग्रेज़ अधिकारियों को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया। सलबाई की सन्धि के द्वारा 1782 ई. को प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध समाप्त हुआ। फ़रवरी 1783 ई. में पेशवा की सरकार ने इसकी पुष्टि कर दी थी। अंग्रेज़ों ने सालबाई में पुरन्दर की संधि की सभी शर्तें स्वीकार कर लीं और मराठों से एक प्रकार से सुलह कर ली। इसके फलस्वरूप 1775 ई. से चला आ रहा प्रथम मराठा युद्ध समाप्त हो गया। सन्धि की शर्तों के अनुसार साष्टी टापू अंग्रेज़ों के अधिकार में ही रहा। अंग्रेज़ों ने राघोवा का पक्ष लेना छोड़ दिया और मराठा सरकार ने इसे पेंशन देना स्वीकार कर लिया। बेसिन की संधि / बसई की सन्धि पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजो के मध्य 1802 ई. को हुआ। 1802 ई. में पेशवा बाजीराव द्वितीय द्वारा ‘बेसिन की संधि’ पर हस्ताक्षर करने और ‘सहायक संधि’ के ब्रिटिश प्रस्ताव को स्वीकार कर लेने से शुरू हुई। इस संधि के अनुसार, पेशवा को सब्सिडी के रूप में एक बड़ी राशि का भुगतान करना था। इसके अलावा, वह ब्रिटिश सहमति के बिना किसी अन्य शक्ति के साथ किसी भी गठबंधन में प्रवेश नहीं कर सकता था। हालांकि, ‘बेसिन की संधि’ को अन्य मराठा प्रमुखों द्वारा अस्वीकार कर दिया जिससे दूसरे आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-05) की शुरुआत हुई। देवगाँव की संधि / देवगढ़ की संधि 17 दिसम्बर, 1803 ई. को द्वितीय मराठा युद्ध के दौरान रघुजी भोंसले और अंग्रेज़ों के बीच हुई थी। नवम्बर, 1803 में आरगाँव की लड़ाई में अंग्रेज़ों ने रघुजी भोंसले को पराजित किया था, जिसके फलस्वरूप यह संधि हुई। संधि के तहत बरार के भोंसला राजा ने अंग्रेज़ों को कटक का प्रान्त दे दिया। जिससे बालासौर के अलावा वरदा नदी के पश्चिम का समस्त भाग अंग्रेजो के नियंत्रण में आ गया। भोंसला राजा को अपनी राजधानी नागपुर में ब्रिटिश रेजीडेण्ट रखना स्वीकारना पड़ा। उसने निज़ाम अथवा पेशवा के साथ होने वाले किसी भी झगड़े में अंग्रेज़ों को पंच बनाना स्वीकार कर लिया। सुर्ज़ी अर्जुनगाँव की संधि 1803 में दौलतराव शिंदे और
अंग्रेजो के मध्य हुई थी। राजपुर घाट की संधि 1805 ई. को अंग्रेजो और होल्कर के मध्य हुआ। ग्वालियर की सन्धि नवम्बर 1817 में अंग्रेजों और महादजी शिन्दे के मध्य हुआ। इस समय बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स थे। इस संधि अनुसार महादजी शिन्दे, पिंडारियों
के दमन में अंग्रेज़ों का सहयोग करना स्वीकार किया। पूना की सन्धि जून 1817 में अंग्रेज़ों और पेशवा के मध्य हुआ। जिसके तहत पेशवा ने 'मराठा संघ' की अध्यक्षता त्याग दी। मंदसौर की सन्धि जनवरी, 1818 ई. में होल्कर और अंग्रेज़ों के मध्य हुआ। जिसके अनुसार होल्कर ने राजपूत राज्यों पर से अपने अधिकार वापस ले लिए। इन्हे देखें: अंग्रेजों और मराठों के बीच कितने युद्ध हुए?भारत के इतिहास में तीन आंग्ल-मराठा युद्ध हुए हैं। ये तीनों युद्ध 1775 ई. से 1818 ई. तक चले।
अंग्रेजों तथा मराठों के बीच कितने युद्ध हुए तीसरे आंग्ल मराठा युद्ध का क्या परिणाम हुआ?तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-19):
परिणाम: पेशवा खिरकी में, भोंसले सीताबुलडी में और होल्कर महिदपुर में पराजित हुए। जून 1817, पेशवा के साथ पूना की संधि। नवंबर 1817, सिंधिया के साथ ग्वालियर की संधि। जनवरी 1818, होल्कर के साथ मंदसौर की संधि।
1782 में अंग्रेज और मराठों के बीच कौन सी संधि हुई?17 मई 1782 को मराठा साम्राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध(1775ई. -1782ई.) को समाप्त करने के लिए लंबी बातचीत के बाद सिन्धिया ने पेशवा व अग्रेजों के मध्य सालबाई की संधि (1782 ) करवा दी ।
कब और किस युद्ध में अंग्रेजों ने मराठों को पराजित किया?पहला आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-1782) भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के बीच लड़े गये तीन आंग्ल-मराठा युद्धों में से पहला था। युद्ध सूरत संधि के साथ शुरू हुआ और साल्बाई की संधि के साथ समाप्त हुआ। पहले आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान ब्रिटिश आत्मसमर्पण को दर्शाते हुए एक भित्तिचित्र।
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