मगध महाजनपद के उत्थान के क्या कारण थे : बृहद्रथ मगध के सबसे प्राचीन वंश के संस्थापक थे जिनकी राजधानी गिरिव्रज (राजगृह) थी। मगध राज्य का विस्तार उत्तर में गंगा, पश्चिम में सोन और दक्षिण में जलाच्छादित पथरी क्षेत्रों से घिरा हुआ था जो कालांतर से ही राजनीतिक उत्थान, पतन व सामाजिक एवं धार्मिक प्रतिक्रियाओं का केंद्र बना रहा। मगध महाजनपद 16 महाजनपदों में सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था। महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाइयों को कहा जाता है। Show मगध के प्रतापी राजाओं ने राज्यों पर विजय प्राप्त करके भारत के एक बड़े क्षेत्र पर विशाल एवं शक्तिशाली मगध साम्राज्य की स्थापना कर दी जो उनका एक सफल प्रयास रहा। मगध महाजनपद के उत्थान के कई कारण थे जो निम्नलिखित है –
मगध महाजनपद के उत्थान के कारण –योग्य शासकमगध महाजनपद में बिंबिसार, अजातशत्रु और महापद्मनंद जैसे महत्वकांक्षी एवं कुशल शासकों के शासन प्रणाली मगध के विस्तार एवं उसके उत्थान का सबसे बड़ा कारण बनी। इन साम्राज्यवादी शासकों ने अपनी वीरता एवं दूरदर्शिता के माध्यम से राज्यहित एवं उत्थान के लिए भरसक प्रयास किए एवं अपनी कुशलता का परिचय कराते हुए संपूर्ण मगध महाजनपद का उत्थान कर दिया। लोहे की खदानमगध के उत्थान का कारण वहां की भौगोलिक स्थिति है क्योंकि मगध के निकट क्षेत्रों में लोहे के कई भंडार उपस्थित थे जिससे उनको प्रभावशाली हथियार बनाने के पर्याप्त मात्रा में लौह पदार्थ मिल जाते है। अतः प्रभावशाली हथियारों के निर्माण की वजह से मगध मजबूत बनता गया। लोहे के अलावा मगध में तांबा जैसे अन्य खनिज पदार्थों के भी भंडार थे और इन खनिजों के आसानी से उपलब्ध होने के कारण यह एक समृद्ध एवं शक्तिशाली राज्य बन गया। राजधानियों की स्थितिमगध की दोनों राजधानियां राजगीर व पाटलिपुत्र महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्रों में स्थित थी। राजगीर चारों ओर से घिरा होने के कारण उस पर बाह्य आक्रमण करना मुश्किल था इसके अलावा पाटलिपुत्र मगध के केंद्र में स्थित थी जिसके माध्यम से संपूर्ण मगध से सम्पर्क बनाया जा सकता था। आर्थिक मजबूतीमगध के उत्थान एवं सिक्कों के प्रचलन ने मगध के व्यापार व वाणिज्य में प्रतिदिन वृद्धि की जिससे मगध आर्थिक रूप से मजबूत होने लगा। शासक वाणिज्य वस्तुओं पर चुंगी लगाकर धन एकत्रित कर सकते थे जिससे राजकोष में वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता था। पढ़ें मगध साम्राज्य। कृषि व्यवस्थामगध गंगा नदी तथा सोन नदी से निकट स्थित था जिसकी वजह से वहां के कृषकों के लिए खेती करना बेहद आसान हो गया था। कुशल कृषि होने से मगध के कृषकों के पास भरण-पोषण के बाद भी अतिरिक्त अनाज बच जाता था। नदियों द्वारा यातायात की सुविधा ने मगध को संपर्क बनाने की उचित सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ उसके उत्थान में सहायता की। इसके अलावा वर्षा अधिक होने के कारण भी यहाँ फसल उगाने व कृषि करने में बहुत आसानी होती थी। स्वतंत्र वातावरणमगध साम्राज्य का वातावरण अन्य राज्यों की अपेक्षा स्वतंत्र था क्योंकि वहां अनेक जातीय व संस्कृति के लोग निवास करने के बावजूद भी उनमें मेलप्रेम हुआ करता था। ब्राह्मण संस्कृति के बंधनों में शिथिलता, बौद्ध एवं जैन धर्मों के सार्वभौमिक दृष्टिकोण ने मगध क्षेत्र के राजनीतिक दृष्टिकोण को और सुदृढ़ बना दिया जो मगध के महाजनपद के उत्थान का कारण था। वैदिकीकरणमगध समाज रूढ़ि विरोधी था तथा वैदिक लोगों के आने की वजह से यहां जातियों का सुखद मिश्रण हुआ। अतः वैदिकीकरण के कारण अन्य राज्यों की अपेक्षा मगध विस्तार में वृद्धि एवं उत्थान हुआ। पढ़ें मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण। मगध महाजनपद के उदय के प्रमुख कारण क्या थे?मगध महाजनपद के उत्थान के क्या कारण थे. योग्य शासक. लोहे की खदान. राजधानियों की स्थिति. आर्थिक मजबूती. कृषि व्यवस्था. स्वतंत्र वातावरण. वैदिकीकरण. 16 महाजनपदों में मगध प्रथम क्यों था?मगध शासक, महापद्म नंद ने 200,000 पैदल सेना, 60,000 घुड़सवार सेना और 6000 युद्ध हाथियों को अनुरक्षित किया, जबकि अंतिम नंद शासक ने 200,000 पैदल सेना, 20,000 घुड़सवार सेना, 3000 हाथी और 2000 रथ सेना को अनुरक्षित किया। मगध के पास तांबे एवं लोहे के विशाल भंडार थे। क्षेत्र में उपजाऊ मिट्टी थी।
महाजनपद का उदय कैसे हुआ?छठी शताब्दी ई0पू0 में उत्तर भारत में 16 महाजनपदों का उदय हुआ। ऋग्वेद के जन उत्तर-वैदिक काल में जनपदों में परिवर्तित हो गये थे, और यही जनपद बुद्ध काल में महाजन पदों में बदल गये। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय एवं जैन ग्रन्थ भगौती सूत्र में इन 16 महाजनपदोंका उल्लेख मिलता है।
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