*पंचम में सूर्य यदि राहु के साथ है, तब पितृदोष बनता है। इसके लिए पीपल एवं बड़ वृक्ष का पूजन करते रहें। Show
*वीरवार के दिन चने की दाल, केसर, हल्दी, पीले फूल, पीला वस्त्र दक्षिणा सहित अपने कुल के पुरोहित को दें। *लगातार 43 दिनों तक सरसों के तेल की कुछ बूंदें जमीन पर गिराएं। *झूठ न बोलें, वादे को पूरा करें और किसी की निंदा न करें। *साले, जीजा, दोहते या भानजे की सेवा करें। *रीति-रिवाजों से कभी पीछे नहीं हटें। *रविवार के दिन धार्मिक स्थान पर अपनी क्षमतानुसार दान करें। *अपने घर के पवित्र स्थान पर चांदी की डिब्बी में गंगाजल भरकर रखें। *पूर्णमासी के दिन लक्ष्मीनारायण मंदिर में चावल, दूध, शकर, चांदी, सफेद मोती और नारियल आदि चढ़ाएं। *खीर का प्रसाद कन्याओं में बांटें। *हमेशा अपने घर के परिसर में गंगाजल रखें। *बंदरों को गेहूं अथवा गुड़ खिलाएं। *रात को सिरहाने पानी रखकर सोने से पिता की आयुवृद्धि होगी। *ऊपर से नमक डालकर न खाएं। *काले रंग की गाय की सेवा करें। *तांबे के 7 चौरस सिक्के जमीन में गाड़ें। *नियमित रूप से पूर्णमासी का व्रत रखें। *कोई भी महत्वपूर्ण काम करने से पहले पानी अवश्य पिएं। *भूमि में चांदी का चौकोर टुकड़ा दबाएं। *काम पर जाते समय थोड़ा मीठा गुड़ खाकर पानी पी लें। *रोटी खाने से पहले भोजन का थोड़ा-सा हिस्सा आहुति में डालें। *सूर्य खाना नंबर 8 में हो, तो दक्षिणमुखी घर में न रहें। *किसी भी नए काम पर जाने से पहले कुछ मीठा खाकर निकलें। *शुक्ल पक्ष के रविवार से 800 ग्राम गेहूं और 800 ग्राम गुड़ मंदिर में चढ़ाएं। ये लगातार 8 रविवार करें। *पिता और बड़े भाई की आज्ञा का पालन करें। *लाल रंग की गाय की सेवा करें। *घर में कभी भी सफेद कपड़े न रखें। *बहते हुए पानी में गुड़ बहाएं। *दान या तोहफे के रूप में चांदी या सफेद वस्तु न लें। *मंदिर या किसी धार्मिक स्थान में चावल, चांदी और दूध आदि सफेद वस्तुओं का दान दें। *चितकबरे रंग की गाय को मीठी रोटी खिलाएं। *घर में रखे पीतल और चांदी के बर्तनों में चावल भरकर रखें और उन्हें खाली न रहने दें। *आप जिस बेड पर सोते हैं या जिस चारपाई पर सोते हैं, उसके पायों में तांबे की कील लगाएं। *तांबे के बर्तन भी घर में रहना चाहिए। *नीला और काला कपड़ा न पहनें। *बहते पानी में तांबे का सिक्का डालें। सफेद या शरबती रंग की पगड़ी या टोपी पहनें। *महिला हैं, तो सिर ढककर रहें। धार्मिक स्थान पर हैंडपंप या प्याऊ लगाएं। *सूर्य 11वें भाव में है, तो मांस-मदिरा से दूर रहें। *शनिवार की रात में 5 मूलियां सिरहाने रखकर सोएं और अगले दिन सुबह धार्मिक स्थल पर दान में दे दें। *तांबे के बर्तन में गेहूं भरकर धार्मिक स्थान में दान करें। *अपने जन्मदिन से शुरू करके लगातार 43 दिनों तक जमीन पर सोएं। *रात में सोते समय बिस्तर के सिरहाने बादाम या मूली रखकर सोएं और अगले दिन इसे किसी मंदिर में दान कर दें। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य एक राजसी ग्रह हैं, इसलिए कुंडली में सूर्य की स्थिति व्यक्ति की भौतिक प्रगति में बहुत ज्यादा महत्व रखती है। वैदिक ज्योतिष में इन्हें आत्मा,...Anuradha Pandeyज्योतिषी सरिता गुप्ता,नई दिल्लीTue, 01 Dec 2020 01:05 PM हमें फॉलो करें ऐप पर पढ़ें वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य एक राजसी ग्रह हैं, इसलिए कुंडली में सूर्य की स्थिति व्यक्ति की भौतिक प्रगति में बहुत ज्यादा महत्व रखती है। वैदिक ज्योतिष में इन्हें आत्मा, मान-सम्मान, राज-काज, उच्च पद, सरकारी सेवा, नेतृत्व की क्षमता आदि का कारक माना जाता है। सूर्य, सिंह राशि के स्वामी हैं और यह तुला राशि में नीच के होते हैं। सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति का मनोबल या आत्मबल कमजोर होता है और पिता व कार्यक्षेत्र में अधिकारियों के साथ परेशानी रहती है। सरकारी कार्य में भी परेशानी होती है। कुंडली में यदि सूर्य कमजोर हों तो इसका व्यक्ति की सेहत पर भी असर होता है। ऐसे लोगों को आंख या अस्थियों संबंधी समस्या हो सकती है। जब उनकी कुंडली में सूर्य की दशा आती है, तब और परेशानियां बढ़ जाती हैं। व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही आलस और थकान बने रहते हैं। सिर दर्द के अलावा शरीर में अकड़न-सी रहती है। ऐसे सूर्य ग्रह को मजबूत कर हम अपने आत्मबल और अपनी प्रगति को बढ़ा सकते हैं। सूर्य की बेहतरी के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं- ग्रहों का एक विशेष अवस्था में विशेष राशी में पाया जाना उनको उच्च और नीच का बना देता है. ग्रह उच्च और नीच के होने पर विशेष और महत्वपूर्ण परिणाम देते हैं. ग्रह जब नीच राशी में होते हैं तब कुंडली के तमाम अच्छे और बुरे परिणामों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. कभी कभी एक अकेला नीच ग्रह भी सब कुछ बदल सकता है. धारणा है कि नीच ग्रह हमेशा अशुभ होते हैं जबकि ऐसा हमेशा नहीं होता. नीच ग्रह के नुकसान क्या हैं? सूर्य तुला राशी में नीच का होता है, आंखों की समस्या देता है, सेहत खराब करता है और पिता के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. चंद्रमा वृश्चिक में नीच का होता है, मन को असंतुलित करता है, हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है और माता को कष्ट देता है. मंगल कर्क राशी में नीच का होता है, क्रोध पैदा करता है,संपत्ति बनाने में बाधा देता है और भाई बहनों को कष्ट देता है. बुध मीन राशी में नीच का होता है, भ्रम पैदा करता है तथा आर्थिक रूप से नुकसान करता है और ननिहाल पक्ष के लिए अच्छा नहीं होता है. बृहस्पति मकर राशी में नीच का होता है, जीवन में स्थायित्व नहीं आने देता साथ ही विवाह के मामले में समस्या पैदा करता है. शुक्र कन्या राशी में नीच का होता है ,व्यक्ति को व्यभिचार की तरफ ले जाता है,अपयश देता है, सुख का अनुभव नहीं होता है. शनि मेष राशी में नीच का होता है, काफी दुर्घटनाएं घटती हैं , नौकरी में बाधा आती है तथा स्नायु तंत्र की समस्या होती है. नीच ग्रह के फायदे क्या हैं? सूर्य चिकित्सक बना सकता है ,परिवार से दूर होने पर अत्यंत मान सम्मान देता है. चंद्रमा आध्यात्मिक विकास करवाता है, यात्राओं से लाभ होता है और कम आयु में नौकरी मिल जाती है. मंगल अच्छा शल्य चिकित्सक बनाता है, प्रशासन में लाभकारी होता है स्त्री पक्ष से फायदा होता है. बुध वाणी और चालाकी से खूब धन कमवा सकता है ,शिक्षा क्षेत्र में लाभ देता है. बृहस्पति ईश्वर कि तरफ झुकाव पैदा करता है ,संतान को योग्य बनाता है. शुक्र फिल्म मीडिया अथवा ग्लैमर में व्यक्ति को सफलता दिलवाता है. शनि संपूर्ण प्रशासनिक अधिकार देता है,उतार चढ़ाव में स्थिर बनाये रखता है. नीच के ग्रह कर रहे हों नुकसान तो क्या हो समाधान? अगर सूर्य नीच का हो तो सूर्य को जल अर्पित करें, ताम्बा धारण करें. अगर चन्द्रमा नीच राशि में हो तो पूर्णिमा का उपवास रखें और शिव जी की पूजा करें. मंगल के नीच राशि में होने पर नमक का सेवन कम करें ,विद्यर्थियों की सहायता करें. अगर बुध नीच का हो तो देर तक मत सोयें, विष्णु जी की उपासना करें,आयरन युक्त खाद्य खाएं. अगर बृहस्पति नीच राशि में हो तो झूठ मत बोलें, मांस-मदिरा से बचें,अपने गुरु और माता पिता की सेवा करें. शुक्र के नीच राशि में होने पर चरित्र पर नियंत्रण रक्खें ,हनुमान जी की उपासना करें. शनि अगर नीच का हो तो वाहन चलाने में सावधानी रखें, योगाभ्यास करें, कृष्ण जी की उपासना करें. सूर्य नीच का हो तो क्या करना चाहिए?नीच के सूर्य को मजबूत करने के लिए गाय को गेहूं और गुड मिश्रित करके खिलाने से फायदा होता हैं. ब्राह्मण को गुड की खीर खिलाने से तथा जरूरतमंद व्यक्ति और गरीब को गेहूं, तांबा और सोना दान करने से नीच का सूर्य मजबूत होता हैं. भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करने से तथा ह्रदय स्तोत्र का पाठ करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं.
सूर्य नीच का कब होता है?सूर्य मंगल की राशि मेष में उच्च होते हैं और शुक्र की राशि तुला में कमजोर स्थिति में हो जाते हैं अर्थात वह नीच अवस्था में होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह लगभग एक महीने तक एक राशि में रहते हैं और इसके बाद वह फिर राशि परिवर्तन करते हैं।
नीच का सूर्य क्या फल देता है?धारणा है कि नीच ग्रह हमेशा अशुभ होते हैं जबकि ऐसा हमेशा नहीं होता. नीच ग्रह के नुकसान क्या हैं? सूर्य तुला राशी में नीच का होता है, आंखों की समस्या देता है, सेहत खराब करता है और पिता के लिए अच्छा नहीं माना जाता है.
सूर्य कमजोर होने के क्या लक्षण है?सूर्य ग्रह से जीवन में आने लगती हैं ये परेशानियां:
साथ ही, व्यक्ति को नौकरी, बिजनेस, राजनीति, आदि किसी भी काम में सफलता हाथ नहीं लगती। सूर्य कमजोर होने पर सूर्य ग्रह का दोष लगता है। मतलब सूर्य अगर कुंडली में राहु- केतु के साथ स्थित हैं तो सूर्य ग्रहण लगता है। इससे व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता है।
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