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टेस्टोस्टेरॉन एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। स्तनपाइयों में टेस्टॉस्टेरॉन प्राथमिक रूप से नरों में अंडकोष से व मादाओं में अंडाशय से स्रावित होता है। हालांकि कुछ मात्रा अधिवृक्क ग्रंथि से भी स्रवित होती है।[1] यह प्रधान नर-सेक्स हार्मोन एवं एक एनाबोलिक स्टीरॉएड होता है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुष यौन लक्ष्णों के विकास को बढ़ाता है और इसका संबंध यौन क्रियाकलापों, रक्त संचरण और मांसपेशियों के परिमाण के साथ साथ एकाग्रता, मूड और स्मृति से भी होता है। जब कोई पुरुष चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो जाता है तो लोग इसे उसके काम या आयु का प्रभाव मानते हैं, पर यह टेस्टोस्टेरॉन की कमी से भी होता है। एक परीक्षण के अनुसार, इससे प्रभावित अधिकतर लोग ३५ साल से कम आयु के थे और कुछ की तो एक दो साल पहले ही शादी हुई थी। इसके अनुसार टेस्टोस्टेरॉन का स्तर निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जिन रोगियों मेंउनकी जानकारी के बगैर इसका स्तर बढ़ाया गया, उनका सामाजिक व्यवहार अन्य की तुलना में समाज के प्रति अधिक सकारात्मक हो गया। जिन रोगियों का मानना था कि टेस्टोस्टेरॉन अधिकता से आक्रामक व्यवहार उत्पन्न होता है अथवा जिन्होंने जानकारी में मात्रा ली, उनका प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम ठीक रहा। पुरुषत्व के हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन मांसपेशियां सुगठित बनाने में भी सहायक होता है। चिकित्सकों के अनुसार टेस्टोस्टेरॉन की अधिक मात्र के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।[1] आर्थिक दबावों और बढ़ती महंगाई के अलावा सामाजिक समस्याओं के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन नामक हार्मोन के स्तर में गिरावट सकती है और यह गिरावट अंततः स्तंभन ह्रास जैसी समस्याएं पैदा करती हैं। हाल के वर्षो में पति पत्नी घर, परिवार एवं दाम्पत्य संबंधों के बजाय व्यवसाय, वेतन और पैसे आदि को लेकर ही अधिक चिंता का वातावरण बना है। इनसे प्रभावित व्यक्ति के अंदर उपस्थित टेस्टोस्टेरॉन का स्तर उसके सामाजिक व्यवहारों को प्रभावित करता है। यह लोगों की मानसिक शांति के साथ-साथ उनके यौन जीवन पर ही ग्रहण लगा रही है। इससे पुरुषों में यौन शक्ति पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव पुरुषों में उक्त हार्मोन के स्तर को कम कर सकता है।[1] टेस्टोस्टेरॉन क्रम-विकास से ही अधिकतर कशेरुकियों में संरक्षित है, हालांकि मछलियों में भी ये एक अन्य रूप में, ११-कीटोटेस्टॉस्टेरॉन नाम से मिलता है।[2] सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँLast Updated: Dec 08, 2022 महिलाओं का शरीर प्राकृतिक रूप बहुत ही अनोखी संरचना से बना होता है। महिलाओं के शरीर में ऐसे अंग मौजूद होते हैं जो गर्भावस्था को संभव बनाते हैं। इन्हीं अंगों में से बहुत महत्वपूर्ण अंग हैं अंडाशय। दरअसल अंडाशय महिला प्रजनन अंग हैं। अंडाशय की जोड़ी में से एक श्रोणि में गर्भाशय के प्रत्येक तरफ स्थित होता है। ओवेरियन ग्लैंड्स यानी डिम्बग्रंथि ग्रंथियों के तीन महत्वपूर्ण कार्य होते हैं:
अंडाशय महिला प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। प्रत्येक महिला के दो अंडाशय होते हैं। वे आकार में अंडाकार होते हैं, लगभग चार सेंटीमीटर लंबे होते हैं । ये उम्र के साथ धीरे धीरे परिपक्व होते हैं। गर्भाशय की बात करें तो ये एक खोखला, नाशपाती के आकार का अंग है जहां एक भ्रूण विकसित हो सकता है। अंडाशय को गर्भाशय की दीवार से जुड़े स्नायुबंधन यानी लिगामेंट्स द्वारा एक जगह पर स्थित रखा जाता है ।यह फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय से जुड़ा होता है, जिससे होकर रिलीज़ होने के लिए तैयार अंडा मासिक अवधि में गुजरता है। अंडाशय क्या करते हैं?अंडाशय के शरीर में दो मुख्य प्रजनन कार्य होते हैं।पहला ये कि वे निषेचन के लिए अंडे का उत्पादन करते हैं । दूसरा ये कि वे प्रजनन हार्मोन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और एण्ड्रोजन का उत्पादन करते हैं। अंडाशय का कार्य हाइपोथैलेमस से निकलने वाले गोनैडोट्रॉफिन-रिलीज़िंग हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है जो बदले में पिट्यूटरी ग्रंथि को ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन और फोलिकल उत्तेजक हार्मोन का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करता है। मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने के लिए इन हार्मोनों को रक्तप्रवाह में अंडाशय में ले जाया जाता है। अंडाशय प्रत्येक मासिक धर्म चक्र के मध्य में एक अंडा (ऊओसाइट) छोड़ते हैं। आमतौर पर प्रत्येक मासिक धर्म चक्र के दौरान एक अंडाशय से केवल एक ही अंडाणु निकलता है, जिसे ओव्यूलेशन के रूप में जाना जाता है।यौवन से रजोनिवृत्ति तक लगभग 300 - 400 अंडे ओव्यूलेशन के माध्यम से निकलते हैं 28-दिवसीय मासिक धर्म चक्र के डिम्बग्रंथि चरणदरअसल ओव्यूलेशन मासिक धर्म के मध्य चक्र में होता है।अंडाशय में सभी अंडे शुरू में कोशिकाओं की एक परत में संलग्न होते हैं जिन्हें फॉलिकल के रूप में जाना जाता है जो अंडे को सुरक्षित रखता है। मासिक धर्म चक्र के पहले भाग में होने वाले फॉलिक्युलर फेज़ के दौरान, एफएसएच की क्रिया के कारण एक या दो ओवेरियन फॉलिकल ही बढ़ते हैं। जैसे-जैसे फॉलिकल बढ़ता है यह ऑस्ट्राडियोल पैदा करता है। जैसे-जैसे एस्ट्राडियोल का स्तर बढ़ता है, यह हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि को ओव्यूलेशन के लिए प्रेरित करने हेतु चक्र के मध्य में उच्च स्तर के एलएच और कुछ एफएसएच बनाने के लिए तैयार करता है। ओव्यूलेशन के दौरान, अंडा अंडाशय में फॉलिकल से फैलोपियन ट्यूब में जाता है। एक बार जब अंडा ओव्यूलेशन के समय रिलीज़ हो जाता है, तो जो खाली फॉलिकल रह जाता है, वह कॉर्पस ल्यूटियम बन जाता है। सीएल हार्मोन प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का उत्पादन करता है। ये हार्मोन एक संभावित गर्भावस्था के लिए गर्भाशय के अंदर की परत को तैयार करते हैं । यदि रिलीज़ किए गए अंडे को निषेचित नहीं किया जाता है और मासिक धर्म चक्र के दौरान गर्भावस्था नहीं होती है, तो कॉर्पस ल्यूटियम टूट जाता है और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्राव बंद हो जाता है। प्रोजेस्टेरोन के स्तर में गिरावट के कारण, गर्भ की परत गिरने लगती है और मासिक धर्म, या 'पीरियड' के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाती है । मासिक धर्म आमतौर पर लगभग 3 - 5 दिनों तक रहता है। मासिक धर्म का पहला दिन एक नए मासिक धर्म की शुरुआत का संकेत देता है। क्या होता है मेनोपॉज़मेनोपॉज़ या रजोनिवृत्ति एक महिला के अंतिम वर्षों का संकेत होती है।यह लगभग 50 वर्ष की आयु में होता है। यह अंडाशय में बचे फॉलिकल के नुकसान के कारण होता है। जब अधिक फॉलिकल नहीं होते हैं तो अंडाशय भी अब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नहीं बनाता है, जो मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करते है। परिणामस्वरूप मासिक धर्म चक्र और मासिक धर्म होना बंद हो जाता है। अंडाशय कौन से हार्मोन का उत्पादन करते हैं?अंडाशय द्वारा स्रावित प्रमुख हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हैं।ये दोनों ही मासिक धर्म चक्र के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन हैं। ओव्यूलेशन से पहले मासिक धर्म चक्र के पहले भाग में एस्ट्रोजन का उत्पादन अधिक होता है और कॉर्पस ल्यूटियम के बनने के बाद मासिक धर्म चक्र के दूसरे भाग के दौरान प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन अधिक होता है। गर्भावस्था के लिए ज़रूरी गर्भाशय के अंदर की परत को तैयार करने और एक निषेचित अंडे या भ्रूण की स्थापना में दोनों हार्मोन महत्वपूर्ण हैं। यदि मासिक धर्म चक्र के दौरान गर्भाधान होता है, तो कॉर्पस ल्यूटियम कार्य करने की अपनी क्षमता नहीं खोता है और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्राव जारी रखता है। इससे भ्रूण को गर्भाशय की परत में प्रत्यारोपित करने और प्लेसेंटा बनाने की अनुमति मिलती है। अंडाशय भी थोड़ी मात्रा में एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) बनाते हैं। अंडाशय में होने वाली समस्या1. समयपूर्व मेनोपॉज़अंडाशय में होने वाली कोई भी समस्या महिला की प्रजनन क्षमता को कम कर सकती है। मेनोपॉज के समय अंडाशय स्वाभाविक रूप से काम करना बंद कर देते हैं। यह 50 साल की उम्र के आसपास ज्यादातर महिलाओं में होता है। यदि किसी महिला में ऐसा 40 वर्ष की आयु या उससे पहले होने वाले मेनोपॉज़ को 'समयपूर्व डिम्बग्रंथि अपर्याप्तता' कहा जाता है। इसके समाधान के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) की जाती है। 2. टर्नर सिंड्रोमइसके अलावा और भी स्थितियां हो सकती हैं जो अंडाशय के सामान्य विकास में कमी का कारण बनती है, जैसे टर्नर सिंड्रोम। इसके परिणामस्वरूप भी अंडाशय ठीक से काम नहीं कर सकते हैं और महिला की प्रजनन क्षमता का नुकसान हो सकता है। कई बीमार कुछ बीमारियो के उपचार के कारण भी अंडाशय क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। विशेष रूप से कैंसर के उपचार के लिए कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के कारण यह संभव हो सकता है। 3. पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोमअंडाशय का सबसे आम विकार पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है, जो प्रसव की उम्र वाली 8-13% महिलाओं को प्रभावित करता है। एक पॉलीसिस्टिक अंडाशय में फॉलिकल एक निश्चित चरण तक परिपक्व होते हैं, लेकिन फिर बढ़ना बंद कर देते हैं और अंडे को रिलीज़ करने में विफल हो जाते हैं। इस प्रकार के फॉलिकल एक अल्ट्रासाउंड स्कैन जिसे 'पॉलीसिस्टिक ओवेरियन मॉर्फोलॉजी' कहा जाता है ,उसमें अंडाशय में सिस्ट के रूप में दिखाई दे सकते हैं। इससे प्रभावित महिलाओं में अतिरिक्त पुरुष हार्मोन यानी हाइपरएंड्रोजेनिज्म के लक्षण हो सकते हैं। इनमें बालों का अधिक बढ़ना , मुंहासे, या ओवुलेटिंग नहीं होना शामिल है जिससे पीरियड्स अनियमित या अनुपस्थित हो सकते हैं। पीसीओएस को एक उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के साथ भी जोड़ा जा सकता है और इंसुलिन इंसुलिन प्रतिरोध के कारण टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। 4. ओवेरियन सिस्टअकसर महिलाओं में ओवरी पर एक सिस्ट होना सामान्य बात माना जाता है। यह एक कार्यात्मक सिस्ट होती है। इस प्रकार के सिस्ट के अंदर एक अंडा मौजूद होता है जो मासिक धर्म चक्र में सही समय पर रिलीज़ होता है। यदि रिलीज के समय शुक्राणु मौजूद हैं, तो गर्भावस्था हो सकती है। आमतौर पर ये सिस्ट एक से दो सप्ताह के भीतर खुद ही गायब हो जाती हैं। लेकिन कभी-कभी ये लंबे समय तक बनी रह सकती हैं। ओवरी में कई अन्य प्रकार की सिस्ट भी हो सकती हैं। एंडोमेट्रियोमास दर्द और बांझपन का कारण बन सकते हैं। फर्टिलिटी डॉक्टर आमतौर पर इन्हें 'चॉकलेट सिस्ट' के नाम से बुलाते हैं।ऐसा इसलिए क्योंकि एंडोमेट्रियोसिस द्रव सर्जरी के समय पिघली हुई चॉकलेट की तरह दिख सकता है। डर्मोइड सिस्ट डिम्बग्रंथि के सिस्ट होते हैं जो बालों, दांतों और वसामय द्रव से भरे होते हैं। यदि ये बड़े हो जाते हैं तो दर्द का कारण बन सकते हैं। हालांकि ये बांझपन का कारण नहीं बनते हैं। ये सिस्ट आमतौर पर अल्ट्रासाउंड पर दिखाई देते हैं। 5. ओवेरियन कैंसरडिम्बग्रंथि या ओवरी का कैंसर एक गंभीर बीमारी है।हालांकि यह उन महिलाओं में कम होती है जो अभी तक रजोनिवृत्ति तक नहीं पहुंची हैं।जिनके परिवार में कैंसर को मामले देखे जोते रहे हैं उनको नियमित जांच से लाभ हो सकता है। 2 people found this helpful अंडाशय से कौन कौन से हार्मोन निकलते हैं?अंडाशय कौन से हार्मोन का उत्पादन करते हैं? अंडाशय द्वारा स्रावित प्रमुख हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हैं। ये दोनों ही मासिक धर्म चक्र के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन हैं।
हार्मोन का क्या कार्य है?हार्मोन या ग्रन्थिरस या अंत:स्राव जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं जो सजीवों में होने वाली विभिन्न जैव-रसायनिक क्रियाओं, वृद्धि एवं विकास, प्रजनन आदि का नियमन तथा नियंत्रण करता है। ये कोशिकाओं तथा ग्रन्थियों से स्रावित होते हैं।
अंडाशय में हार्मोन कैसे बनते हैं?ओवुलेशन की प्रक्रिया की शुरुआत शरीर में फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन यानी एफएसएच के रिलीज से होती है। ये मासिक चक्र के 6 से 14वें दिन के बीच होता है। एफएसएच ओवरी के अंदर अंडे को मैच्योर होने में मदद करता है ताकि वो आगे जाकर भ्रूण का रूप ले सके।
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का क्या कार्य है?टेस्टोस्टेरोन एक हॉर्मोन है जो पुरुषों के अंडकोष में पैदा होता है. आमतौर पर इसे मर्दानगी के रूप में देखा जाता है. इस हार्मोन का पुरुषों की आक्रामकता, चेहरे के बाल, मांसलता और यौन क्षमता से सीधा संबंध है. शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ के लिए यह हॉर्मोन सभी पुरुषों के लिए ज़रूरी है.
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