5 विधाता ने भक्तिन को उसके पिताजी की मृत्यु का समाचार देर से क्यों भेजा ?`? - 5 vidhaata ne bhaktin ko usake pitaajee kee mrtyu ka samaachaar der se kyon bheja ?`?

Document Description: Important Question & Answers - महादेवी वर्मा for Humanities/Arts 2022 is part of पाठ- 11: महादेवी वर्मा for Hindi Class 12 preparation. The notes and questions for Important Question & Answers - महादेवी वर्मा have been prepared according to the Humanities/Arts exam syllabus. Information about Important Question & Answers - महादेवी वर्मा covers topics like and Important Question & Answers - महादेवी वर्मा Example, for Humanities/Arts 2022 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises and tests below for Important Question & Answers - महादेवी वर्मा.

Introduction of Important Question & Answers - महादेवी वर्मा in English is available as part of our Hindi Class 12 for Humanities/Arts & Important Question & Answers - महादेवी वर्मा in Hindi for Hindi Class 12 course. Download more important topics related with पाठ- 11: महादेवी वर्मा, notes, lectures and mock test series for Humanities/Arts Exam by signing up for free. Humanities/Arts: Important Question & Answers - महादेवी वर्मा Notes | Study Hindi Class 12 - Humanities/Arts

1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you?

प्रश्न (क); भक्तिन को पिता की मृत्यु का समाचार देर से क्यों मिला?
(ख) सास द्ववारा भक्तिन को विदा करने को अप्रत्याशित अनुग्रह क्यों कहा गया है?
(ग) पंख लगाने आरै झड़ने के भाव को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रश्न (क) विमाता ने भक्तिन को उसके पिता की मृत्यु का समाचार देर से क्यों भेजा?
(ख) भक्तिन की सास ने पिता की मृत्युछिपाने  के लिए क्या किया?  
(ग) गाँव पहुँचते ही भक्ति को क्या पता चला जो पहले नहीं पता चल पाया था?  
अथवा
प्रश्न (क) विमाता ने कौन-सा समाचार देर से भेजा और क्यों?
(ख) सास ने लक्ष्मी को क्या कहकर मायके भजेा आरै क्यों?

(ग) लक्ष्मी का मायका आने का उत्साह कब और कैसे ठण्डा पड़ा?  
उत्तर; 
(क) सौतेली माता को संपत्ति विभाजन का भय।
पिता का भक्तिन पर प्रेम की वजह से विमाता को भक्तिन से द्वेष।
व्याख्यात्मक हल- अपने ईष्र्यालु स्वभाव के कारण भक्तिन की विमाता ने भक्तिन के पिता की गम्भीर बीमारी और रोग का समाचार भक्तिन की ससुराल तब भेजा जब उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी। वह नहीं चाहती थी कि भक्तिन अपने पिता की सम्पत्ति में हिस्सा माँगे।
उत्तर-(ख) सास द्वारा प्यार से नैहर भेजना। हर बात पर लड़ने वाली सास प्यार से तैयार कर के भेजने के लिए तैयार थी।
व्याख्यात्मक हल- भक्तिन की सास दिन रात उसे ताने और गालियां देती थी जब वह भक्तिन को प्यार से पहना, ओढ़ाकर अच्छी तरह तैयार कर मायके भेजने को कहती है तो यह अप्रत्याशित अनुग्रह ही था।
उत्तर-(ग) पंख लगाने से भक्तिन के मन को उत्साह मिलता है। पिता की मृत्यु की सूचना से उत्साह का शोक में बदलना-पंख झड़ने के समान।  
व्याख्यात्मक हल- ‘पंख लगाने’ से तात्पर्य भक्तिन के मन को उत्साह मिलना अर्थात् वह बड़े उत्साह से अपने मायके पहुँचती है पर जैसे ही उसे पिता की मृत्यु का समाचार मिलता है उसके पंख झड (उत्साह ठंडा होना) जाते हैं।
अथवा 
उत्तर- (क) 

  • विमाता भक्तिन से ईष्र्या करती थी। 
  • उसे भय था कि उसका पति संपत्ति में से भक्तिन को कुछ-न-कुछ देगा।

उत्तर- (ख)

  • पिता की मृत्यु की सूचना छिपा कर मायके भेजना।
  • पहना-ओढ़ा कर तैयार कर उत्साह से भेजना। 

उत्तर- (ग) 

  • सास द्वारा मायका भेजने पर उत्साहित, खुशी, पिता की मृत्यु की सूचना नहीं। 
  • गाँव पहुँचते ही लोगो द्वारा सहानुभूति के स्वर सुन कर दुःख होना, उत्साह ठंड़ा पड़ जाना।  

अथवा
उत्तर- (क)
भक्तिन की विमाता स्वभाव से ईष्र्यालु और लालची थी इसलिए जानबूझ कर उसने भक्तिन के पिता की गम्भीर बीमारी और रोग का समाचार उसकी ससुराल में तब भेजा जब उनकी ;पिताजीद्ध मृत्यु हो चुकी थी क्योंकि विमाता नहीं चाहती थी कि वह अपने पिता की सम्पत्ति में हिस्सा माँगे।
(ख) भक्तिन (लक्ष्मी) की सास ने अपनी बहु (लक्ष्मी) को यह कहकर मायके भेजा कि बहुत दिन से वह अपने मायके(नैहर) नहीं गई है तो जाकर देख आवे। सास ने यह समाचार उसे नहीं दिया कि उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है। उसे डर था कि यह रोना-पीटना करके अपशकुन करेगी।
(ग) लक्ष्मी (लछमिन, भक्तिन) बड़े उत्साह के साथ गाँव (मायके) में पहुँची पर गाँव की सीमा में पहुँचते ही उसका उत्साह ठण्डा पड गया जब उसे यह बात बार-बार सुनने को मिली- ‘हाय लछमिन अब आई’ और जो भी उसे देखता सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि से देखता क्योंकि उसके पिता मर चुके थे।

भक्तिन और मेरे बीच सेवक-स्वामी संबंध है, यह कहना कठिन हैऋ क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक नहीं सुना गया जो स्वामी से चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिये ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिये परिचय के लिये ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।
प्रश्न- (क) भक्तिन और लेखिका के पारस्परिक संबंधों को सेवक-स्वामी संबंध क्यों नहीं कहा जा सकता?
(ख) प्रकाश-अंधकार का उदाहरण क्यों दिया गया है? भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) गद्यांश के आधार पर महादेवी और भक्तिन के स्वभाव की एक-एक विशेषता सोदाहरण लिखिए।
उत्तर: (क) महादेवी चाह कर भी उसे नहीं निकाल पातीं, और निकाले जाने का आदेश पा कर भी भक्तिन नहीं जाती थी। दोनों के बीच भावनात्मक संबंध।
व्याख्यात्मक हल- भक्तिन और महादेवी का संबंध सेविका और स्वामिनी का नहीं है। भक्तिन ने स्वयं को महादेवी की संरक्षिका मान लिया है। इसलिए वह उसे छोड़ने की सोच भी नहीं पाती। महादेवी ने भी उसे इस रूप में स्वीकार कर लिया है। अतः दोनों में र्कोइ और ही अधिकार पूर्ण आत्मीयता का संबंध विकसित हो चुका हैं।
उत्तर: (ख)    

  • प्रकाश और अंधकार जीवन का अभिन्न अंग। 
  • प्रकाश अंधकार का संबंध स्वाभाविक है इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं। 
  • भक्तिन और महादेवी भी एक-दूसरे के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर पाती।

व्याख्यात्मक हल- प्रकाश-अंधकार का उदाहरण भक्तिन के लिए दिया गया है। जिस प्रकाश अँधरे-उजाले का अपना अलग स्थान और महत्व होता है, उसी प्रकार भक्तिन का भी घर में एक अलग स्थान है। वह घर को सुख देने वाली सेविका ही नहीं है, अपितु अपने सुख-दुःख दोनों के साथ जीवित रहने की अधिकारिणी है

उत्तर: (ग)  

  • भक्तिन तर्कपटु है। प्रत्येक कार्य का औचित्य ठहरा देती है।
  • महादवेी जी अत्यंत उदार, मानवतावादी आरै सहिष्णु थीं।

व्याख्यात्मक हल- महादेवी वर्मा ने भक्तिन को स्वयं की सेविका के स्थान पर अपनी अभिभाविका बनाया। वही भक्तिन के भी मन में महादेवी के प्रति विशेष आदर, समर्पण और विनय है। उसका सेवाभाव अनुकरणीय है

सेवक धर्म  में हनुमानजी से स्पर्धा  करने वाली भक्तिन अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्य गोपालिका की कन्या है- नाम है लछमिन अर्थात लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बंध सकी। वैसे तो जीवन में प्रायः सभी कोअपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है, पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योकि वह अपना समृद्धि सूचक नाम किसी को बताती नहीं। 

प्रश्न- (क) भक्तिन  के संदर्भ में हनुमान जी  का  उल्लेख क्यों हुआ  है?
(ख) भक्तिन के नाम और उसके जीवन में क्या विरोधाभास था।
(ग) वैसे तो जीवन में प्रायः सभी को अपने- अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है... कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 
(क) जिस प्रकार हनुमान जी स्वामी भक्त थे, वैसे  ही लक्ष्मी  ‘भक्तिन’ भी स्वामी भक्त थी।
व्याख्यात्मक हल- हनुमान जी को सेवकधर्म को सर्वाधिक निष्ठा से निभाने वाला राम भक्त माना जाता है। महादेवी जी भक्तिन के सेवा भाव से इतनी प्रभावित थी कि उन्होंने इसी सद्गुण के कारण भक्तिन की तुलना हनुमान जी से करते हुए उसे हनुमान जी की प्रतिस्पर्धी माना है।
उत्तर- (ख) भक्तिन का नाम-लक्ष्मी था।
लेकिन जीवन घोर अभाव में बीता। विरोधाभास उसके नाम का था।  
व्याख्यात्मक हल- भक्तिन का असली नाम लछमिन था। वह इस नाम को सबसे छिपाती थी, क्योंकि इस समृद्धि-सूचक नाम जैसा उसके जीवन में कुछ था ही नहीं। अतः उसे नाम पर शर्म महसूस होती होगी। इसीलिए वह किसी को अपना नाम नहीं बताती थी।
उत्तर- (ग) जीवन में नाम के साथ विरोधाभास देखने को मिलता है। सेठ-गरीब का नाम, अमीरचंद- गरीब, गरीबदास अमीर, इसी प्रकार लक्ष्मी भी।
व्याख्यात्मक हल- सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है। नाम और गुणो में काफी अंतर देखा जाता है। नाम शांति पर झगड़ालू। इसी प्रकार नाम लक्ष्मी पर घोर दरिद्रता का जीवन जीने वाली।

The document Important Question & Answers - महादेवी वर्मा Notes | Study Hindi Class 12 - Humanities/Arts is a part of the Humanities/Arts Course Hindi Class 12.

All you need of Humanities/Arts at this link: Humanities/Arts

Up next

Top Courses for Humanities/Arts

Description

Full syllabus notes, lecture & questions for Important Question & Answers - महादेवी वर्मा Notes | Study Hindi Class 12 - Humanities/Arts - Humanities/Arts | Plus excerises question with solution to help you revise complete syllabus for Hindi Class 12 | Best notes, free PDF download

Information about Important Question & Answers - महादेवी वर्मा

In this doc you can find the meaning of Important Question & Answers - महादेवी वर्मा defined & explained in the simplest way possible. Besides explaining types of Important Question & Answers - महादेवी वर्मा theory, EduRev gives you an ample number of questions to practice Important Question & Answers - महादेवी वर्मा tests, examples and also practice Humanities/Arts tests.

Important Question & Answers - महादेवी वर्मा is the part of पाठ- 11: महादेवी वर्मा for Humanities/Arts 2022 exam preparation. The content of Important Question & Answers - महादेवी वर्मा has been prepared for learning according to the Humanities/Arts exam syllabus. Important Question & Answers - महादेवी वर्मा covers topics like for Humanities/Arts 2022 Exam. Find important questions, notes, tests & features of Important Question & Answers - महादेवी वर्मा in this document.

EduRev provides you with complete coverage and for Humanities/Arts 2022 Important Question & Answers - महादेवी वर्मा as a part of our plan for Humanities/Arts syllabus to prepare for Humanities/Arts exam. Our subject experts have curated special Humanities/Arts courses, Humanities/Arts tests & mock test series. All Humanities/Arts previous year questions (PYQs) & topic wise tests like tests for Important Question & Answers - महादेवी वर्मा are provided with detailed solutions. Download more important topics, notes, lectures and mock test series for Humanities/Arts Exam by signing up for free

विमाता ने भक्तिन को उसके पिताजी की मृत्यु का समाचार देर से क्यों भेजा ?`?

उत्तर- (क) भक्तिन की विमाता स्वभाव से ईष्र्यालु और लालची थी इसलिए जानबूझ कर उसने भक्तिन के पिता की गम्भीर बीमारी और रोग का समाचार उसकी ससुराल में तब भेजा जब उनकी ;पिताजीद्ध मृत्यु हो चुकी थी क्योंकि विमाता नहीं चाहती थी कि वह अपने पिता की सम्पत्ति में हिस्सा माँगे।

भक्तिन को अपने पिता की मृत्यु का पता कब चला?

भक्तिन को पिता की मृत्यु का समाचार तब मिला जब वह मृत्यु की सूचना बन चुका था। 2. सास ने भक्तिन को पिता की मृत्यु का समाचार इसलिए नहीं बताया क्योंकि वह अपने घर में रोने-पीटने के अपशकुन से बचना चाहती थी। 3.

पति की मृत्यु के बाद भक्ति ने अपने बारे में क्या निर्णय लिया?

भक्तिन का पति उसे बहुत चाहता था। अपने पति के स्नेह के बल पर भक्तिन ने ससुराल वालों से अलगौझा कर अपना अलग घर बसा लिया और सुख से रहने लगी, पर भक्तिन का दुर्भाग्य, अल्पायु में ही उसके पति की मृत्यु हो गई। ससुराल वाले भक्तिन की दूसरी शादी कर उसे घर से निकालकर उसकी संपत्ति हड़पने की साजिश करने लगे।

सास ने भक्तिन को क्या बहाना बनाकर भेजा?

2 सास ने लछमिन को यह कहकर विदा किया कि 'तू बहुत दिन से अपने पिता के घर नहीं गई। इसलिए वहाँ जाकर उन्हें देख आ'। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अपने घर में रोने-पीटने के अपशकुन से बचना चाहती थी। 3.