चलते पुर्जे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं तथा साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं? - chalate purje log dharm ke naam par kya karate hain tatha saadhaaran aadamee kee kis avastha ka laabh uthaate hain?

धर्म की आड़

गणेशशंकर विद्यार्थी

NCERT Solution

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए:

Question 1: आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?

उत्तर: आज धर्म के नाम पर उत्पात किये जा रहे हैं, पाप किये जा रहे हैं और जिद की जा रही है।

Question 2: धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

उत्तर: धर्म के व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होना चाहिए।

Question 3: लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन सबसे बुरा था?

उत्तर: इस दिन स्वाधीनता आंदोलन में खिलाफत, मुल्लाओं और धर्माचार्यों को स्थान दिये जाने की जरूरत महसूस हुई, वह दिन स्वाधीनता आंदोलन का सबसे बुरा दिन था।

Question 4: साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर: साधारण से साधारण आदमी के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक निछावर कर देना वाजिब है।

Question 5: धर्म के स्पष्ट चिन्ह क्या हैं?

उत्तर: धर्म इंसान और भगवान के बीच संबंध स्थापित करने का साधन है। यह आत्मा को शुद्ध करने और उसे ऊँचा उठाने का साधन है।


Chapter List

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए:

Question 1: चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर: चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर मूर्ख और सीधे लोगों के उत्साह और शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आसानी से अपना बड़प्पन और नेतृत्व कायम रख सकें।

Question 2: चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर: साधारण आदमी को धर्म का मतलब लगता है लकीर पीटते रहना। चालाक लोग इसी मनोदशा का लाभ उठाते हैं।

Question 3: आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?

उत्तर: आनेवाले समय में लोगों के शुद्ध आचरण को बल मिलेगा। ऐसे लोग जो नमाज या पूजा के बहाने दूसरे की आजादी को छीनते हैं और देश भर में उत्पात फैलाते हैं; उन्हें आनेवाला समय टिकने नहीं देगा।

Question 4: कौन सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?

उत्तर: धर्म के नाम पर एक दूसरे को लड़वाना, धर्म के नाम पर दूसरे संप्रदाय के लोगों की आजादी छीनना, देश भर में उत्पात मचाना, आदि कार्यों को देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा।

Question 5: पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर: पाश्चात्य देशों में धनी लोगों के आलीशान महल गरीबों के पसीने की कमाई का नतीजा होते हैं। धनी लोग हमेशा गरीबों का खून चूसते हैं। इसके परिणामस्वरूप अमीरों और गरीबों के बीच लड़ाई का जन्म होता है।

Question 6: कौन से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?

उत्तर: वैसे नास्तिक लोग जो किसी पर अत्याचार नहीं करते, किसी को एक दूसरे के खिलाफ नहीं लड़वाते हैं। ऐसे लोग अक्सर निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद भी करते हैं।


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखिए:

Question 1: धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापर को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर: धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए धर्म की उपासना सही तरीके से करनी होगी। धर्म की उपासना के मार्ग में कोई खलल न हो। हर व्यक्ति को अपने ढ़ंग से धर्म का आचरण करने की आजादी हो। धर्म को एक ऐसा जरिया बनाना होगा जिससे आप ईश्वर से साक्षात्कार कर सकें, आत्मा को शुद्ध कर सकें और उसे ऊँचा उठा सकें। आप दूसरे किसी को भी उसका धर्मपालन करने से न रोकें।

Question 2: ‘बुद्धि की मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर: जब कोई व्यक्ति साधारण मनुष्य को धर्म की आड़ में लड़वाता है तो यह बुद्धि की मार होती है। इस स्थिति में लोगों की बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लिया जाता है। उसके बाद धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर लोगों को लड़वाया जाता है ताकि अपनी स्वार्थ सिद्धि हो सके।

Question 3: लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर: लेखक के हिसाब से धर्म की उपासना के मार्ग में कोई रुकावट न हो। हर व्यक्ति को अपने हिसाब से धर्म की भावना को जगाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। धर्म एक साधन हो जिससे मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच संबंध स्थापित हो, और जिससे आत्मा शुद्ध हो। कोई भी व्यक्ति दूसरे के धर्म में खलल न डाले। विभिन्न धर्मों के लोगों को आपस में टकराव से बचना चाहिए।

Question 4: महात्मा गांधी के धर्म संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: महात्मा गांधी धर्म को हर जगह स्थान देते थे। वे बिना धर्म के एक कदम भी चलने को तैयार नहीं होते थे। महात्मा गांधी के लिए धर्म का मतलब ऊँचे और उदार आदर्श हुआ करते थे। वे सभी धर्म को समान भाव से देखते थे।

Question 5: सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर: यदि कोई आदमी सुबह दो घंटे पूजा करता है या दिन में पाँचों वक्त नमाज पढ़ता है, लेकिन उसके बाद पूरे दिन बेईमानी और धूर्तता में लिप्त रहता है तो उसे धार्मिक नहीं कहा जाएगा। यदि आप अपने आचरण को सुधार लें और किसी के साथ गलत ना करें तभी आप धार्मिक कहलाएँगे। समाज में सुख शांति और सबके कल्याण के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति अपना आचरण सुधार ले।

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए:

Question 1: उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

उत्तर: साधारण आदमी को इतना पता होता है कि धर्म और ईमान के लिए जान भी देनी पड़े तो उचित है। उसे धर्म का असली मर्म नहीं पता होता है। इसलिए उसे आसानी से बहकाया जा सकता है और जिधर चाहे हाँका जा सकता है।

Question 2: यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना भिड़ाना।

उत्तर: लेखक ने धर्म के नाम पर बहकाए जाने को बुद्धि की मार बताया है। धर्म के नाम पर पहले तो लोगों की बुद्धि पर परदा डाल दिया जाता है। उसके बाद चालाक लोग ऐसे लोगों के दिमाग में से ईश्वर और आत्मा को हटाकर अपना स्थान बना लेते हैं। फिर अपना उल्लू सीधा करने के लिए ये धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़वाते हैं।

Question 3: अब तो, आपका पूजा पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।

उत्तर: लेखक का मानना है कि आने वाले समय में आपकी पूजा पाठ से यह तय नहीं होगा कि आप कितने धार्मिक हैं। बल्कि आपके आचरण से यह तय होगा कि आप कितने धार्मिक हैं। यदि कोई नास्तिक मनुष्य भी इमानदार है और दूसरों को कष्ट नहीं पहुँचाता है तो उसे एक धार्मिक मनुष्य माना जाएगा।

Question 4: तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो, और आदमी बनो।

उत्तर: ईश्वर भी ऐसे लोगों से अपने आप को अलग कर लेगा जो धर्म के नाम पर दूसरों को प्रताड़ित करते हैं, या समाज में उत्पात मचाते हैं। ईश्वर का अस्तित्व किसी की पूजा अर्चना पर नहीं टिका है। इसलिए ईश्वर ऐसे व्यक्ति का ही साथ देगा जो सही मायने में मनुष्य है और दूसरे मनुष्यों का आदर करता है।


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चलते फिरते लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

Answer: चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मुर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। साधारण लोग धर्म का सही अर्थ और उसके तत्वों को समझ नहीं पाते और उनकी इस अज्ञानता का लाभ चालाक लोग उठा लेते हैं। उन्हें आपस में ही लड़ाते रहते हैं

कुछ चलते पुरजे लोग क्या करते हैं?

उत्तर: चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर मूर्ख और सीधे लोगों के उत्साह और शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आसानी से अपना बड़प्पन और नेतृत्व कायम रख सकें।

लेखक चलते पुरज़े लोगों को यथार्थ दोष क्यों मानता है धर्म की आड़ पाठ के आधार पर बताइए?

सदियों से चली आ रही घिसी-पिटी बातों को धर्म मानकर धार्मिक होने का दम भरते हैं और धर्मक्षीण रक्षा के लिए जान देने को तैयार रहते हैं। चालाक लोग उनके साहस और शक्ति का उपयोग अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए करते हैं। उनके इस दुराचार के लिए लेखक चलते-पुरजे लोगों का यथार्थ दोष मानता है।

धूर्त लोग मूर्ख लोगों की शक्ति का लाभ कैसे उठाते हैं?

चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग करते हैं। ... .
चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म के प्रति निष्ठा का लाभ उठाते हैं। ... .
वे लोग जो धर्म की आड़ लेकर लोगों को आपस में लड़वाते हैं, आनेवाला समय उन्हें टिकने नहीं देता।.