3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

जन्‍म के बाद 6 महीने तक शिशु को मां का दूध ही पिलाया जाता है। शिशु को इसी से पर्याप्‍त पोषण और एनर्जी मिल जाती है। मां के पीले गाढ़े दूध में कई तरह के पोषक तत्‍व और इम्‍यूनिटी को बढ़ाने वाले एंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं। ये शिशु को बीमारियों से बचाने और विकास में मदद करते हैं।

कुछ मामलों में पर्याप्‍त दूध पिलाने पर बच्‍चे का वजन नहीं बढ़ता है। इसे लेकर अक्‍सर पेरेंट्स चिंता में आ जाते हैं कि शिशु को पूरा पोषण मिल पा रहा है या नहीं। अगर आप भी इस बात को लेकर परेशान हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।

​शिशु की नॉर्मल ग्रोथ

3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

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बच्‍चे का वजन बढ़ने का कोई फिक्‍स पैटर्न नहीं होता है। सभी बच्‍चों का वजन अलग-अलग तरीके से बढ़ता है लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता जरूर है और इससे बच्‍चे के विकास को ट्रैक करने में मदद मिलती है।

जन्‍म के बाद पहले हफ्ते में शिशु का 10 पर्सेंट वजन घटता है लेकिन अगले एक या दो हफ्ते में यह वजन वापिस बढ़ जाता है। अगले तीन महीनों में ठीक तरह से दूध पीने पर रोज बच्‍चे को 30 ग्राम वेट बढ़ता है।

हर बच्‍चा अलग होता है और यह बताना मुश्किल होगा कि बेबी का कितना वजन बढ़ेगा। हालांकि, बच्‍चे का धीमी गति से वजन बढ़ने का मतलब है कि उसे पर्याप्‍त पोषण नहीं मिल पा रहा है।

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​शिशु के धीमे विकास का कारण

3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

नवजात शिशु को हर दो से तीन घंटे में दूध पिलाना चाहिए। समय के साथ बच्‍चे की भूख बढ़ती जाती है। आमतौर पर वजन बढ़ने के लिए शिशु जितनी कैलोरी खर्च करता है, उससे ज्‍यादा कैलोरी उसे मिलनी चाहिए।

लगातार बच्‍चे का वजन न बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि पर्याप्‍त मात्रा में कैलोरी न मिलना, पोषक तत्‍वों को न सोख पाना और कैलोरी ज्‍यादा खर्च करना।

​पर्याप्‍त कैलोरी न लेना

3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

शिशु के लिए कैलोरी का एक ही स्रोत है और वो है ब्रेस्‍टमिल्‍क। जब शिशु को पर्याप्‍त कैलोरी नहीं मिलती है, तो उसका विकास धीमा पड़ जाता है। स्‍तन ठीक तरह से न खींच पाने, दिन में कम बार स्‍तनपान करवाने, देर तक दूध न पिलाने और ब्रेस्‍ट मिल्‍क कम आने पर ऐसा हो सकता है।

हर एक से दो घंटे में शिशु को दूध पिलाएं। अगर आपको ब्रेस्‍ट मिल्‍क नहीं आ रही है या शिशु दूध नहीं खींच पा रहा है तो अपने डॉक्‍टर से बात करें।

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​पोषक तत्‍व न सोख पाना

3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

कुछ मामलों में ठीक तरह से दूध पिलाने पर भी शिशु विकास धीमा होता है। ऐसा बेबी के किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के कारण दूध से पोषक तत्‍वों को न सोख पाने पर होता है।

गैस्‍ट्रोइसोफेजल रिफलक्‍स या फूड एलर्जी या फूड सेंसिटिविटी से पोषक तत्‍वों को सोखने में दिक्‍कत हो सकती है। दूध पीने के तुरंत बाद बच्‍चे को उल्‍टी हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।

​ज्‍यादा कैलोरी बर्न करना

3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

शरीर के जरूरी कार्यों को करने के लिए शिशु कैलोरी का इस्‍तेमाल करता है। इसके अलावा बच्‍चा ऐसा कोई काम नहीं करता है जिसमें ज्‍यादा कैलोरी बर्न होती हो। लेकिन कुछ बच्‍चे कैलोरी को जल्‍दी पचा लेते हैं इसलिए उन्‍हें ज्‍यादा कैलोरी चाहिए होती है। प्रीमैच्‍योर बर्थ के मामले में हार्ट डिजीज या सांस से जुड़ी परेशानियों में शिशु को नॉर्मल से ज्‍यादा कैलोरी चाहिए होती है।

धीमे विकास के मामले में आपको पीडियाट्रिशियन से बात करनी चाहिए। डॉक्‍टर परिस्थिति की जांच कर के सही इलाज बता पाएंगे।

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  • ज़्यादातर मोटे बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होते हैं।
  • सभी बच्चों का वज़न समान रूप से नहीं बढ़ता। वजन बढ़ने का पैटर्न एक बच्चे से दूसरे बच्चे में भिन्न होता है।
  • कैलोरी से भरे पौष्टिक खाद्य पदार्थ आपके बच्चे को हेल्दी मात्रा तक वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

जीवन के पहले पांच से सात दिनों में प्राय: सभी नवजात शिशुओं के वजन में मामूली गिरावट का अनुभव होता है। स्वस्थ शिशुओं में धीरे-धीरे वज़न फिर बढ़ने लगता है और बच्चे का वजन बढ़ना व्यापक रूप से भिन्न होता है, जिसमें अधिकांश बच्चे का वजन स्वस्थ माना जाता है।

लेकिन, जब बच्चे का वजन लगातार प्रतिशत चार्ट (percentile chart) में गिरता है - और यह पाचन संबंधी विकार या हृदय संबंधी मुद्दों के कारण नहीं होता, तो इसका यह कारण हो सकता है कि बच्चा पर्याप्त वसा (fat) का उपभोग नहीं कर रहा है।

शिशुओं और छोटे बच्चों को वसा की अधिक आवश्यकता होती है। वसा न केवल उनके दिमाग और तंत्रिका तंत्र को सामान्य रूप से विकसित करने में मदद करता है, बल्कि यह उनके शरीर को विटामिन- ए (A), डी (D), ई (E), और के (k) को अवशोषित करने में भी मदद करता है।

कई ऐसे बच्चे को मोटा बनाने के सरल उपाय हैं जिन्हें प्रयोग में लाकर आप अपने शिशु का वज़न बढ़ा सकती हैं। इन उपायों से आपके बेबी का वज़न भी बढ़ जाएगा और यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि आपका शिशु अनावश्यक रूप से मोटा न हो जाये। बच्चा मोटा कैसे बनता है, (baby ko mota karne ka tarika) इसके उपाय इस लेख में विस्तार से बताए गए हैं।

3 महीने के बच्चे को कैसे मोटा करें? - 3 maheene ke bachche ko kaise mota karen?

 

क्या मोटा बच्चा स्वस्थ होता है?

Are fat babies healthy in hindi

Kya mota bacha swasth hota hai in hindi

ज़्यादातर मामलों में मोटे बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होते हैं। बच्चे के वजन बढ़ने के कई कारण होते हैं, और उन पर विचार करने से यह बात निर्धारित करने में मदद मिलती है कि क्या बच्चे का वज़न में भारी होना नॉर्मल है या चिंता का कारण

नवजात शिशु बहुत जल्दी बढ़ते हैं, खासकर उनके पहले वर्ष में। जन्म के समय, एक स्वस्थ बच्चे का औसत वज़न लगभग 3.5 kg होता है। लेकिन, बहुत सारे स्वस्थ बच्चे इस औसत वजन से कम या अधिक वज़न वाले पैदा होते हैं।

अपनी लंबाई के कारण, एक ही वजन के दो बच्चे भी आकार में भिन्न दिख सकते सकते हैं – अधिक लंबा बच्चा जहां नॉर्मल दिखाई पड़ सकता है, वहीं कम लंबाई वाला ज़्यादा गोलू- मोलू।

शिशुओं का वजन 6 महीने से कम समय में दोगुना हो सकता है, और उम्र के हिसाब से तिगुना हो सकता है। बच्चों को इस तेजी से विकसित होने के लिए ठोस और उच्च वसा वाले आहार की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि छोटे बच्चों को बहुत जल्दी-जल्दी भूख लगती है।

एक शिशु थोड़ी वसा को अपनी त्वचा के नीचे संग्रहीत करता है क्योंकि उसके विकासशील शरीर और मस्तिष्क को हर समय ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए अपने बच्चे के गोल गाल या हल्के फुले हुए पेट को देखकर चिंता न करें - इस तरह का मोटापा आपके बच्चे के लिए सामान्य और स्वस्थ है।

हर बच्चा अपनी दर से बढ़ता है। कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं और फिर यह बढ़ोतरी धीमी हो जाती है। अन्य बच्चों का वज़न धीरे-धीरे, लेकिन लगातार बढ़ता है।

 

किस उम्र में बच्चे का वजन कितना होना चाहिए?

Age Wise Breakdown of Weight Gain for Kids in hindi

newborn baby ko mota kaise kare

हर बच्चे के वजन बढ़ने का पैटर्न अलग होता है, और इस मामले में एक शिशु की तुलना दूसरे से करना, सही नहीं है। हालांकि, सही वज़न का पता लगाने के लिए डॉक्टर, भारतीय बच्चों का औसत वजन दिखाने वाले, एक वजन चार्ट (weight chart) का उपयोग करते हैं।

आदर्श रूप से, आपके बच्चे का वज़न पैटर्न के अनुरूप और वजन चार्ट द्वारा दिखाई गयी सीमा के आस-पास ही होना चाहिए।

माता-पिता द्वारा इस चार्ट को केवल एक सामान्य दिशा-निर्देश के रूप में लेना ही उचित है। यह याद रखना भी ज़रुरी है कि आपके बच्चे की किसी विशेष ज़रूरत के लिए बाल-रोग विशेषज्ञ की सलाह सबसे अच्छी है।

शुरुआती कुछ महीनों में शिशु काफी तेजी से बढ़ता है। हर महीने, शिशु के वजन और लंबाई में वृद्धि जारी रहती है। जीवन के पहले 6 महीनों के दौरान विशेष रूप से बच्चे को स्तनपान कराया जाता है।

6 महीने के बाद अन्य तरल पदार्थों या अर्ध-ठोस खाद्य पदार्थों (semi-solid foods) को खिलाने की कोशिश की जाती है।

हालांकि, ठोस आहार की शुरुआत के साथ-साथ स्तनपान भी जारी रखा जाना चाहिए। आदर्श रूप से, 4 से 6 महीने की उम्र में शिशु का वजन अपने जन्म के वजन से दोगुना होना चाहिए।

इस चरण में एक शिशु काफी सक्रिय रहता है, और भावनात्मक और सामाजिक तौर पर भी काफी विकास करता है। इस दौरान आपका बच्चा अन्य बच्चों के संपर्क में आएगा या जब आप उसे पड़ोस में टहलने के लिए ले जाएंगे।

पहले साल में निर्मित खाने की आदतें अब और भी प्रखर हो जाती हैं। विभिन्न कारकों जैसे कि मन की स्थिति, नया वातावरण और भोजन की आदतों में बदलाव आदि के कारण इस दौरान वजन में उतार-चढ़ाव दिखाई देंगे।

इस उम्र में, एक भारतीय बच्ची का औसत वजन 9.5 से 14 kg के बीच रहता है, जबकि बच्चे का वजन 10.2 से 14.6 kg के बीच हो सकता है।

3. प्रीस्कूलर - 4 से 6 साल

प्रीस्कूल के कार्यक्रम और जीवनशैली में अधिक सक्रियता के कारण इस आयु में बच्चे को अतिरिक्त कैलोरी और अधिक पौष्टिक भोजन की ज़रूरत होगी। औसतन, इस दौरान प्रति वर्ष लगभग 2 किलोग्राम शिशु का वजन बढ़ेगा।

4.बच्चे - 7 से 12 वर्ष

जैसे-जैसे उम्र बढ़ेगी वैसे-वैसे आपके बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताओं में वृद्धि होती जाएगी, और उसका वजन बढ़ेगा। वह इस चरण के दौरान मूल रूप से प्रति वर्ष लगभग 3 किलोग्राम वजन की वृद्धि अनुभव करेगा/करेगी। इस उम्र में, उसे परिवार के अन्य सदस्यों के समान भोजन मिलना चाहिए।

 

पौष्टिक चीजों को खिलाकर बच्चे को मोटा करने के उपाय

Nutritious food to help baby gain weight in hindi

Healthy khana khilakar bachche ko mota karne ka tarika in hindi

नीचे स्वस्थ वसा (healthy fat) और कैलोरी से भरे पौष्टिक खाद्य पदार्थों की एक ऐसी सूची है जो आपके बच्चे को मोटा करने का असरदार तरीका साबित होगी।

जन्म के बाद पहले 6 महीनों के दौरान एक शिशु को विशेष रूप से स्तनपान करवाया जाना चाहिए। यह सबसे अधिक पौष्टिक, आसानी से पचने वाला, पूरी तरह से संतुलित और स्वास्थ्यप्रद सुपरफूड है जो आपके बच्चे की इम्मयुनिटी बूस्ट (immunity boost) करता है।

यदि आपका बच्चा सक्रिय और स्वस्थ है, उसे किसी प्रकार की एलर्जी नहीं है, वह दिन में 4-6 बार मल पास करता है, और 6-8 बार उसके डायपर बदलने पड़ते हैं तो यह दिखाता है कि उसे माँ का दूध पर्याप्त रूप से मिल रहा है।

6 महीने के बाद, आप अपने दूध के साथ-साथ शिशु को तरल और सेमी-सॉलिड (semi-solid) खाद्य पदार्थ भी दे सकती हैं।

2. जैतून का तेल है बच्चे को मोटा करने का असरदार तरीका

एक ग्राम जैतून के तेल (olive oil) में लगभग नौ कैलोरी होती है। जैतून का तेल हेल्दी मोनोअनसैचुरेटेड वसा (monounsaturated fat) के साथ-साथ विटामिन और खनिज से भरपूर होता है। इसलिए अपने बच्चे की डाइट में जैतून का तेल ज़रूर शामिल करें।

3. बेबी को मोटा करने का तरीका है डेयरी उत्पाद

एक वर्ष की आयु के बाद अपने बच्चे के आहार में दही जैसे डेयरी उत्पादों को शामिल करना उचित होगा। दही बच्चे का वजन बढ़ाने में काफी मददगार है। यह पाचन मजबूत बनाता है, इम्यूनिटी (immunity) बढ़ाता है और गैस्ट्रिक की समस्या से लड़ने में मदद करता है।

बच्चे को दूध, मक्खन, पनीर, आदि 12 महीने की आयु के बाद ही दें। अपने बच्चे को परोसे जाने वाले व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें बटर या पनीर का एक टुकड़ा डालें। गाय के दूध को आपके बच्चे को एक साल पूरा कर लेने पर ही देना चाहिए।


बच्चे को मोटा करना है तो उसके खाने में पपीता, आम और अनानास शामिल ज़रूर करें। इसके अलावा केला भी बच्चे के लिए उत्तम आहार है। यह फल पोटैशियम, विटामिन-सी, विटामिन बी-6 और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है। यह कैलोरी से भी भरा होता है, जिससे यह आपके बच्चे को वजन बढ़ाने के लिए एक बेहतरीन भोजन है।

आप केले को मैश करके स्मूदी या शेक में डाल सकती हैं। केले की तरह, नाशपाती में अन्य फलों की तुलना में अधिक कैलोरी होती है। आप चाहे तो बच्चे को कच्ची नाशपाती खिलाएँ या बच्चा अगर कच्चा न खा सके तो नाशपाती को पकाकर मैश कर खिलाएँ।

दालें अनेक पोषक तत्वों जैसे कि प्रोटीन,आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम और फाइबर का खजाना होती हैं। 6 महीने की उम्र के बाद, आप शिशु को दाल का सूप या दाल का दे सकती हैं।

इसके अलावा खिचड़ी के रूप में भी आप बच्चे को दाल खिला सकती हैं। सभी दालों में मूंग दाल बच्चों के लिए श्रेष्ठ है क्योंकि यह आसानी से पच जाती है।

कई पोषक तत्त्वों से भरपूर, घी को आप, बच्चे को, 8वें महीने के बाद दे सकती हैं। घी की कुछ बूंदों को दलिया, खिचड़ी या दाल के ऊपर छिड़का जा सकता है।

मॉडरेशन में घी का उपयोग करना याद रखें क्योंकि अधिक मात्रा में इसका उपयोग बच्चे के हाज़मे को बिगाड़ सकता है।

अंडे प्रोटीन से भरपूर होते हैं। प्रोटीन का यह पॉवरहाउस आपके बच्चे के एक साल पूरा कर लेने के बाद दिया जाना चाहिए। अंडे संतृप्त वसा, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों में समृद्ध होते हैं।

बाल रोग विशेषज्ञ के परामर्श के आप बाद बच्चे के आहार में मांस या मछली भी शामिल कर सकती हैं। चिकन आसानी से पचने योग्य प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत है। यह आपके बच्चे को मांसपेशियों का निर्माण कर स्वस्थ वजन हासिल करने में मदद करता है।

 

बच्चे को मोटा करना है तो ये बातें रखे ध्यान

Things to keep in mind to make baby gain weight in hindi

bacho ko mota karne tips

कुछ बच्चों का वजन या तो बढ़ता नहीं है या बहुत कम बढ़ता है, और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। बच्चे के कम वजन का एक कारण माता-पिता की आनुवंशिक बनावट (genetic constitution) है।

यदि माता और पिता दोनों दुबले हैं, तो शिशु भी दुबला-पतला हो सकता है। मेटाबॉलिज्म भी बच्चे के वजन बढ़ने के पैटर्न पर अच्छा असर डालता है।

याद रखें, यदि आपका बच्चा सक्रिय और स्वस्थ है, तो देर-सबेर वह अपनी उम्र का आदर्श वजन हासिल कर ही लेगा।

  • बच्चे को पर्याप्त व्यायाम की आदत डालें और सुनिश्चित करें कि वह शारीरिक गतिविधियों में लिप्त रहे ताकि उसे सही समय पर भूख लगती रहे।
  • आपका ध्यान हमेशा बेबी को संतुलित और पौष्टिक आहार देने पर होना चाहिए, न कि बेबी को मोटा बनाने के तरीके पर।
  • जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, उसे तैराकी, साइकिल चलाना आदि खेलों में शामिल करें, खेल में सक्रिय भागीदारी से उसकी भूख बढ़ाने में मदद मिलेगी और उसके शरीर का विकास होगा।
  • रंगीन प्लेटों, कटलरी, संगीत, आदि के साथ खाना खाने को एक रोचक अनुभव बनाएं। आप कभी-कभार अपने बच्चे को पार्क में ले जाकर खिलाएँ जिससे उसे पिकनिक जैसा अनुभव होगा और खाने में उसकी रुचि बढ़ेगी।
  • कभी-कभी, बच्चे खाने से इनकार कर देते हैं। अपने बच्चे को ज़बरदस्ती न खिलाएं और न गुस्सा करें। बच्चे को अन्य समय या अन्य किसी तरीके से खिलाने की कोशिश करें।
  • इस बात का ध्यान रखें कि कहीं बच्चे को किसी खाद्य-पदार्थ से एलर्जी न हो। बच्चा नट्स (nuts) जैसे मूँगफली, अखरोट आदि, मछली या लैक्टोज (lactose) से असहिष्णुता विकसित कर सकता है। ऐसी हालत में तत्काल चिकित्सक की सहायता लें और खुद दवा देकर इसे हल करने का प्रयास न करें।
  • बच्चे को खाना रोज एक निश्चित समय पर खिलाएँ, ताकि उसकी बॉडी साइकल उसके अनुसार निर्धारित हो। उसे खाने के बीच में न खिलाएं।
  • यदि आपके बच्चे को बेवक्त भूख लगे तो उसे हेल्दी स्नैक्स जैसे कि किशमिश या फल खिलाएँ।
  • अधिक खाने के साथ-साथ बहुत कम खाने को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • अपने बच्चे को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें। बहुत बार, प्यास के कारण आपके बच्चे को लग सकता है कि वह भूखा है। यदि वह बेवक्त या भोजन के बीच भूख की शिकायत करता है, तो उसे एक गिलास पानी दें।
  • बच्चे को जितना हो सके जंक फूड से दूर रखें।
  • बच्चे को घर में ही बनी हुई नयी चीजें खाने को दें ताकि उसका टेस्ट बदले और वह जंक फूड या बाहर के खाने की तरफ आकर्षित न हो।

 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

याद रखें कि बच्चों में हेल्दी खाने की आदतों को विकसित करना बच्चे को मोटा करने से अधिक महत्वपूर्ण है। अपने बच्चे को एक स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करने दें, और वह अंततः स्वस्थ वजन तक पहुँच जाएगा।

यदि उपरोक्त सुझावों और खाद्य पदार्थों को अपनाने के बावजूद आपके बच्चे का वजन नहीं बढ़ता है, तो डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर स्थिति का मूल्यांकन करने और बच्चे को मोटा करने का सिरप देने में सक्षम होंगे।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 24 Aug 2020

3 महीने के बच्चे का वजन बढ़ाने के लिए क्या करें?

आप खिचड़ी, दाल, चावल और कई डिशेज में देसी घी डालकर बच्चों को खिला सकते हैं। घी में विटामिन ए, डी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मिनरल्स और पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। दालों में प्रोटीन, मैग्‍नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फाइबर और पोटैशियम होता है। आप बच्चों को अरहर, मूंग दाल खिला सकते हैं।

3 महीने के बेबी का वेट कितना होना चाहिए?

तीसरे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 4.7 किलो से 6.3 किलो और लंबाई 59.8 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 5.1 किलो से 6.9 किलो तक और लंबाई 61.4 सेंटीमीटर हो सकती है (1)।

3 माह के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए?

जब शिशु को ठोस आहार खाने की आदत हो जाए तब आप उसे दही और सेब आदि मिलाकर खिला सकते हैं। बच्‍चों को सेब का मीठा और खट्टा स्‍वाद पसंद आएगा। आप ठोस आहार की शुरुआत सेब से कर सकते हैं। वहीं, सेब में फाइबर अधिक और फैट की मात्रा कम होती है इसलिए यह फल शिशु के लिए बहुत लाभदायक होता है।

नवजात शिशु का वजन कौन से महीने में बढ़ता है?

आमतौर पर जन्म के पांच से सात दिन बाद शिशुओं का वजन बढ़ना शुरु होता है। करीब दो सप्ताह का होने तक अधिकांश शिशु अपने जन्म वजन के बराबर (या इससे ज्यादा) पहुंच जाने चाहिए। इसके बाद उनका वजन निरंतर बढ़ना चाहिए।