14 मार्च, 1989- बडगाम जिले के नवागरी, चदूरा की प्रभावती की हरि सिंह हाई स्ट्रीट, श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में हत्या कर दी गई। 31 अक्टूबर 1989- दलहसन्यार की 47 वर्षीय शीला कौल टीकू की छाती और सिर में गोली मार दी गई। 1 दिसंबर 1989- जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के महाराजगंज के निवासी अजय कपूर की आतंकवादियों ने सार्वजनिक रूप से गोली मारकर हत्या कर दी। 15 जनवरी 1990- श्रीनगर के खोनमोह के एक सरकारी कर्मचारी एमएल भान
की हत्या कर दी गई। उसी दिन, श्रीनगर के लाल चौक में एक संचालिका बलदेव राज दत्ता का अपहरण कर लिया गया था और चार दिन बाद 19 जनवरी 1990 को श्रीनगर के नई सड़क में उनका प्रताड़ित शरीर मिला था। 1 फरवरी 1990- केंद्र सरकार के कर्मचारी कृष्ण गोपाल बैरवा और त्रेहगाम, कुपवाड़ा के राज्य सरकार के कर्मचारी रोमेश कुमार थुसू को सार्वजनिक रूप से गोली मार दी गई। 2 फरवरी 1990- एक युवा कश्मीरी हिंदू (पंडित) सतीश कुमार टिक्कू को फारूक अहमद डार (उर्फ बिट्टा कराटे) के नेतृत्व वाले एक समूह ने गोली मार दी थी। 13 फरवरी 1990- दूरदर्शन के निदेशक लस्सा कौल की उस समय हत्या कर दी गई, जब उनके एक सहयोगी ने कथित तौर पर उनके आंदोलन के बारे में जानकारी लीक कर दी थी। उसी दिन नागरिक संगठन मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) में कार्यरत रावलपोरा के रतन लाल की भी मौत हो गई थी। 16 फरवरी 1990- अनिल भान को फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे ने मार डाला, जो चौंतीस कश्मीरी पंडितों की हत्या के लिए जिम्मेदार है। 23 फरवरी 1990- अशोक काज़ी को प्रताड़ित किया गया और घुटनों में गोली मार दी गई। 27 फरवरी 1990- नवीन सप्रू को श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में हब्बा कदल पुल के पास गोली मार दी गई थी। 18 मार्च 1990- राज्यपाल के निजी सहायक आरएन हांडू की श्रीनगर के
नरसिंहगढ़ में उनके घर के गेट के बाहर हत्या कर दी गई। 10 अप्रैल 1990- हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एचएमटी) के महाप्रबंधक एचएल खेरा की श्रीनगर में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
Top 10 Mysterious Places In The World : दुनिया की 10 रहस्यमयी जगह Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को क्यों भगाया गया?कश्मीरी मुसलमानों को पंडित घरों की पहचान करने का निर्देश दिया गया ताकि उनका धर्म परिवर्तन किया जा सके या डराया-धमकाया जा सके। कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ किए गए अत्याचार (Kashmir Pandit Tragedy) और 1990 के दशक में उग्रवाद के उदय के साथ घाटी से उनका जबरन पलायन देश भर में रोजाना की आम बातचीत का हिस्सा है।
कश्मीरी पंडितों के साथ 1990 में क्या हुआ था?कश्मीरी पंडितों के मुताबिक, 1989-1990 में 300 से ज्यादा लोगों को मारा गया। इसके बाद भी पंडितों का नरसंहार जारी रहा। 26 जनवरी 1998 में वंदहामा में 24, 2003 में नदिमर्ग गांव में 23 कश्मीरी पंडितों का कत्ल किया गया।
1990 में कितने कश्मीरी पंडित मारे गए?टीकू का यह भी मानना है कि अकेले 1990 में ही 302 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी.
1989 में कश्मीर में क्या हुआ था?300 से अधिक हिंदू महिला और पुरुषों की हुई थी हत्या
- घाटी में कश्मीरी पंडितों के बुरे दिनों की शुरुआत 14 सितंबर 1989 से हुई। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और वकील कश्मीरी पंडित, तिलक लाल तप्लू की जेकेएलएफ ने हत्या कर दी। - इसके बाद जस्टिस नील कांत गंजू की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
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